NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh स्पर्श भाग 2

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh स्पर्श भाग 2

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 स्पर्श भाग 2

काव्य – खंड

गद्य – खंड

NCERT Solutions for Class 10 Hindi

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – A

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 क्षितिज भाग 2

काव्य – खंड

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Bhag 2 कृतिका भाग 2

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – B

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 स्पर्श भाग 2

काव्य – खंड

गद्य – खंड

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Bhag संचयन भाग 2

MCQ for Class 10 Hindi Kshitij with Answers

  1. सूरदास के पद Class 10 MCQ
  2. राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Class 10 MCQ
  3. सवैया और कवित्त Class 10 MCQ
  4. आत्मकथ्य Class 10 MCQ
  5. उत्साह और अट नहीं रही Class 10 MCQ
  6. यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Class 10 MCQ
  7. छाया मत छूना Class 10 MCQ
  8. कन्यादान Class 10 MCQ
  9. संगतकार Class 10 MCQ
  10. नेताजी का चश्मा Class 10 MCQ
  11. बालगोबिन भगत Class 10 MCQ
  12. लखनवी अंदाज़ Class 10 MCQ
  13. मानवीय करुणा की दिव्या चमक Class 10 MCQ
  14. एक कहानी यह भी Class 10 MCQ
  15. स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन Class 10 MCQ
  16. नौबतखाने में इबादत Class 10 MCQ
  17. संस्कृति Class 10 MCQ

MCQ for Class 10 Hindi Kritika with Answers

  1. माता का आँचल Class 10 MCQ
  2. जॉर्ज पंचम की नाक Class 10 MCQ
  3. साना-साना हाथ जोड़ि Class 10 MCQ
  4. एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! Class 10 MCQ
  5. मैं क्यों लिखता हूँ? Class 10 MCQ

MCQ for Class 10 Hindi Sparsh with Answers

  1. साखी Class 10 MCQ
  2. मीरा के पद Class 10 MCQ
  3. दोहे Class 10 MCQ
  4. मनुष्यता Class 10 MCQ
  5. पर्वत प्रदेश में पावस Class 10 MCQ
  6. मधुर-मधुर मेरे दीपक जल Class 10 MCQ
  7. तोप Class 10 MCQ
  8. कर चले हम फ़िदा Class 10 MCQ
  9. आत्मत्राण Class 10 MCQ
  10. बड़े भाई साहब Class 10 MCQ
  11. डायरी का एक पन्ना Class 10 MCQ
  12. तताँरा-वामीरो कथा Class 10 MCQ
  13. तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 MCQ
  14. गिरगिट Class 10 MCQ
  15. अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Class 10 MCQ
  16. पतझर में टूटी पत्तियाँ Class 10 MCQ
  17. कारतूस Class 10 MCQ

MCQ for Class 10 Hindi Sanchayan with Answers

  1. हरिहर काका Class 10 MCQ
  2. सपनों के-से दिन Class 10 MCQ
  3. टोपी शुक्ला Class 10 MCQ

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 कारतूस

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 कारतूस

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 कारतूस

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था?
उत्तर
कर्नल कालिंज का खेमा वज़ीर अली को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से जंगल में लगा हुआ था। कर्नल को संदेह था कि वज़ीर अली जंगल में ही कहीं छिपा होगा। बरसों से वह पूरी फौज़ की आँखों में धूल झोंक रहा था। जंगलों में अपने थोड़े से आदमियों के साथ भटक रहा था फिर भी वह फौज़ के हाथ नहीं आ रहा था।

प्रश्न 2.
वज़ीर अली से सिपाही क्यों तंग आ चुके थे?
उत्तर
वज़ीर अली से सिपाही इसलिए तंग आ चुके थे क्योंकि जिस वज़ीर अली को पकड़ने के लिए जंगल में हफ्तों से खेमा डाल रखा था, उसको पकड़ना तो दूर, उसका कहीं पता नहीं चल पा रहा था।

प्रश्न 3.
कर्नल ने सवार पर नज़र रखने के लिए क्यों कहा?
उत्तर
कर्नल ने सवार पर नज़र रखने थे लिए इसलिए कहा ताकि वह यह देख सके कि सवार किस दिशा की तरफ जा रहा है। | वह सवार वज़ीर अली का कोई दूत या जानकार या कोई साथी हो सकता था।

प्रश्न 4.
सवार ने यह क्यों कहा कि वज़ीर अली की गिरफ्तारी बहुत मुश्किल है?
उत्तर
घोड़े पर आया सवार कोई और नहीं, बल्कि स्वयं वज़ीर अली था जो अपनी जान की परवाह किए बिना कर्नल के कैंप तक आ धमका था। वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए जान ले सकता था और जान दे भी सकता था।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1.
वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर कर्नल को रॉबिनहुड की याद क्यों आ जाती थी?
उत्तर
रॉबिनहुड एक साहसी वीर था, वह किसी को कहीं भी चकमा देने में माहिर था, उसी प्रकार वज़ीर अली भी साहसी, हिम्मती व वीर व्यक्ति था। उसके साहस के कारनामे लोगों की जुबान पर थे। वह अंग्रेज़ी सरकार की पकड़ में नहीं आ रहा था। कंपनी के वकील को उसने उसके घर जाकर मार डाला था। उसके बहादुरी भरे किस्सों के कारण ही कर्नल को वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर रॉबिनहुड की याद आ जाती थी।

प्रश्न 2.
सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा?
उत्तर
सआदत अली आसिफउद्दौला का छोटा भाई और वज़ीर अली का चाचा था। आसिफउद्दौला के कोई संतान न होने से सआदत अली अवध का शासक बनने का सपना पाले हुए था। वज़ीर अली का जन्म होते ही सआदत अली को लगा कि अब वह कभी राजा नहीं बन पाएगा, इसलिए वज़ीर अली की पैदाइश को उसने अपनी मौत समझा।

प्रश्न 3.
सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का क्या मकसद था? 220 B हिंदी-X(कोर्स-‘B’) —-
उत्तर
सआदत अली को अवध के तख्त पर बिठाने के पीछे कर्नल का मकसद था-अवध की धन-संपत्ति पर अधिकार करना। सआदत । अली अंग्रेज़ों का मित्र था। सआदत अली ऐशोआराम पसंद व्यक्ति था। उसने आधी संपत्ति और दस लाख रुपये कर्नल को देकर उसका स्वार्थ सिद्ध करने के षडयंत्र को सफल बना दिया। अब सआदत अली को किसी प्रकार का खतरा नहीं था।

प्रश्न 4.
कंपनी के वकील का कत्ल करने के बाद वज़ीर अली ने अपनी हिफाज़त कैसे की?
उत्तर
कंपनी के वकील की हत्या करने के बाद वज़ीर अली काशी से आजमगढ़ आ गया। आजमगढ़ के शासकों ने वज़ीर अली और उनके सैनिकों को अपनी सुरक्षा में घाघरा तक पहुँचा दिया। यहाँ से वह गोरखपुर के जंगलों में छिपकर अपनी हिफ़ाज़त कर रहा है।

प्रश्न 5.
सवार के जाने के बाद कर्नल क्यों हक्का-बक्का रह गया?
उत्तर
सवार के जाने के बाद कर्नल इसलिए हक्का-बक्का रह गया क्योंकि उसे पता चल गया कि यह सवार ही वज़ीर अली था। जिस सवार को वह साधारण-सा सिपाही समझ रहा था और उसकी सहायता से वह वज़ीर अली को गिरफ्तार करने का सपना देख रहा था। वह ऐसी उम्मीद नहीं कर सकता था कि वज़ीर अली इतनी हिम्मत करके उसके खेमे में चला आएगा। कर्नल की नज़रों में वज़ीर अली बहुत खतरनाक व्यक्ति था। वह उसे मूर्ख बनाकर उससे दस करितूस भी ले गया था और कर्नल कुछ भी नहीं कर पाया। वह जिस वज़ीर अली को पकड़ने के लिए वहाँ दल-बल सहित पड़ा था, वह वहाँ तक आया भी और फिर भी कर्नल उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
लेफ्टीनेंट को ऐसा क्यों लगा कि कंपनी के खिलाफ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई है?
उत्तर
लेफ्टीनेंट को कर्नल से पता चला कि वज़ीर अली से पहले कई लोग इसी प्रकार विद्रोह कर चुके हैं। दक्षिण में टीपू सुल्तान और बंगाल के नवाब का भाई शमसुद्दौला भी उनके खिलाफ़ है। इन सबने कंपनी के विरूद्ध अफगानिस्तान के बादशाह शाहे-ज़मी को आक्रमण करने का निमंत्रण दिया। ऐसा देखकर लेफ्टीनेंट को यह आभास हुआ कि कंपनी के खिलाफ़ पूरे हिंदुस्तान में लहर दौड़ गई है।

प्रश्न 2.
वजीर अली ने कंपनी के वकील का कत्ल क्यों किया?
उत्तर
वज़ीर अली अत्यंत साहसी, वीर, चतुर और स्वाभिमानी व्यक्ति था। अंग्रेजों ने उसके चाचा सआदत अली को मिलाकर उसे अवध का शासक बना दिया और आधी संपत्ति हथिया लिया। इससे वज़ीर अली के मन में अंग्रेज़ों के प्रति घृणा भरी थी। वज़ीर अली जब कंपनी के वकील के पास अपनी शिकायत लेकर गया तो वकील ने उसकी बात न सुनकर उसे खरी-खोटी सुना दी। स्वाभिमानी वजीर अली को यह बात अपमानजनक लगी। अपने अपमान और अंग्रेजों के प्रति घृणा के कारण उसने कंपनी के वकील की हत्या कर दी।

प्रश्न 3.
सवार ने कर्नल से कारतूस कैसे हासिल किए? ।
उत्तर
सवार स्वयं वज़ीर अली था। वह एक जाँबाज़ सिपाही था। जंगलों में धूल उड़ाता हुआ घोड़े पर सवार बिना किसी सिपाही के जाँबाज वज़ीर अली अकेला ही अंग्रेज़ी खेमे में आ पहुँचा। कर्नल और लेफ्टीनेंट ने समझा कि यह सवार उनके साथ मिलकर वज़ीर अली को गिरफ्तार करवाना चाहता है इसलिए उसे मिलने की आज्ञा दी गई। सवार ने आते ही एकांत की माँग की क्योंकि वह एकांत में कर्नल को वज़ीर अली के विषय में बताना चाहता था। उसने वज़ीर अली की गिरफ्तारी को मुश्किल बताया। उसने ऐसा दिखावा करना चाहा जैसे वह भी वजीर अली के खिलाफ है। फिर उसने कुछ कारतूसों की माँग की कर्नल ने बिना कोई प्रश्न पूछे उसे कारतूस दे दिए। इस प्रकार वज़ीर अली स्वयं ही घोड़े पर सवार होकर आया और कर्नल से कारतूस लेने में सफल रहा।

प्रश्न 4.
वज़ीर अली एक जाँबाज़ सिपाही था, कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
वजीर अली नि:संदेह बहादुर, साहसी एवं चतुर सिपाही था जो अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेज़ों का मुकाबला कर रहा था। जब से अवध की सत्ता से वह बेदखल हुआ है, तब से उसके मन में अपना लक्ष्य (अवध का शासन) पाने और अंग्रेजों को भारत से भगाने की भावना बलवती हो गई है। अंग्रेजों ने उसके चाचा सआदत अली को शासक बनाकर उसे काशी भेज दिया जब काशी से उसे कोलकाता बुलाया गया तो उसने कंपनी के वकील से शिकायत की। कंपनी के वकील द्वारा बात अनसुनी करने पर उसकी हत्याकर दी और गोरखपुर के जंगलों में आकर छिपकर रहने लगा। यहाँ उसे पकड़ने के लिए जब कर्नल ने खेमा लगाया तो वज़ीर अली ने साहस और जाँबाज़ी दिखाते हुए कर्नल से दस कारतूस ही नहीं लिया बल्कि अपना नाम बताते हुए उसकी जान बख्शने की बात कहकर वापस चला गया। वज़ीर अली के ऐसे कारनामों से पता चलता है कि वह सचमुच ही जाँबाज़ आदमी था।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
मुट्ठीभर आदमी और ये दमखम।
उत्तर
कर्नल कालिंज वज़ीर अली को पकड़ने के लिए गोरखपुर के जंगल में डेरा डाले हुए था। उसने अनेक बार वज़ीर अली को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह सफल न हुआ। वज़ीर अली की आज़ादी अंग्रेजों के लिए सबसे बड़ा खतरा था, क्योंकि चंद लोगों की ताकत लिए वह अंग्रेज़ों का सिरदर्द बन गया था। उसके इसी कारनामों के कारण कर्नल खींझता रहता है क्योंकि कम लोगों को अपने साथ लिए वज़ीर अली अंग्रेज़ों की एक बड़ी सेना से भिड़ने का कारनामा दिखा रहा था।

प्रश्न 2.
गर्द तो ऐसे उड़ रही है जैसे की पूरा एक काफिला चला आ रहा हो मगर मुझे तो एक ही सवार नज़र आता है।
उत्तर
कर्नल के खेमे की तरफ वज़ीर अली घोड़े पर सवार निडरतापूर्वक तूफ़ान की भाँति चला आ रहा था। उसके आने से उठती धूल से ऐसा लग रहा था मानो पूरी सेना ही चली आ रही हो। इतनी धूल तो पूरी सेना के चलने से उड़ती है, पर वज़ीर अली अकेले ही आ रहा था अर्थात् वज़ीर अली अकेले ही पूरी सेना के बराबर था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का एक-एक पर्याय लिखिए
(i) खिलाफ
(ii) पाक
(iii) उम्मीद
(iv) हासिल
(v) कामयाब
(vi) वज़ीफा
(vii) नफ़रत
(viii) हमला
(ix) इंतेज़ार
(x) मुमकिन
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए आँखों में धूल झोंकना, कूट-कूटकर भरना, काम तमाम कर देना, जान बख्श देना, हक्का-बक्का रह जाना।
उतर

  1. आँखों में धूल झोंकना-चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गया।
  2. कूट-कूटकर भरना-स्वतंत्रता सेनानियों में देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी।
  3. काम तमाम कर देना-मौका पाते ही शिकारी ने शेर का काम तमाम कर दिया।
  4. जान बख्श देना-महात्मा अपने प्रति दुर्व्यवहार करने वालों की भी जान बख्श देते हैं।
  5. हक्का-बक्का रह जाना-भरत को शेर के साथ खेलते देखकर दुष्यंत हक्का-बक्का रह गए।

प्रश्न 3.
कारक वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध बताता है। निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम लिखिए
(क) जंगल की जिंदगी बड़ी खतरनाक होती है।
(ख) कंपनी के खिलाफ़ सारे हिंदुस्तान में एक लहर दौड़ गई।
(ग) वज़ीर को उसके पद से हटा दिया गया।
(घ) फ़ौज के लिए कारतूस की आवश्यकता थी।
(ङ) सिपाही घोड़े पर सवार था।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 2

प्रश्न 4.
क्रिया का लिंग और वचन सामान्यतः कर्ता और कर्म के लिंग और वचन के अनुसार निर्धारित होता है। वाक्य में कर्ता और कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार जब क्रिया के लिंग, वचन आदि में परिवर्तन होता है तो उसे अन्विति कहते हैं। क्रिया के लिंग, वचन में परिवर्तन तभी होता है जब कर्ता या कर्म परसर्ग रहित हों;
जैसे-सवार कारतूस माँग रहा था। (कर्ता के कारण)
सवार ने कारतूस माँगे। (कर्म के कारण)
कर्नल ने वज़ीर अली को नहीं पहचाना। (यहाँ क्रिया कर्ता और कर्म किसी के भी कारण प्रभावित नहीं है)
अतः कर्ता और कर्म के परसर्ग सहित होने पर क्रिया कर्ता और कर्म में से किसी के भी लिंग और वचन से प्रभावित नहीं होती और वह एकवचन पुल्लिंग में ही प्रयुक्त होती है। नीचे दिए गए वाक्यों में ‘ने लगाकर उन्हें दुबारा लिखिए-
(क) घोड़ा पानी पी रहा था।
(ख) बच्चे दशहरे का मेला देखने गए।
(ग) रॉबिनहुड गरीबों की मदद करता था।
(घ) देशभर के लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे।
उत्तर
(क) घोड़े ने पानी पीना जारी रखा।
(ख) बच्चों ने दशहरे का मेला देखने के लिए प्रस्थान किया।
(ग) रॉबिनहुड ने गरीबों की मदद की।
(घ) देशभर के लोगों ने उसकी प्रशंसा की।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए
(क) कर्नल ने कहा सिपाहियो इस पर नज़र रखो ये किस तरफ जा रहा है।
(ख) सवार ने पूछा आपने इस मकाम पर क्यों खेमा डाला है इतने लावलश्कर की क्या ज़रूरत है।
(ग) खेमे के अंदर दो व्यक्ति बैठे बातें कर रहे थे चाँदनी छिटकी हुई थी और बाहर सिपाही पहरा दे रहे थे एक व्यक्ति कह रहा था दुश्मन कभी भी हमला कर सकता है।
उत्तर
(क) कर्नल ने कहा-“सिपाहियो! इस पर नज़र रखो, ये किस तरफ जा रहा है?”
(ख) सवार ने पूछा-“आपने इस मकाम पर क्यों खेमा डोला है? इतने लावलश्कर की क्या जरूरत है?”
(ग) खेमे के अंदर दो व्यक्ति बैठे बाते कर रहे थे। चाँदनी छिटकी हुई थी और बाहर सिपाही पहरा दे रहे थे। एक व्यक्ति कह रहा था-“दुश्मन कभी भी हमला कर सकता है।”

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए|

I.

प्रश्न 1.
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
उत्तर
शुद्ध सोना बिना किसी मिलावट के होता है। यह पूरी तरह शुद्ध होता है। गिन्नी के सोने में ताँबे की मिलावट होती है। इसी ताँबे के कारण गिन्नी का सोना ज्यादा चमकता है और शुद्ध सोने की तुलना में मजबूत भी अधिक होता है। औरतें अकसर गिन्नी के सोने के गहने बनवाती हैं।

प्रश्न 2.
प्रैक्टिकल आईडियालिस्ट किसे कहते हैं?
उत्तर
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट वे होते हैं जो आदर्शों का प्रयोग अपने व्यवहार में करते हैं तथा आदर्शों और व्यावहारिकता के मेल से उसे व्यवहार योग्य बनाता है।

प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
उत्तर
पाठ के आधार पर शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान है जिस प्रकार शुद्ध सोने में किसी प्रकार की कोई मिलावट नहीं होती उसी प्रकार शुद्ध आदर्शों पर व्यावहारिकता हावी नहीं होती। जिसमें पूरे समाज की भलाई छिपी हुई हो तथा जो समाज के शाश्वत मूल्यों को बनाए रखने में सक्षम हो, वही शुद्ध आदर्श है।

II.

प्रश्न 4.
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है? |
उत्तर
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात इसलिए कही है क्योंकि जापानी अपने काम को अत्यंत द्रुत गति से करते हैं। उन्हें देखकर लगता है कि वे महीने भर का काम एक ही दिन में निपटा देना चाहते हैं।

प्रश्न 5.
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर
जापानी में चाय पीने की विधि को “चा-नो-यू” कहते हैं, जिसका अर्थ है-‘टी-सेरेमनी’ और चाय पिलाने वाला ‘चाजीन कहलाता है।

प्रश्न 6.
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
उत्तर
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है वहाँ ऐसी शांति होती है जहाँ पानी का खदबदाना भी सुना जा सकता है। वह ‘चाजीन’ सारे कार्य अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से शांत वातावरण में करता है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए|

I.

प्रश्न 1.
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है? |
उत्तर
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से इसलिए की गई है क्योंकि शुद्ध आदर्श सोने की तरह शुद्ध होते हैं। जिस प्रकार शुद्ध | सोने में कोई मिलावट नहीं होती उसी प्रकार शुद्ध आदर्श भी व्यावहारिकता की मिलावट के बिना होते हैं। व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से इसलिए की गई है क्योंकि जिस प्रकार शुद्ध सोने में ताँबा मिलाकर उसकी गुणवत्ता को सुधारा जाता है और उसमें चमक उत्पन्न की जाती है, उसी प्रकार आदर्श का व्यवहारिकता से मेल करवाकर आदर्शों को मजबूत किया जाता है। जीवन केवल आदर्शों से नहीं चलता, जीवन में आदर्शों के साथ-साथ व्यावहारिकता का होना भी आवश्यक है। इससे समाज का रूप भी निखर जाता है।

II.

प्रश्न 2.
चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं? |
उत्तर
‘चाजीन’ ने टी-सेरेमनी में निम्नलिखित क्रियाएँ गरिमामय ढंग से की-

  • चाजीन ने कमर तक झुककर प्रणाम किया और बैठने की जगह दिखाई।
  • बिना खटपट किए अँगीठी जलाई और उस पर चायदानी रखा।
  • चाय के बर्तन लाकर तौलिए से साफ़ किए।
  • चाय कपों में डालकर गरिमापूर्ण ढंग से लेखक और उसके साथियों के सामने रखा।

प्रश्न 3.
‘टी-सेरेमनी में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
उत्तर
‘टी सेरेमनी में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था। क्योंकि एक तो यह स्थान बहुत छोटा होता है दूसरा इस सेरेमनी का उद्देश्य है-शांतिमय वातावरण । दौड़-धूप भरे जीवन से हटकर भूत और भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान पल को शांति से बिताना ही ‘टी सेरेमनी’ का उद्देश्य होता है। अधिक आदमियों के आने से शांति के स्थान पर अशांति का माहौल बन जाता है, इसलिए तीन से अधिक आदमियों को यहाँ प्रवेश नहीं दिया जा सकता।

प्रश्न 4.
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तर
चाय पीने के बाद लेखक ने अनुभव किया कि-

  • जैसे उसके दिमाग की शांति मंद पड़ गई हो।
  • उसका दिमाग धीरे-धीरे चलना बंद हो गया।
  • उसे सन्नाटे की आवाज़ भी सुनाई देने लगी।
  • वह भूतकाल एवं भविष्य को भूलकर वर्तमान में जीने लगा जो उसे लंबा प्रतीत होने लगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

I.

प्रश्न 1.
गांधी जी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए।
उत्तर
गांधी जी में नेतृत्व की अदभूत क्षमता थी। वे सभी लोगों को साथ लेकर चलते थे। वे अपने आदर्शों में व्यावहारिकता को नहीं मिलने देते थे, बल्कि व्यावहारिकता में आदर्श मिलाते थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन व भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सत्य और अहिंसा को अपने आदर्शों का हथियार बनाया। इन्हीं सिद्धांतों के बलबूते पर उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य से टक्कर ली। उनके नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया। सभी उनका नेतृत्व स्वीकार करके गर्व का अनुभव करते थे। उनकी पहली प्राथमिकता लोक कल्याण थी। वे अपने स्वार्थों को किसी भी कार्य में बाधा नहीं बनने देते थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सारी जनता उनके पीछे हो जाती थी।

प्रश्न 2.
आपके विचार में कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मेरे विचार में सत्य अहिंसा, परोपकार त्याग, समानता, करुणा आदि शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में लोगों में स्वार्थपरता, आत्मकेंद्रितता, वैचारिक संकीर्णता, ऊँच-नीच की भावना आदि बढ़ी है। समता और समरसता की भावना कहीं खो-सी गई है। आज सत्य की जगह असत्य का अहिंसा की जगह हिंसा का, त्याग की जगह छीना-झपटी का बोलबाला है। सामाजिक समरसता कहीं खो-सी गई है। लोग एक दूसरे पर हावी होना चाहते हैं ऐसे में एक स्वस्थ और आदर्श समाज के निर्माण सत्य, अहिंसा, त्याग, परोपकार, विश्व बंधुत्व की भावना आदि मूल्यों की अत्यंत आवश्यकता है। ऐसे में इनकी प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब|
(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
उत्तर
(1) मेरे जीवन का आदर्श है कि मैं न तो रिश्वत लेता हूँ और न रिश्वत देता हूँ। यद्यपि इसकी वजह से मुझे कई बार हानि उठानी पड़ी है। मुझे नगर-निगम का प्रमाणपत्र इसलिए देर से मिला कि मैंने एक संबंधित अधिकारी को रिश्वत नहीं दी। वैसे इससे मुझे कोई विशेष हानि नहीं हुई पर निगम कार्यालय के दस चक्कर अवश्य लगाने पड़े।

(2) मेरा आदर्श है कि मैं अपने छात्रों को नकल नहीं करने देती। मैंने अपने इस आदर्श में व्यावहारिकता का पुट यह दिया है कि मैं अब नकल तो नहीं करने देती; पर नकल करनेवालों पर केस न बनाकर उनकी नकल की सामग्री फाड़ देती हूँ या उनकी कॉपी बदल देती हैं। इससे उनका साल खराब नहीं होता।

प्रश्न 4.
शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना, गाँधी जी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गांधी जी सच्चे आदर्शवादी थे। वे अपने आदर्शों को गिरने नहीं देते थे और न उनसे समझौता ही किया करते थे अर्थात् वे ताँबे में सोना मिलाते थे। वे अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के नाम पर गिराते नहीं थे। दूसरे लोग व्यावहारिकता के नाम पर अपने आदर्शों से समझौता कर लेते हैं। ऐसा करके वे सोने में ताँबा मिलाते थे। इसके विपरीत गांधी जी ताँबे में सोना मिलाते थे।

प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी | देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?
उत्तर
‘गिरगिट कहानी में आदर्शवादिता का महत्त्व है। ‘व्यावहारिकता’ हमें अवसरवादिता का पाठ पढ़ती है। अवसरवादी व्यक्ति सदा अपना हित देखता है। वह प्रत्येक कार्य अपना लाभ-हानि देखकर ही करता है। व्यावहारिक लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी से भी समझौता कर लेते हैं। ऐसे लोगों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। आज समाज में जितने भी शाश्वत मूल्य हैं, वे सभी आदर्शवादियों की देन हैं। व्यावहारिक लोगों ने तो समाज का अहित किया है। व्यावहारिक लोग अपने स्वार्थ के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं।

II.

प्रश्न 6.
लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर
लेखक के मित्र ने जापानियों की मानसिक रुग्णता के निम्नलिखित कारण बताए हैं-

  • जापानी तेज़ गति से चिंतन-मनन करते हैं।
  • वे तेज़ सोचते हुए महीने का काम एक दिन में करना चाहते हैं।
  • वे अमेरिका की भाँति विकसित हो जाना चाहते हैं।
  • वे तेज़ चलने वाले दिमाग को और भी तेज़ करना चाहते हैं जिससे वह संतुलन खो बैठता है और लोग मानसिक रोगी हो जाते हैं।

मैं इन तथ्यों से पूर्णतया सहमत हूँ क्योंकि हर चीज़ की अति खराब होती है। मानव मस्तिष्क भी एक यंत्र की भाँति है। जिसके काम करने की एक सीमा है तथा उसे भी समय-समय पर आराम की आवश्यकता होती है। दिन-रात काम करने से मानसिक संतुलन बिगड़ना स्वाभाविक ही है।

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, हमें उसी में जीना चाहिए क्योंकि केवल सत्य ही शाश्वत है। वर्तमान स्वयं ही
सत्य है। हम अकसर या तो गुजरे हुए दिनों की खट्टी-मीठी यादों में उलझे रहते हैं या भविष्य के सुखद सपने देखते रहते हैं। हम या तो भूतकाल में रहते हैं या भविष्यत् काल में। हम जब भूतकाल के अपने सुखों एवं दुखों पर गौर करते हैं तो हमारे दुख बढ़ जाते हैं। भविष्य की कल्पनाएँ भी हमें दुखी करती हैं। क्योंकि हम उन्हें पूरा नहीं कर पाते। जो बीत गया वह सत्य नहीं हो सकता। जो अभी तक आया ही नहीं उस पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। वर्तमान ही सत्य, जो कुछ हमारे सामने घटित हो रहा है। इसमें कोई दुविधा नहीं है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

I.

प्रश्न 1.
समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों को ही दिया हुआ है।
उत्तर
आदर्श एवं मूल्यों को परस्पर घनिष्ठ संबंध होता है। आदर्श के बिना मूल्य और मूल्यों के बिना आदर्श की कल्पना करना संभव नहीं है। आदर्शवादी लोग ही समाज में मूल्यों की स्थापना करते हैं। जब समाज एक आदर्श स्थापित करता है। और जो सबके हित में सर्वमान्य हो जाता है वही आदर्श मूल्य बन जाता है। समाज में सत्य, अहिंसा, त्याग, परोपकार, समानता, व बंधुता ऐसे शाश्वत तत्त्व हैं जो आदर्शवादियों द्वारा प्रदान किए गए हैं, जिनका अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता। उन्होंने बिना स्वार्थ अपने व्यवहार से आदर्शों को ऊँचा उठाने का प्रयत्न किया है कभी उनके स्तर को गिरने नहीं दिया। इसके लिए उनका व्यक्तित्व ही प्रमाण है।

प्रश्न 2.
जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
उत्तर
जब आदर्श और व्यवहार में समन्वय की बात आती है तो लोग आदर्शों की उपेक्षा करने लगते हैं और व्यावहारिकता को अधिक महत्त्व देने लगते हैं। ऐसे में उनका आदर्श व्यवहार गिरने लगता है। वे व्यावहारिकता के कारण आदर्शों से समझौता करने लगते हैं। इन समझौतों से आदर्शों का लोप होने लगता है। लोग आदर्श की उपेक्षा करके व्यावहारिक सूझ-बूझ से काम लेने लगते हैं।

II.

प्रश्न 3.
हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
उत्तर
लेखक जापानियों की मनोदशा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जापान के लोगों के जीवन की गति इतनी तीव्र हो गई है कि यहाँ लोग सामान्य जीवन जीने की बजाए असामान्य होते जा रहे हैं। वे चलने की बजाए दौड़ने लगे हैं। वे बोलने की बजाए बकने लगे हैं। अकेले में बड़बड़ाते रहते हैं क्योंकि उनमें प्रत्येक कार्य में अमेरिका से आगे निकलने की प्रतिस्पर्धा की भावना घर कर गई है। इसी कारण वे तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।

प्रश्न 4.
सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर पूँज रहे हों।
उत्तर
लेखक और उसका मित्र टी-सेरेमनी में चाय पीने गए। वहाँ चाजीन द्वारा कमर झुकाकर स्वागत करना, बैठने की जगह की ओर इशारा करना, अँगीठी सुलगाना, बर्तन साफ़ करना, चाय बनाना आदि क्रियाएँ अत्यंत शांत वातावरण में अत्यंत गरिमापूर्ण ढंग से की गईं। ऐसा लगता था कि वहाँ की हर क्रिया में संगीत का स्वर पूँज रहा हो जिसे साफ़-साफ़ सुना। जा सकता है। इससे लेखक को असीम शांति की अनुभूति हुई।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत।।
उत्तर
व्यावहारिकता-आदर्शो की सार्थकता उसे व्यावहारिकता में लाने पर ही होती है।
आदर्श-हमें अपने व्यवहार को आदर्श बनाने का प्रयास करना चाहिए।
सूझबूझ-युवक ने अपनी सूझबूझ से सभी यात्रियों की जान बचाई।।
विलक्षण-रामानुजम की विलक्षण प्रतिभा से सभी लोग प्रभावित हो गए।
शाश्वत-सत्य शाश्वत रहता है, वह कभी नहीं मरता।

प्रश्न 2.
‘लाभ-हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा-लाभ और हानि
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक-चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए वंद्व समास की विग्रह कीजिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 2

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 4

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए-
(क) शुद्ध सोना अलग है।
(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है-एक प्रकार की धातु यानी ‘स्वर्ण । दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है-‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भो में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के
लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर उत्तर, कर, अंक, नग।
उत्तर

1. इस प्रश्न का उत्तर कक्षा-कार्य पुस्तिका पर लिखो। (जवाब)
2. हिमालय भारत के उत्तर में प्रहरी का कार्य करता है। (दिशा)

कर

  1.  नेताजी ने अपने कर-कमलों द्वारा पुल का उद्घाटन किया। (हाथ)
  2. आयकर अधिकारियों ने कर निश्चित समय पर न देने वालों के विरुद्ध कार्यवाही करने का निश्चय किया है। (टैक्स)
  3.  बच्चा माँ की अंक में जाते ही हँसने लगा। (गोद)
  4.  बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक आने पर पिता जी ने पुत्र को साइकिल उपहारस्वरूप भेंट की। (नंबर)

नग

  1. अँगूठी में लगे कीमती नग ने सभी को अपनी ओर आकर्षित कर लिया। (चमकीला पत्थर)।
  2. ट्रक में 25 नग रखे हैं। (सामान)
  3. नग की बर्फ से ढकी चोटियों को देख सुमन पुलकित हो उठी (पर्वत)।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए-
(क)

  1. अँगीठी सुलगायी।
  2. उस पर चायदानी रखी।

(ख)

  1. चाय तैयार हुई।
  2. उसने वह प्यालों में भरी।

(ग)

  1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
  2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।

 

उत्तर
(क) अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने उसे प्यालों में भरी।
(ग) बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और उन्हें तौलिए से साफ किए।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 5
उत्तर
(क) चाय पीने की यह एक ऐसी विधि है जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर ऐसा बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) जैसे ही चाय तैयार हुई वैसे ही उसने प्यालों में भरकर हमारे समाने रख दी।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे ताकि वे वहाँ पर अपनी बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करके ढेर सारा धन कमा सकें।

प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था? ।
उत्तर
लेखक का घर ग्वालियर में था। अब वह मुंबई के वर्सावा में रहता है।

प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर
पहले लोग बड़े-बड़े घरों में संयुक्त परिवार के रूप में रहते थे किंतु अब सब लोग व्यक्तिवादी भावना से अभिभूत हैं इसलिए अब जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर
कबूतर परेशानी में इसलिए फड़फड़ा रहे थे क्योंकि उनके दोनों अंडे फूट गए थे। एक को बिल्ली ने खा लिया था तो दूसरा लेखक की माँ के हाथ से टूट गया था।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर
अरब में लशकर को नूह के नाम से इसलिए याद किया जाता है क्योंकि वे सारी उम्र रोते रहे। उनके रोने का कारण एक जख्मी कुत्ता था जिसे उन्होंने दुत्कार दिया था।

प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?
उत्तर
लेखक की माँ सूरज ढलने के बाद पेड़ों से पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं। उनका कहना था कि इससे पेड़ रोते हैं, बदुआ देते हैं।

प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर
प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम यह हुआ कि मौसम अनिश्चित हो गया। अब गरमी में ज्यादा गरमी पड़ने लगी है, बेवक्त की बरसातें होने लगी हैं, तूफ़ान, भूकंप, बाढ़, नए-नए रोगों का प्रकोप बढ़ चला है।

प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा?
उत्तर
लेखक की माँ कबूतर के एक अंडे को बिल्ली की पहुँच से दूर करने के लिए स्टूल पर चढ़कर सुरक्षित रखने लगी, परंतु अंडा उनके हाथ से गिरकर टूट गया। इसके प्रायश्चित में उन्होने पूरे दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
समय के साथ लेखक ने अनेक बदलाव महसूस किए। जहाँ पहले हरियाली थी, पशु-पक्षी उन्मुक्त विचरण करते थे, उन जंगलों | को काटकर चौड़ी सड़कें और मानव बस्तियाँ बनी दी गईं। आज मनुष्य आत्मकेंद्रित हो गया है तथा भावनाएँ समाप्त होती जा रही हैं।

प्रश्न 6.
‘डेरा डालने से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘डेरा डालने’ को आशय है-अस्थाई रूप से बसना । अकसर खानाबदोश जातियाँ डेरा डालकर रहती हैं क्योंकि उनके स्थायी घर नहीं होते। पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बड़ी-बड़ी बस्तियाँ बनने के कारण पेड़ों के कटने से अनेक पशु-पक्षियों के आश्रय छिन गए। अब उन्होंने इधर-उधर डेरा डाल लिया अर्थात् रहने के लिए घोंसले बना लिए।”

प्रश्न 7.
शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए?
उत्तर
शेख अयाज़ के पिता भोजन कर रहे थे तभी उन्होंने देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए। माँ दुद्वारा यह पूछने पर कि क्या भोजन अच्छा नहीं लगा? वे बोले, यह बात नहीं है पर मैंने किसी घर वाले को बेघर कर दिया है। उसे उसके घर कुएँ पर छोड़ने जा रहा हूँ। इससे पता चलता है कि वे शीघ्र ही अपनी भूल का प्रायश्चित कर लेना चाहते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
बढ़ती आबादी ने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ कर रख दिया है। मानव ने समुद्र की लहरों को सीमित कर दिया है। समुद्र के रेतीले तटों पर भी मानवों ने बस्ती बसा दी। आसपास के जंगल काट डाले। पेड़ों को रास्तों से हटा दिया। परिणामस्वरूप पशु-पक्षी बस्तियाँ छोड़कर भाग गए। वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी। मौसम चक्र टूट गया। बरसातें बेवक्त होने लगीं। कभी तूफ़ान, कभी आँधियाँ, कहीं बाहें, तो कहीं नए-नए रोग पैदा होने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी से पर्यावरण दूषित हो गया।

प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर
कबूतर अपने बच्चों के रखवाली के लिए बार-बार लेखक के घर में चले आते थे जिससे लेखक का घर और पुस्तकालय गंदा होता था और आवश्यक सामान टूट जाते थे। इस समस्या से परेशान होकर लेखक की पत्नी ने कबूतर को घर में आने | से रोकने के लिए खिड़की में जाली लगवा दिया।

प्रश्न 3.
समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?
उत्तर
समुद्र के गुस्से की वजह यह थी कि उसे निरंतर सिमटते जाना पड़ रहा था। कई वर्षों से बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उसकी जमीन हथिया रहे थे। बेचारा समुद्र लगातारे अपना स्वरूप छोटा बनाते हुए सिमटता चला जा रहा था। पहले तो उसने अपनी टाँगों को समेटा, फिर उकड़ें बैठ गया फिर वह खड़ा हो गया। यह प्रक्रिया निरंतर चलती ही रही तो समुद्र को गुस्सा आ गया। जब उसे गुस्सा आया तो उसने गुस्से में अपनी लहरों पर दौड़ते तीन जहाज़ों को उठाकर तीन दिशाओं में फेंक दिया। एक वर्ली के समुद्र किनारे, दूसरा बांद्रा में कार्टर रोड के सामने और तीसरा गेट-वे-ऑफ़ इंडिया पर गिरा। जहाज़ों में सवार लोग बुरी तरह घायल हो गए।

प्रश्न 4.
मिट्टी से मिट्टी मिले, खो के सभी निशान, किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान’। इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि सभी प्राणियों का निर्माण एक ही मिट्टी से हुआ है। इस शरीर में न जाने कौन-कौन सी मिट्टी मिली हुई है। इसका बोध किसी को नहीं होता। सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेदभाव करना उचित नहीं है। पशु-पक्षियों को भी वही परमात्मा बनाता है जो मनुष्यों को बनाता है। जब सभी मनुष्यों में एक ही तत्त्व समाया हुआ है तो उनको अलग-अलग कर बताना उचित नहीं है। इसे पहचाने की कोशिश भी व्यर्थ है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।
उत्तर
इन पंक्तियों में लेखक का मत है कि प्रकृति का भी अपना नियम होता है। मनुष्य भले ही अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए उससे छेड़खानी करता है लेकिन उसके भी सहने की एक सीमा है। यदि हम आवश्यकता से अधिक प्रकृति को छेड़ें या अतिरिक्त बोझ उस पर डालें तो वह कुपित हो जाती है। इसका एक नमूना कुछ वर्षों पहले मुंबई में दिखाई दिया। जब मनुष्य ने समुद्र के किनारे पर बस्तियों का निर्माण कर डाला तो समुद्र ने भी कुपित होकर अपनी लहरों पर चलते हुए तीन जहाजों को गेंद की तरह हवा में उछाल दिया। ये तीनों जहाज़ अलग-अलग स्थानों पर जा गिरे और इनमें सवार लोग इस प्रकार घायल हुए कि चलने-फिरने के काबिल न रहे।

प्रश्न 2.
जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
उत्तर
उदार और महान मनुष्य क्रोध कम करते हैं। वे बहुत ही सहनशील होते हैं। लेखक का मत है कि जो बड़े होते हैं उन्हें कम गुस्सा आता है अर्थात् जिस व्यक्ति में बड़प्पन होता है वह उदार व समझदार होता है। लेकिन यदि उसे अत्यधिक परेशाने किया जाए तो कुपित होकर शांत नहीं रहता। इस पंक्ति का प्रयोग समुद्र के लिए हुआ है। मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए समुद्र को समेटकर रख दिया लेकिन जब वह क्रोधित हुआ तो उसने अपनी ही लहरों पर चलते जहाज़ों को इस तरह दूर फेंका कि उन पर सवार लोग चलने-फिरने के काबिल नहीं रहें।

प्रश्न 3.
इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
उत्तर
इन पंक्तियों का आशय यह है कि मुंबई में समुद्र के किनारे मानवों की बस्ती बसाने के लिए अनेक पेड़ों को काटना पड़ा जिससे न जाने कितने ही पशु-पक्षियों को अपने घोंसले व आश्रय स्थल खोने पड़े। कुछ तो शहर छोड़कर चले गए जो शहर से बाहर नहीं गए उन्होंने इधर-उधर ही डेरा डाल लिया अर्थात् अस्थायी घर बनाकर रहने लगे। लेखक कहता है कि आज का मानव इतना स्वार्थी हो गया है कि अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए दूसरों को कष्ट देने से भी नहीं हिचकिचाता।

प्रश्न 4.
शेख अयाज़ के पिता बोले, नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ। इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शेख अयाज़ के पिता एक दयालु व परोपकारी व्यक्ति थे। वे किसी के साथ अन्याय नहीं कर सकते थे। एक बार वे अचानक भोजन छोड़कर उठकर खड़े हुए तो उनकी पत्नी ने इसका कारण पूछा तब वे बोले कि आज उनसे एक पाप हो गया है। उन्होंने एक च्योंटे को बेघर कर दिया है। यह च्योंटा उनकी बाँह पर चढ़कर यहाँ तक चला आया है। अतः वे उसे उसके घर (कुएँ) पर छोड़ने जा रहे हैं। इससे पाप का प्रायश्चित हो सकेगा। इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की उदारता एवं स्पष्टवादिता की भावना छिपी हुई थी। वे अपनी भूल को तुरंत सुधारने में विश्वास रखते थे।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक-चिह्नों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए; जैसे-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 2

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-
चींटी, घोड़ा, आवाज़, बिल, फ़ौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 3

प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफ़ा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए तो शब्द बनेगा ‘दफ़ा’ जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 4
उत्तर
 इन शब्दों के अर्थगत अंतर समझने के लिए इन वाक्य प्रयोगों को देखते हैं
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 5
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 6

निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए-
(क) आजकल ……………. बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को …………. दो। (सजा/सज़ा)
(ग) …………………. चीनी तो देना। (जरा/जरा)
(घ) माँ दही ………… भूल गई। (जमाना/जमाना)
(ङ) दोषी को …………………… दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर ………… था (तेज/तेज़)
उत्तर
(क) ज़माना
(ख) सजा
(ङ) सज़ा
(च) तेज।
(ग) ज़रा
(घ) जमाना

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
काठगोदाम के पास भीड़ क्यों इकट्ठी हो गई थी?
उत्तर
काठगोदाम के पास एक कुत्ते ने एक सुनार की उँगली काट खाई थी। वह चीखता भागता चला आ रहा था। उसने कुत्ते की पिछली टाँग पकड़ ली थी। और वह उसे मार रहा था। कुत्ता मार खाकर और भीड़ के डर से चिल्ला रहा था। ख्यूक्रिन और कुत्ते की आवाजें सुनकर लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई थी।

प्रश्न 2.
उँगली ठीक न होने की स्थिति में ख्यूक्रिन का नुकसान क्यों होता?
उत्तर
उँगली ठीक न होने पर ख्यूक्रिन हफ्ते भर तक काम न कर पाता। वह लकड़ी लेकर काम निपटाना चाहता था, जो काफ़ी पेचीदा था, यह काम पूरा न हो पाता।

प्रश्न 3.
कुत्ता क्यों किकिया रहा था?
उत्तर
ख्यूक्रिन ने कुत्ता द्वारा काटे जाने पर उसे मारा-पीटा था। उसने कुत्ते के पीछे दौड़ते हुए उसकी पिछली एक टाँग पकड़ ली थी। उसे तीन टाँगों के बल ही रेंगना पड़ रहा था। इसलिए वह डर के मारे किकियाने लगा था।

प्रश्न 4.
बाज़ार के चौराहे पर खामोशी क्यों थी?
उत्तर
बाजार ये ओचुमेलॉव सिपाही के साथ घूम रहा था। वह रिश्वतखोर, चापलूस तथा पक्षपाती था। वह लोगों की वस्तुएँ जब्त कर लेता या इसलिए चौराहे पर शांति थी।

प्रश्न 5.
जनरल साहब के बावर्ची ने कुत्ते के बारे में क्या बताया?
उत्तर
जनरल साहब के बावर्ची ने कहा-यह हमारा नहीं है। यह तो जनरल झिगालॉव के भाई साहब का है, जो थोड़ी देर पहले यहाँ पधारे हैं, अपने जनरल साहब को ‘बारजोयस’ नसल के कुत्तों में कोई दिलचस्पी नहीं है पर उनके भाई को यही नसल पसंद है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?
उत्तर
ख्यूक्रिन ने मुआवजा पाने के लिए दलील दी कि वह एक कामकाजी आदमी है और उसका काम पेचीदा किस्म का है। उसे मित्रिच से लकड़ी लेकर कुछ काम निपटाना था। कुत्ते ने अकारण उसकी उँगली को काट खाया, जिसके कारण अब एक हफ्ते तक उसकी उँगली काम करने लायक नहीं रही। इससे उसे काफ़ी नुकसान होगा। इसी आधार पर उसने कुत्ते के मालिक से मुआवजा दिलाने की प्रार्थना की।

प्रश्न 2.
ख्यूक्रिन ने ओचुमेलॉव को उँगती ऊपर उठाने का क्या कारण बताया?
उत्तर
ओचुमेलॉव एक इंसपेक्टर है जिसे एक सिपाही के साथ कानून व्यवस्था बनाए रखने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। वह अपने लाभ के लिए निर्दोष को दोषी और दोषी को निर्दोष बताने से कभी नहीं चूकता है। उसकी चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • वह भ्रष्ट और रिश्वतखोर पुलिसवाला है।
  • वह अवसरवादी है और मौके का लाभ उठाने से नहीं चूकता है।
  • वह चापलूस और चाटुकार है, जो जनरल को खुश करने की फिराक में रहता है।
  • वह निर्दयी एवं कठोर है और जनता को डराकर रखता है।
  • वह अपने स्वार्थ के लिए किसी स्तर तक गिरने को तैयार रहता है।

प्रश्न 3.
येल्दीरीन ने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए क्या कहा?
उत्तर
जब येल्दीरीन को पता चला कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है तो उसने ख्यूक्रिन को दोषी ठहराते हुए कहा कि वह जानता है कि ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है। इसने जरूर अपनी जलती हुई सिगरेट से कुत्ते की नाक जला दी होगी जिससे कुत्ते ने इसे काटा है। यदि कुत्ते ने इसे काटा है तो इसमें सारा दोष ख्यूक्रिन का ही है। कुत्ते का कोई दोष नहीं है।

प्रश्न 4.
ओचुमेलॉव ने जनरल साहब के पास यह संदेश क्यों भिजवाया होगा कि ‘उनसे कहना कि यह मुझे मिला और मैंने इसे वापस उनके पास भेजा है?
उत्तर
ओचुमेलॉव चाटुकार, अवसरवादी एवं पक्षपाती इंसपेक्टर था। वह भाई-भतीजावाद का पोषक था। वह जनरल की निगाह में अच्छा बनने के लिए उनका हितैषी बनकर उनका कृपापात्र बनना चाहता था। उसने पदोन्नति पाने के लिए ऐसा किया होगा।

प्रश्न 5.
भीड़ ख्यूक्रिन पर क्यों हँसने लगती है?
उत्तर
ख्यूक्रिन कुत्ते द्वारा काटे जाने पर मुआवजे की आशा करता है। इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को जब पता चलता है कि कुत्ता जनरल
साहब के भाई का है तो वह ख्यूक्रिन को ही दोष देता है और कुत्ते को पुचकारता है। उस समय ख्यूक्रिन के स्थान पर उसे एक जानवर अधिक प्यारा और अच्छा लगता है। ख्यूक्रिन की स्थिति उस कुत्ते से भी बदतर हो जाती है। ख्यूक्रिन की विवशता देखकर तथा इंस्पेक्टर के बदलते रूप और पक्षपाती कानून व्यवस्था पर भीड़ हँसने लगती है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
किसी कील-वील से उँगली छील ली होगी-ऐसा ओचुमेलॉव ने क्यों कहा?
उत्तर
ओचुमेलॉव एक चापलूस व अवसरवादी इंस्पेक्टर था। वह अवसर देखकर ही बातें करने वाला है और उसे प्रत्येक अवसर का लाभ उठाना भी आता है। जब उसे पता चलता है कि कुत्ता जनरल झिगालॉव के भाई साहब का है तो वह अपने आपको पूरी तरह बदल देता है। ख्यूक्रिन द्वारा शिकायत करने पर पहले तो वह कुत्ते के मालिक को दंड देने की बात तक करता है। लेकिन यह पता चलते ही कि यह कुत्ता जनरल साहब का है वह अपनी ही बात बदल देता है। वह उल्टा-ख्यूक्रिन पर ही दोष लगाता है कि उसने जानबूझकर कील से उँगुली छीली है और वह कुत्ते पर झूठा आरोप लगा रहा है। ओचुमेलॉव चापलूस किस्म का व्यक्ति है इसी कारण वह ख्यूक्रिन का कोई दोष न होते हुए भी उसी पर दोष लगाता है। वह जनरल झिगालॉव के कुत्ते को अच्छा बताकर उनकी चापलूसी करता है।

प्रश्न 2.
ओचुमेलॉव के चरित्र की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
ओचुमेलॉव एक भ्रष्ट पुलिस इंस्पेक्टर का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र है। वह गिरगिट की तरह रंग बदलता है उसकी नज़र दो बातों पर रहती है
(क) अपने शिकार पर।

(ख) अपने बड़े अधिकारियों को खुश करने पर। इसके लिए वह परिस्थिति के अनुसार रंग बदल लेता है। वह रिश्वतखोर
व्यक्ति है। यही कारण है कि जब वह अपने सिपाही के साथ बाजार में निकलता है तो चारों ओर खामोशी छा जाती है। वह लोगों से जबरदस्ती लूट-खसोट करने वाला व्यक्ति है। उसके चरित्र की विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  • वह एक भ्रष्ट और चालाक पुलिस वाला है। –
  • वह अवसरवादी है और मौका देखकर गिरगिट की तरह रंग बदलता है।
  • पद और आर्थिक हैसियत के आधार पर वह लोगों से व्यवहार करता है।
  • वह बेहद चापलूस और चाटुकार है।
  • वह निर्दयी और कठोर है। जनता में वह अपना आतंक फैलाकर रखता है। जब वह बाज़ार से गुजरता है तो लोग अंदर हो जाते हैं।
  • वह उच्च वर्ग के लोगों के प्रति विशेष अनुग्रह रखता है। उनके प्रति सदा वफादारी और हमदर्दी दिखाता है।
  • वह अपने लाभ के लिए किसी के साथ भी अन्याय कर सकता है।

प्रश्न 3.
यह जानने के बाद कि कुत्ता जनरल साहब के भाई का है-ओचुमेलॉव के विचारों में क्या परिवर्तन आया और क्यों?
उत्तर
ओचुमेलॉव के विचार और व्यवहार में ज़मीन-आसमान का अंतर आ गया। पहले वह कुत्ते को आवारा, कुत्ते के मालिक को दोषी तथा ख्यूक्रिन को बेचारा कह रहा था। अब वह कुत्ते को पुचकारने लगता है। वह उसे अत्यंत सुंदर डॉगी और अत्यंत खूबसूरत पिल्ला कहता है। ओचुमेलॉव उसे नन्हा-सा शैतान कहकर जनरल साहब के बावर्ची को सौंप देता है। उसके बाद वह उस व्यक्ति को धमकाता है जो कुत्ते के मालिक से हर्जाना चाहता है। वह उसे मारने-पीटने की धमकी देकर वहाँ से भगा देता है। ओचुमेलॉव में यह परिवर्तन इसलिए आया। क्योंकि

  • वह जानता था कि जनरल साहब व उनके भाई उच्च पद पर हैं।
  • वह उन्हें नाराज़ कर अपना नुकसान नहीं करना चाहता था। – वह जानता था कि उनसे कभी-न-कभी उसका कोई काम बन सकता है या उसे लाभ पहुँच सकता है। इसलिए वह हाथ
    में आए इस अवसर को खोना नहीं चाहता था।

प्रश्न 4.
ख्यूक्रिन का यह कथन कि ‘मेरा एक भाई भी पुलिस में है……। समाज की किस वास्तविकता की और संकेत करता है?
उत्तर
ख्यूक्रिन के इस कथन से समाज में फैली भाई-भतीजावाद की प्रवृत्ति का पता चलता है। ख्यूक्रिन अपने साथ न्याय न होता देखकर अपने भाई को पुलिस वाला बताने लगा। इस तरह वह ओचुमेलॉव व वहाँ उपस्थित लोगों पर रौब डालना चाहता है। इससे पता चलता है कि समाज में अराजकता, भ्रष्टाचार का साम्राज्य है। संपूर्ण शासन व्यवस्था पक्षपात और स्वार्थ का पर्याय बन गई है। समाज में कानून नहीं अपितु दबाव काम करता है। पुलिस का भय समाज को त्रस्त रखता है। इस कहानी से स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस निरपराधियों को सताती है व दोषियों की मदद करती है।

प्रश्न 5.
इस कहानी का शीर्षक ‘गिरगिट क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी के लिए कोई अन्य शीर्षक सुझा सकते हैं? अपने शीर्षक का आधार भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘गिरगिट’ एक ऐसा जीव होता है जो शत्रु से स्वयं को बचाने के लिए अपने आस-पास के वातावरण के अनुसार अपना रंग
बदल लेता है। प्रस्तुत कहानी का मुख्य पात्र ओचुमेलॉव भी ऐसा ही व्यक्ति है। वह अपने स्वार्थ के लिए परिस्थितियों के अनुसार अपनी बात, व्यवहार और दृष्टिकोण को बार-बार बदल लेता है। वह वास्तव में अवसरवादी है और गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला है। कभी वह आम आदमी के साथ हो जाता है तो कभी भाई-भतीजावादी और चापलूस बनकर कानून के साथ खिलवाड़ करता है। उसके व्यक्तित्व में स्थिरता नहीं है। जब तक ओचुमेलॉव को यह पता नहीं चलता कि काटने वाला कुत्ता जनरल साहब का या उनके भाई का है तब तक वह कुत्ते व उसके मालिक को कानूनी तौर पर सबक सिखाने को। निर्णय करता है। लेकिन जैसे ही उसे यह पता चलता है कि कुत्ता जनरल साहब का है। वैसे ही उसे कुत्ता खूबसूरत व बेकसूर नज़र आने लगता है। कहानी के लिए ‘गिरगिट’ शीर्षक उपयुक्त है। इसके अन्य शीर्षक हैं-चापलूस इंस्पेक्टर, अवसरवादी। ओचुमेलॉव के व्यक्तित्व की अस्थिरता व व्यवहार में आने वाले परिवर्तनों को प्रकट करने के लिए ये शीर्षक उचित हैं।

प्रश्न 6.
‘गिरगिट’ कहानी के माध्यम से समाज की किन विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में भी देखते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गिरगिट कहानी के माध्यम से समाज में व्याप्त भाई-भतीजावाद, न्याय की कमी, चापलूसी, अवसरवादिता जैसी विसंगतियों पर व्यंग्य किया गया है। लेखक ने बताया है कि आम आदमी का खास महत्त्व नहीं था। अवसर एवं परिस्थिति के अनुसार पुलिस अपना पाला बदल लेती है। जनसाधारण न्याय की अपेक्षा तो करता है परंतु स्वार्थ और उच्चाधिकारियों के दबाव के कारण वह न्याय से वंचित रह जाता है। हालात ऐसे हैं कि पीड़ित और निर्दोष को दोषी बताकर धमकाते हुए भगा देने जैसी घटनाओं पर व्यंग्य किया गया है। हाँ, हम भी ऐसी विसंगतियाँ अपने समाज में देखते हैं। ईमानदार तथा स्वच्छ छवि वाले लोग त्रस्त हैं और त्रस्त किए जा रहे हैं, जबकि बेईमान एवं भ्रष्ट नेता एवं अधिकारी दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करते जा रहे हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
उसकी आँसुओं से सनी आँखों में संकट और आतंक की गहरी छाप थी।
उत्तर
इस पंक्ति से लेखक को आशय यह है कि ख्यूक्रिन द्वारा मार खाए जाने पर कुत्ता घबरा गया था। उसे आभास हो चुका था कि उस पर गहरा संकट आने वाला है। कुत्ते के किकियाने की आवाज़ ज़ोर-ज़ोर से सुनाई देने लगी। उसकी आँसुओं से भरी आँखों में ख्यूक्रिन दुवारा मारे जाने के कारण संकट और भय के भाव थे। वह ऊपर से नीचे तक काँप रहा था। और ये भाव उसकी आँखों में साफ दिखाई दे रहे थे।

प्रश्न 2.
कानून सम्मत तो यही है… कि सब लोग अब बराबर हैं।
उत्तर
आशय यह है ख्यूक्रिन इंसपेक्टर को यह बताना चाहता था कि कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं, कोई छोटा या बड़ा नहीं। अपराध चाहे छोटा करे या बड़ा, दंड अवश्य ही मिलना चाहिए। ख्यूक्रिन कहता है कि उसके दोषी होने पर उस पर भी मुकदमा चलाया जाए, सभी के साथ समान व्यवहार हो और सभी को न्याय मिलना ही चाहिए, यह कानून सम्मत है।

प्रश्न 3.
हुजूर! यह तो जनशांति भंग हो जाने जैसा कुछ दीख रहा है।
उत्तर
यह कथन सिपाही येल्दीरीन का है। वह इंस्पेक्टर ओचुमेलॉव को भड़काना चाहता है। जब एक कुत्ते द्वारा काटे जाने पर
ख्यूक्रिन चिल्लाता है तो वहाँ भीड़ इकट्ठी हो जाती है। ख्यूक्रिन बुरी तरह मार रहा था और वह कुत्ता प्राणरक्षा के लिए चिल्ला रहा था। तभी येल्दीरीन ने ओयुमेलॉव से कहा कि इस भीड़ को देखकर ऐसा लगता है मानो जनविद्रोह होने वाला हो। शायद लोगों ने शांति का मार्ग छोड़कर विद्रोह का मार्ग अपना लिया है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाइए
(क) माँ ने पूछा बच्चों कहाँ जा रहे हो ।
उत्तर
माँ ने पूछा, “बच्चो! कहाँ जा रहे हो?”

(ख) घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।
उत्तर
घर के बाहर सारा सामान बिखरा पड़ा था।

(ग) हाय राम यह क्या हो गया
उत्तर
हाय राम! यह क्या हो गया?.

(घ) रीना सुहेल कविता और शेखर खेल रहे थे
उत्तर
रीना, सुहेल, कविता और शेखर खेल रहे थे।

(ङ) सिपाही ने कहा ठहर तुझे अभी मज़ा चखाता हूँ उत्तर
उत्तर
सिपाही ने कहा, “ठहर! तुझे अभी मज़ा चखाता हूँ।”

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए

  • मेरा एक भाई भी पुलिस में है।
  • यह तो अति सुंदर ‘डॉगी है।
  • कल ही मैंने बिलकुल इसी की तरह का एक कुत्ता उनके आँगन में देखा था।

वाक्य के रेखांकित अंश ‘निपात’ कहलाते हैं जो वाक्य के मुख्य अर्थ पर बल देते हैं। वाक्य में इनसे पता चलता है कि किस बात पर बल दिया जा रही है और वाक्य क्या अर्थ दे रहा है। वाक्य में जो अव्यय किसी शब्द या पद के बाद लगकर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करने में सहायता करते हैं उन्हें निपात कहते हैं; जैसे-ही, भी, तो, तक आदि । ही, भी, तो, तक आदि निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर
ही-कल तुमने ही उसे दिया था।
भी-आप कल भी अंग्रेजी अखबार दे जाना।
तो-तुमने तो अपना गृहकार्य नहीं किया।
तक-उसने मुझे बुलाया तक नहीं।

प्रश्न 3.
पाठ में आए मुहावरों में से पाँच मुहावरे छाँटकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर

  1. त्योरियाँ चढ़ाना-केशव के बिना पूछे फ़िल्म जाने पर माँ ने त्योरियाँ चढ़ा लीं।
  2.  मत्थे मढ़ना-मोहन ने अपना दोष राम के मत्थे मढ़ दिया।
  3. छुट्टी करना-यदि साहब आ गए तो हम सब की छुट्टी कर देंगे।
  4. गाँठ बाँध लेना-मेरी बात गाँठ बाँध लो बेईमानी की कमाई ज्यादा समय नहीं चलती।
  5. मजा चखाना-मैं तुम्हें तुम्हारी ढिठाई का मज़ा चखाकर रहूँगा।

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 2

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 4

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित पदबंध का प्रकार बताइए-
(क) दुकानों में उँघते हुए चेहरे बाहर झाँके।
उत्तर
संज्ञा पदबंध

(ख) लाल बालोंवाला एक सिपाही चला आ रहा था।
उत्तर
विशेषण पदबंध

(ग) यह ख्यूक्रिन हमेशा कोई न कोई शरारत करता रहता है।
उत्तर
क्रिया पदबंध

(घ) एक कुत्ता तीन टाँगों के बल रेंगता चला आ रहा था।
उत्तर
क्रियाविशेषण पदबंध।

प्रश्न 7.
आपके मोहल्ले में लावारिस/आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिससे आने-जाने वाले लोगों को असुविधा होती है। अतः लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर
परीक्षा भवन
नई दिल्ली-110064
10.दिसंबर.20XX
श्रीमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय
दिल्ली नगर निगम
नई दिल्ली
विषय-लोगों की असुविधाओं को दूर करने हेतु।
महाशय
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने मोहल्ले में बढ़ती लावारिस और आवारा कुत्तों की संख्या की ओर दिलाना चाहता हूँ।
ये कुत्ते हर आने-जाने वाले यहाँ तक कि मोहल्ले के लोगों पर बिना कारण भौंकते रहते हैं और काटने को दौड़ते हैं। इन कुत्तों के कारण छोटे बच्चों और बूढ़े लोगों को विशेष परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई बार तो ये कुत्ते आने-जाने वाले लोगों की खाने-पीने की चीजों पर भी झपट पड़ते हैं। इससे सारे मोहल्ले में आतंक सा छा गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि इन लावारिस और आवारा कुत्तों को पकड़वाने का कष्ट करें ताकि लोग चैन की साँस ले सके। हम मोहल्लेवासी आपके अति आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
अब०स०
वार्ड नं. 75, क०ख०ग० नगरी, नई दिल्ली

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ नामक फ़िल्म को निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है|

  • राष्ट्रपति स्वर्णपदक
  • बंगला जर्नलिस्ट ऐसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार
  • मास्को फ़िल्म फेस्टिवल पुरस्कार।

प्रश्न 2.
शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर
शैलेंद्र मूलतः गीतकार थे, फ़िल्म निर्माता नहीं। उन्होंने अपने जीवन में केवल एक ही फ़िल्म बनाई वह थी-तीसरी कसम।

प्रश्न 3.
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए।
उत्तर
राजकपूर ने अनेक फ़िल्मों का निर्माण किया। जिसमें प्रमुख है-मेरा नाम जोकर, संगम, सत्यम् शिवम् सुंदरम्, अजंता, मैं और मेरा दोस्त, जागते रहो आदि।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक थे-राजकपूर, जिन्होंने हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई। इस फ़िल्म की नायिका थी-वहीदा रहमान जिन्होंने नौटंकी वाली हीराबाई का चरित्र निभाया।

प्रश्न 5.
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण गीतकार व कवि शैलेंद्र ने किया था।

प्रश्न 6.
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ नामक फ़िल्म बनाते समय इस बात की कल्पना भी नहीं की होगी कि इस फ़िल्म का एकभाग बनाने में ही छह साल का लंबा समय लग जाएगा।

प्रश्न 7.
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ की कहानी सुनने के बाद राजकपूर ने अपना पारिश्रमिक एडवांस माँगा। यह सुनकर शैलेंद्र का चेहरा उतर | गया। उनको राजकपूर से यह उम्मीद नहीं थी कि वे जिंदगी भर की दोस्ती का यह बदला देंगे।

प्रश्न 8.
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को उच्चकोटि का कलाकार मानते थे। उन्हें फ़िल्म जगत का अच्छा अनुभव था। वे अभिनय के सूक्ष्म भावों को आँखों से व्यक्त कर देते थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में ) लिखिए

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
उत्तर
सैल्यूलाइड का अर्थ है-फ़िल्म को कैमरे की रील में उतारकर चित्र प्रस्तुत करना। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता इसलिए कहा गया है क्योंकि यह फ़िल्म कविता के समान कोमल भावनाओं से पूर्ण एक सार्थक फ़िल्म है। | इस फ़िल्म की मार्मिकता कविता के समान है। इस फ़िल्म को देखकर कविता जैसी अनुभूति होती है।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर
तीसरी फ़िल्म का निर्माण शैलेंद्र ने पैसा और यश कमाने के लिए न करके आत्मसंतुष्टि के लिए किया था। इसमें मूल साहित्य से न कोई छेड़-छाड़ की गई थी और न लोक-लुभावन मसालों का प्रयोग किया था। इसमें करुणा का भाव इस तरह भरा गया था कि भावनात्मक शोषण न हो। ऐसी साहित्यिक फ़िल्म को इसलिए खरीददार नहीं मिले।

प्रश्न 3.
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों में परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनके मानसिक स्तर को ऊपर उठाए। वह लोगों में जागृति लाए और उनमें अच्छे-बुरे की समझ को विकसित करे। वह उपभोक्ता रुचियों में सुधार लाने का प्रयत्न करे, उन्हें ऊँचा उठाए।

प्रश्न 4.
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफाई इसलिए कर दिया जाता है ताकि दर्शक ऐसे दृश्यों को देखने के लिए सिनेमाहाल की ओर खिंचे चले आएँ और फ़िल्म निर्माता अधिकाधिक लाभ कमा सके।

प्रश्न 5.
“शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं-इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
शैलेंद्र मूलतः एक कवि और गीतकार थे और राजकपूर की फ़िल्मों के लिए गीत लिखा करते थे। राजकपूर व शैलेंद्र अनन्य सहयोगी थे। उनमें गहन मित्रता थी। शैलेंद्र ने जब अपनी पहली फिल्म बनाने का निर्णय लिया तो उन्होंने राजकपूर को उसमें काम करने के लिए आमंत्रित किया। शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं, ऐसा इसलिए कहा जाता है कि इस फिल्म में शैलेंद्र ने बड़ी कुशलता व सौंदर्यपूर्ण ढंग से राजकपूर के भावों को अभिव्यक्ति प्रदान की है। कलो मर्मज्ञ राजकपूर को आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे। राजकपूर फ़िल्मों के माध्यम से जो भी कहना चाहते थे उन सभी भावनाओं को शैलेंद्र संवाद व गीतों के माध्यम से प्रकट कर देते थे। राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व फ़िल्मों में निभाए गए पात्र में पूरी तरह समा जाते थे। फ़िल्म को देखकर कोई भी राजकपूर की भावनाओं को पढ़ सकता था।

प्रश्न 6.
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर
शोमैन से तात्पर्य है-अत्यंत प्रसिद्ध और आकर्षक व्यक्तित्व। राजकपूर अपनी अभिनय कला, गुण व्यक्तित्व आदि के कारण विख्यात एवं लोकप्रिय हो चुके थे। वे भारत में ही नहीं अपितु बाहर के दर्शकों के बीच भी खूब लोकप्रिय थे।

प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘श्री 420′ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर
फ़िल्म ‘श्री 420′ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की क्योंकि उनका मानना था कि दर्शक चार दिशाएँ तो समझते हैं लेकिन दस दिशाओं का गहन ज्ञान दर्शकों को नहीं होता। उनके अनुसार साहित्यिक व्यक्तियों व जन सामान्य की सोच में अंतर होता है। कहानी या गीत लिखते समय उसका दर्शकों के साथ तालमेल होना जरूरी है ताकि वे दर्शकों की भावनाओं को छू सके। शैलेंद्र इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए क्योंकि वे दर्शकों की रुचि की आड़ में उन पर उथलापन थोपना नहीं चाहते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर
राजकपूर फ़िल्म जगत में एक उच्चकोटि के फिल्म निर्माता व निदेशक थे। वे जानते थे कि शैलेंद्र फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में अनुभवहीन हैं। उन्होंने एक सच्चे मित्र व हितैषी के रूप में शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह कर दिया था, परंतु शैलेंद्र ने फ़िल्म की असफलता के खतरों से परिचित होने पर भी फ़िल्म इसलिए बनाई क्योंकि उनके मन में इस कलात्मक फ़िल्म को बनाने की तीव्र लालसा थी। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। वे फ़िल्म में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करना चाहते थे। उन्हें अपार धन-दौलत व यश की कामना नहीं थी वे केवल अपनी आत्मा की संतुष्टि चाहते थे। ऐसा नहीं था कि शैलेंद्र फ़िल्म उद्योग के नियम-कानून नहीं जानते थे परंतु वे उन नियमों से बँधकर अपने अंदर के कलाकार को नष्ट नहीं करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में अभिनेता हैं राजकपूर, जिन्होंने हीरामन नामक गाड़ीवान की भूमिका निभाई जो भुच्च देहाती है। जिस समय राजकपूर यह भूमिका निभा रहे थे उस समय तक वे ख्याति प्राप्त अभिनेता के रूप में जाने पहचाने जाते थे पर राजकपूर ने इतना सशक्त अभिनय किया कि लगता था जैसे राजकपूर स्वयं हीरामन हो। इसके अलावा वे हीराबाई नामक पात्र पर पूरी तरह रीझ जाते हैं। इस तरह उनका महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर जाता है।

प्रश्न 3.
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म साहित्यिक रचना पर आधारित थी। इस फ़िल्म से पहले भी साहित्यिक रचनाओं पर आधारित फ़िल्में बनती रहती थीं। उन फ़िल्मों में साहित्यिक रचना की मूल कथा में कुछ काल्पनिक तत्त्वों का समावेश करके उसे मनोरंजक बनाया जाता था। उन फिल्मों का उद्देश्य दर्शकों की रुचि के अनुरूप सामग्री डालकर धन कमाना होता था किंतु ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में ऐसा नहीं था। इस फ़िल्म में मूल साहित्यिक रचना को उसी रूप में प्रस्तुत किया गया। उसमें दर्शकों के लिए किसी प्रकार के काल्पनिक व मनोरंजक तत्वों को नहीं डाला गया जिससे उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ न हो सके। शैलेंद्र तथा अन्य सभी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा के माध्यम से इस रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है तथा कथा की भावनात्मकता तथा आत्मा को संर्पूणता के साथ प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 4.
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
शैलेंद्र गीतकार होने के साथ ही कवि हृदय भी रखते थे, जिससे उनके गीतों में भाव प्रवणता होती थी। उनके गीतों में संवेदना तो होती थी पर दुरूहता नहीं होती थी। उनके गीतों में लोकजीवन तत्व मौजूद होता था जिससे उनके गीतों को अधिकांश लोग पसंद करते थे। इसके अलावा वे अपने गीत केवल अभिजात्य वर्ग के लिए ही नहीं लिखते थे बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए लिखते थे। उनके गीतों में बसी करुणा में भी प्रेरणा होती है जो उत्साहित करती है।

प्रश्न 5.
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
फिल्म निर्माता के रूप में तीसरी कसम’ शैलेंद्र की पहली और अंतिम फ़िल्म थी। उन्होंने इस फ़िल्म का निर्माण पैसा कमाने के उद्देश्य से नहीं किया था। वे एक आदर्शवादी भावुक कवि थे। उन्होंने तो आत्म-संतुष्टि के लिए फ़िल्म बनाई थी। शैलेंद्र फ़िल्म की असफलता से होनेवाले खतरों से परिचित थे। फिर भी उन्होंने शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म बनाकर साहसी फ़िल्म निर्माता होने का परिचय दिया। शैलेंद्र एक मानवतावादी फ़िल्म निर्माता थे। उन्होंने फ़िल्म उद्योग में रहते हुए भी अपनी आदमियत नहीं खोई थी। शैलेंद्र ने तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण पूरी तरह साहित्यिक रचना के अनुसार करके उसके साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है। वे चाहते तो इसमें फेर-बदल करके उसे अधिक मनोरंजक बना सकते थे। उन्होंने फ़िल्म के असफल होने के डर से घबराकर सिद्धांतों के साथ कोई समझौता नहीं किया। इस प्रकार वे एक आदर्श फिल्म निर्माता के रूप में सामने आए।

प्रश्न 6.
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
गीतकार शैलेंद्र अपने जीवन में गंभीर और शांत व्यक्तित्व रहे हैं। वे अपने गीतों में श्रोताओं की रुचि को ध्यान में रखकर गीत नहीं लिखते थे। वे श्रोताओं की रुचि का परिष्कार करने के पक्षधर थे। उन्हें धन और यश लिप्सा की नहीं बल्कि आत्म संतुष्टि की चाह थी। उनके जीवन की यही छाप उनके द्वारा बनाई गई फ़िल्म तीसरी कसम में भी झलकती है। उन्होंने व्यावसायिकता से दूर रहकर यह फ़िल्म बनाई है।

प्रश्न 7.
लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
लेखक के इस कथन से हम पूर्णतः सहमत हैं कि तीसरी कसम फ़िल्म को कोई कवि हृदय ही बना सकता है। एक कवि का हृदय शांत, भावुक व संवेदनशील होता है इसलिए संवेदना की गहराइयों से पूर्ण भावुकता को स्वयं में समेटे तीसरी कसम एक कवि हृदय द्वारा निर्मित फ़िल्म थी। जिसे न तो धन का लोभ था और न ही दर्शकों की भीड़ की चाह थी, उन्हें केवल आत्मसंतुष्टि की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में नायक और नायिका के मनोभावों को प्रस्तुत करने के लिए एक कवि-हृदय की ही आवश्यकता थी। शैलेंद्र उन कोमल अनुभूतियों को बारीकी से समझते थे और उन्हें प्रस्तुत करने में सक्षम थे। फ़िल्म को देखकर ऐसा लगता है मानो ये साहित्य की मार्मिक कृति है जिसे कलाकारों ने पूरी ईमानदारी व मनोयोग से परदे पर उतारा है। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में शैलेंद्र ने व्यवसायिक खतरों को उठाया। उसमें गहरी कलात्मकता को पिरो दिया। उसमें उन्होंने करुणा और संघर्षशीलता को स्थान दिया। उन्होंने अपने पात्रों से आँखों की भाषा में अभिव्यक्ति कराई। इस । फ़िल्म में कोमल भावनाओं की प्रधानता होने के कारण ही लेखक ने कहा है कि इसे कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
… वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्मसंतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर
शैलेंद्र सच्चे अर्थों में कलाकार थे। वे एक आदर्शवादी, भावुक कवि हृदय थे। उन्होंने भावनाओं, संवेदनाओं और साहित्य की विधाओं के आधार पर तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण किया था। राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलताओं से आगाह किए जाने पर भी उन्होंने फ़िल्म का निर्माण किया क्योंकि उन्हें अपार संपत्ति और लोकप्रियता की इतनी कामना नहीं थी। जितनी आत्मसंतुष्टि व मानसिक शांति की थी। जीवन-मूल्यों में विश्वास रखनेवाले कवि शैलेंद्र ने तीसरी कसम जैसी फ़िल्म का निर्माण आत्मसुख के लिए किंया था जिसमें वे सफल रहे थे।

प्रश्न 2.
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयल करें।
उत्तर
प्रायः देखा जाता है कि अपने गानों को लोकप्रिय बनाने और व्यावसायिकता से प्रभावित होने के कारण गीतकार श्रोताओं के सामने ऐसे गीत परोसते हैं जिनमें उथलापन होता है। इससे दर्शक और श्रोता की रुचि बुरी तरह प्रभावित होती है, पर शैलेंद्र दर्शकों की रुचि के आड़ में उथलापन परोसने से बचना चाहते थे। इसके विपरीत वे दर्शकों के समक्ष कुछ ऐसा रखना चाहते थे जिससे उनकी रुचि में परिष्कार हो।

प्रश्न 3.
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर
लेखक के अनुसार हमारी जिंदगी में दुख तकलीफें तो आती ही रहती हैं परंतु हमें उन दुखों से हार नहीं मानना चाहिए। जीवन की कठिनाइयों का साहसपूर्वक सामना करके उन पर काबू पाना चाहिए। यदि व्यथा या करुणा को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाए तो वह मनुष्य को परास्त या निराश नहीं करती। वह मनुष्य को आगे-ही-आगे कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है। शैलेंद्र के गीतों के माध्यम से यह सीख मिलती है कि हमें दुख की घड़ी में भी निराशा का दामन छोड़कर आशावादी बनना चाहिए और निरंतर आगे बढ़ना चाहिए।

प्रश्न 4.
दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म का निर्माण धन या यश कमाने के उद्देश्य से नहीं किया गया था। इसे व्यावसायिकता से मुक्त रखा गया था। इसमें संवेदनशीलता, भावप्रवणता, साहित्यिक गहराई थी जिसे पैसे से पैसा बनाने वाले लोग नहीं समझ सकते थे। वे तो चमक-दमक वाली मसाले और लटके-झटके से युक्त कमाई वाली फ़िल्मों को ही श्रेष्ठ समझते हैं।

प्रश्न 5.
उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर
शैलेंद्र एक संवेदनशील और आदर्शवादी कवि थे। उनके गीत बहुत गहरे और भावनापूर्ण होते थे परंतु उनमें कठिनता नहीं होती थी। वे बिलकुल सहज-सरल और प्रवाहपूर्ण होते थे। वे गीत भावों और विचारों की गहराई लिए हुए समाज को संदेश देने वाले होते थे। अर्थात् शैलेंद्र के गीतों में भावनाओं की अधिकता थी लेकिन उन भावनाओं को व्यक्त करने वाली भाषा बेहद सरल व आम बोलचाल की भाषा थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जाननेवाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।
उत्तर
स्वयं करें

प्रश्न 2.
इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए
(क) “तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।
उत्तर
स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना।।
उत्तर
चेहरा मुरझाना-जैसे ही उसने लॉटरी का परिणाम समाचार पत्र में देखा उसका चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जाना-दसवीं परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने का समाचार सुनकर वह चक्कर खा गई।
दो से चार बनाना-आजकल क्रिकेट के खेल में खिलाड़ियों से अधिक सट्टेबाज रुचि लेते हैं जिनका काम दो से चार बनाना है।
आँखों से बोलना-तीसरी कसम में अभिनेत्री वहीदा रहमान अपने प्रेम को शब्दों से नहीं आँखों से बोलकर प्रकट करती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 2

प्रश्न 5.
निम्नलिखित का संधि-विच्छेद कीजिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 4

प्रश्न 6.
निम्नलिखित का समास-विग्रह कीजिए और समासे का नाम भी लिखिए
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 5
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 6

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 नेताजी का चश्मा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग इसलिए कैप्टन कहते थे, क्योंकि

  1. उसके मन में देशभक्ति एवं देश-प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
  2. वह नेताजी के प्रति अपार श्रद्धा रखता था।
  3. नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति उसे आहत करती थी।
  4. वह अपने हृदय में देश के लिए त्याग एवं समर्पण की भावना किसी फौजी कैप्टन के समान ही रखता था। यद्यपि उसका व्यक्तित्व किसी सेनानी जैसा तो नहीं था पर उपर्युक्त गुणों के कारण लोग उसे कैप्टन कहते थे।

प्रश्न 2.
हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब किस बात पर भावुक हो उठे?
उत्तर

  1. हालदार साहब पहले यह सोचकर मायूस हो रहे थे कि कस्बे के चौराहे पर बिना चश्मेवाली सुभाष की मूर्ति होगी। मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कैप्टन मर चुकी है। अब सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाला कोई न होगा। अब मूर्ति की आँखों पर चश्मा न होगा।
  2. मूर्ति पर चश्मा है भले ही सरकंडे का है। इससे पता चलता है कि लोगों में देशभक्तों के प्रति श्रद्धा खत्म नहीं हुई है। हालदार की सोच में सरकंडे का चश्मा किसी बच्चे की सोच का परिणाम है। यह उम्मीद जगाता है कि नई पीढ़ी के बच्चों में भी देशभक्ति एवं देशभक्तों के प्रति आदर एवं श्रद्धा की भावना विद्यमान है।
  3. हालदार साहब निराश थे कि सुभाष की मूर्ति पर चश्मा नहीं होगा। परंतु मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर उनकी निराशा आशा में परिवर्तित हो गई कि बच्चों में भी देशभक्तों के प्रति श्रद्धा विद्यमान है। वे बच्चों में देशभक्ति की भावना देखते हैं। इस बात से वे भावुक हो उठे।

प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए-
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम को जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर
हालदार साहब लोगों में देशभक्ति की घटती हुई भावना से आहत होकर कहते हैं-जिन लोगों ने देश के लिए अपना संपूर्ण जीवन बलिदान कर दिया है, ऐसे देशभक्तों का लोग उपहास करते हैं। ऐसे लोगों के लिए स्वार्थ ही महत्त्वपूर्ण है। जिसके लिए संपूर्ण मर्यादा त्यागने के लिए तत्पर रहते हैं। आज उन लोगों की कमी नहीं है जो उन देशभक्तों को भी भूल चुके हैं जो अपना घर-परिवार, रिश्तेदार, अपना यौवन यहाँ तक कि अपना जीवन भी कुर्बान कर चुके हैं।

प्रश्न 4.
पानवाले का रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
पानवाला; जिसकी कस्बे के चौराहे पर पान की दुकान है। उस दुकान पर प्रायः हालदार साहब पान खाते हैं। पानवाला स्वभाव से खुशमिज़ाज़ है। वह मोटा तथा काला है। उसके मुँह में पान हुँसा ही रहता है। उसकी भारी-भरकम तोंद है। पान ठुसे रहने से बत्तीसी लाल-काली है। वह वाक्पटु है तथा व्यंग्यात्मक भाषा बोलता है। कैप्टन के बारे में पूछने पर उपहास करता हुआ ही नजर आता है। कहता है कि वह लँगड़ा क्या फौज में जाएगा? वह तो पागल है।

वह सहृदय और भावुक भी है। कैप्टन की मौत हो जाने पर हालदार साहब द्वारा कैप्टन के बारे में पूछने पर पानवाला उदास हो जाता है। उसकी आँखें भर आती हैं।

प्रश्न 5.
“वह लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल !”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर
कैप्टन के प्रति पानवाले की टिप्पणी उसके संकीर्ण सोच को प्रकट करती है। कैप्टन जो सहानुभूति एवं सम्मान का पात्र था उसी का इस तरह उपहास करना उचित नहीं है। वह अपनी छोटी-सी दुकान से देशभक्त सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाकर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करता था।

कैप्टन शारीरिक रूप से अपंग और मरियल होते हुए भी देशभक्ति की भावना रखता था। अतः पानवाले की उक्त टिप्पणी निंदनीय है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं?
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-“साहब! कैप्टन
मर गया।”
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर

  1. हालदार साहब के मन में अवश्य ही देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना थी जो सुभाष की मूर्ति को देखकर प्रबल हो उठती थी। देश के लिए सुभाष के किए कार्यों को यादकर उनके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती थी। इस कारण हालदार साहब चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को निहारते रहते थे।
  2. जो पानवाला कभी कैप्टन का उपहास करता था, यहाँ तक कि अधिक देर तक कैप्टन के बारे में बातें करना उसे अच्छा नहीं लगता था वही पानवाला कैप्टन की मौत पर भावुक हो उठा। उसकी आँखें नम हो गईं, गला भर आया। आँखें पोंछते हुए उदास मन से बताया कि कैप्टन मर गया। इस भावना से स्पष्ट है। कि पानवाला जितना खुशमिज़ाज़ था उतना ही सहृदय भी था।
  3. कैप्टन के हृदय में देश-प्रेम और देशभक्ति की प्रगाढ़ भावना भरी थी। उसमें देशभक्तों के प्रति आस्था थी; उनके प्रति सम्मान था। कैप्टन मूर्तिकार की भूल को चश्मा लगाकर सुधार रहा था। उसे भी बिना चश्मे की सुभाष की मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी। अतः कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

प्रश्न 7.
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर
हालदार साहब कैप्टन को देखने से पहले समझ रहे होंगे कि कैप्टन प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी होगा जिसमें सुभाष की आजाद-हिंद-फौज के सिपाही जैसी अनुशासित छवि होगी। शारीरिक रूप से बलिष्ट होगा और उसके प्रति लोगों में विशेष सम्मान होगा। समाज में अवश्य ही उसकी अलग पहचान होगी जो सबके द्वारा सराहनीय होगी। इस तरह हालदार साहब के मानस पटल पर ऐसे ही सैनिक व्यक्तित्व की छवि विराजमान रही होगी।

प्रश्न 8.
कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी-न-किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है-
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे |.. और क्यों? … .
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर
(क) प्रमुख स्थानों पर विशिष्ट, अनुकरणीय महापुरुष की मूर्ति लगाने की परंपरा रही है। यह परंपरा स्थान के महत्त्व और सुंदरता तक सीमित नहीं है, अपितु उसके निश्चित उद्देश्य रहे हैं

  1. मूर्ति हमें प्रेरणा देती है कि उस महापुरुष के बारे में जानें और उनसे अनुप्रेरित हों।
  2. उस महान पुरुषं से शिक्षा लें और उस संस्कृति को बनाए रखें।
  3. उस महापुरुष के द्वारा समाज, संस्कृति और देश के प्रति किए योगदानों की लोगों के मध्ये चर्चा करें। भावी पीढ़ी को जानकारी मिलती रहे और वे गौरवान्वित हों।

(ख) हम अपने इलाके में आचार्य चाणक्य की प्रतिमा लगवाना चाहेंगे जो सर्वथा संपूर्ण राष्ट्रीय-चेतना के आधार थे। उनकी योजनाएँ ऐसी थीं कि प्रकृति भी चाहकर असफल नहीं कर सकी । उनका ऐसा चिंतन था जिससे दूसरे दाँतों तले अँगुली दबाने के लिए विवश थे। साहस के ऐसे धनी थे कि शत्रु समुदाय भी विरोध करने लिए तैयार नहीं होता था। उनके संकल्प की तुलना कोई नहीं कर सकता था। वे अभावों में भी संकल्प को पूरा करने में समर्थ थे। ऐसे आचार्य सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं।

(ग) उस मूर्ति के प्रति हमारा दायित्व यह होगा कि जिसे महापुरुष की मूर्ति है, उस महापुरुष के बारे में यथा समय लोगों को परिचित कराएँ । मूर्ति की स्थापना स्थल परे समय-समय पर विविध प्रकार के आयोजन करते रहें। लोग उस महापुरुष को राष्ट्रीय गौरव के रूप में जानें और उनका सम्मान करें। किसी भी स्थिति में उसका अपमान न होने दें और मूर्ति के सौंदर्य को भी बनाए रखें।

प्रश्न 9.
सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देशप्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी-न-किसी रूप में देशप्रेम प्रकट करते हैं; जैसे-सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत् से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर
हम सब निम्नलिखित कार्यों द्वारा देशप्रेम प्रकट कर सकते हैं बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम में सहयोग देना, जल स्रोत के आसपास गंदगी ने फैलाना, पूजा-अर्चना, यज्ञ-हवन आदि के उपरांत जली-अधजली सामग्री एवं राख को नदियों में न फेंकना, शवों को नदियों में प्रवाहित न करना, सार्वजनिक वस्तुओं का मिल-जुलकर उपयोग करना तथा उन्हें स्वच्छ रखना, उन्हें तोड़-फोड़ से बचाना, देश की एकता अखंडता पर आँच न आने देना, समाज एवं देश की प्रगति में योगदान देना, शहीदों तथा स्वाधीनता सेनानियों के प्रति आदर भाव रखना, लोगों के बीच समरसता फैलाना आदि ।

प्रश्न 10.
निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन | पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए-
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े, चौखट चाहिए, तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर
मानो कोई ग्राहक आ गया। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे देता है और मूर्ति पर दूसरा फ्रेम लगा देता है।

प्रश्न 11.
“भई खूब! क्या आइडिया है।” इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर
जब दूसरी भाषाओं के प्रचलित शब्द अपनी भाषा में यथास्थान सहज रूप से आ जाते हैं तो भाषा दुरूहता से बच जाती हैं। भाव को समझने में सहजता होती है। दूसरी भाषाओं के सहज प्रयोग से भाषा में लचीलापन आ जाता है। इस प्रकार दूसरे शब्द भी भाषा में ऐसे समा जाते हैं कि उसी भाषा के प्रतीत होने लगते हैं।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए
(क) नगरपालिका थी तो कुछ-न-कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा। ।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।
उत्तर
(क) तो, भी

  1. मंत्री महोदय तो आज भी आ रहे हैं।
  2. महात्मा तो चले गए।
  3. राम के साथ लक्ष्मण भी बन गए।

(ख) ही

  1. उन्हें भी आज ही आना है।
  2. भरत के पास सीता ही जाएँगी।

(ग) तो

  1. यह तो राम जैसे ही प्रतीत हो रहे हैं।
  2. आज तो गुरु-पूर्णिमा है।

(घ) भी

  1. लक्ष्मण भी यही कह रहे थे।
  2. मुनि अभी भी नहीं समझ रहे हैं।

(ङ) तक

  1. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।
  2. यहाँ से नदी के किनारे तक जंगल-ही-जंगल है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।
(घ) ड्राइवर ने ज़ोर से ब्रेक मारे।
(ङ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर
(क) उसके द्वारा अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमों में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाले दुवारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले द्वारा साफ बता दिया गया था।
(घ) ड्राइवर दुवारा जोर से ब्रेक मारे गए।
(ङ) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(च) हालदार साहब द्वारा चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

प्रश्न 14.
नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिएजैसे-अब चलते हैं। अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर
(क) माँ से बैठा नहीं जाता।।
(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोया जाए।
(घ) माँ से रोया भी नहीं जाता।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
लेखक का अनुमान है कि नेताजी की मूर्ति बनाने का काम मजबूरी में ही स्थानीय कलाकार को दिया गया
(क) मूर्ति बनाने का काम मिलने पर कलाकार के क्या भाव रहे होंगे?
(ख) हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों के काम को कैसे महत्त्व और प्रोत्साहन दे सकते हैं, लिखें।
उत्तर

  1. कलाकार की सोच रही होगी कि वह पूरी तन्मयता और मेहनत से मूर्ति को बनाएगी ताकि सभी लोग उसकी सराहना करें। इस मूर्ति के निर्माण से उसे प्रसिद्धि मिलेगी। इस तरह मूर्तिकार के रूप में यश मिलेगा। ऐसी कल्पनाएँ उसके मन में उठ रही होंगी।
  2.  हम अपने इलाके के शिल्पकार, संगीतकार, चित्रकार एवं दूसरे कलाकारों को अपने आयोजनों में बुलाकर, उन्हें अवसर देकर, उनकी सराहना कर, उन्हें उचित पारिश्रमिक देकर उनके मनोबल को बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण विद्यार्थी हैं। उनके लिए विद्यालय परिसर और कक्षा-कक्ष में किस तरह के प्रावधान किए जाएँ, प्रशासन को इस संदर्भ
में पत्र द्वारा सुझाव दीजिए।
उत्तर
सेवा में,
शिक्षा निदेशक महोदय
शिक्षा निदेशालय
पुराना सचिवालय, दिल्ली।
विषय-विद्यालय में शारीरिक रूप से चुनौती-पूर्ण विद्यार्थियों के लिए सुव्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र ।
महोदय,
निवेदन है कि भाग्य की विडंबना से ऐसे कई छात्र विद्यालय में पढ़ते हैं जिनकी इच्छाशक्ति तो प्रबल है किंतु वे शारीरिक रूप से विपन्न हैं। शारीरिक विपन्नता की चिंता किए बिना वे इतने साहसी हैं कि केवल विद्यालय में आते ही नहीं हैं अपितु विद्यालय की प्रत्येक स्पर्धा में भाग भी लेते हैं।
अतः उनके प्रति सहानुभूति रखते हुए ऐसे छात्रों की कक्षाएँ भूतल पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, जिससे वे व्हील-चेयर के माध्यम से विद्यालय-कक्ष में सरलता से प्रवेश कर सकें। साथ ही समुचित मार्ग निर्माण की भी जरूरत है। उनके लिए उनके ही अनुरूप शौचालय की भी आवश्यकता है।
मैं पूर्ण आशान्वित हूँ कि इस विषय पर आप गंभीरता से विचार करेंगे।
सधन्यवाद
भवदीय
शशांक शर्मा
कक्षा 10
राजकीय सर्वोदय विद्यालय
आनंद विहार, नई दिल्ली–110092
7 जुलाई 20 …

प्रश्न 3.
कैप्टन फेरी लगाता था। फेरीवाले हमारे दिन-प्रतिदिन की बहुत-सी ज़रूरतों को – आसान बना देते हैं। फेरीवालों के योगदान व समस्याओं पर एक संपादकीय लेख तैयार कीजिए। तैयार कीजिए।
उत्तर
फेरीवालों को समाज में सम्मान प्राप्त नहीं है। फेरीवाले फेरी लगाने में विशेष रुचि भी नहीं रखते हैं। वे भी एक स्थायी व्यवसाय के लिए एक स्थिर स्थान, दुकान की कल्पना करते हैं। धन के अभाव में फेरी लगाना उनकी विवशता है। फेरीवाले अपने सामान को साइकिलों पर, या कंधों पर लादे हुए सामान बेचने की इच्छा से नए-नए स्थान तलाशते रहते हैं, जिससे उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आज यहाँ आए हैं, कल कहाँ जाएँगे, कुछ पता नहीं होता है। स्थान निश्चित न होने के कारण लोगों का इन पर विश्वास भी नहीं होता है। इससे फेरीवाले अपने सामान के बिकने के प्रति संदिग्ध रहते हैं। ये फेरीवाले गाँवों के दूर-दराज क्षेत्रों में लोगों की आवश्यक वस्तुओं को उन तक पहुँचाते हैं फिर भी लोग उन्हें विशेष सम्मान नहीं देते हैं |

प्रश्न 4.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन तथा स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए किए गए उनके प्रयासों से संबंधित कुछ तथ्य नीचे दिए हैं। विद्यार्थी इनकी मदद से प्रोजेक्ट तैयार करें।
नाम-सुभाषचंद्र बोस
उपनाम-नेताजी
जन्म-23 जनवरी, 1897 को कटक (उड़ीसा) में।
पिता का नाम-श्री जानकीदास, एक प्रसिद्ध वकील ।
शिक्षा-

  • बचपन से ही मेधावी तथा प्रथम श्रेणी में एंट्रेस परीक्षा उत्तीर्ण ।
  • कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश किंतु अंग्रेज़ प्राध्यापक द्वारा भारतीय विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर विरोध करने के कारण कॉलेज से निष्कासित।। निष्कासित ।
  • कलकत्ता विश्वविद्यालय से अच्छे अंकों के साथ बी.ए. उत्तीर्ण, बाद में आई. सी.एस. में चयनित।
  • आई.सी.एस. से त्यागपत्र तथा भारत आगमन। स्वाधीनता-प्राप्ति हेतु किए गए प्रयास
  • प्रिंस आफ बेल्स के भारत आगमन का विरोध कुरुते हुए गिरफ़्तार ।
  • स्वराज दल की स्थापना तथा 1918 में निगम के कार्यपालक अधिकारी।
  • ‘बांगलार कथा’ पत्र के संपादक तथा फचडे फॉरवर्ड पत्र के पबंधक।
  • 1938 तथा 1989 में कांग्रेस अध्यक्ष निवाचित!
  • गाँधी जी से मतभेद होने के कारण अलग ‘फॉरवर्ड ब्लाक’ की स्थापना ।
  • दृवितीय विश्वयुद्ध के समय आमरण अनशन, नजरबंद तथा 1941 में गुप्त रूप से विदेश गए।
  • हिटलर से मुलाकात के बाद आज़ाद हिंद फौज़ का गठन। ‘नेताजी’ के रूप में प्रसिद्ध तथा ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया।
  • सिंगापुर में आज़ाद हिंद सरकार की स्थापना, ‘जयहिंद’ तथा ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ का नारा दिया।
  • 18 अगस्त, 1945 को विमान-दुर्घटना में रहस्यमयी मौत।

प्रश्न 5.
अपने घर के आसपास देखिए और पता लगाइए कि नगरपालिका ने क्या-क्या काम | करवाए हैं? हमारी भूमिका उसमें क्या हो सकती है?
उत्तर
हमारे आसपास नगरपालिका ने निम्नलिखित कार्य करवाए हैं

  1. नगरपालिका ने कई कच्ची सड़कों को पक्का कराया है।
  2. स्वच्छ पेयजल को घर-घरे तक पहुँचाने का कार्य किया है।
  3.  पार्क के लिए छूटे भूखंड पर पार्क विकसित किया है तथा पुराने पार्को का जीर्णोद्धार किया है।
  4. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र तथा बारातघरों का निर्माण कराया है।

इन कार्यों में हमारी निम्नलिखित भूमिका हो सकती है|

  1. हम पार्क या अन्य सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त न करें। पानी का दुरुपयोग न करें।
  2. कूड़ा कूड़ेदान में ही फेंके। इधर-उधर फेंककर गंदगी न फैलाएँ।
  3. नगरपालिका कर्मचारियों को यथासंभव उनके काम में सहयोग दें।

• नीचे दिए गए निबंध का अंश पढ़िए और समझिए कि गद्य की विविध विधाओं में एक ही भाव को अलग-अलग प्रकार से कैसे व्यक्त किया जा सकता है-
उत्तर
देश-प्रेम
देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है? सारा देश अथान मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों मे देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का माथ रहता है, सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमें अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लाभ या राग हो सकता है। देशप्रेम यदि वास्तव में अंतःकरण का का भाव है तो वही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवास या क्रिमी और भाव के संक्रत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है।

यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा; वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते कि चातक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते कि आम प्रणय-सौरंभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोंपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, वे यदि बस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का परता बताकर देशप्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दुख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए उन्हें तुम सुखी देखना चाहते हो, यह कैसे समझें? उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में ‘अर्थशास्त्र’ की दुहाई दिया करो, पर प्रेम का नाम उसके साथ न घसीटो। प्रेम हिसाब-किताब नहीं है।
हिसाब-किताब करने वाले भाड़े पर भी मिल सकते हैं, पर प्रेम करने वाले नहीं। हिसाब-किताबे से देश की दशा का ज्ञान-मात्र हो सकता है। हित-चिंतन और हित-साधन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है। वह मन के वेग या भाव पर अवलंबित है, उसका संबंध लोभ या प्रेम से है, जिसके बिना अन्य पक्ष में आवश्यक त्याग को उत्साह हो नहीं सकता।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर
तताँरा–वामीरो एक लोककथा है। यह देश के उन द्वीपों की कथा है जो आज लिटिल अंदमान और कार निकोबार नाम से जाने जाते हैं। कहते हैं कि कभी ये दोनों द्वीप एक थे।

प्रश्न 2.
वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई? ।
उत्तर
वामीरो एकाग्रता से गा रही थी कि अचानक समुद्र की एक लहर ने उसे भीगो दिया। इसी हड़बड़ाहट में वह उठी और गाना भूल गई।

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर
तताँरा ने वामीरो से याचना की कि वह अपना मधुर गाना पूरा करे। बाद में उसने उसका नाम जानने और अगले दिन भी | वहाँ आने की याचना की।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर
तताँरा और वामीरो के गाँव की रीति यह थी कि गाँव के लड़के-लड़कियाँ गाँववालों के साथ ही वैवाहिक संबंध बनाएँगे, गाँव से बाहर नहीं।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर
तताँरा ने अपनी पूरी ताकत से तलवार को धरती में घोंप दिया। वह पूरी ताकत से उस तलवार को अपनी ओर खींचन लगा। द्वीप के अंतिम छोर तक तलवार को खींचने से द्वीप दो टुकड़ों में विभक्त हो गया।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए|

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर
तताँरा द्वारा अधिक साहसिक कार्य को करने के पीछे लोग इसी तलवार की शक्ति मानते थे। लोगों के अनुसार तताँरा की तलवार एक विलक्षण शक्ति अपने अंदर समेटे हुए है।

प्रश्न 2.
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से यह जवाब दिया, ”पहले बताओ, तुम कौन हो? इस तरह मुझे घूरने और असंगत प्रश्न का कारण? अपने गाँव के अलावा किसी और गाँव के युवक के प्रश्नों का उत्तर देने को मैं बाध्य नहीं हूँ। यह तुम भी जानते हो।”

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु व्यर्थ न गई। निकोबारी इस घटना के बाद दूसरे गाँव में भी आपसी वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। उनकी मृत्यु शायद इसी सुखद परिणाम के लिए हुई थी।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर
निकोबार के लोग तताँरा को उसके परोपकारी स्वभाव के कारण पसंद करते थे। वह दूसरों की मदद के लिए भागा-भागा जाता था। ऐसा वह अपने गाँव वालों के साथ ही नहीं, अपितु अन्य गाँववालों के साथ भी करता था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का विश्वास है कि कभी लिटिल अंदमान और कार-निकोबार द्वीप आपस में मिले हुए थे। इनके विभक्त होने के पीछे एक लोककथा है। तताँरा वामीरो के असफल प्रेम की त्रासदी ने इस द्वीप को दो टुकड़ों में विभक्त कर दिया।

प्रश्न 2.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद एक शाम समुद्र के किनारे गया। उस समय सूरज डूबने को था। समुद्र से ठंडी हवा आ रही थी। पक्षियों की सायंकालीन चहचहाटें धीरे-धीरे कमजोर हो रही थी। डूबते सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र की सतह का रंगीन बना रही थी। वातावरण पूरी तरह से शांत और रंगीन होकर मनोहारी हो गया था।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर
उसके मन में हर समय वामीरो की तसवीर घूमती रहती और जुबान पर केवल वामीरो का नाम रहता । वामीरो के बिना उसके लिए रात और दिन काटना कठिन हो गया। उसे एक-एक पल पहाड़ से भी अधिक भारी प्रतीत होने लगा। वह शाम होने से पहले ही लपाती की उस समुद्री चट्टान पर जा बैठता, जहाँ वह वामीरो के आने की प्रतीक्षा किया करता था।

प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए तरह-तरह के अनोखे उपाय अपनाए जाते थे। इसके लिए पशु-पक्षियों की मदद भी ली जाती थी। लोग मुरगा, तीतर पालते थे, उन्हें लड़ाकर मनोरंजन करते थे। इसके अलावा भेड़े (नर भेड़) लड़ाने के अलावा साड़ों या बैलों की दौंड़, उनके साथ युद्ध करने जैसे करतब दिखाकर भी मनोरंजन एवं शक्ति प्रदर्शन किया जाता था।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगे तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
रूढ़ियाँ एक प्रकार का बँधन ही होती हैं। ‘रूढ़ि’ का अर्थ है-ऐसा बंधन, जिससे लोकहित होने के बजाय अहित होता है। जो परंपरा लोगों के विकास, आनंद और इच्छा-पूर्ति में बाधा बने वह रूढ़ि है। ऐसी रूढ़ियों का टूट जाना अच्छा है। इनमें परिवर्तन आना ही उचित रहता है। इसका मुख्य कारण यह है कि समय निरंतर परिवर्तनशील रहता है और ऐसे समय में यह रूढ़ियाँ हमें सदा पीछे रखती हैं। हमें बंधनों में जकड़कर हमारी प्रगति की राह में रोड़े अटकाती हैं। इससे व्यक्ति की स्वतंत्र सत्ता समाप्त हो जाती है। लेखक के अनुसार व्यक्ति की स्वतंत्रता व समाज के लिए इन परंपरागत रूढ़ियों व मान्यताओं का टूट जाना ही श्रेयस्कर है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर
तताँरा से अपना अकारण अपमान सहा न गया। जब वामीरो की माँ तथा उसके गाँव वासियों ने उस पर लाँछन लगाया तो उसे अपमान से बचने का कोई उपाय न सूझा। उसने अपने क्रोध को शांत करने के लिए अपनी लकड़ी की तलवार में शक्ति भरी, फिर उस दिव्य तलवार को पूरी शक्ति से धरती में घोंप दिया। मानो वह उस धरती को धिक्कार रहा हो जिस पर
उसे अपमान सहना पड़ा। उसने उस तलवार को पूरी शक्ति से खींचना आरंभ किया इससे धरती दो टुकड़ों में विभक्त हो गई।

प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर
तताँरा वामीरो को पहली निगाह में देखते ही अपने होश-हवाश खो बैठा। वह उससे प्रेम करने लगा। वामीरो जब घर जाने लगी तो तताँरा ने उससे कल फिर आने का अनुरोध किया। अगले दिन तताँरा सूर्य ढलने से पहले ही चट्टान पर आ गया और बेचैनी से वामीरो के आने की प्रतीक्षा करने लगा। उसको मन आशंकित तो था पर आशा की एक किरण भी थी जों समुद्र तल पर डूबती किरणों की भाँति डूब सकती थी अर्थात् वामीरो के न आने से वह आशा टूट भी सकती थी।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए कोष्ठक में (/) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार-का है-
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक) ।
उत्तर
विधानवाचक

(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
प्रश्नवाचक

(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
विधानवाचक

(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
प्रश्नवाचक

(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
विस्मयादिबोधक

(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर
विधानवाचक

प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना
उत्तर
(क) सुध-बुध खोना-लता मंगेशकर के मधुर गीत सुनकर श्रोतागण अपनी सुध-बुध खो बैठते हैं।
(ख) बाट जोहना-संध्या होते ही रेखा अपने पति की बाट जोहने लगती है।
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना-परीक्षा में प्रथम आने पर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) आग बबूला होना-परीक्षा परिणाम देखकर मोहन की माता जी आग बबूला हो गईं।
(ङ) आवाज़ उठाना-सभी क्षेत्रवासियों ने बिजली की कमी को पूरा करने के लिए आवाज़ उठाई?

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 1
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 2

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 3
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 4

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ।(मिश्र वाक्य)
उत्तर
जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं विचलित हुआ हूँ।

(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर
फिर तेज कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आई और ठिठक गई।

(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
उत्तर
वामीरो कुछ सचेत होने परे घर की तरफ़ दौड़ी।

(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर
उसने तताँरा को देखा और फूटकर रोने लगी।

(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर
रीति के अनुसार यह आवश्यक था कि दोनों एक ही गाँव के हों।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए
उत्तर
(क)
पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (‘अन्य’ के अर्थ में)।
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई…. कुछ और ….. कुछ और (क्रमशः धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)।
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (निकटता’ के अर्थ में)।

प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 5

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
समुद्र, आँख, दिन, अँधेरा, मुक्त।
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 6

प्रश्न 9.
नीचे दिए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
किंकर्तव्यविमूढ़, विह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ।
उत्तर
किंकर्तव्यविमूढ़-मोहन अपने सामने सड़क दुर्घटना होते देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
विह्वल-बच्चों को लगातार रोते देख माता भाव-विह्वल हो गई।
भयाकुल-जंगल में अचानक शेर को देखकर शिकारी भयाकुल हो गया।
याचक-याचक को दरवाजे से कभी खाली नहीं लौटाना चाहिए।
आकंठ-संगीत प्रेमी संगीत की महफिल में संगीत के सुरों में आकंठ डूब गया।

प्रश्न 10.
किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर
उपर्युक्त वाक्य में दिन के लिए निम्नलिखित विशेषण का प्रयोग किया गया है आँचरहित, ठंडा, ऊबाऊ।
दिन के लिए अतिरिक्त विशेषण-लंबा, नीरस, उदास, हताश, उमस भरा।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 7
(छात्र स्वयं करें)
इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 8
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 9
प्रश्न 12.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए
(क) श्याम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (संज्ञा पदबंध)
(ख) सुनीता परिश्रमी और होशियार लड़की है। (विशेषण पदबंध)
(ग) अरुणिमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुँची। (क्रियाविशेषण पदबंध)
(घ) आयुष सुरभि का चुटकुला सुनकर हँसता रहा। (क्रिया पदबंध)।

ऊपर दिए गए वाक्य (क) में रेखांकित अंश में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं। वाक्य (ख) में तीन पद मिलकर विशेषण पद का काम कर रहे हैं। वाक्य (ग) और (घ) में कई पद मिलकर क्रमशः क्रियाविशेषण और क्रिया को काम कर रहे हैं।

ध्वनियों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता है; जैसे-‘पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे। वाक्य में पेड़ों’ शब्द पद है क्योंकि इसमें अनेक व्याकरणिक बिंदु जुड़ जाते हैं। कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्ये का एक अंश होता है। पदबंध मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-

  • संज्ञा पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध

वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए-
(क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
(ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया।
(ग) वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
(घ) तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।
उत्तर
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रियाविशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
(ङ) संज्ञा पदबंध।

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना

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प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

मौखिक

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
कलकतावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 का दिन क्यों महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर
कलकत्तावासियों के लिए 26 जनवरी 1931 को दिन इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि आज के ही दिन को सारे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता की वर्षगाँठ के रूप में मनाया जा रहा था। इस दिन कलकत्तावासियों को स्वयं को देशभक्त सिद्ध करने का मौका मिल रहा था। – डायरी को एक पन्ना

प्रश्न 2.
सुभाष बाबू के जुलूस का भार किस पर था? ।
उत्तर
सुभाष बाबू के जुलूस को सफल बनाने की जिम्मेदारी पूर्णोदास पर थी।

प्रश्न 3.
विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू के झंडा गाड़ने पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर
अविनाश बाबू प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री थे। उन्होंने श्रद्धानंद पार्क में झंडा गाड़ा तो पुलिस ने उनको पकड़ लिया। उनके साथ आए लोगों को मारा-पीटा और वहाँ से हटा दिया।

प्रश्न 4.
लोग अपने-अपने मकानों व सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय झंडा फहराकर किस बात का संकेत देना चाहते थे?
उत्तर
लोग अपने-अपने मकानों तथा सार्वजनिक स्थलों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर यह संकेत देना चाहते थे कि वे स्वतंत्रता पाने के लिए लालायित हैं तथा इसके लिए अपना सहयोग देने को तैयार हैं।

प्रश्न 5.
पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को तथा मैदानों को क्यों घेर लिया था?
उत्तर
पुलिस कमिश्नर यह नहीं चाहते थे कि सभा में भाग लेनेवाले कार्यकर्ता और जनता एकजुट होकर झंडा फहराए और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़े। इसलिए पुलिस ने बड़े-बड़े पार्को और मैदानों को घेर लिया था।

लिखिए

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए

प्रश्न 1.
26 जनवरी 1981 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गई?
उत्तर
26 जनवरी 1931 का दिन कलकतावासियों के लिए महत्त्वपूर्ण था। इसे अमर बनाने के लिए कलकतावासियों ने एकजुट होकर काफी तैयारियाँ कीं। शहरों के प्रत्येक भाग में राष्ट्रीय झंडे लगाए। बड़े बाजार के प्रायः सभी मकानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहे थे। कई मकान तो ऐसे सजाए गए थे मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। प्रत्येक मार्ग पर उत्साह और नवीनता दिखाई देती थी।

प्रश्न 2.
आज जो बात थी वह निराली थी-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपनेआप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
आज अर्थात् 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में लोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए पुलिस क़ी लाठियाँ खाईं और गिरफ्तारियाँ दी। इसे सफल बनाने में महिलाओं ने भाग लेते हुए ऐसा कुछ किया जैसा कोलकाता में पहले कभी नहीं हुआ था।

प्रश्न 3.
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर
पुलिस कमिश्नर द्वारा निकाले गए नोटिस में लिखा था कि अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती। सभी कार्यकताओं को नोटिस दे दिया गया यदि आप सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे। इधर कौंसिल की तरफ से यह नोटिस निकाला गया था कि मोनूमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की
प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। सर्व साधारण की उपस्थिति होनी चाहिए। कौंसिल की तरफ से यह खुली चुनौती थी।

प्रश्न 4.
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर
धर्मतल्ले के मोड़ पर जुलूस इसलिए टूट गया क्योंकि पुलिस की लाठियों से बहुत से लोग घायल हो गए थे, फिर भी पुलिस लाठियाँ भाँज रही थी, इसलिए जुलूस तितर-बितर हो गया।

प्रश्न 5.
डॉ. दासगुप्ता जुलूस में घायल लोगों की देख-रेखकर ही रहे थे, उनके फोटो भी उतरवा रहे थे। उन लोगों के फोटो खींचने की क्या वजह हो सकती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
डॉ. दासगुप्ता द्वारा घायल लोगों के फोटो खिंचवाने की यह वजह हो सकती है कि अपनी स्वतंत्रता की माँग करनेवाले भारतीय लोगों पर अंग्रेजी सरकार द्वारा ढाए जाने वाले जुल्मों का प्रत्यक्ष प्रमाण पत्र लोगों को दिखाया जा सके। यह भी हो सकता है कि पुलिस की इस बर्बरता को देखकर देश के अन्य लोग भी प्रेरित होकर देश की स्वतंत्रता के लिए आगे आएँ और संगठित होकर सरकार की गलत नीतियों का विरोध करें।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। गुजराती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकाला गया। मारवाड़ी बालिका विद्यालय में झंडोत्सव मनाया गया जिसमें जानकी देवी और मदालसा बज़ाज जैसी स्त्रियों ने भी भाग लिया। पुलिस द्वारा किए गए प्रबंध और लाठीचार्ज की परवाह किए बिना ही जगह-जगह से स्त्रियाँ मोनुमेंट के पास पहुँचीं। सरकारी कानून का उल्लंघन कर लगभग 105 स्त्रियों ने अपनी गिरफ्तारी दी। आंदोलनकारियों के साथ मिलकर स्त्रियाँ भी। पुलिस की बर्बरता की शिकार हुईं।

प्रश्न 2.
जुलूस के लालबाज़ार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर
जुलूस के लालबाज़ार आने पर स्त्रियों के साथ बड़ी भीड़ एकत्र हो गई। इससे पुलिस जो अब तक ठंडी पड़ी थी, उसने डंडे बरसाने शुरू कर दिए। भीड़ अधिक होने के कारण इस बार बहुत से लोग घायल हो गए। पुलिस ने और भी कई लोगों को गिरफ्तार किया। यही वृजलाल गोयनका झंडा लेकर मोनुमेंट की ओर इतनी जोर से दौड़ा कि स्वयं गिर पड़ा। पुलिस ने उसे पकड़ा और कुछ दूर पर छोड़ दिया।

प्रश्न 3.
जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी। यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर
कलकत्ता में 26 जनवरी 1931 को पुलिस कमिश्नर दूद्वारा नोटिस निकाला गया कि अमुक धारा के अनुसार वहाँ कोई सभा नहीं हो सकती और सभा में भाग लेनेवाले व्यक्ति को दोषी समझा जाएगा। लेकिन उनके द्वारा बनाए गए इस कानून को भंग करते हुए कौंसिल की तरफ से उन्हें खुली चुनौती दी गई कि उसी दिन मोनुमेंट के नीचे लोग इकट्ठे होकर झंडा फहराएँगे। अंग्रेज़ी सरकार स्वतंत्रता का विरोध करने के लिए जो भी नियम बनाती थी उसे भंग करना अनुचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि हमारे विचार में देश की रक्षा करना, स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार हर देशवासियों को होना चाहिए।

प्रश्न 4.
बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाने की पुनरावृत्ति के क्रम में 26 जनवरी 1931 को भारत की स्वतंत्रता हेतु व्यापक संघर्ष किया गया। लोगों ने उत्साह एवं उल्लास से अपने घरों को सजाया और अपनी भागीदारी निभाई। इसके लिए उन्होंने पुलिस की लाठियाँ खाईं, घायल हुए और जेलों में बंद किए गए। ऐसे लोगों की संख्या एक-दो न होकर दो सौ से अधिक थी और पकड़े गए लोगों की संख्या काफी ज्यादा। ऐसा कलकत्ता में पहली बार हुआ था इसलिए अपूर्व था।

(ग) निम्नलिखित को आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
आज तो जो कुछ हुआ वह अपूर्व हुआ है। बंगाल के नाम या कलकत्ता के नाम पर कलंक था कि यहाँ काम नहीं हो रहा है वह आज बहुत अंश में धुल गया।
उत्तर
26 जनवरी 1931 से पहले यह कहा जाता था कि कलकत्ता में स्वतंत्रता संग्राम हेतु अधिक कार्य नहीं किया जाता। यह बात कलकत्ता और कलकत्तावासियों के लिए कलंक के समान थी। 26 जनवरी 1931 को भारत की स्वतंत्रता हेतु कलकत्तावासियों ने संगठित होकर संघर्ष किया। सुभाषचंद्र बोस, सीताराम सेकसरिया तथा अन्य कलकत्तावासियों ने देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस बहुत जोश से मनाया। अंग्रेज़ प्रशासकों ने इसे उनका अपराध मानते हुए उन पर अनेक हिंसात्मक जुल्म किए। क्रांतिकारियों ने अपनी कुर्बानियाँ दीं। सैकड़ों लोग घायल हुए तथा अनेक गिरफ्तारियाँ दी गईं। इस दिन पुलिस की लाठियाँ से घायल होकर भी लोगों ने पूरे सम्मान से राष्ट्रीय ध्वज फहराकर स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी। इस प्रकार कलकत्तावासियों के मस्तक पर लगा कलंक बहुत अंश में धुल गया।

प्रश्न 2.
खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा पहले कहीं नहीं की गई थी।
उत्तर
स्वतंत्रता पाने की दिशा में भारतीयों द्वारा जो भी कदम उठाए जा रहे थे चाहे आंदोलन या विरोध प्रदर्शन, सब सरकार की नज़र बचाकर लुके-छिपे किया जाता था परंतु इस बार एक ओर सरकार ने सभा को गैर कानूनी घोषित करते हुए सभा न करने की घोषणा की थी तो दूसरी ओर कौंसिल ने मोनुमेंट पर झंडा फहराने और प्रतिज्ञा पढ़ने के लिए लोगों का आह्वान किया था ताकि अधिकाधिक संख्या में लोग उपस्थित हों। इस प्रकार यह खुला चैलेंज था।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं-
सरल वाक्य-सरल वाक्य में कर्ता, कर्म, पूरक क्रिया और क्रियाविशेषण घटकों या इनमें से कुछ घटकों का योग होता है। स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होनेवाला. उपवाक्य ही सरल वाक्य है। उदाहरण-लोग टोलियाँ बनाकर मैदान में घूमने लगे।
संयुक्त वाक्य-जिस वाक्य में दो या दो से अधिक स्वतंत्र या मुख्य उपवाक्य समानाधिकरण योजक से जुड़े हों, वह संयुक्त वाक्य कहलाता है। योजक शब्द-और, परंतु, इसलिए आदि
उदाहरण-मोनुमेंट से नीचे झंडा फहराया जाएगा और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
मिश्र वाक्य-वह वाक्य जिसमें एक प्रधान उपवाक्य हो और एक से अधिक आश्रित अपवाक्य हों, मिश्र वाक्य कहलाता है।
उदाहरण-जब अविनाश बाबू ने झंडा गाड़ा तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया।
निम्नलिखित वाक्यों को सरल वाक्यों में बदलिए
उत्तर
I.

प्रश्न (क)
दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार गया और वहाँ पर गिरफ्तार हो गया।
उत्तर
दो सौ आदमियों का जुलूस लालबाज़ार जाकर गिरफ्तार हो गया।

प्रश्न (ख)
मैदान में हज़ारों आदमियों की भीड़ होने लगी और लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।
उत्तर
मैदान में हजारों आदमियों की भीड़ होने पर लोग टोलियाँ बना-बनाकर मैदान में घूमने लगे।

प्रश्न (ग)
सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।
उत्तर
सुभाष बाबू को पकड़कर गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज दिया गया।

II. ‘बड़े भाई साहब’ पाठ में से भी दो-दो सरल, संयुक्त और मिश्र वाक्य छाँटकर लिखिए
सरलः

  1. इतिहास में रावण का हाल तो पढ़ा ही होगा।
  2. हमेशा सिर पर एक नंगी तलवार-सी लटकती मालूम होती।

संयुक्तः

  1.  मेरी तकदीर बलवान है इसलिए भाई साहब के डर से जो थोड़-बहुत पढ़ लिया करता था, वह भी बंद हुआ।
  2. मुद्रा कांतिहीन हो गई थी, मगर बेचारे फेल हो गए।

मिश्रः

  1. मुझे कुछ ऐसी धारणा हुई कि मैं पास ही हो जाऊँगा।
  2. सहसा भाई साहब से मेरी मुठभेड़ हो गई, जो शायद बाज़ार से लौट रहे थे।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और समझिए कि जाना, रहना और चुकना क्रियाओं का प्रयोग किस प्रकार किया गया है?
उत्तर
(क)

  1. कई मकान सजाए गए थे।
  2. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लगाए गए थे।

(ख)

  1. बड़े बाज़ार के प्रायः मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था।
  2. कितनी ही लारियाँ शहर में घुमाई जा रही थीं।
  3. पुलिस भी अपनी पूरी ताकत से शहर में गश्त देकर प्रदर्शन कर रही थी।

(ग)

  1. सुभाष बाबू के जुलूस का भार पूर्णोदासे परे था, वह प्रबंध कर चुका था।
  2. पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों की संरचना पर ध्यान दीजिए-
विद्या + अर्थी – विद्यार्थी

‘विद्या’ शब्द का अंतिम स्वर ‘आ’ और दूसरे शब्द ‘अर्थी की प्रथम स्वर ध्वनि ‘अ’ जब मिलते हैं तो वे मिलकर दीर्घ स्वर ‘आ’ में बदल जाते हैं। यह स्वर संधि है जो संधि का ही एक प्रकार है।

संधि शब्द का अर्थ है-जोड़ना। जब दो शब्द पास-पास आते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि बाद में आनेवाले शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर उसे प्रभावित करती है। ध्वनि परिवर्तन की इस प्रक्रिया को संधि कहते हैं। संधि तीन प्रकार की होती है-स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि। जब संधि युक्त पदों को अलग-अलग किया जाता है तो उसे संधि विच्छेद कहते हैं।
जैसे-विद्यालय = विद्या + आलय
नीचे दिए गए शब्दों की संधि कीजिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 1
उत्तर
1. श्रद्धानंद
2. प्रत्येक
3. पुरुषोत्तम
4. झंडोत्सव
5. पुनरावृत्ति
6. ज्योतिर्मय

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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

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III. पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

(पृष्ठ 63-66)

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
कथा नायक की रुचि किन कार्यों में थी?
उत्तर
कथा नायक की रुचि खेल-कूद, सैर-सपाटा, गप्पबाजी, पतंगबाजी तथा मटरगश्ती करने में थी।

प्रश्न 2.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे? अथवा बड़े भाई साहब छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे? उसके बाद क्या करते? [CBSE)
उत्तर
बड़े भाई छोटे भाई से हर समय पहला सवाल यही पूछते थे—’कहाँ थे’?

प्रश्न 3.
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया? [Imp.]
उत्तर
दूसरी बार पास होने पर छोटा भाई स्वच्छंद हो गया। उसने पढ़ना-लिखना बिल्कुल छोड़ दिया और पतंगबाजी में मन लगा लिया।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे? |
उत्तर
बड़े भाई साहब लेखक से उम्र में पाँच साल बड़े थे। वे नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रश्न 5.
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे? [Imp.]
उत्तर
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कापी या किताब पर इधर-उधर की व्यर्थ की बातें बार-बार लिखा करते थे या कोई चित्र बना डालते थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया? [Imp.] [CBSE]
उत्तर
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबल बनाते समय सोचा कि वह नियम बनाकर दिन-रात पढ़ा करेगा तथा खेलकूद बिल्कुल छोड़ देगा। परंतु खेलकूद में गहरी रुचि तथा पुस्तकों में अरुचि होने के कारण वह इसका पालन न कर सका।

प्रश्न 2.
एक दिन जब गुल्ली-डंडा खेलने के बाद छोटा भाई बड़े भाई साहब के सामने पहुँचा तो उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई? [CBSE] ।
उत्तर
इस पाठ में लेखक ने शिक्षा के अनेक तौर-तरीके पर व्यंग्य किया है; जैसे-

  1. सबसे पहला व्यंग्य शिक्षा द्वारा रटूपन को बढ़ावा देने पर किया गया है। जो छात्र बिना समझे रट्टा लगाते हैं। और पाठ्यक्रम के एक-एक शब्द को रट्टू तोते की भाँति चाट लेते हैं, परंतु एक भी शब्द की समझ उन्हें नहीं हो पाती है।
  2. शिक्षा में पुस्तकीय ज्ञान को इतनी महत्ता दी गई है कि अध्यापक चाहते हैं कि छात्र अपने उत्तर किताबों से ज्यों का त्यों लिखें।
  3. शिक्षा जीवन के लिए प्रायोगिक रूप से अनुपयोगी है। यह सैद्धांतिक ज्ञान को बढ़ावा देती है, परंतु इसका व्यावहारिक पक्ष अत्यंत दुर्बल है।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं? [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई को अपनी इच्छाएँ इसलिए दबानी पड़ती थीं क्योंकि उसे अपने छोटे भाई को सही राह पर चलाना था। वह खुद बेराह चलता तो फिर उसकी रक्षा कैसे करता। यह कर्तव्य-बोध उसके सिर पर था।

प्रश्न 4.
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों? [Imp.][CBSE]
उत्तर
छोटे भाई को बड़े भाई की डाँट-फटकार तनिक भी अच्छी न लगती थी। वह सोचता था कि काश! भाई साहब एक साल और फेल हो जाते तो उन्हें डाँटने का हक न रह जाता; परंतु जब भाई साहब ने उसे अनुभव और बड़प्पन का महत्त्व समझाते हुए जीवन की वास्तविकता से अवगत कराया और कहा कि हमारे कम पढ़े-लिखे दादा-अम्मा को अपने सुशिक्षित बालकों को समझाने और सही राह पर ले जाने का अधिकार है। इसके अलावा उसने सुशिक्षित हेडमास्टर के घर का प्रबंध उनकी माँ ही करती है, क्योंकि वे अधिक अनुभवी हैं। यह सुनकर छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा उत्पन्न हो गई।

प्रश्न 5.
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
उत्तर
लेखक ने बड़े भाई के नरम व्यवहार का भरपूर फ़ायदा उठाया। उसने पढ़ना-लिखना बिल्कुल छोड़ दिया। मनमानी करना शुरू कर दी तथा पतंगबाजी का चस्का लगा लिया। वह भाई की नजरें बचाकर दिन-रात पतंगें उड़ाने लगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए। [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई की डाँट-फटकार से छोटे भाई को कभी सीख नहीं मिली। उसने डाँट खाकर एक बार टाइम-टेबल तो बनाया, किंतु उस पर अमल नहीं किया। वह जब भी कक्षा में अव्वल आया, बिना मेहनत के आया। वह कहता भी है-”मैंने बहुत मेहनत नहीं की, पर न जाने कैसे दरजे में अव्वल आ गया। मुझे खुद अचरज हुआ।” वास्तव में डाँट-डपट से छोटे भाई का आत्मविश्वास कम ही हुआ। अतः हम कह सकते हैं कि अगर बड़े भाई उसे न डाँटते-फटकारते तो भी वह कक्षा में अव्वल आता।।

प्रश्न 2.
इस पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं? [CBSE]
उत्तर
‘बड़े भाई साहब’ पाठ में लेखक ने शिक्षा की रटंत-प्रणाली पर तीखा व्यंग्य किया है। कहानी का बड़ा भाई एक बेचारा दीन पात्र है जो पाठ्यक्रम के एक-एक शब्द को तोते की तरह रटता रहती है। वह किसी भी शब्द को दिमाग तक नहीं पहुँचने देता। वह न तो विषय को समझता है और न समझे हुए विषय को अपनी भाषा में कहना जानता है। इस कारण वह चौबीसों घंटे पढ़ते-पढ़ते निस्तेज हो जाता है, फिर भी परीक्षा में पास नहीं हो पाता। मेरे विचार से ऐसी शिक्षा व्यर्थ है।

प्रश्न 3.
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है? [Imp.] [CBSE]
                                                अथवा
‘जीवन की समझ व्यावहारिक अनुभव से आती है’-बड़े भाई साहब के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं? उदाहरण सहित बताइए। [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ पुस्तकें पढ़ने से नहीं, अपितु दुनिया देखने से आती है। जिसे जीवन जीने का अनुभव अधिक है, वही समझदार माना जाता है। इसीलिए माँ-बाप, दादा-दादी, कम पढ़-लिखकर भी अधिक ज्ञाने और समझ रखते हैं। वे घर-खर्च, बीमारी और अन्य प्रबंध करने में पढ़े-लिखों से भी अधिक कुशल होते हैं। हेडमास्टर से भी अधिक कुशल उनकी बूढ़ी माँ थीं जिन्होंने अपने सुशिक्षित पुत्र की अव्यवस्था को सँभाल लिया।

प्रश्न 4.
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा क्यों उत्पन्न हुई?
                                                अथवा
छोटे भाई के मन में बड़े भाई साहब के प्रति श्रद्धा कब उत्पन्न हुई? क्या वह उचित थी? [CBSE]
उत्तर
बड़े भाई ने छोटे भाई को प्रभावित करने के लिए अनुभव और बड़प्पन का महत्त्व समझाया। उसने बताया कि आदमी को तजुर्बे से समझ आती है, पढ़ने-लिखने से नहीं। इसके लिए उसने अपनी अम्माँ और दादा का उदाहरण दिया। वे कम पढ़-लिखकर भी उम्र के कारण अधिक समझदार हैं। फिर उसने बीमारी के इलाज, घर-खर्च और शेष प्रबंधों का उदाहरण दिया। उसने बताया कि कैसे सुशिक्षित हेडमास्टर के घर का सारा सुप्रबंध उनकी बूढ़ी माँ करती है। इन सब युक्तियों को सुनकर छोटे भाई का हृदय प्रभावित हो गया। उसे बड़ा होने के कारण अपने बड़े भाई पर श्रद्धा हो गई।

प्रश्न 5.
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए? [Imp.][CBSE]
                                          अथवा
कहानी के आधार पर बड़े भाई साहब के स्वभाव की तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। [CBSE]
अथवा
बड़े भाई साहब की स्वभावगत विशेषताएँ क्या थीं? उनमें से छोटे भाई को किससे सहायता मिली? [CBSE]
उत्तर
बड़ा भाई महत्त्वाकांक्षी है। वह बड़ा होने का सम्मान चाहता है। वह अपने-आपको अपने छोटे भाई का संरक्षक सिद्ध करने के लिए जी-जान लगा देता है। | घोर परिश्रमी और धुनी-बड़ा भाई चाहे पढ़ाई करने की ठीक विधि न जानता हो, किंतु उसके परिश्रम और धुन में कोई कोर-कसर नहीं रहती। वह तीन-तीन बार फेल होकर भी उसी धुन से पढ़ता रहता है। वह दिन-रात पढ़ता है। उसकी तपस्या बड़े-बड़े तपस्वियों को भी मात करती है। | वाक्पटु-बड़ा भाई उपदेश देने और बातें बनाने में बहुत कुशल है। वह अपने-आपको बड़ा सिद्ध करने के लिए हर तर्क जुटा लेता है। कभी वह घमंडियों के नाश की बात कहता है। कभी बड़ी कक्षा की पढ़ाई को कठिन बताता है, कभी परीक्षकों को बुरा कहता है, कभी पढ़ाई-लिखाई को बेकार कहती है, कभी अपनी समझदारी की डींग हाँकता है, और कभी उम्र और अनुभव को महत्त्वपूर्ण कहता है। परंतु वह स्वयं को बड़ा सिद्ध करके ही मानता है।

प्रश्न 6.
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्त्वपूर्ण कहा है? [Imp.][CBSE]
उत्तर
बड़े भाई साहब ने जिंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से जिंदगी के अनुभव को अधिक महत्त्वपूर्ण माना है। उसके अनुसार, अनुभव से ही जीवन की सही समझ विकसित होती है। उसी से जीवन के सारे महत्त्वपूर्ण काम सधते हैं। बीमारी हो, घर-खर्च चलाना हो या घर के अन्य प्रबंध करने हों, इसमें उम्र और अनुभव काम आता है, पढ़ाई-लिखाई नहीं। लेखक की अम्माँ, दादा और हेडमास्टर साहब की बूढी माँ के उदाहरण सामने हैं। वहाँ उम्र और अनुभव काम आते हैं, पढ़ाई-लिखाई नहीं।

प्रश्न 7.
बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को जिंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
उत्तर
(क) फिर भी मैं भाई साहब का अदब करता था और उनकी नज़र बचाकर कनकौए उड़ाता था। माँझा देना, कन्ने बाँधना, पतंग टूर्नामेंट की तैयारियाँ आदि समस्याएँ सब गुप्त रूप से हल की जाती थीं। मैं भाई साहब को यह संदेह न करने देना चाहता था कि उनका सम्मान और लिहाज़ मेरी नज़रों में कम हो गया है।

(ख) मैं तुमसे पाँच साल बड़ा हूँ और हमेशा रहूँगा। मुझे दुनिया का और जिंदगी का.जो तजुर्बा है, तुम उसकी बराबरी नहीं कर सकते, चाहे तुम एम.ए. और डी.फिल और डी.लिट् ही क्यों न हो जाओ। समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है।

(ग) संयोग से उसी वक्त एक कटा हुआ कनकौआ हमारे ऊपर से गुजरा। उसकी डोर लटक रही थी। लड़कों का एक गोल पीछे-पीछे दौड़ा चला आता था। भाई साहब लंबे हैं ही। उछलकर उसकी डोर पकड़ ली और बेतहाशा होस्टल की तरफ़ दौड़े। मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था।

(घ) तो भाईजाने, यह गरूर दिल से निकाल डालो कि तुम मेरे समीप आ गए हो और अब स्वतंत्र हो। मेरे देखते तुम बेराह न चलने पाओगे। अगर तुम यो न मानोगे तो मैं (थप्पड़ दिखाकर) इसका प्रयोग भी कर सकता हूँ। मैं जानता हूँ, तुम्हें मेरी बातें ज़हर लग रही हैं। :::

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास। [CBSE]
उत्तर
बड़ा भाई छोटे भाई के घमंड को तोड़ने के लिए कहता है-तुम कक्षा में प्रथम आकर यह न सोचो कि इससे तुमने बहुत बड़ी सफलता पा ली है और मैं असफल हो गया हैं। वास्तव में बड़ी चीज है-बुद्धि का विकास। उसमें तुम अभी छोटे हो। तुम्हें मेरे जितनी समझ नहीं है। देखो, मैं रावण और अंग्रेजों की शक्ति के अंतर को भी जानता हूँ। मेरी बुद्धि विकसित है। तुम अबोध हो, घमंडी हो। |

प्रश्न 2.
फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था। [Imp.]
उत्तर
लेखक का बड़ा भाई चाहता था कि लेखक खेलकूद, मटरगस्ती करना बंद करके अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दे। इसके लिए वह लेखक को खूब डाँटता-फटकारता, परंतु लेखक खेलकूद का मोह नहीं त्याग पाता था। वह मौका मिलते ही मैदान में होता था। जैसे मनुष्य संकटों में फंसकर भी मोह-माया नहीं छोड़ पाता वैसे ही डाँट-फटकार खाकर भी लेखक खेलकूद से रिश्ता नहीं तोड़ पाता।

प्रश्न 3.
बुनियाद ही पुख्ता न हो, तो मकान कैसे पायेदार बने?
उत्तर
जिस प्रकार मकान को मजबूत बनाने के लिए नींव को मजबूत बनाया जाता है, उसी प्रकार शायद बड़े भाई साहब हर कक्षा को एक साल में नहीं दो-दो सालों में पास करते थे, ताकि उनकी पढ़ाई बहुत मजबूत हो। यह बड़े भाई साहब की नालायकी पर व्यंग्य है।

प्रश्न 4.
आँखें आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
उत्तर
लेखक ने देखा कि कोई पतंग कटकर आकाश से धरती की ओर आ रही है। लेखक उसे पकड़ने के लिए दौड़ा जा रहा था, परंतु उसकी आँखें आकाश में चलने वाली पतंग रूपी यात्री पर था। उसे ऐसा लग रहा था- मानो पतंग कोई दिव्य आत्मा हो जो मंद गति से झूमती हुई धरती की ओर आ रही थी अर्थात् दिव्य आत्मा रूपी पतंग स्वर्ग से मिलकर उदास मन से किसी व्यक्ति का सन्निध्य पाने धरती पर उतर रही है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए-
नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब
उत्तर
नसीहत-शिक्षा, सीख, उपदेश
रोष-क्रोध, क्षोभ
आज़ादी-स्वतंत्रता, मुक्ति
राजा–महीप, भूप
ताज्जुब-हैरानी, आश्चर्य, अचरज।

प्रश्न 2.
प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसीलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणतः इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढिए-

  • मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था।
  • भाई साहब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती।
  • वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता।

निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरा-गैरा नत्थू खेरा।
उत्तर
सिर पर नंगी तलवार लटकना-सामने मौत दिखाई देना।
वाक्य-उड़न दस्ते को देखकर नकलची छात्र को यों लगा मानो सिर पर नंगी तलवार लटक रही हो।
आड़े हाथों लेना-कठोरता से पेश आना।
वाक्य-यदि उसने इस बार मेरी निंदा की तो मैं उसे आड़े हाथों लूंगा।
अंधे के हाथ बटेर लगना-अयोग्य व्यक्ति को महत्त्वपूर्ण वस्तु मिलना।
वाक्य-उस अनपढ़ को सुशिक्षित दुल्हन क्या मिली मानो अंधे के हाथ बटेर लग गया।
लोहे के चने चबाना-बहुत कठिन काम होना।
वाक्य-हिमालय की बर्फीली चोटियों पर चढ़ना लोहे के चने चबाना है।
दाँतों पसीना आना-बहुत कठिनाई होना।
वाक्य-पैदल तीर्थ-यात्रा करना आसान नहीं है। दाँतों पसीना आ जाएगा।
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा-बुद्ध, बेवकूफ।
वाक्य-मैं तेरी हर चाल समझता हूँ। मुझे ऐरा-गैरा नत्थू-खैरा न समझना।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 1
तालीम, जल्दबाजी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 2

प्रश्न 4.
क्रियाएँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-सकर्मक और अकर्मक।
कर्मक क्रिया-वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे.
शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
र्मक क्रिया-वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे-
शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिए वाक्यों में कौन-सी क्रिया है-सकर्मक या अकर्मक? लिखिए-
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 3
उत्तर
(क) सकर्मक
(ख) सकर्मक
(ग) सकर्मक
(घ) सकर्मक
(ङ) सकर्मक
(च) अकर्मक।

प्रश्न 5.
‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए-
विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार
उत्तर
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 4

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
प्रेमचंद की कहानियाँ मानसरोवर के आठ भागों में संकलित हैं। इनमें से कहानियाँ पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। कुछ कहानियों का मंचन भी कीजिए।
उत्तर
प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ हैं-ईदगाह, ठाकुर का कुआँ, शतरंज के खिलाड़ी, नमक का दरोगा, दूध का दाम, पूस की रात, कफ़न, गिल्ली डंडा आदि। इन्हें पढ़िए तथा साथियों के साथ मिलकर अभिनय कीजिए।

प्रश्न 2.
शिक्षा रटंत विद्या नहीं है-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए। |
उत्तर
शिक्षा का अर्थ है-सीख। सीख का संबंध जीवन जीने से है, केवल बोलने, लिखने या पढ़ने से नहीं। इसलिए विद्यार्थी को चाहिए कि वह जो भी सीखे उसे अपने जीवन में अपनाए, आचरण में लाए या समझ ले। रटने वाले छात्र विषय को न तो समझते हैं और न उसे जीवन के लिए उपयोगी मानते हैं। वे केवल उसे थोड़ी देर के लिए अपनी स्मृति में सँजो लेते हैं मानो पत्थर की स्लेट पर चाक से कुछ लिख दिया गया हो। ऐसी रटी हुई बातें जल्दी ही भूल जाती हैं। ऐसा परिश्रम व्यर्थ होता है। इसे विद्या कहना सच्चाई से मुँह मोड़ना है।

प्रश्न 3.
क्या पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं-कक्षा में इस पर वाद-विवाद कार्यक्रम आयोजित कीजिए।
उत्तर
पक्ष-पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चलते हैं। पढ़ाई का संबंध मन और बुद्धि से है। खेल-कूद का संबंध शरीर से है। जिस तरह मन, बुद्धि और शरीर तीनों साथ-साथ गति कर सकते हैं, उसी प्रकार पढ़ाई और खेल-कूद साथ-साथ चल सकते हैं। इन तीनों का आपस में विरोध नहीं है। ये परस्पर पूरक हैं। अगर शरीर ठीक न हो तो मन और बुद्धि काम नहीं कर सकते। इसी प्रकार शारीरिक खेलों में भी मन और बुद्धि का पूरा योगदान रहता है। एक अच्छा खिलाड़ी स्वस्थ मन और बुद्धि का स्वामी होता है।
विपक्ष-पढ़ाई और खेल-कूद अलग-अलग हैं। प्रायः खिलाड़ी और पहलवान पढ़ाई में कमजोर होते हैं। सचिन तेंदुलकर को ही लें। उनकी प्रतिभा खेल-कूद में ही थी। यदि वे क्रिकेट छोड़कर सामाजिक-भूगोल रटते रहते तो उन्हें शायद ही इतनी सफलता मिलती। इसी प्रकार विभिन्न कक्षाओं के सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी यदि अपना समय खेल-कूद में बिताने लग जाते तो वे ऊँचाइयाँ न छू पाते। इसलिए इन दोनों के अलग महत्त्व को समझना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्या परीक्षा पास कर लेना ही योग्यता का आधार है? इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए। |
उत्तर
पहला छात्र-परीक्षा पास करना मनुष्य की योग्यता की निशानी है।
दूसरा-जरूरी नहीं कि परीक्षा पास करने वाला विद्यार्थी ज्ञानवाने हो। कुछ विद्यार्थी केवल रट्टा मारकर परीक्षाएँ पास कर लेते हैं। उन्हें समझ बिलकुल नहीं होती।
तीसरा-परीक्षा पास करने से केवल इतना पता चलता है कि छात्र चाहे तो किसी क्षेत्र में सफलता पा सकता है।
चौथा-कुछ छात्र परीक्षा में प्रथम आते हैं लेकिन जीवन में बिलकुल असफल होते हैं।
पाँचवाँ-अक्सर पढ़ाकू छात्र जीवन जीने की कला जानते ही नहीं । वे केवल पोथी के विद्वान होते हैं। ऐसे लोग हँसी के पात्र होते हैं।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
कहानी में जिंदगी से प्राप्त अनुभवों को किताबी ज्ञान से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बताया गया है। अपने माता-पिता, बड़े भाई-बहिनों या अन्य बुजुर्ग/बड़े सदस्यों से उनके जीवन के बारे में बातचीत कीजिए और पता लगाइए कि बेहतर ढंग से जिंदगी जीने के लिए क्या काम आया-समझदारी/पुराने अनुभव या किताबी पढ़ाई?
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपकी छोटी बहन/छोटा भाई छात्रावास में रहती रहता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के संबंध में उसे एक पत्र लिखिए।
उत्तर
पार्थ 335, रवींद्र नगर
कोलकाता।
2-3-2015
प्रिय स्मिता
स्नेह!
आशा है, तुम सानंद होगी। तुम्हारी पढ़ाई-लिखाई बहुत ठीक चल रही होगी। तुम स्वभाव से ही मेहनती और लगनशील हो। यह बहुत अच्छी बात है।

प्रिय स्मिता! अब तुम दसवीं कक्षा में पहुँच गई हो। नौवीं तक प्रश्नों की संख्या सीमित होती थी। इसलिए प्रश्नोत्तरों का रटना भी चल जाता था। परंतु आगे से ऐसा नहीं होगा। अब प्रश्न पुस्तकों से ही नहीं, बाहर से भी पूछे जाएँगे। अतः जो छात्रा समझ कर पढ़ेगी और अपनी रचना-शक्ति से स्वयं उत्तर दे सकेगी, वही सफलता पा सकेगी। मैं तुम्हें यही कहना चाहता हूँ। कि तुम रटने पर आश्रित न रहना। हर चीज़ समझ कर पढ़ना। वैसे, तुम्हें बचपन से ही यही आदत है, यह अच्छी बात है।

प्रिय स्मिता! मैंने देखा है कि खेलकूद में तुम्हारी बिल्कुल भी रुचि नहीं है। यह बात ठीक नहीं है। खेलकूद का पढ़ाई से सीधा नहीं, अप्रत्यक्ष संबंध है। तुम लगातार पढ़कर ऊबो तो बीच में घूम-फिर आया करो। हो सके तो टी.टी., बैडमिंटन जैसा कोई खेल खेलना शुरू करो। इससे दिमाग तरोताज़ा होगा। उसकी ऊब कम होगी। ग्रहण-शक्ति बढ़ेगी। शरीर स्वस्थ होगा तो मन भी स्वस्थ होगा और बुद्धि भी उपजाऊ बनेगी।
तुम्हारा भाई
पार्थ

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