NCERT Solutions for Class 9 Science in Hindi & English Medium

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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (Hindi Medium)

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पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 66)

प्र० 1. कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर- कोशिका की खोज राबर्ट हुक ने सन् 1665 में की थी। उन्होंने स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से कार्क की पतली काट के अवलोकन पर पाया कि इनमें अनेक छोटे-छोटे प्रकोष्ठ हैं, जिसकी संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी मालूम पड़ती है। इन प्रकोष्ठों (Compartments) को उन्होंने कोशिका कहा। Cell (कोशिका) लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है- ‘छोटा कमरा’।

प्र० 2. कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?
उत्तर- कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई इसलिए कहते हैं क्योंकि एक कोशिका स्वतंत्र रूप से जीवन के सभी क्रियाकलापों को करने में सक्षम होती है। सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं। कोशिका के अंदर कोशिकांग होते हैं। जिसके कारण कोई कोशिका जीवित रहती है और अपने सभी कार्य करती है। ये कोशिकांग मिलकर एक मूलभूत इकाई (Fundamental unit)
बनाते हैं, जिसे कोशिका कहते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 68)

प्र० 1. CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका से कैसे अंदर तथा बाहर जाते हैं? इस पर चर्चा करें।
उत्तर- कोशिका से CO2 अंदर तथा बाहर विसरण प्रक्रिया द्वारा जाते हैं। जब कोशिका के बाहरी पर्यावरण में CO2 की सांद्रता कोशिका में स्थित CO2 की सांद्रता की अपेक्षा कम होती है तो उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर विसरण द्वारा कोशिका से CO2 बाहर निकल जाती है। CO2 एक कोशिकीय अपशिष्ट होता है जो कोशिका में एकत्र होकर उसकी सांद्रता बढ़ाता है। पानी का भीतर तथा बाहर जाना परासरण प्रक्रिया द्वारा होता है।

जल के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली (Selectively permeable membrane) द्वारा हो तो उसे परासरण कहते हैं। प्लज्मा झिल्ली (Plasma membrane) से जल की गति जल में घुले पदार्थों की मात्रा के कारण भी प्रभावित होती है। इस प्रकार परासरण में जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जुल की सांद्रता से निम्न जल की सांद्रता की ओर जाते हैं।

प्र० 2. प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर- प्लैज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली इसलिए कहते हैं क्योंकि यह कुछ पदार्थों को अंदर अथवा बाहर आने-जाने देती हैं, सभी पदार्थों को नहीं। यह अन्य पदार्थों की गति को भी रोकती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 70)

प्र० 1. क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं, जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अंतर स्पष्ट हो सके।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 1
उत्तर- केंद्रकीय क्षेत्र- (2) बहुत कम स्पष्ट होता है क्योंकि इसमें
केंद्रक झिल्ली नहीं होती। ऐसे अस्पष्ट केंद्रक क्षेत्र में केवल क्रोमैटिन पदार्थ होता है और उसे केंद्रकाये कहते हैं।
(4) झिल्लीयुक्त कोशिका अंगक उपस्थित।।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 73)

प्र० 1. क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं, जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है?
उत्तर- ऐसे दी अंगकों के नाम हैं-
(a) माइटोकॉन्ड्रिया।
(b) प्लैस्टिड इनमें इनके अपने आनुवंशिक पदार्थ DNA होते हैं।

प्र० 2. यदि किसी कोशिका को संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर- यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है तो कोशिका श्वसन, व्यर्थ पदार्थों को साफ़ करना, नए प्रोटीन बनाना, पोषण प्राप्त करना आदि कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं तथा अंततः कोशिका मृत हो जाती है और इसे लाइसोसोम पाचित कर देता है।

प्र० 3. लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?
उत्तर- जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है, तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एंजाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ भी कहते हैं।

प्र० 4. कोशिका के अंदर प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता
उत्तर- प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम में होता है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. पादप कोशिकाओं तथा जंतु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 2

प्र० 2. प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 3
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 4

प्र० 3. यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर- यदि प्लैज्मा झिल्ली फट जाए अथवा टूट जाए तो कोशिकांग लाइसोसोम फट जाएँगे और लाइसोसोम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर लेंगे। इस स्थिति में कोशिका जीवित नहीं रह पाएँगे क्योंकि पदार्थ अंदर-बाहर आसानी से आ-जा सकेंगे।
अतः कोशिका में रासायनिक पदार्थों का संगठन सुचारु रूप से नहीं रह पाएगा।

प्र० 4. यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर-
(i) यदि कोशिका में गॉल्जी उपकरण नहीं होंगे तो लाइसोसोम का बनना बंद हो जाएगा तथा कोशिका का अपशिष्ट निपटान नहीं हो पाएगा।
(ii) गॉल्जी उपकरण के बिना ER में संश्लेषित पदार्थ कोशिका के अंदर तथा बाहर विभिन्न क्षेत्रों में नहीं आ पाएँगे क्योंकि गॉल्जी उपकरण में ये पदार्थ पैक किए जाते हैं और भेजे जाते हैं।
(iii) गॉल्जी उपकरण के बिना पदार्थों का संचयन (Storage), रूपांतरण (Modification) तथा बंद करना (Packaging) नहीं हो पाएगा।

प्र० 5. कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
उत्तर- माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का बिजलीघर है क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं को करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया ATP (ऐडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं। ATP
कोशिका की ऊर्जा है।

प्र० 6. कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर-
(i) लिपिड- चिकनी अंतर्द्रव्यी जालिका (SER) में लिपिड का संश्लेषण होता है।
(ii) प्रोटीन- खुरदरी अंतर्द्रव्यी जालिका (RER) पर लगे राइबोसोम में प्रोटीन का संश्लेषण होता है।

प्र० 7. अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर- अमीबा अपना भोजन एंडोसाइटोसिस (Endocytosis) प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं। अमीबा की प्लैज्मा झिल्ली या कोशिका झिल्ली लचीली होती है, जिसकी सहायता से यह भोजन के कणों को ग्रहण कर लेता है। जब भोज्य पदार्थ उसके संपर्क में आता है तो वह उसे चारों ओर से अपने कूटपाद से घेर लेता है। यह एक प्यालीनुमा रचना होती है, जिसे खाद्य रिक्तका या खाद्य रसधानी (Food vacuole) कहते हैं। पाचन क्रिया एंजाइम के द्वारा खाद्य रसधानी में होती है। पाचित भोजन निकटवर्ती कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। तथा जिसका पाचन नहीं होता, वह खाद्य रिक्तिका के माध्यम से बाहर निकल जाता है।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 5

प्र०8. परासरण क्या है?
उत्तर- परासरण विसरण की एक विशिष्ट विधि है, जिसमें जल के अणु वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली (Semipermeable membrane) द्वारा उच्च जल की सांद्रता (शुद्ध जल या तनु विलयन) से निम्न जल की सांद्रता (सांद्र विलयन) की ओर जाते हैं।

प्र० 9. निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें-
छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो, जिससे कि आलू के कप बन जाएँ। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,

(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप ‘D’ में एक चम्मच चीनी डालो।

आलू के इन चारों कपों को दो घंटे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों का उत्तर दो
(i) ‘B’ तथा ‘C’ खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र क्यों नहीं हुआ? इसका वर्णन करो।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 5 (Hindi Medium) 6
(i) परासरण के कारण B और C कप में जल एकत्रित हो जाता है क्योंकि कच्चे आलू से बने दोनों कप वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली का कार्य करते हैं और जल परासरण विधि से खोखले आलुओं के भीतर चला जाता है। यह एक अल्पपरासरण दाबी विलयन तथा आलू के कपों के अंदर जाने वाले जल की मात्रा उससे बाहर | आने वाले जल की मात्रा से अधिक होगी। परंतु जः। कुछ समय बाद इसमें चीनी और नमक डाला जाता है तो पुनः जल आलू के कप के भीतर चला जाता है। ऐसा बहि:परासरण (Exosmosis) के कारण होता है।

(ii) आलू ‘A’ नियंत्रण का कार्य करता है तथा यह | एक मानक स्थिति है, जिससे स्थिति B, C तथा D की तुलना की जाती है। इससे यह इंगित होता है कि आलू कप में जल की गति केवल अंदर से खाली होने पर नहीं हो सकती।

(iii) आलू कप ‘A’ में जल एकत्रित नहीं हुआ क्योंकि आलू के अंदर तथा ५९, जल की सांद्रता में कोई अंतर नहीं था। अत: यह एक समपरासरण की स्थिति थी। परासरण के लिए सांद्रता में अंतर होना आवश्यक होता है।

कप D उबले आलू का था, जिसमें एक चम्मच चीनी थी। उबला होने के कारण वह वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली का कार्य नहीं करेगा, जिसके कारण आलू कप D से जल में कोई शुद्ध गति नहीं हो सकी। क्योंकि उबले हुए आलू की कोशिका मृत हो जाती है तथा इसकी झिल्ली की पारगम्यता खत्म हो जाती है।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 6 Population (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चुनिए:

(i) निम्नलिखित में से किसी क्षेत्र में प्रवास, आबादी की संख्या, वितरण एवं संरचना में परिवर्तन लाता है।

(क) प्रस्थान करने वाले क्षेत्र में
(ख) आगमन वाले क्षेत्र में
(ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्रों में
(घ) इनमें से कोई नहीं।

(ii) जनसंख्या में बच्चों का एक बहुत बड़ा अनुपात निम्नलिखित में से किसका परिणाम है?

(क) उच्च जन्म दर
(ख) उच्च मृत्यु दर
(ग) उच्च जीवन दर
(घ) अधिक विवाहिता जोडे

(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक जनसंख्या वृद्धि का परिमाण दर्शाता है?

(क) एक क्षेत्र की कुल जनसंख्या
(ख) प्रत्येक वर्ष लोगों की संख्या में होने वाली वृद्धि
(ग) जनसंख्या वृद्धि की दर
(घ) प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या

(iv) 2001 की जनसंख्या के अनुसार एक साक्षर व्यक्ति वह है।

(क) जो अपने नाम को पढ़ एवं लिख सकता है।
(ख) जो किसी भी भाषा में पढ़ एवं लिख सकता है।
(ग) जिसकी उम्र 7 वर्ष है तथा वह किसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एवं लिख सकता है।
(घ) जो पढ़ना-लिखना एवं अंकगणित, तीनों जानता है।

उत्तरः

(i) (ग)
(ii) (क)
(iii) (ख)
(iv) (ग)

प्रश्न 2. निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें।

(क) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
(ख) 1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
(ग) आयु संरचना, जन्म दर एव मृत्यु दर को परिभाषित करें।
(घ) प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।

उत्तर : (क) जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटक जन्म दर, मृत्यु दर एवं प्रवास हैं।

  • जन्म दर (Birth Rate): एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या। यह जनसंख्या के आकार तथा घनत्व दोनों में वृद्धि करती है। यदि किसी वर्ष के दौरान जन्मों की संख्या मृतकों की संख्या से अधिक हो तो उस वर्ष के दौरान कुल जनसंख्या में वृद्धि हो जाएगी।
  • मृत्यु दर (Death rate): यह एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर मृतकों की संख्या को प्रदर्शित करती है। यह जनसंख्या के आकार तथा घनत्व दोनों में कमी ला देता है। यदि किसी वर्ष के दौरान मृतकों की संख्या जन्मों की संख्या से अधिक हो तो उस वर्ष के दौरान कुल जनसंख्या में कमी हो जाएगी।
  • प्रवास (Migration): लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।

(ख) 1981 से भारत में जन्म दर धीरे-धीरे घट रही है। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि में धीरे-धीरे कमी आ रही है।
(ग) आयु संरचनाः किसी देश में जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बताता है। यह जनसंख्या की मूल विशेषताओं में से एक है।

  • जन्म दर (Birth rate): एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या ।
  • मृत्यु दर (Death rate): एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर मृतकों की संख्या को प्रदर्शित करता है।

(घ) प्रवास (Migration): लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।

  • प्रवास जनसंख्या के गठन एवं वितरण में बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से ‘अपकर्षण (Push) कारक प्रभावी होते हैं। ये ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कर्षण’ (Pull) प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है। 1951 में शहरी जनसंख्या 17.29 प्रतिशत थी जो 2001 में बढ़कर 27.78 प्रतिशत हो गई।
  • 1991 से 2001 के बीच एक ही दशक के दौरान “दस लाख से अधिक” की जनसंख्या वाले महानगर 23 से बढकर 35 हो गए हैं।

प्रश्न 3. जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तरः
NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 6 (Hindi Medium) 1

प्रश्न 4. व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या संबंध है?
उत्तरः विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के अनुसार किए गए जनसंख्या के वितरण को व्यावसायिक संरचना कहा जाता है। व्यवसायों को सामान्यतः प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। व्यवसायों को प्रायः प्राथमिक (कृषि, खनन, मछलीपालन आदि) द्वितीयक (उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य) एवं तृतीयक (परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ) श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। विकसित एवं विकासशील देशों में द्वितीयक एवं तृतीयक व्यवसायों में कार्य करने वाले लोगों का अनुपात अधिक होता है। विकासशील देशों में प्राथमिक क्रियाकलापों में कार्यरत लोगों का अनुपात अधिक होता है। भारत में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है। द्वितीयव, एवं तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमशः 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है।

प्रश्न 5. स्वस्थ जनसंख्या कैसे लाभकारी है?
उत्तरः स्वास्थ्य जनसंख्या की संरचना का एक महत्त्वपूर्ण घटक है जो कि विकास की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। स्वस्थ जनसंख्या राष्ट्र के लिए एक परिसंपत्ति होती है। एक अस्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षाकृत स्वस्थ व्यक्ति अधिक उत्पादनशील तथा दक्ष होता है। वह अपने सामर्थ्य को क्रियान्वित कर सकता/सकती है तथा समाज एवं देश के विकास में अपना योगदान दे सकता/सकती है। सरकारी कार्यक्रमों के निरंतर प्रयास के द्वारा भारत की जनसंख्या के स्वास्थ्य स्तर में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है। परिणामस्वरूप, मृत्यु दर जो 1951 में (प्रति हजार) 25 थी, 2001 में घटकर (प्रति हजार) 8.1 रह गई है। जीवन प्रत्याशा जो कि 1951 में 36.7 वर्ष थी, बढ़कर 2001 में 64.6 वर्ष हो गई है।

प्रश्न 6. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर : भारत सरकार ने व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सुधारने तथा कल्याण एवं स्वैच्छिक आधार पर जिम्मेदार तथा सुनियोजित पितृत्व को बढ़ावा देने के लिए 1952 में विस्तृत परिवार नियोजन कार्यक्रम किया। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 ने किशोर / किशोरियों की पहचान जनसंख्या के उस प्रमुख भाग के रूप में की, जिस पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के उद्देश्यः

(क) 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना।
(ख) शिशु मृत्यु दर को प्रति 100 में 30 से कम करना।
(ग) व्यापक स्तर पर टीकारोधी बीमारियों से बच्चों को छुटकारा दिलाना।
(घ) लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।
(ङ) परिवार नियोजन को एक जन केंद्रित कार्यक्रम बनाना।
(च) किशोरों को पोषण सेवाएँ तथा खाद्य संपूरक सेवाएँ उपलब्ध कराना।
(छ) गर्भ निरोधक सेवाओं को पहुँच और खरीद के भीतर बनाना।
(झ) बाल-विवाह को रोकने के कानूनों को सुदृढ़ करना।

परियोजना कार्य

एक प्रश्नावली बनाकर कक्षा की जनगणना कीजिए। प्रश्नावली में कम से कम पाँच प्रश्न होने चाहिए। ये प्रश्न विद्यार्थियों के परिवारजनों, कक्षा में उनकी उपलब्धि, उनके स्वास्थ्य आदि से संबंधित हों। प्रत्येक विद्यार्थी को वह प्रश्नावाली भरनी चाहिए। बाद में सूचना को संख्याओं में (प्रतिशत में) संग्रहित कीजिए। इस सूचना को वृत्त रेखा दंड-आरेख या अन्य किसी प्रकार से प्रदर्शित कीजिए।

उत्तरः स्वयं कीजिए।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 1 Democracy in the Contemporary World (Hindi Medium)

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 प्रश्न अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. इनमें से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिलती ?

(क) लोगों का संघर्ष
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण
(ग) उपनिवेशवाद का अंत
(घ) लोगों की स्वतंत्रता की चाह

उत्तर : (ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण

प्रश्न 2. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है?

(क) राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई है।
(ख) विभिन्न देशों के बीच संबंध पहले के किसी वक्त से अब कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक हैं।
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
(घ) आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैं।

उत्तर : (ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्याशों में से किसी एक का चुनाव करके इस वाक्य को पूरा कीजिए। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि

(क) अमीर देशों की बातों का ज्यादा वजन हो।
(ख) विभिन्न देशों की बातों का वजन उनकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
(ग) देशों को उनकी आबादी के अनुपात में सम्मान मिले।
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।

उत्तर : (घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।

प्रश्न 4. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है ?
NCERT Solutions for Class Class 9 Social Science Civics Chapter 1 (Hindi Medium) 1
उत्तर :
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5. गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों में लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ? इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर : गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देश बहुत सी कठिनाइयों का सामना करते हैं। गैर-लोकतांत्रिक देशों में लोग आजादी से अपने नेता नहीं चुन सकते, वे शासन कर रहे लोगों की अनुमति के बिना राजनैतिक दलों का गठन नहीं कर सकते। वे वास्तविक आजादी का आनंद नहीं उठा पाते। कुछ चरम मामलों में प्राधिकारियों का विरोध करने वाले लोगों को सताया जाता है और मार दिया जाता है। चिले में 1973 का सैनिक तख्तापलट तथा पोलैंड की कम्युनिस्ट सरकार जिसने 1990 तक शासन किया, दमनकारी गैर-लोकतांत्रिक शासन के उदाहरण हैं।

प्रश्न 6. जब लोकतंत्र किसी सेना द्वारा उखाड़ फेंका जाता है तो कौन सी आजादी सामान्यतः छिन जाती हैं ?
उत्तर : जब लोकतंत्र किसी सेना द्वारा उखाड़ फेंका जाता है तो लोगों से उनका नेता चुनने की आजादी छिन जाती है। इसके अतिरिक्त उन्हें सरकार की उन नीतियों के विरुद्ध रोष प्रकट करने की आजादी की अनुमति नहीं मिलती जिन्हें वे नापसंद करते हैं अर्थात् न अभिव्यक्ति की आजादी, न अपने व्यापार संगठन बनाने की आजादी और न ही निष्पक्ष चुनाव का अधिकार | उदाहरणतः सन् 1973 में चिले में जनरल ऑगस्तो पिनोशे द्वारा सैनिक शासन स्थापित किया गया जबकि पोलैंड में सन् 1989 से पूर्व जनरल जारूजेल्स्की के नेतृत्व में गैर-लोकतांत्रिक सरकार थी। दोनों ही मामलों में लोगों कोऊपर वर्णित आजादी नहीं थी।

प्रश्न 7. वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र बढाने में इनमें से किन बातों से मदद मिलेगी ? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।

(क) मेरा देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज़्यादा सम्मानजनक व्यवहार हो ओर मुझे ज़्यादा                    अधिकार मिलें।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है। लेकिन मेरी आवाज़ को समान आदर के साथ सुना | जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी        असर होगा।
(ग) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशों की संख्या ज्यादा है, सिर्फ इसके चलते अमीर देश अपने हितों का                नुकसान नहीं होने दे सकते।
(घ) भारत जैसे बड़े देशों की आवाज़ का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा वज़न होना ही चाहिए।

उत्तर :

(क) इसका वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र में कोई योगदान नहीं हैं क्योंकि प्रत्येक देश और इसके नागरिकों को बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए चाहे वह        देश अमीर हो अथवा गरीब ।
(ख) यह समानता एवं अभिव्यक्ति की आजादी को बढावा देगा। यदि ऐसा वैश्विक स्तर पर किया | जाता है तो यह अवश्य ही वैश्विक स्तर पर                  लोकतंत्र  को बढ़ाने में मदद करेगा।
(ग) यह वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में योगदान नहीं देगा क्योंकि अमीर एवं गरीब देशों के बीच किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं होना चाहिए।       यह सामाजिक-आर्थिक समानता लाने में मददगार नहीं होगा जो कि लोकतंत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलूओं में से एक है। वैश्विक स्तर पर सभी           देशों चाहे वे अमीर हों या गरीब, बराबरी का स्थान मिलना चाहिए।
(घ) यह भी वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र में कोई योगदान देगा क्योंकि किसी देश का आकार अथवा भौगोलिक क्षेत्रफल उसकी अन्य देशों से श्रेष्ठता की        कसौटी नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 8. नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?

  1. भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ़ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत सरकार को ज्यादा दखल देना चाहिए। वक्ता
  2. यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता। . वक्ता
  3. लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।

उत्तर : वक्ता 2 के मत से आसानी से सहमत हुआ जा सकता है क्योंकि किसी देश में उस देश के नागरिक ही लोकतंत्र की स्थापना कर सकते हैं।

प्रश्न 9. एक काल्पनिक देश आंनदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करने पुराने राजपरिवार को सत्ता सौंपते हैं। वे कहते हैं, ‘आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुर
किया तब इन्हीं के पूर्वज हमारे राजा थे। यह अच्छा है कि हमारा एक मजबूत शासक है। जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता है। जब किसी ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बात की तो वहाँ के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब किसी ने मीडिया की आजादी की माँग की तो बड़े बुजुर्गों ने कहा कि शासन की ज़्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधारने में कोई मदद नहीं मिलेगीं। आखिर महाराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में बहुत दिलचस्पी लेते हैं। उनके लिए मुश्किलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशहाल नहीं होना चाहते? उपरोक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चमन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकालेः

चमनः आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासकों का उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।

चंपा : आंनदलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो सकता है और अर्थिक समृद्धि भी ला सकता है लेकिन राजा लोकतांत्रिक शासन नही ला सकता।

चंदू : लोगों को खुशहाली चाहिए इसलिए वे अपने शासक को अपनी तरफ से फैसले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग खुश हैं तो वहीं का शासन लोकतांत्रिक ही है। इन तीनों कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरुप के बारे में आपकी क्या राय है?

उत्तर : चमन का कथन गलत है क्योंकि किसी विदेशी ताकत को उखाड़ फेंकना मात्र स्वतंत्रता प्राप्त करना है। चंपा का कथन सही है। लोकतंत्र प्रजा का शासन है। प्रजा को अपने शासक से सवाल करने का अधिकार होना ही चाहिए। चंदू का कथन गलत है। लोगों की खुशी मात्र ही लोकतंत्र की घटक नहीं है। लोग राजा के साथ खुश हो सकते हैं किन्तु वह कोई चुना गया प्रतिनिधि नहीं है और इसलिए वह लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकता।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 4 Forest Society and Colonialism (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. औपनिवेशिक काल के वन प्रबंधन में आए परिवर्तनों ने इन समूहों को कैसे प्रभावित किया :

(क) झूम खेती करने वालों को
(ख) घुमंतू और चरवाहा समुदायों को
(ग) लकड़ी और वन-उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को
(घ) बागान मालिकों को
(ङ) शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज अफसरों को

उत्तरः
(क) झूम खेती करने वालों को बलपूर्वक वनों में उनके घरों से विस्थापित कर दिया गया। उन्हें अपने व्यवसाय बदलने पर मजबूर किया गया जबकि कुछ ने परिवर्तन का विरोध करने के लिए बड़े और छोटे विद्रोहों में भाग लिया।
(ख) उनके दैनिक जीवन पर नए वन कानूनों का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। वन प्रबंधन द्वारा लाए गए बदलावों के कारण नोमड एवं चरवाहा समुदाय के लोग वनों में पशु नहीं चरा सकते थे, कंदमूल व फल एकत्र नहीं कर सकते थे और शिकार तथा मछली नहीं पकड़ सकते थे। यह सब गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। इसके फलस्वरूप उन्हें लकड़ी चोरी करने को मजबूर होना पड़ता और यदि पकड़े जाते तो उन्हें वन रक्षकों को घूस देनी पड़ती। इनमें से कुछ समुदायों को अपराधी कबीले भी कहा जाता था।
(ग) उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ तक इंग्लैण्ड में बलूत के वन लुप्त होने लगे थे जिसने शाही नौसेना के लिए लकड़ी की आपूर्ति की किल्लत पैदा कर दी। 1820 तक अंग्रेजी खोजी दस्ते भारत की। वन-संपदा का अन्वेषण करने के लिए भेजे गए। एक दशक के अंदर बड़ी संख्या में पेड़ों को काट डाला गया और बहुत अधिक मात्रा में लकड़ी का भारत से निर्यात किया गया। व्यापार पूर्णतया सरकारी अधिनियम के अंतर्गत संचालित किया जाता था। ब्रिटिश प्रशासन ने यूरोपीय कंपनियों को विशेष अधिकार दिए कि वे ही कुछ निश्चित क्षेत्रों में वन्य उत्पादों में व्यापार कर सकेंगे। लकड़ी/ वन्य उत्पादों का व्यापार करने वाली कुछ कंपनियों के लिए यह फायदेमंद साबित हुआ। वे अपने फायदे के लिए अंधाधुंध वन काटने में लग गए।
(घ) यूरोप में इन वस्तुओं की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए प्राकृतिक वनों के बड़े क्षेत्रों को चाय, कॉफी, रबड़ के बागानों के लिए साफ कर दिया गया। औपनिवेशी सरकार ने वनों पर अधिकार कर लिया और इनके बड़े क्षेत्रों को कम कीमत पर यूरोपीय बाग लगाने वालों को दे दिए। इन। क्षेत्रों की बाड़बंदी कर दी गई और वनों को साफ करके चाय व कॉफी के बाग लगा दिए गए। बागान के मालिकों ने मजदूरों को लंबे समय तक और वह भी कम मजदूरी पर काम करवा कर बहुत लाभ कमाया। नए वन्य कानूनों के कारण मजदूर इसका विरोध भी नहीं कर सकते थे क्योंकि यही उनकी आजीविका कमाने का एकमात्र जरिया था।
(ङ) ब्रिटिश लोग बड़े जानवरों को खतरनाक समझते थे और उनको विश्वास था कि खतरनाक जानवरों
को मार कर वे भारत को सभ्य बनाएँगे। वे बाघ, भेड़िये और अन्य बड़े जानवरों को मारने पर यह कह कर इनाम देते थे कि वे किसानों के लिए खतरा थे। परिणामस्वरूप खतरनाक जंगली जानवरों के शिकार को प्रोत्साहित किया गया जैसे कि बाघ और भेड़िया आदि।

80,000 बाघ, 1,50,000 तेंदुए और 2,00,000 भेड़िए 1875 से 1925 की अवधि के दौरान इनाम के लिए मार डाले गए।

सरगुजा के महाराज ने सन् 1957 तक अकेले ही 1,157 बाघों और 2,000 तेंदुओं का शिकार किया था। एक अंग्रेजी प्रशासक जॉर्ज यूल ने 400 बाघों का शिकार किया।

प्रश्न 2. बस्तर और जावा के औपनिवेशिक वन प्रबंधन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तरः बस्तर में वन प्रबंधन अंग्रेजों के हाथों में और जावा में डचों के हाथों में था। किन्तु दोनों सरकारों का उद्देश्य एक ही था।

दोनों ही सरकारें अपनी जरूरतों के लिए लकड़ी चाहती थीं और उन्होंने अपने एकाधिकार के लिए काम किया। दोनों ने ही ग्रामीणों को घुमंतू खेती करने से रोका। दोनों ही औपनिवेशिक सरकारों ने स्थानीय समुदायों को विस्थापित करके वन्य उत्पादों का पूर्ण उपयोग कर उनको पारंपरिक आजीविका कमाने से रोका।

बस्तर के लोगों को आरक्षित वनों में इस शर्त पर रहने दिया गया कि वे लकड़ी का काम करने वाली कंपनियों के लिए काम मुफ्त में किया करेंगे। इसी प्रकार के काम की माँग जावा में ब्लैन्डाँगडिएन्स्टेन प्रणाली के अंतर्गत पेड़ काटने और लकड़ी ढोने के लिए ग्रामीणों से की गई।

जब दोनों स्थानों पर जंगली समुदायों को अपनी जमीन छोड़नी पड़ी तो विद्रोह हुआ जिन्हें अंततः कुचल दिया गया। जिस प्रकार 1770 में जावा में कलंग विद्रोह को दबा दिया गया उसी प्रकार 1910 में बस्तर का विद्रोह भी अग्रेजों द्वारा कुचल दिया गया।

प्रश्न 3. सन् 1880 से 1920 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के वनाच्छादित क्षेत्र में 97 लाख हेक्टेयर की गिरावट आयी। पहले के 10.86 करोड़ हेक्टेयर से घटकर यह क्षेत्र 9.89 करोड़ हेक्टेयर रह गया था। इस गिरावट में निम्नलिखित कारकों की भूमिका बताएँ

(क) रेलवे
(ख) जहाज़ निर्माण
(ग) कृषि विस्तार
(घ) व्यावसायिक खेती
(ङ) चाय-कॉफी के बगान
(च) आदिवासी और किसान

उत्तरः
(क) 1850 में रेलवे के विस्तार ने एक नई माँग को जन्म दिया। औपनिवेशिक व्यापार एवं शाही सैनिक टुकड़ियों के आवागमन के लिए रेलवे आवश्यक था। रेल के इंजन चलाने के लिए इंधन के तौर पर एवं रेलवे लाइन बिछाने के लिए स्लीपर (लकड़ी के बने हुए) जो कि पटरियों को उनकी जगह पर बनाए रखने के लिए आवश्यक थे, सभी के लिए लकड़ी चाहिए थी। 1860 के दशक के बाद से रेलवे के जाल में तेजी से विस्तार हुआ। जैसे-जैसे रेलवे पटरियों का भारत में विस्तार हुआ, अधिकाधिक मात्रा में पेड़ काटे गए। 1850 के दशक में अकेले मद्रास प्रेसीडेंसी में स्लीपरों के लिए 35,000 पेड़ सालाना काटे जाते थे। आवश्यक संख्या में आपूर्ति के लिए सरकार ने निजी ठेके दिए। इन ठेकेदारों ने बिना सोचे-समझे पेड़ काटना शुरू कर दिया और रेल लाइनों के इर्द-गिर्द जंगल तेजी से गायब होने लगे।
(ख) उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ तक इंग्लैण्ड में बलूत के जंगल गायब होने लगे थे जिसने अंततः शाही जल सेना के लिए लकड़ी की आपूर्ति में समस्या पैदा कर दी। समुद्री जहाजों के बिना शाही सत्ता को बचाए एवं बनाए रखना कठिन हो गया था। इसलिए, 1820 तक अंग्रेजी खोजी दस्ते भारत की वन-संपदा का अन्वेषण करने के लिए भेजे गए। एक दशक के अंदर बड़ी संख्या में पेड़ों को काट डाला गया और बहुत अधिक मात्रा में लकड़ी को भारत से निर्यात किया गया।
(ग) उन्नीसवीं सदी के प्रारंभ में औपनिवेशिक सरकार ने सोचा कि वन अनुत्पादक थे। वनों की भूमि को व्यर्थ समझा जाता था जिसे जुताई के अधीन लाया जाना चाहिए ताकि उस भूमि से राजस्व और कृषि उत्पादों को पैदा किया जा सकता था और इस तरह राज्य की आय में बढ़ोतरी की जा सकती थी। यही कारण था कि 1880 से 1920 के बीच खेती योग्य भूमि के क्षेत्रफल में 67 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई।
उन्नीसवीं सदी में बढ़ती शहरी जनसंख्या के लिए वाणिज्यिक फसलों जैसे कि जूट, चीनी, गेहूँ। एवं कपास की माँग बढ़ गई और औद्योगिक उत्पादन के लिए कच्चे माल की जरूरत पड़ी। इसलिए अंगेजों ने सीधे तौर पर वाणिज्यिक फसलों को बढ़ावा दिया। इस प्रकार भूमि को जुताई के अंतर्गत लाने के लिए वनों को काट दिया गया।
(घ) वाणिज्यिक वानिकी में प्राकृतिक वनों में मौजूद विभिन्न प्रकार के पेड़ों को काट दिया गया। प्राचीन वनों के विभिन्न प्रकार के पेड़ों को उपयोगी नहीं माना गया। उनके स्थान पर एक ही प्रकार के पेड़ सीधी लाइन में लगाए गए। इन्हें बागान कहा जाता है। वन अधिकारियों ने जंगलों का सर्वेक्षण किया, विभिन्न प्रकार के पेड़ों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का आंकलन किया और वन प्रबंधन के लिए कार्ययोजना बनाई। उन्होंने यह भी तय किया कि बागान का कितना क्षेत्र प्रतिवर्ष काटा जाए। इन्हें काटे जाने के बाद इनका स्थान “व्यवस्थित वन लगाए जाने थे। कटाई के बाद खाली जमीन पर पुनः पेड़ लगाए जाने थे ताकि कुछ ही वर्षों में यह क्षेत्र पुनः कटाई के लिए। तैयार हो जाए।
(ङ) यूरोप में इन वस्तुओं की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए प्राकृतिक वनों के बड़े क्षेत्रों को चाय, कॉफी, रबड़ के बागानों के लिए साफ कर दिया गया। औपनिवेशी सरकार ने वनों पर अधिकार कर लिया और इनके बड़े क्षेत्रों को कम कीमत पर यूरोपीय बाग लगाने वालों को दे दिए। इन। क्षेत्रों की बाड़बंदी कर दी गई और वनों को साफ करके चाय व कॉफी के बाग लगा दिए गए। बागान के मालिकों ने मजदूरों को लंबे समय तक और वह भी कम मजदूरी पर काम करवा कर बहुत लाभ कमाया। घुमंतू खेती करने वाले जले हुए वनों की जमीन पर बीज बो देते और पुनः पेड़ उगाते। जब ये चले जाते तो वनों की देखभाल करने के लिए कोई भी नहीं बचता था, एक ऐसी चीज जो इन्होंने अपने पैतृक गाँव में प्राकृतिक रूप से की होती थी।
(च) वे सामान्यतः घुमंतू खेती करते थे जिसमें वनों के हिस्सों को बारी-बारी से काटा एवं जलाया जाता है। मानसून की पहली बरसात के बाद राख में बीज बो दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया वनों के लिए हानिकारक थी। इसमें हमेशा जंगल की आग का खतरा बना रहता था,

प्रश्न 4. युद्ध से जंगल क्यों प्रभावित होते हैं?
उत्तर: युद्धों से वनों पर कई कारणों से प्रभाव पड़ता है :

  • (क) भारत में वन विभाग ने ब्रिटेन की लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अंधाधुंध वन काटे। इस अंधाधुंध विनाश एवं राष्ट्रीय लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वनों की कटाई वनों को प्रभावित करती है क्योंकि वे बहुत तेजी से खत्म होते हैं जबकि ये | दोबारा पैदा होने में बहुत समय लेते हैं।
  • (ख) जावा में जापानियों के कब्जा करने से पहले, डचों ने ‘भस्म कर भागो नीति अपनाई जिसके तहत आरा मशीनों और सागौन के विशाल लट्ठों के ढेर जला दिए गए जिससे वे जापानियों के हाथ न लगें। इसके बाद जापानियों ने वन्य-ग्रामवासियों को जंगल काटने के लिए बाध्य करके वनों का अपने युद्ध कारखानों के लिए निर्ममता से दोहन किया। बहुत से गाँव वालों ने इस अवसर का लाभ उठा कर जंगल में अपनी खेती का विस्तार किया। युद्ध के बाद इंडोनेशियाई वन सेवा के लिए इन जमीनों को वापस हासिल कर पाना कठिन था।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 3 Nazism and the Rise of Hitler (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं ?
उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध के अंत में साम्राज्यवादी जर्मनी की हार के बाद सम्राट केजर विलियम द्वितीय अपनी
जान बचाने के लिए हॉलैण्ड भाग गया। इस अवसर का लाभ उठाते हुए संसदीय दल वाइमर में मिले और नवंबर 1918 में वाइमर गणराज्य नाम से प्रसिद्ध एक गणराज्य की स्थापना की। इस गणराज्य को जर्मनों द्वारा अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनों की हार के बाद मित्र सेनाओं ने इसे जर्मनों पर थोपा था।

वर्साय की मित्र देशों के साथ संधि बहुत कठोर एवं अपमानजनक थी। इस संधि के अनुसार जर्मनी ने अपने समुद्र पार के उपनिवेश, 13 प्रतिशत भू–भाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार, 26 प्रतिशत कोयला भंडार फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। मित्र शक्तियों ने जर्मनी की शक्तियां कम करने के लिए उसकी सेना भंग कर दी। इसलिए इस लोकतंत्र की बदनामी हुई और प्रारंभ से ही यह अपने ही लोगों में अलोकप्रिय हो गया। बहुत से जर्मनवासियों ने नए लोकतंत्र को ही युद्ध में पराजय तथा वर्साय में अपमान का जिम्मेदार माना।

वाइमर गणराज्य का समर्थन करने वाले लोग जैसे समाजवादी, कैथोलिक, डेमोक्रेट आदि इसकी कमजोर स्थिति के कारण कन्जरवेटिव नेशनलिस्ट सर्कल का आसान निशाना बन गए।

जर्मनी ने युद्ध बड़े स्तर पर ऋण लेकर लड़ा था और उसे युद्ध का हरजाना सोने के रूप में देना पड़ा। जर्जर सोने के भंडारों, संसाधनों की कमी तथा लाचार आर्थिक हालात के चलते वाइमर गणतंत्र हर्जाना दे पाने की स्थिति में नहीं रह गया था। इस हालात में नवजात गणतंत्र को इसके पड़ोसी देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उन्होंने इसके अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र रूर के कोयला भंडारों पर कब्जा कर लिया था।

जर्मनी में चारों ओर तबाही, भुखमरी और निराशा व्याप्त थी। देश अति-महंगाई के दौर से गुजर रहा था और गणराज्य लोगों की आर्थिक समस्याओं का समाधान करने में विफल रहा। इस सबसे भी अधिक यह था कि 1929-1933 के बीच के आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी।

प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी ?
उत्तर : जर्मनी में नाजीवाद की लोकप्रियता के मुख्य कारण इस प्रकार थे :

(क) वर्साय की संधि : प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद जर्मनी को वर्साय में शांति संधि पर हस्ताक्षर करने पड़े। यह संधि जर्मनों के लिए इतनी कठोर तथा अपमानजनक थी जिसे वे अपने दिल से स्वीकार नहीं कर सकते थे और अंततः इसने जर्मनी में हिटलर के नाजीवाद को जन्म दिया। जर्मनी के लोग हिटलर को जर्मनी की खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः दिलाने वाले प्रतीक के रूप में देखते थे।
(ख) आर्थिक संकट : 1929-1933 के बीच के वैश्विक आर्थिक संकट से जर्मन अर्थव्यवस्था पर सबसे गहरी मार पड़ी। देश अति मुद्रास्फीति के दौर से गुजर रहा था। इस समय के दौरान नाजीवाद जनआंदोलन बन गया। नाजी प्रोपेगेंडा ने बेहतर भविष्य की आशा जगाई।
(ग) राजनैतिक उथल-पुथल : जर्मनी में बहुत से राजनैतिक दल थे जैसे राष्ट्रवादी, राजभक्त, कम्युनिस्ट, सामाजिक लोकतंत्रवादी आदि। यद्यपि लोकतंत्रात्मक सरकार में इनमे से कोई भी बहुमत में नहीं था। दलों में मतभेद अपने चरम पर थे। इसने सरकार को कमजोर कर दिया और अततः नाजियों को सत्ता हथियाने का अवसर दे दिया।
(घ) जर्मनों को लोकतंत्र में बिल्कुल विश्वास नहीं था : प्रथम विश्व युद्ध के अंत में जर्मनी की हार के बाद जर्मनों का संसदीय संस्थाओं में कोई विश्वास नहीं था। उस समय जर्मनी में लोकतंत्र एक नया व भंगुर विचार था। लोग स्वाधीनता व आजादी की अपेक्षा प्रतिष्ठा और यश को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने खुले दिल से हिटलर का साथ दिया क्योंकि उसमें उनके सपने पूरे करने की योग्यता थी।
(ङ) वाइमर गणराज्य की विफलता : प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार तथा व्रर्साय की संधि के बाद पूरे जर्मनी में भ्रम व्याप्त था। वाइमर गणराज्य देश के आर्थिक संकट का हल निकालने में असमर्थ रहा। इसने नाजियों को अपने पक्ष में अभियान चलाने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया।
(च) हिटलर का व्यक्तित्व : हिटलर एक जबर्दस्त वक्ता, एक योग्य संगठक, उपायकुशल एवं काम करने वाला था। वह अपने जोश भरे शब्दों से जनता को अपने पक्ष में कर लेता था। उसने एक शक्तिशाली राष्ट्र का गठन करने, वर्साय की संधि के अन्याय का बदला लेने और जर्मनों की खोई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का वादा किया। वास्तव में उसके व्यक्तित्व तथा कार्यों ने जर्मनी में नाजीवाद की लोकप्रियता में बहुत योगदान दिया।

प्रश्न 3. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे ?
उत्तर : नात्सी सोच के खास पहलू इस प्रकार थे :

(क) नाजियों की दृष्टि में देश सर्वोपरि है। सभी शक्तियाँ देश में निहित होनी चाहिएं। लोग देश के लिए हैं न कि देश लोगों के लिए।
(ख) नाजी सोच सभी प्रकार की संसदीय संस्थाओं को समाप्त करने के पक्ष में थी और एक महान नेता के शासन में विश्वास रखती थी।
(ग) यह सभी प्रकार के दल निर्माण व विपक्ष के दमन और उदारवाद, समाजवाद एवं कम्युनिस्ट विचारधाराओं के उन्मूलन की पक्षधर थी।
(घ) इसने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया क्योंकि इनका मानना था कि जर्मनों की आर्थिक विपदा के लिए यही लोग जिम्मेदार थे।
(ङ) नाजी दल जर्मनी को अन्य सभी देशों से श्रेष्ठ मानता था और पूरे विश्व पर जर्मनी का प्रभाव जमाना चाहता था।
(च) इसने युद्ध की सराहना की तथा बल प्रयोग का यशोगान किया।
(छ) इसने जर्मनी के साम्राज्य विस्तार और उन सभी उपनिवेशों को जीतने पर ध्यान केन्द्रित किया जो उससे छीन लिए गए थे।
(ज) ये लोग ‘शुद्ध जर्मनों एवं स्वस्थ नोर्डिक आर्यों के नस्लवादी राष्ट्र का सपना देखते थे और उन सभी का खात्मा चाहते थे जिन्हें वे अवांछित मानते थे।

प्रश्न 4. नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा ?
उत्तर : 1933 ई0 में तानाशाह बनने के बाद हिटलर ने सभी शक्तियों को कब्जा लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतंत्र का ध्वंस कर दिया। उसके प्रशासन का आधार एक दल, एक नेता और पूर्णतः अनुशासित प्रशासन था। हिटलर ने यहूदियों के विरुद्ध विद्वेषपूर्ण प्रोपेगेन्डा । शुरू किया जो यहूदियों के प्रति घृणा पैदा करने में सफल साबित हुआ। यहूदियों के खिलाफ नाजियों के प्रोपगैंडे के सफल होने के कुछ कारण इस प्रकार हैं :

  • (क) हिटलर ने उन जर्मन लागों के दिमाग में पहले ही स्थान बना लिया था जो उसे अपना मसीहा मानने लगे थे। वे हिटलर द्वारा कही गई बातों पर विश्वास करते थे। इस प्रकार, हिटलर के चमत्कारी व्यक्तित्व के कारण यहूदियों के विरुद्ध नाजी प्रोपगैंडा सफल साबित हुआ।
  • (ख) ईसा की हत्या के अभियुक्त होने के कारण इसाइयों की यहूदियों के प्रति पारंपरिक घृणी का नाजियों ने पूरा लाभ उठाया जिससे जर्मन यहूदियों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो गए।
  • (ग) नाजियों ने भाषा और मीडिया का बहुत सावधानी से प्रयोग किया। नाजियों ने एक नस्लवादी विचारधारा को जन्म दिया कि यहूदी निचले स्तर की नस्ल से संबंधित थे और इस प्रकार वे अवांछित थे।
  • (घ) नाजियों ने प्रारंभ से उनके स्कूल के दिनों में ही बच्चों के दिमागों में भी यहूदियों के प्रति नफरत भर दी। जो अध्यापक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों को स्कूलों से। निकाल दिया गया। इस प्रकार के तरीकों एवं नई विचारधारा के प्रशिक्षण ने नई पीढी के बच्चों में यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने और नाजी प्रोपेगेन्डा को सफल बनाने में पूर्णतः सफलता प्राप्त की।
  • (ङ) यहूदियों के प्रति नफरत फैलाने के लिए प्रोपेगेन्डा फिल्मों का निर्माण किया गया। रूढीवादी यहूदियों की पहचान की गई एवं उन्हें चिन्हित किया गया। उन्हें उड़ती हुई दाढी और कफ्तान पहने दिखाया जाता था।
  • (च) उन्हें केंचुआ, चूहा और कीड़ा कह कर संबोधित किया जाता था। उनकी चाल की तुलना कुतरने वाले छटुंदरी जीवों से की जाती थी।

प्रश्न 5. नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय 1 देखें। फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फर्क था ? एक पैराग्राफ में बताएँ
उत्तर : नाजी समाज में महिलाओं की भूमिका एक बड़े पैमाने पर पितृसत्तात्मक या पुरुष प्रधान समाज के
नियमों का पालन करने की थी। हिटलर ने महिलाओं को उसके जर्मनी की सबसे महत्त्वपूर्ण नागरिक कहा था किन्तु यह केवल उन आर्य महिलाओं तक ही सच था जो शुद्ध एवं वांछित आर्य बच्चे पैदा करती थी। उन्हें अच्छी पत्नी बनने और पारंपरिक रूप से घर को संभालने व अच्छी पत्नी बनने के अतिरिक्त एकमात्र मातृत्व लक्ष्य की प्राप्ति की ही शिक्षा दी जाती थी।

नाजी जर्मनी में महिलाएं पुरुषों से मूलतः भिन्न थी। उन्हें अपने घर की देख-रेख करनी पड़ती और अपने बच्चों को नाजी मूल्य पढाने होते थे।

जो माताएं नस्ली तौर पर वांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देती उन्हें इनाम दिए जाते और कई प्रकार की सुविधाएं पाती। दूसरी और वे औरतें जो यहूदी, पोलिश और रूसी पुरुषों से शादी करके नस्ली तौर पर अवांछित दिखने वाले बच्चों को जन्म देती, उन्हें बुरी तरह दंडित किया जाता और ऐसा माना जाता जैसे कि उन्होंने कोई दंडनीय अपराध किया हो। इस प्रकार नाजी समाज में महिलाओं के साथ बराबरी का व्यवहार नहीं किया जाता था।

यह फ्रांसीसी क्रांति में महिलाओं की भूमिका के मुकाबले सर्वथा उलट था जहाँ महिलाओं ने आंदोलनों का नेतृत्व किया और शिक्षा एवं समान मजदूरी के अधिकार के लिए लड़ाई की। उन्हें राजनैतिक क्लब बनाने की अनुमति थी और फ्रांसीसी क्रांति के बाद उनका स्कूल जाना अनिवार्य कर दिया गया था।

प्रश्न 6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए ?
उत्तर : 1933 ई0 में तानाशाह बनने के बाद हिटलर ने सभी शक्तियों को कब्जा लिया। उसने एक शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार का गठन किया। उसने लोकतंत्र का ध्वंस कर दिया। उसके प्रशासन का आधार एक दले, एक नेता और पूर्णतः अनुशासित प्रशासन था। सभी विपक्षी दलों का कठोरता से दमन किया। गया। नाजी दल को छोड़कर बाकी सभी दलों पर रोक लगा दी गई। विपक्षी दलों के नेताओं की या तो हत्या कर दी गई या उन्हें जेल भेज दिया गया। वह अपने ही दल के उन लोगों को सजा देने में नहीं हिचकता था जो उसकी विचारधारा पर खरे नहीं उतरते थे।

जर्मनी एक पुलिसिया देश था। पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए विशेष सुरक्षा बलों जैसे कि स्टॉर्म टूपर्स या एसए के अलावा गेस्तापो (गुप्तचर राज्य पुलिस), (अपराध नियंत्रण पुलिस) एसएस (सुरक्षा बल) एसडी का भी गठन किया गया। हिटलर के जर्मन साम्राज्य की वजह से नात्सी राज्य को इतिहास में सबसे खुखार आपराधिक राज्य की छवि प्राप्त हुई। नाजियों ने जर्मनी की युद्ध में हार के लिए यहूदियों को जिम्मेदार ठहराया। यहूदी गतिविधियों पर कानूनी रूप से रोक लगा दी गई और उनमें से अधिकतर को या तो मार दिया गया या जर्मनी छोड़ने के लिए बाध्य किया गया।

मीडिया, पुस्तकों, थिएटरों, एवं शिक्षा आदि पर सरकार का पूरा नियंत्रण एवं निगरानी रखी जा रही थी।

चित्रों, फिल्मों, रेडियो, पोस्टर, नारेबाजी और पैम्पलेटों के द्वारा नाजी विचारधारा का प्रचार किया जा रहा था।

राष्ट्र के दुश्मनों को विशेष रूप से कमजोर एवं हीन (समाजवादी तथा उदारवादी) और छछंदर या हानिकारक कीट प्रजाति (यहूदियों को) के रूप में दिखाया जाता था।

सरकार ने भाषा और मीडिया का द्विअर्थी दक्षता के साथ प्रयोग किया और मीडिया को राष्ट्रीय समर्थन एवं अंतराष्ट्रीय लोकप्रियता मिली।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 5 Natural Vegetation and Wildlife (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. वैकल्पिक प्रश्न

(i) रबड़ का संबंध किस प्रकार की वनस्पति से है?

(क) टुंड्रा
(ख) हिमालय
(ग) मैंग्रोव
(घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन

(ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?

(क) 100 से.मी.
(ख) 70 से.मी.
(ग) 50 से.मी.
(घ) 50 से.मी. से कम वर्षा

(iii) सिमलीपाल जीव मंडल निचय कौन से राज्य में स्थित है?

(क) पंजाब
(ख) दिल्ली
(ग) उडीसा
(घ) पश्चिमी बंगाल

(iv) भारत में कौन-से जीव मंडल निचय विश्व के जीव मंडल निचयों के लिए नए हैं?

(क) मानस
(ख) मत्रार की खाड़ी।
(ग) दिहांग-दिबांग
(घ) नंदादेवी

उत्तर:

(i) (घ)
(ii) (क)
(iii) (ग)
(iv) (क)

प्रश्न 2. संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्नः

(क) पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
(ख) भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धारित होता है?
(ग) जीव मंडल निचय से क्या अभिप्राय है। कोई दो उदाहरण दो।
(घ) कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।

उत्तरः (क) किसी भी क्षेत्र के पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से अंर्तसंबंधित होते हैं और एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं। पारिस्थितिक तंत्र भौतिक पर्यावरण तथा इसमें निवास करने वाले जीव जंतुओं की पारस्परिक निर्भरता का तंत्र है। मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अविच्छिन्न भाग है। वह वनस्पति तथा वन्य जीवों का प्रयोग करता है।
(ख) भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण निर्धारित करने वाले तत्त्व हैं:
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(ग) जीव मंडल निचय (Bio-reserve): एक संरक्षित जीव मंडल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता है कि न केवल इसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती है अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता है। उदाहरण, नीलगिरी, सुंदरबन।
(घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों में पाये जाने वाले पशुओं में हाथी, बंदर, लैमूर, एक सींग वाले गैंडे और हिरण हैं। पर्वतीय वनों में प्रायः कश्मीरी महामृग, चितरा हिरण, जंगली भेड़, खरगोश, तिब्बतीय बारहसिंघा, याक, हिम तेंदुआ, गिलहरी, रीछ, आइबैक्स, कहीं-कहीं लाल पांडा, घने बालों वाली भेड़ तथा बकरियाँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में अंतर कीजिए:

(क) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत
(ख) सदाबहार और पर्णपाती वन

उत्तरः (क)
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(ख)
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प्रश्न 4. भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएँ और अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
उत्तरः भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की वनस्पति इस प्रकार है:

(क) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
(ख) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
(ग) उष्ण कटिबंधीय कंटीले वन तथा झाड़ियाँ
(घ) पर्वतीय वन
(ङ) मैंग्रोव वन

उच्च प्रदेशों की वनस्पतिः

(क) पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता है। वनस्पति में जिस प्रकार का अंतर हम उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों से टुंड्रा की ओर देखते हैं उसी प्रकार का अंतर पर्वतीय भागों में ऊँचाई के साथ-साथ देखने को मिलता है।
(ख) 1000 मी. से 2000 मी. तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आई शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनट जैसे वृक्षों की प्रधानता होती है।
(ग) 1500 से 3000 मी. की ऊँचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड़, देवदार, सिल्वर–फर, स्पूस, सीडर आदि पाए जाते हैं।
(घ) ये वन प्रायः हिमालय की दक्षिणी ढलानों, दक्षिण और उत्तर-पूर्व भारत के अधिक ऊँचाई वाले भागों में पाए जाते हैं।
(ङ) अधिक ऊँचाई पर प्रायः शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान पाए जाते हैं। प्रायः 3600 मी. से अधिक ऊँचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पाइन वनस्पति ले लेती है। सिल्वर–फर, जूनिपर, पाइन व बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं।

प्रश्न 5. भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं। उदाहरण सहित कारण दीजिए।
उत्तरः मनुष्य के लालच के कारण जीवों तथा पादपों को अति दोहन हो रहा है। मनुष्य पेड़ों को काटकर तथा पशुओं को मारकर पारिस्थितिक तंत्र में असंतुलन पैदा कर रहा है। इसके कारण बहुत से जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं।

प्रश्न 6. भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?
उत्तरः भारत में पृथ्वी की लगभग सभी भौतिक विशेषताएं मौजूद हैं। जैसे–पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार एवं द्वीप आदि। ये पांचों कारक भारत में वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की वृद्धि एवं विकास के लिए या जैविक विविधता के लिए अनुकूल हैं। हमारा देश भारत विश्व के मुख्य 12 जैव विविधता वाले देशों में से एक है। लगभग 47000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15000 फूलों के पौधे हैं जो कि विश्व में फूलों के पौधे का 6 प्रतिशत है। इस देश में बहुत से बिना फूलों के पौधे हैं। जैसे फर्न, शवाल (एलेगी) तथा कवक (फंजाई) भी पाए जाते हैं। भारत में लगभग 89000 जातियों के जानवर तथा ताजे तथा समद्री पानी की विभिन्न प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मृदा, आर्द्रता एवं तापमान में अत्यधिक भिन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार का वातावरण पाया जाता है। पूरे देश में वर्षा का वितरण भी असमान है। वनस्पति जगत एवं प्राणी की जगत की विभिन्न प्रजातियों को अलग-अलग प्रकार की वातावरण संबंधी परिस्थितियाँ, विभिन्न प्रकार की मृदा चाहिए होती है। इसलिए भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी है।

मानचित्र कौशल

प्रश्न 1. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाएँ और अंकित करें

(क) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
(ख) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
(ग) दो जीव मंडल निचय भारत के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी भागों में।

उत्तरः (क) और (ख)।
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परियोजना कार्य

(क) अपने पड़ोस में पाए जाने वाले कुछ औषधि पादप का पता लगाएँ।
(ख) किन्हीं दस व्यवसायों के नाम ज्ञात करो जिन्हें जंगल और जंगली जानवरों से कच्चा माल प्राप्त होता है।
(ग) वन्य प्राणियों का महत्त्व बताते हुए एक पद्यांश या गद्यांश लिखिए।
(घ) वृक्षों का महत्त्व बताते हुए एक नुक्कड़ नाटक की रचना करो और उसका अपने गली-मुहल्ले में मंचन करो।
(ङ) अपने या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन पर किसी भी पौधे को लगाइए और देखिए कि वह कैसे बड़ा होता है और किस मौसम में जल्दी बढ़ता है?

उत्तरः

(क) तुलसी, नीम, बबूल एवं कचनार
(ख) पशुपालन, मछली पालन, बढईगिरी, ऊन उद्योग, कागज उद्योग, चमड़ा उद्योग, रबड़ उद्योग आदि।
(ग) स्वयं कीजिए।
(घ) स्वयं कीजिए।
(ङ) स्वयं कीजिए।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे ?
उत्तर : रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले जनसाधारण के लिए बहुत बुरे थे।

  • बीसवीं सदी के प्रारंभ में 85 प्रतिशत रूसी कृषक थे।
  • फ्रांस तथा जर्मनी में अनुपात 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत था। रूस अनाज का एक बड़ा निर्यातक था।
  • मॉस्को तथा सेंट पीट्सवर्ग प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे।
  • जब रूसी रेल नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा था तो सन् 1890 के दशक में कई कारखाने स्थापित किए गए और कारखानों में विदेशी निवेश बढ़ गया।
  • कामगार उनकी दक्षता के अनुसार सामाजिक समूहों में बंटे हुए थे। कामगार या तो गांवों से आते थे या कारखानों में नौकरी पाने के लिए शहरों में प्रवास करते थे।
  • इस समय किसानों की बिरादरी बहुत धार्मिक थी किन्तु कुलीनता के बारे में अधिक नहीं सोचती थी। उनका विश्वास था कि भूमि उनके बीच बंटी होनी चाहिए। क्योंकि सामन्ती अधिकारों के कारण यह संभव नहीं था, अतः किसानों की अपनी कम्यून थी जिसमें धन का वितरण प्रत्येक के परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता था।
  • जब कभी कामगार किसी के निकाले जाने पर या कार्यस्थितियों को लेकर नियोक्ताओं से असहमत | होते थे तो विभाजन के बावजूद भी वे हड़ताल के लिए इकट्ठे हो जाते थे।
    सन् 1904 मजदूरों के लिए बुरा था।
  • आवश्यक वस्तुओं के दाम बहुत बढ गए। मजदूरी 20 प्रतिशत घट गई।
  • कामगार संगठनों की सदस्यता शुल्क नाटकीय तरीके से बढ़ जाता है।
  • सेंट पीट्सवर्ग के 1,10,000 से अधिक मजदूर रोज के काम के घण्टों को कम करने, मजदूरी बढाने तथा कार्यस्थितियों में सुधार करने की मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए।

प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी ?
उत्तर : सन् 1917 से पहले रूस की कामकाज करने वाली जनसंख्या यूरोप के अन्य देशों से भिन्न थी क्योंकि सभी रूसी कामगार कारखानों में काम करने के लिए गांव से शहर नहीं आए थे। उनमें से कुछ ने गांवों में रहना जारी रखा और शहर में प्रतिदिन काम पर जाते थे। वे सामाजिक स्तर एवं दक्षता के अनुसार समूहों में बंटे हुए थे और यह उनकी पोशाकों में परिलक्षित होता था। धातुकर्मी मजदूरों में खुद को साहब मानते थे। उनके काम में ज्यादा प्रशिक्षण और निपुणता की जरूरत जो रहती थी। तथापि कामकाजी जनसंख्या एक मोर्चे पर तो एकजुट थी – कार्यस्थितियों एवं नियोक्ताओं के अत्याचार के विरुद्ध हड़ताल।।

अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले में रूस की कामगार जनसंख्या जैसे कि किसानों एवं कारखाना मजदूरों की स्थिति बहुत भयावह थी। ऐसा जार निकोलस द्वितीय की निरंकुश सरकार के कारण था जिसकी भ्रष्ट एवं दमनकारी नीतियों से इन लोगों से उसकी दुश्मनी दिनों-दिन बढती जा रही थी।

कारखाना मजदूरों की स्थिति भी इतनी ही खराब थी। वे अपनी शिकायतों को प्रकट करने के लिए कोई ट्रेड यूनियन अथवा कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते थे। अधिकतर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। वे अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों का शोषण करते थे। कई बार तो इन मजदूरों को न्यूनतम निर्धारित मजदूरी भी नहीं मिलती थी। कार्य घण्टों की कोई सीमा नहीं थी जिसके कारण उन्हें दिन में 12-15 घण्टे काम करना पड़ता था। उनकी स्थिति इतनी करूणाजनक थी कि न तो उन्हें राजनैतिक अधिकार प्राप्त थे और सन् 1917 की रूसी क्रांति की शुरूआत से पहले न ही किसी प्रकार के सुधारों की आशा थी।

किसान जमीन पर सर्फ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। कुलीन वर्ग, सम्राटे तथा रूढीवादी चर्च के पास बहुत अधिक संपत्ति थी। ब्रिटानी में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान किसान कुलीनों का सम्मान करते थे और उनके लिए लड़ते थे किन्तु रूस में किसान कुलीनों को दी गई जमीन लेना चाहते थे। उन्होंने लगान देने से मना कर दिया और जमींदारों को मार भी डाला।

रूस में किसान अपनी जमीन एकत्र करते और अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और उनका कम्यून उसे प्रत्येक परिवार की जरूरत के अनुसार बांट देता था।

प्रश्न 3. 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया ?
उत्तर : जनता के बढते अविश्वास एवं जार की नीतियों से असंतुष्टि के कारण जार का शासन 1917 में खत्म
हो गया। जार निकोलस द्वितीय ने राजनैतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, मतदान के नियम बदल डाले और अपनी सत्ता के विरुद्ध उठे सवालों अथवा नियंत्रण को खारिज कर दिया। रूस में युद्ध प्रारंभ में बहुत लोकप्रिय था और जनता जार का साथ देती थी। जैसे – जैसे युद्ध जारी रहा, जार ने ड्यूमा के प्रमुख दलों से सलाह लेने से मना कर दिया। इस प्रकार उसने समर्थन खो दिया और जर्मन विरोधी भावनाएं प्रबल होने लगीं। जारीना अलेक्सान्द्रा के सलाहकारों विशेषकर रास्पूतिन ने राजशाही को अलोकप्रिय बना दिया। रूसी सेना लड़ाइयाँ हार गई। पीछे हटते समय रूसी सेना ने फसलों एवं इमारतों को नष्ट कर दिया। फसलों एवं इमारतों के विनाश से रूस में लगभग 30 लाख से अधिक लोग शरणार्थी हो गए जिससे हालात और बिगड़ गए।

प्रथम विश्व युद्ध का उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ा। बाल्टिक सागर के रास्ते पर जर्मनी का कब्जा हो जाने के कारण माल का आयात बंद हो गया। औद्योगिक उपकरण बेकार होने लगे तथा 1916 तक रेलवे लाइनें टूट गई। अनिवार्य सैनिक सेवा के चलते सेहतमन्द लोगों को युद्ध में झोंक दिया गया जिसके परिणामस्वरूप, मजदूरों की कमी हो गई। रोटी की दुकानों पर दंगे होना आम बात हो गई। 26 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया गया। यह आखिरी दांव साबित हुआ और इसने जार के शासन को पूरी तरह जोखिम में डाल दिया। 2 मार्च 1917 को जार गद्दी छोड़ने पर मजबूर हो गया और इससे निरंकुशता का अंत हो गया।

किसान जमीन पर सर्फ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। किसानों में जमीन की भूख प्रमुख कारक थी। विभिन्न दमनकारी नीतियों तथा कुण्ठा के कारण वे आमतौर पर लगान देने से मना कर देते । और प्रायः जमींदारों की हत्या करते।

कार्ल मार्क्स की शिक्षाओं ने भी लोगों को विद्रोह के लिए उत्साहित किया।

प्रश्न 4. दो सूचियाँ बनाइए : एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्तूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर : फरवरी क्रांति : 1917 की सर्दियों में राजधानी पेत्रोग्राद में हालात बिगड़ गए।

फरवरी 1917 में मजदूरों के क्वार्टरों में खाने की अत्यधिक किल्लत अनुभव की गई, संसदीय प्रतिनिधि जार की ड्यूमा को बर्खास्त करने की इच्छा के विरुद्ध थे।

शहर की बनावट इसके नागरिकों के विभाजन का कारण बन गई। मजदूरों के क्वार्टर और कारखाने नेवा नदी के दाएं तट पर स्थित थे। बाएं तट पर फैशनेबल इलाके जैसे कि विंटर पैलेस, सरकारी भवन तथा वह महल भी था जहाँ ड्यूमा की बैठक होती थी।

सर्दियाँ बहुत ज्यादा थी – असाधारण कोहरा और बर्फबारी हुई थी। 22 फरवरी को दाएं किनारे पर एक कारखाने में तालाबंदी हो गई। अगले दिन सहानुभूति के तौर पर 50 और कारखानों के मजदूरों ने हड़ताल कर दी। कई कारखानों में महिलाओं ने हड़ताल की अगुवाई की। रविवार, 25 फरवरी को सरकार ने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया। 27 फरवरी को पुलिस मुख्यालय पर हमला किया गया।

गलियाँ रोटी, मजदूरी, बेहतर कार्य घण्टों एवं लोकतंत्र के नारे लगाते हुए लोगों से भर गई। घुड़सवार सैनिकों की टुकड़ियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से मना कर दिया तथा शाम तक बगावत कर रहे सैनिकों एवं हड़ताल कर रहे मजदूरों ने मिल कर पेत्रोग्राद सोवियत नामे की सोवियत या काउंसिल बना ली।

जार ने 2 मार्च को अपनी सत्ती छोड़ दी और सोवियत तथा ड्यूमा के नेताओं ने मिलकर रूस के लिए अंतरिम सरकार बना ली। फरवरी क्रांति के मोर्चे पर कोई भी राजनैतिक दल नहीं था। इसका नेतृत्व लोगों ने स्वयं किया था। पेत्रोग्राद ने राजशाही का अंत कर दिया और इस प्रकार उन्होंने सोवियत इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया।

फरवरी क्रांति के प्रभाव :

(क) फरवरी के बाद जनसाधारण तथा संगठनों की बैठकों पर से प्रतिबंध हटा लिया गया।
(ख) पेत्रोग्राद सोवियत की तरह ही सभी जगह सोवियत बन गई यद्यपि इनमें एक जैसी चुनाव प्रणाली का अनुसरण नहीं किया गया।
(ग) अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों के नेता व्लादिमीर लेनिन देश निकाले से रूस वापस लौट आए। उसने “अप्रैल थीसिस’ के नाम से जानी जाने वाली तीन मांगें रखीं। ये तीन मांगें थीं : युद्ध को | समाप्त किया जाए, भूमि किसानों को हस्तांतरित की जाए और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
(घ) उसने इस बात पर भी जोर दिया कि अब अपने रेडिकल उद्देश्यों को स्पष्ट करने के लिए बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर कम्युनिस्ट पार्टी रख दिया जाए।

अक्तूबर क्रांति :
अक्तूबर क्रांति अंतरिम सरकार तथा बोल्शेविकों में मतभेद के कारण हुई।

सितंबर में व्लादिमीर लेनिन ने विद्रोह के लिए समर्थकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। 16 अक्तूबर 1917 को उसने पेत्रोग्राद सोवियत तथा बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर सामाजिक कब्जा करने के लिए मना लिया। सत्ता पर कब्जे के लिए लियोन ट्रॉटस्की के नेतृत्व में एक सैनिक क्रांतिकारी सैनिक समिति नियुक्त की गई।

जब 24 अक्तूबर को विद्रोह शुरू हुआ, प्रधानमंत्री केरेंस्की ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर होने से रोकने के लिए सैनिक टुकड़ियों को लाने हेतु शहर छोड़ा।

क्रांतिकारी समिति ने सरकारी कार्यालयों पर हमला बोला; ऑरोरा नामक युद्धपोत ने विंटर पैलेस पर बमबारी की और 24 तारीख की रात को शहर पर बोल्शेविकों का नियंत्रण हो गया। थोड़ी सी गंभीर लड़ाई के उपरांत बोल्शेविकों ने मॉस्को पेत्रोग्राद क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण पा लिया। पेत्रोग्राद में ऑल रशियन कांग्रेस ऑफ सोवियत्स की बैठक में बोल्शेविकों की कार्रवाई को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

अक्तूबर क्रांति का नेतृत्व मुख्यतः लेनिन तथा उसके अधीनस्थ ट्रॉटस्की ने किया और इसमें इन नेताओं का समर्थन करने वाली जनता भी शामिल थी। इसने सोवियत पर लेनिन के शासन की शुरूआत की तथा लेनिन के निर्देशन में बोल्शेविक इसके साथ थे।

प्रश्न 5. बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन-से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर : अक्तूबर क्रांति के बाद बोल्शेविकों द्वारा किए गए कई बदलाव में शामिल हैं :

(क) बोल्शेविक निजी संपत्ति के पक्षधर नहीं थे अतः अधिकतर उद्योगों एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
(ख) भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया और किसानों को उस भूमि पर कब्जा करने दिया गया जिस पर वे काम करते थे।
(ग) शहरों में बड़े घरों के परिवार की आवश्यकता के अनुसार हिस्से कर दिए गए।
(घ) पुराने अभिजात्य वर्ग की पदवियों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई।
(ङ) परिवर्तन को स्पष्ट करने के लिए बोल्शेविकों ने सेना एवं कर्मचारियों की नई वर्दियाँ पेश की।
(च) बोल्शेविक पार्टी का नाम बदल कर रूसी कम्यूनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया गया।
(छ) नवंबर में संविधान सभा के चुनावों में बोल्शेविकों की हार हुई और जनवरी 1918 में जब सभा ने उनके प्रस्तावों को खारिज कर दिया तो लेनिन ने सभा बर्खास्त कर दी। मार्च 1918 में राजनैतिक विरोध के बावजूद रूस ने ब्रेस्ट लिटोव्स्क में जर्मनी से संधि कर ली।
(ज) रूस एक-दलीय देश बन गया और ट्रेड यूनियनों को पार्टी के नियंत्रण में रखा गया।
(झ) उन्होंने पहली बार केन्द्रीकृत नियोजन लागू किया जिसके आधार पर पंचवर्षीय योजनाएं बनाई गई।

प्रश्न 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए ?

(क) कुलक :
(ख) ड्यूमा
(ग) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
(घ) उदारवादी

उत्तर
(क) कुलक रूस के धनी किसान थे। स्तालिन का विश्वास था कि वे अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज
इकट्ठा कर रहे थे। 1927-28 तक सोवियत रूस के शहर अन्न आपूर्ति की भारी किल्लत का सामना कर रहे थे। इसलिए इन कुलकों पर 1928 में छापे मारे गए और उनके अनाज के भंडारों को जब्त कर लिया गया। माक्र्सवादी स्तालिनवाद के अनुसार कुलक गरीब किसानों के ‘वर्ग शत्रु’ थे। उनकी मुनाफाखोरी की इच्छा से खाने की किल्लत हो गई और अंततः स्तालिन को इन कुलकों का सफाया करने के लिए सामूहिकीकरण कार्यक्रम चलाना पड़ा और सरकार द्वारा नियंत्रित बड़े खेतों की स्थापना करनी पड़ी।
(ख) 1905 की क्रांति के दौरान जार ने रूस में परामर्शदाता संसद के चुनाव की अनुमति दे दी। रूस की इस निर्वाचित परामर्शदाता संसद को ड्यूमा कहा गया। रूसी क्रांति के दबाव में 6 अगस्त 1905 को गठित यह संस्था प्रारंभ में परामर्शदात्री मानी गई थी। अक्तूबर घोषणापत्र में जार निकोलस द्वितीय ने इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की।
(ग) महिला मजदूरों ने रूस के भविष्य निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला कामगार सन् 1914 तक कुल कारखाना कामगार शक्ति का 31 प्रतिशत भाग बन चुकी थी किन्तु उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती थी।

महिला कामगारों को न केवल कारखानों में काम करना पड़ता था अपितु उनके परिवार एवं बच्चों की भी देखभाल करनी पड़ती थी।

वे देश के सभी मामलों में बहुत सक्रिय थीं।

वे प्रायः अपने साथ काम करने वाले पुरुष कामगारों को प्रेरणा देती थी।

1917 की अक्तूबर क्रांति के बाद समाजवादियों ने रूस में सरकार बनाई। 1917 में राजशाही के पतन एवं अक्तूबर की घटनाओं को ही सामान्यतः रूसी क्रांति कहा जाता है। उदाहरण के लिए, लॉरेंज टेलीफोन की महिला मजदूर मार्फा वासीलेवा ने बढ़ती कीमतों तथा कारखाने के मालिकों के | मनमानी के विरुद्ध आवाज उठाई और सफल हड़ताल की। अन्य महिला मजदूरों ने भी माफ वासीलेवा का अनुसरण किया और जब तक उन्होंने रूस में समाजवादी सरकार की स्थापना नहीं की तब तक उन्होंने राहत की सांस नहीं ली।

(घ) रूस के उदारवादी वे लोग थे जो ऐसा देश चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर सम्मान मिले। वे वंश आधारित शासकों की अनियंत्रित सत्ता के भी विरुद्ध थे। वे सरकार के समक्ष व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा के पक्ष में थे। वे प्रतिनिधित्व करने वाली, निर्वाचित संसदीय सरकार के पक्षधर थे जो शासकों एवं अफसरों के प्रभाव से मुक्त हो तथा सुप्रशिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन कार्य चलाए । किन्तु वे लोकतंत्रवादी नहीं थे। वे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (प्रत्येक नागरिक का वोट देने का अधिकार) में विश्वास नहीं रखते थे। उनका विश्वास था कि वोट का अधिकार केवल संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए। वे महिलाओं को भी वोट देने का अधिकार नहीं देना चाहते थे।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 6 Democratic Rights (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. इनमें से कौन-सा मैलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है?

(क) बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना।
(ख) इसाई मिशनों द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना ।
(ग) सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन मिलना।
(घ) बच्चों द्वारा मां-बाप की संपत्ति विरासत में पाना।

उत्तरः (क) बच्चों द्वारा मां-बाप की संपत्ति विरासत में पाना।

प्रश्न 2. इनमें से कौन-सी स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है?

(क) सरकार की आलोचना की स्वतंत्रता।
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता
(ग) सरकार बदलने के लिए आंदोलन शुरू करने की स्वतंत्रता
(घ) संविधान के केंद्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतंत्रता

उत्तरः

(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता।
(ग) सरकार बदलने के लिए आंदोलन शुरू करने की स्वतंत्रता।
(घ) संविधान के केंद्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतंत्रता ।

प्रश्न 3. भारतीय संविधान इनमें से कौन-सा अधिकार देता है?

(क) काम का अधिकार
(ख) पर्याप्त जीविका का अधिकार
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार
(घ) निजता का अधिकार

उत्तरः (ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार

प्रश्न 4. उस मौलिक अधिकार का नाम बताएँ जिसके तहत निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ आती हैं?

(क) अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता
(ख) जीवन का अधिकार
(ग) छुआछूत की समाप्ति
(घ) बेगार पर प्रतिबंध

उत्तरः

(क) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
(ख) व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
(ग) समानता का अधिकार ।
(घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार

प्रश्न 5. लोकतंत्र और अधिकारों के बीच संबंधों के बारे में इनमें से कौन-सा बयान ज्यादा उचित है? अपनी पसंद के पक्ष में कारण बताएँ? ।

(क) हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।
(ख) अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतांत्रिक है।
(ग) अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतंत्र के लिए जरूरी नहीं है।

उत्तरः बयान (क) अधिक वैध है। अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला प्रत्येक देश चाहे लोकतांत्रिक न हो किन्तु लोकतंत्र के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने नागरिकों को अधिकार प्रदान करे।

प्रश्न 6. स्वतंत्रता के अधिकार पर ये पाबंदियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ ।

(क) भारतीय नागरिकों को सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है।
(ख) स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है।
(ग) शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबंध लगाती है।

उत्तरः
(क) नागरिकों के जान-माल की रक्षा के लिए ‘क’ उचित है।
(ख) अनुचित है क्योंकि
(ख) स्वतंत्रता के अधिकार पर अतिक्रमण करता है।
(ग) अनुचित है क्योंकि
(ग) बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

प्रश्न 7. मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के किरानी
ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, ‘झाडू लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो। इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज की तरफ से जिला अधिकारी के नाम
लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो।
उत्तरः मनोज के मामले में समानता के अधिकार’ तथा ‘स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है।

प्रश्न 8. जब मधुरिमा संपत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, “आप अपना
नाम मधुरिमा बनर्जी, बेटी ए.के. बनर्जी नहीं लिख सकतीं। आप शादीशुदा हैं आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए।” मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, “अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?” आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों?
उत्तरः मधुरिमा सही है। उसके व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न करके तथा उनमें दखल करके रजिस्ट्रार उसके स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर रहा है। साथ ही, अपने पति का नाम अपनाने का प्रश्न सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है जो महिलाओं को कमतर तथा कमजोर मानता है। मधुरिमा को अपना नाम बदलने के लिए बाध्य करना समानता के अधिकार तथा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

प्रश्न 9. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले
लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला संभावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की
रिपोर्ट तैयार करो।
उत्तरः इस प्रश्न का उत्तर स्वयं देने का प्रयास कीजिए।

प्रश्न 10. इस अध्याय में पढ़े विभिन्न अधिकारों को आपस में जोड़ने वाला एक मकड़जाल बनाएँ।
जैसे आने-जाने की स्वतंत्रता का अधिकार तथा पेशा चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। इसका एक कारण है कि आने-जाने की स्वतंत्रता के चलते व्यक्ति अपने गाँव या शहर के अंदर ही नहीं, दूसरे गाँव, दूसरे शहर और दूसरे राज्य तक जाकर काम कर सकता है। इसी प्रकार इस अधिकार को तीर्थाटन से जोड़ा जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म का अनुसरण करने की आजादी से जुड़ा है। आप इस मकड़जाल को बनाएँ और तीर के निशानों से बताएँ कि कौन-से अधिकार आपस में जुड़े हैं। हर
तीर के साथ संबंध बताने वाला एक उदाहरण भी दें।
उत्तरः नीचे दिए गए चित्र की सहायता से अपना स्वयं का मकड़जाल बनाइए।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 1 The French Revolution (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर : निम्नलिखित परिस्थितियों के कारण फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध की शुरुआत हुई :

  • सामाजिक परिस्थितियाँ : वहाँ पर सामंतवाद की प्रथा थी जो तीन वर्गों में विभक्त थी : प्रथम वर्ग, द्वितीय वर्ग एवं तृतीय वर्ग। प्रथम एस्टेट में पादरी आते थे। दूसरे एस्टेट में कुलीन एवं तृतीय एस्टेट में व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन मजदूर एवं नौकर आते थे। यह केवल तृतीय एस्टेट ही थी जो सभी कर देने को बाध्य थी। पादरी एवं कुलीन वर्ग के लोगों को सरकार को कर देने से छूट प्राप्त थी। सरकार को कर देने के साथ-साथ किसानों को चर्च को भी कर देना पड़ता था। यह एक अन्यायपूर्ण स्थिति थी जिसने तृतीय एस्टेट के सदस्यों में असंतोष की भावना को बढ़ावा दिया।
  • आर्थिक परिस्थितियाँ : सन् 1774 में बूबू राजवंश का लुई सोलहवाँ फ्रांस के सिंहासन पर बैठा और उसने आस्ट्रिया की राजकुमारी मैरी एन्तोएनेत से शादी की। सत्तारूढ़ होने पर उसे शाही खजाना खाली मिला। सेना का रखरखाव, दरबार का खर्च, सरकारी कार्यालयों या विश्वविद्यालयों को चलाने जैसे अपने नियमित खर्च निपटाने के लिए सरकार कर बढ़ाने पर बाध्य हो गई। कर बढ़ाने के प्रस्ताव को पारित करने के लिए फ्रांस के सम्राट लुई सोलहवें ने 5 मई 1789 को एस्टेट के जनरल की सभा बुलाई। प्रत्येक एस्टेट को सभा में एक वोट डालने की अनुमति दी गई। तृतीय एस्टेट ने इस अन्यायपूर्ण प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने सुझाव रखा कि प्रत्येक सदस्य का एक वोट होना चाहिए। सम्राट ने इस अपील को ठुकरा दिया तथा तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधि सदस्य विरोधस्वरूप सभा से वाक आउट कर गए।
  • फ्रांसीसी जनसंख्या में भारी बढ़ोतरी के कारण इस समय खाद्यान्न की माँग बहुत बढ़ गई थी।
    परिणामस्वरूप, पावरोटी (अधिकतर के भोजन का मुख्य भाग) के भाव बढ़ गए। बढ़ती कीमतों व अपर्याप्त मजदूरी के कारण अधिकतर जनसंख्या जीविका के आधारभूत साधन भी वहन नहीं कर सकती थी। इससे जीविका संकट उत्पन्न हो गया तथा अमीर और गरीब के मध्य दूरी बढ़ गई।
  • दार्शनिकों का योगदानः अठारहवीं सदी के दौरान मध्यम वर्ग शिक्षित एवं धनी बन कर उभरा। सामंतवादी समाज द्वारा प्रचारित विशेषाधिकार प्रणाली उनके हितों के विरुद्ध थी। शिक्षित होने के कारण इस वर्ग के सदस्यों की पहुँच फ्रांसीसी एवं अंग्रेज राजनैतिक एवं सामाजिक दार्शनिकों द्वारा सुझाए गए समानता एवं आजादी के विभिन्न विचारों तक थी। ये विचार सैलून एवं कॉफी-घरों में जनसाधारण के बीच चर्चा तथा वाद-विवाद के फलस्वरूप तथा पुस्तकों एवं अखबारों के द्वारा लोकप्रिय हो गए। दार्शनिकों के विचारों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जॉन लॉक, जीन जैक्स रूसो एवं मांटेस्क्यू ने राजा के दैवीय सिद्धांत को नकार दिया।
  • राजनैतिक कारण: तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधियों ने मिराब्यो एवं आबे सिए के नेतृत्व में स्वयं को
    राष्ट्रीय सभा घोषित कर दिया एवं शपथ ली कि जब तक वे सम्राट की शक्तियों को सीमित करने व अन्यायपूर्ण विशेषाधिकारों वाली सामंतवादी प्रथा को समाप्त करने वाला संविधान नहीं बनाएँगे तब तक सभा को भंग नहीं करेंगे। जिस समय राष्ट्रीय सभा संविधान का मसौदा बनाने में व्यस्त थी, उस दौरान सामंतों को विस्थापित करने के लिए बहुत से स्थानीय विद्रोह हुए। इसी बीच, खाद्य संकट गहरा गया तथा जनसाधारण का गुस्सा गलियों में फूट पड़ा। 14 जुलाई को सम्राट ने सैन्य टुकड़ियों को पेरिस में प्रवेश करने के आदेश दिये। इसके प्रत्युत्तर में सैकड़ों क्रुद्ध पुरुषों एवं महिलाओं ने स्वयं की सशस्त्र टुकड़ियाँ बना लीं। ऐसे ही लोगों की एक सेना बास्तील किले की जेल (सम्राट की निरंकुश शक्ति का प्रतीक) में जा घुसी और उसको नष्ट कर दिया। इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति का प्रारंभ हुआ।
  • सम्राट लुई सोलहवें एवं उसकी रानी मेरी एंतोएनेत ने अपने विलासितापूर्ण जीवन एवं खर्चीले तौर-तरीकों पर काफी धन बर्बाद किया। उच्च पद आमतौर पर बेचे जाते थे। पूरा प्रशासन भ्रष्ट था और प्रत्येक विभाग के अपने ही कानून थे। किसी एक समान प्रणाली के अभाव में चारों ओर भ्रम का वातावरण था। लोग प्रशासन की इस दूषित प्रणाली से तंग आ चुके थे तथा इसे बदलना चाहते थे।

प्रश्न 2. फ्रांसीसी समाज के कौन से समूहों को क्रांति से लाभ हुआ ? कौन से समूहों को शक्ति त्यागने पर बाध्य किया गया ? समाज के कौन से वर्ग को क्रांति के परिणाम से निराशा हुई होगी ?
उत्तर : तृतीय एस्टेट्स के धनी सदस्यों (मध्यम वर्ग) को फ्रांसीसी क्रांति से सर्वाधिक लाभ हुआ। इन समूहों में किसान, मजदूर, छोटे अधिकारीगण, वकील, अध्यापक, डॉक्टर एवं व्यवसायी शामिल थे। पहले इन्हें सभी कर अदा करने पड़ते थे व पादरियों एवं कुलीन लोगों द्वारा उन्हें हर कदम पर सदैव अपमानित किया जाता था किन्तु क्रांति के बाद उनके साथ समाज के उच्च वर्ग के समान व्यवहार किया जाने लगा। पादरियों एवं कुलीनों को शक्ति त्यागने पर बाध्य होना पड़ा तथा उनसे सभी विशेषाधिकार छीन लिए गए। समाज के अपेक्षाकृत निर्धन वर्गों तथा महिलाओं को क्रांति के परिणाम से निराशा हुई होगी क्योंकि क्रांति के बाद समानता की प्रतिज्ञा पूर्ण रूप से फलीभूत नहीं हुई।

प्रश्न 3. फ्रांसीसी क्रांति से उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के विश्व के लोगों को मिली विरासत का वर्णन कीजिए।
उत्तर : फ्रांसीसी क्रांति से उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के विश्व के लोगों को मिली विरासत :

(क) फ्रांसीसी क्रांति मानव इतिहास की महत्त्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।
(ख) यह पहला ऐसा राष्ट्रीय आंदोलन था जिसने आजादी, समानता और भाईचारे जैसे विचारों को अपनाया। उन्नीसवीं व बीसवीं सदी के प्रत्येक देश के लोगों के लिए ये विचार आधारभूत सिद्धांत बन गए।
(ग) इसने यूरोप के लगभग सभी देशों एवं दक्षिण अमेरिका में प्रत्येक क्रांतिकारी आंदोलन को प्रेरित किया।
(घ) इसने यूरोप के विभिन्न स्थानों पर घटित सामाजिक एवं राजनैतिक बदलाव की शुरुआत की।
(ङ) इसने मनमाने तरीके से चल रहे शासन का अंत किया तथा यूरोप एवं विश्व के अन्य भागों में लोगों के गणतंत्र के विचार का विकास किया।
(च) इसने सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार की अवधारणा का प्रचार किया जो बाद में कानून के समक्ष लोगों की समानता की धारणा बनी।
(छ) इसने ‘राष्ट्र’ शब्द को आधुनिक अर्थ दिया तथा राष्ट्रवादी’ की अवधारणा को बढ़ावा दिया जिसने पोलैण्ड, जर्मनी, नीदरलैण्ड तथा इटली में लोगों को अपने देशों में राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना हेतु प्रेरित किया।
(ज) इस क्रांति ने जनता की आवाज को सहारा दिया जो दैवीय अधिकार की धारणा, सामंती विशेषाधिकार, दासप्रथा एवं नियंत्रण को समाप्त करके योग्यता को सामाजिक उत्थान का आधार बनाना चाहते थे।
(झ) राजा राम मोहन राय जैसे नेता फ्रांसीसी क्रांति द्वारा प्रचारित राजशाही एवं उसके निरंकुशवाद के विरुद्ध प्रचारित विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे।
इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति का सबसे बड़ा प्रभाव विश्व भर में जन-आन्दोलनों का प्रारंभ तथा लोगों में राष्ट्रवाद की भावना के उदय होना था।

प्रश्न 4. उन लोकतांत्रिक अधिकारों की सूची बनाएँ जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति से हुआ है।
उत्तर : वे लोकतांत्रिक अधिकार जिन्हें हम आज प्रयोग करते हैं तथा जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति से हुआ है, इस प्रकार हैं:

(क) विचार अभिव्यक्ति का अधिकार
(ख) समानता का अधिकार
(ग) स्वतंत्रता का अधिकार
(घ) एकत्र होने तथा संगठन बनाने का अधिकार
(ङ) सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार
(च) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
(छ) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(ज) संवैधानिक उपचारों का अधिकार

प्रश्न 5. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश अंतर्विरोधों से घिरे हुए थे?
उत्तर : पुरुषों एवं नागरिकों के अधिकारों की घोषणा इतने विशाल स्तर पर सार्वभौमिक अधिकारों का खाका तैयार करने का विश्व में शायद प्रथम प्रयास था। इसने स्वतंत्रता, समानता एवं भाईचारे के तीन मौलिक सिद्धांतों पर बल दिया। सभी लोकतांत्रिक देशों द्वारा ऐसे सिद्धांतों को अपनाया गया है। किन्तु यह सत्य है कि सार्वभौमिक अधिकारों का संदेश विरोधाभासों से घिरा था। “पुरुष एवं नागरिक अधिकार घोषणापत्र में कई आदर्श संदिग्ध अर्थों से भरे पड़े थे।

  • (क) घोषणा में कहा गया था कि ” कानून सामान्य इच्छा की अभिव्यक्ति है। सभी नागरिकों को व्यक्तिगत रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से इसके निर्माण में भाग लेने का अधिकार है। कानून के नजर में सभी नागरिक समान हैं।” किन्तु जब फ्रांस एक संवैधानिक राजशाही बना तो लगभग 30 लाख नागरिक जिनमें 25 वर्ष से कम आयु के पुरुष एवं महिलाएँ शामिल थे, उन्हें बिल्कुल वोट ही नहीं डालने दिया गया।
  • (ख) फ्रांस ने उपनिवेशों पर कब्जा करना व उनकी संख्या बढ़ाना जारी रखा।
  • (ग) फ्रांस में उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक दासप्रथा जारी रही।

प्रश्न 6. नेपोलियन के उदय का आप कैसे वर्णन करेंगे ?
उत्तर: सन् 1796 में निर्देशिका के पतन के तुरंत बाद नेपोलियन का उदय हुआ। निदेशकों का प्रायः विधान सभाओं से झगड़ा होता था जो कि बाद में उन्हें बर्खास्त करने का प्रयास करती। निर्देशिका राजनैतिक रूप से अत्यधिक अस्थिर थी; अतः नेपोलियन सैन्य तानाशाह के रूप में सत्तारूढ़ हुआ।

सन् 1804 में नेपोलियन बोनापार्ट ने स्वयं को फ्रांस का सम्राट बना दिया। वह पड़ोसी यूरोपीय देशों पर विजय करने निकल पड़ा, राजवंशों को हटाया और साम्राज्यों को जन्म दिया। जिसमें उसने अपने परिवार के सदस्यों को आरूढ़ किया।

उसने निजी संपत्ति की सुरक्षा जैसे कई कानून बनाए और दशमलव प्रणाली पर आधारित नाप-तौल की एक समान पद्धति शुरू की।

अंततः 1815 ई0 में वाटरलू में उसकी हार हुई।

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NCERT Solutions for Class 9 Social Science Geography Chapter 3 Drainage (Hindi Medium)

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से

प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें।

(i) निम्नलिखित में से कौन सा वृक्ष की शाखाओं के समान अपवाह प्रतिरूप प्रणाली को दर्शाता है ?

(क) अरीय
(ख) केंद्राभिमुख
(ग) द्रुमाकृतिक
(घ) जालीनुमा

(ii) वूलर झील निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है?

(क) राजस्थान
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर

(iii) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?

(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकंटक
(ग) ब्रह्मगिरी
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल

(iv) निम्नलिखित में से कौन-सी लवणीय झील है?

(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिंद सागर

(v) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है ?

(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी

(vi) निम्नलिखत नदियों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी में होकर बहती है ?

(क) महानदी
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी

उत्तर :

(i) (ख)
(ii) (घ)
(iii) (ग)
(iv) (क)
(v) (ग)
(vi) (घ)

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षिप्त में दीजिए –

  1. जल विभाजक का क्या अर्थ है? एक उदाहरण दीजिए।
  2. भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन सी है?
  3. सिंधु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
  4. गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए? ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
  5. लंबी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद क्यों है?
  6. कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
  7. नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ ।

उत्तर :
(i) कोई उच्चभूमि जैसे पर्वत जो दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को अलग करता है उसे जल विभाजक कहा जाता है। उदाहरणतः सिंधु और गंगा नदी तंत्र के बीच का जल विभाजक। अंबाला इसके जल विभाजक पर स्थित है।
(ii) गंगा नदी की द्रोणी जो कि 2,500 कि0मी0 से अधिक लंबी है; भारत में सबसे बड़ी है।
(iii) सिंधु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है। गंगा नदी गंगोत्री नामक हिमानी से निकलती है जो हिमालय की दक्षिणी ढलान पर स्थित है।
(iv) गंगा नदी की दो मुख्य धाराएँ भागीरथी और अलकनंदा हैं। ये उत्तराखंड के देवप्रयाग नामक स्थान पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
(v) तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को सांपो कहा जाता है तथा तिब्बत में इसे बहुत कम पानी प्राप्त होता है इसलिए इसमें तिब्बत के क्षेत्रों में कम गाद पाई जाती है। इसके विपरीत जब यह नदी भारत में प्रवेश करती है तो यह ऐसे क्षेत्रों से गुजरती है जहाँ बहुत अधिक वर्षा होती है। यहाँ नदी बहुत अधिक पानी लेकर जाती है और इसी कारण इसमें गाद की मात्रा भी बढ़ जाती है। क्योंकि तिब्बत का मौसम ठण्डा व शुष्क है, इसलिए तिब्बत में इसे बहुत कम पानी प्राप्त होता है और इस क्षेत्र में गाद भी कम पाई जाती है।
(vi) नर्मदा एवं तापी नदियाँ दो ऐसी नदियाँ हैं जो गर्त से होकर बहती हैं तथा ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।
(vii) नदियाँ एवं झीलें नदी के बहाव को नियंत्रित करती हैं। ये अति-वृष्टि के समय बाढ़ को रोकती हैं। अनावृष्टि के समय ये पानी के बहाव को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग जलविद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। ये आस-पास की जलवायु को मृदु बनाती हैं तथा जलीय परितंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं। ये प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि करती हैं तथा पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।

प्रश्न 3. नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक एवं मानव निर्मित वर्गों में बांटिए।

(क) वूलर
(ख) डल
(ग) नैनीताल
(घ) भीमताल
(ड.) गोविन्द सागर
(च) लोकताक
(छ) बारापानी
(ज) चिल्का
(झ) सांभर
(ञ) राणा प्रताप सागर
(ट) निजाम सागर
(ठ) पुलीकट
(ड) नागार्जुन सागर
(ढ) हीराकुण्ड

उत्तर :

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प्रश्न 4. हिमालयी एवं प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य अंतरों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

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प्रश्न 5. प्रायद्वीपीय पठार की पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर : पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में अंतरः
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प्रश्न 6. किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर : नदियाँ किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। कुछ बिन्दु जो नदियों की महत्ता को प्रदर्शित करते हैं वे नीचे दिए गए हैं :

  1. नदियों से हमें प्राकृतिक ताजा मीठा पानी मिलता है जो मनुष्य सहित अधिकतर जीव-जंतुओं के जीवन के लिए आवश्यक है।
  2. ये नई मृदा बिछाकर उसे खेती योग्य बनाती हैं जिससे बिना अधिक मेहनत के इस पर खेती की जा सके।
  3. नदियों के तटों ने प्राचीनकाल से ही आदिवासियों को आकर्षित किया है। ये बस्तियाँ कालांतर में बड़े शहर बन गए।
  4. ये जल के बहाव को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं।
  5. ये भारी वर्षा के समय बाढ़ को रोकती हैं।
  6. ये शुष्क मौसम के दौरान पानी का एक समान बहाव बनाए रखती हैं।
  7. इनकी सहायता से जल-विद्युत पैदा की जाती है।
  8. ये आस-पास के वातावरण को मृदु बना देती हैं।
  9. ये जलीय परितंत्र को बनाए रखती हैं।
  10. ये प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि करती हैं।
  11. ये पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।

मानचित्र कौशल

  1. भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को नामांकित कीजिए गंगा, सतलुज, दामोदर, कृष्णा, नर्मदा, तापी, महानदी एवं ब्रह्मपुत्र।
  2. भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को नामांकित कीजिए चिल्का, वूलर, पुलीकट, कोलेरु।

उत्तर :

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क्रियाकलाप

  • नीचे दी गई वर्ग पहेली को हल करें ।

बाएं से दाएं:

  1. नागार्जुन सागर नदी परियोजना किस नदी पर है?
  2. भारत की सबसे लंबी नदी ।
  3. ब्यास कुण्ड से उत्पन्न होने वाली नदी।
  4. मध्य प्रदेश के बेतुल जिले से उत्पन्न होकर पश्चिम की ओर बहने वाली नदी।
  5. पश्चिम बंगाल का ‘शोक’ के नाम से जानी जाने वाली नदी।
  6. किस नदी से इंदिरा गांधी नहर निकाली गई है?
  7. रोहतांग दर्रे के पास किस नदी का स्त्रोत है।
  8. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी।
    ऊपर से नीचेः
  9. सिंधु की सहायक नदी जिसका उद्गम स्थल हिमाचल प्रदेश में है।
  10. भ्रंश अपवाह से होकर अरब सागर में मिलने वाली नदी।
  11. दक्षिण भारतीय नदी, जो ग्रीष्म तथा सर्द दोनों ऋतुओं में वर्षा का जल प्राप्त करती है।
  12. लद्दाख, गिलगित तथा पाकिस्तान से बहने वाली नदी।
  13. भारतीय मरुस्थल की एक महत्त्वपूर्ण नदी।
  14. पाकिस्तान में चेनाब से मिलने वाली नदी।
  15. यमुनोत्री हिमानी से निकलने वाली नदी।

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उत्तर :

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बाएँ से दाएँ:

  1. कृष्णा (KRISHNA)
  2. गंगा (GANGA)
  3. ब्यास (BEAS)
  4. तापी (TAPI)
  5. दामोदर (DAMODAR)
  6. सतलुज (SATLUJ)
  7. रावी (RAVI)
  8. गोदावरी (GODAVARI)
    ऊपर से नीचेः
  9. चेनाब (CHENAB)
  10. नर्मदा (NARMADA)
  11. कावेरी (KAVERI)
  12. सिंधु (INDUS)
  13. लूनी (LUNI)
  14. झेलम (JHELUM)
  15. यमुना (YAMUNA)

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