NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था?
उत्तर
झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक कुछ इस तरह सम्मोहित कर रहा था कि जिसे देखकर लेखिका हैरान थी। उसे लग रहा था कि आसमाने उलट पड़ा हो और सारे तारे नीचे बिखर कर टिमटिमा रहे हैं। दूर ढलान लेती तराई पर सितारों के गुच्छे रोशनियों की झालर-सी बना रहे हैं।

प्रश्न 2.
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया है?
उत्तर
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ इसलिए कहा गया है कि यहाँ के लोगों को अत्यंत परिश्रम करते हुए यहाँ जीवनयापन करना पड़ता है। औरतें पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ती हैं। उनके हाथों में कुदाल और हथौड़े तथा पीठ पर बँधी डोको (बड़ी टोकरी) में उनके बच्चे भी बँधे रहते हैं। वे भरपूर ताकत के साथ कुदाल को जमीन पर मारकर काम करती हैं। ऐसे कार्य करते हुए कई बार वे अपने प्राणों को गवाँ बैठती हैं। बच्चों को तीन-चार किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाना पड़ता है। अधिकांश बच्चे शाम के समय अपनी-अपनी माँ के साथ मवेशियों को चराते हैं, पानी भरते हैं तथा जंगल से लकड़ियों के गट्ठर ढोते हैं। ऐसा परिश्रम करने के बाद भी वे सभी खुश रहते हैं।

प्रश्न 3.
कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?
उत्तर
‘यूमथांग’ शहर के आसपास किसी पवित्र स्थान पर दो तरह की पताकाएँ लगाई जाती हैं-पहली शांति और अहिंसा की प्रतीक मंत्र लिखी श्वेत पत्रकाएँ, दूसरी शुभ कार्य की रंगीन पताकाएँ।

  1. यहाँ मान्यता के अनुसार किसी बौद्ध धर्म के अनुयायी की मृत्यु होने पर उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी पवित्र स्थान पर 108 श्वेत पताकाएँ फहरा दी जाती हैं।
  2. इसी प्रकार नए कार्य की शुरूआत में रंगीन पताकाएँ लगाई जाती हैं। इन पताकाओं को उतारा नहीं जाता है। ये धीरे-धीरे अपने-आप नष्ट हो जाती हैं।

प्रश्न 4.
जितेन नार्गे ने लेखिका को सिक्किम की प्रकृति, वहाँ की भौगोलिक स्थिति एवं जन-जीवन के बारे में क्या महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं; लिखिए।
उत्तर
जितेन नार्गे ने लेखिका एवं अन्य सैलानियों को सिक्किम के बारे में अनेक महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। वह लेखिका के साथ ड्राइवर-कम-गाइड का कार्य कर रहा था जो जीप चलाते हुए जानकारियाँ दे रहा था। वह एक कुशल ड्राइवर होने के साथ-साथ गाइड भी था जिसे गंतोक के बारे में नई-पुरानी तथा पौराणिक अनेक जानकारियाँ कंठस्थ थीं। उसने लेखिका को बताया कि सिक्किम पूर्वोत्तर भारत का पहाड़ी इलाका है जहाँ जगह-जगह पाईन और धूपी के खूबसूरत पेड़ हैं। यहाँ के अविरल बहते झरने जगह-जगह फूलों के चादर से ढंकी वादियाँ, बरफ़ीली चोटियाँ आदि का अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य बरबस लोगों को चित्त अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। इसके अलावा गुरुनानक के फुट प्रिंट, चावल बिखरने, कुटिया में प्रेयर ह्वील घुमाने से पाप धुल जाने, प्रियुता और रुडोडेंड्रो के फूलों के खिलने की जानकारी के अलावा पहाड़ी लोगों के परिश्रम भरे जीवन की जानकारी भी दी।

प्रश्न 5.
लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक सी क्यों दिखाई?
उत्तर
जितेन नार्गे कवी-लौंग स्टॉक के बारे में परिचय दे रहा था। उसी रास्ते पर एक कुटिया में घूमता एक चक्र देखा जिसके बारे में बताया-यह धर्म चक्र है-प्रेअर व्हील । इसको घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। जितेन की यह बातें सुन लेखिका को लगा-चाहे मैदान हो या पहाड़, तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है। लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास, पाप-पुण्य की आवधारणाएँ और कल्पनाएँ एक जैसी हैं।

प्रश्न 6.
जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण होते हैं?
उत्तर
जितेन नार्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करने से यह पता चलता है कि एक गाइड में निम्नलिखित गुण होते हैं-

  • एक कुशल गाइड में अपने क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी होती है।
  • उसमें उस क्षेत्र विशेष से जुड़ी जनश्रुति, दंतकथा आदि की जानकारी होती है ताकि पर्यटकों को ऊबन न होने पाए।
  • उसमें वाक्पटुता और व्यवहार कुशलता के अलावा विनम्रता होती है।
  • एक कुशल गाइड मृदुभाषी एवं सहनशील होता है।
  • वह गाइड होने के साथ-साथ ड्राइवर भी होता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर गाड़ी भी चला सके।
  • वह साहसी तथा उत्साही होता है जो खतरों का सामना करने से नहीं डरता है।

प्रश्न 7.
इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
लेखिको बालकनी से हिमालय की तीसरी सबसे बड़ी चोटी कंचनजंघा के दर्शन करना चाहती थी किंतु हल्के बादलों से आसमान घिरा होने के कारण कंचनजंघा नहीं देख सकी।

आगे बढ़ने पर हिमालय बड़ा होते-होते विशालकाय होने लगा। भीमकाय पर्वतों के बीच से निकलते हुए ऐसा लगता था कि किसी सघन हरियाली वाली गुफा के बीच हिचकोले खाते निकल रहे हैं। लेखिका कभी पर्वतों के शिखरों को देखती तो कभी ऊपर से दूध की धार की तरह झर-झर गिरते जल प्रपातों को देखती। कभी नीचे चिकने-चिकने गुलाबी पत्थरों के बीच इठलाकर बहती चाँदी की तरह कौंध मारती बनी ठनी तिस्ता नदी को।

उसने खूब ऊँचाई से पूरे वेग के साथ ऊपर शिखरों के भी शिखर से गिरता फेन उगलता झरना देखा, जिसका नाम था-‘सेवन सिस्टर्स वॉटर फॉल ।’ रात के गहराते। अँधेरे में ऐसा लगता था कि हिमालय ने काला कंबल ओढ़ लिया हो।

प्रश्न 8.
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?
उत्तर
प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका मंत्रमुग्ध सी हो जाती है। उसे प्रकृति अत्यंत रहस्यमयी और मोहक लगती है। वह इस सौंदर्य को किसी बुत-सी ‘माया’ और ‘छाया’ के खेल की तरह देखती रह जाती है। ऐसा लगता। है जैसे प्रकृति लेखिका को नासमझ जानकर अपना परिचय देती हुई जीवन के विभिन्न रहस्यों से परिचित करा रही हो। ताकि लेखिका जीवन के रहस्यों से परिचित हो सके।

प्रश्न 9.
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी हुई लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
उत्तर
प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी हुई लेखिका के हृदय जो दृश्य झकझोर गए-वे इस प्रकार हैं-

  1. अवितीय सौंदर्य से निरपेक्ष कुछ पहाड़ी औरतें पत्थरों पर बैठी पत्थर तोड़ रही थीं। गुँथे आटे-सी कोमल काया परंतु हाथों में कुदाल और हथौड़े। स्वर्गिक सौंदर्य के बीच भूख, मौत, दैन्य और जिंदा रहने की यह जंग।
  2. दूर-दूर से तराई के स्कूल में जाते वे बच्चे, जो सिर्फ पढ़ते ही नहीं हैं अपितु अधिकांश बच्चे शाम के समय माँओं के साथ पशु चराते हैं, पानी भरते हैं, जंगल से लकड़ियों के भारी गट्ठर भी ढोते हैं। पहाड़ों के सौंदर्य के बीच इतना परिश्रमपूर्ण जीवन ।।
  3. सूरज ढलने के समय कुछ पहाड़ी औरतें गायों को चराकर वापस लौट रही थीं। कुछ के सिर पर लकड़ियों के भारी-भरकम गट्ठर थे।
  4. चाय के बागानों में बोकु पहने युवतियाँ चाय की पत्तियाँ तोड़ रही थीं। उपर्युक्त दृश्य लेखिका को झकझोर गए।

प्रश्न 10.
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटी का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान है, उल्लेख करो।
उत्तर
सैलानियों को प्रकृति की अलौकिक छटा की अनुभूति करवाने में अनेक लोगों का योगदान होता है; जैसे-

  • वाहन चालक और परिचालकों का, जो पर्यटकों को मनोरम स्थानों पर ले जाते हैं।
  • गाइड का, जो पर्यटकों को विभिन्न जानकारियाँ देकर ज्ञानवर्धन एवं मनोरंजन करते हैं।
  • खाद्य वस्तुएँ एवं अन्य सुरक्षा के उपकरण बेचने वालों को, जो पर्यटकों की क्षुधा शांत करने के अलावा स्वादानुभूति करवाते हैं।
  • कैमरा, जूते, छड़ी, दूरबीन आदि किराए पर उपलब्ध करवाने वालों का, जो पर्यटकों की यात्रा को यादगार बनाते हैं।
  • सड़क बनाने, बोझा ढोने में लगे मजदूरों का, जिनकी मदद से उन दुर्गम स्थानों तक पहुँचा जाता है।
  • राज्य सरकार के सुरक्षाकर्मियों का, जो हमें भयमुक्त यात्रा का अवसर देते हैं।

प्रश्न 11.
“कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।” इस कथन के आधार पर स्पष्ट करें कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है?
उत्तर
एक स्थान पर पहाड़िने सड़कें बनाने के लिए पत्थर तोड़ रही थीं। पहाड़ों पर रास्ता बनाना कितना दुस्साध्य है, जरा सी चूक और सीधे पाताल में प्रवेश, पीठ पर बच्चे को बाँधकर पत्तों की तलाश में वन-वन डोलती आदिवासी युवतियाँ। उन आदिवासियों के फूले हुए पाँव और इन पत्थर तोड़ती पहाड़िनों के हाथों में पड़े गाँट, ये देश की आम जनता ही नहीं, जीवन का संतुलन भी हैं। ‘वेस्ट एट रिपेईंग’ है।

इस आधार पर कहा जा सकता है कि देश की प्रगति का आधार यही आम जनता है जिसके प्रति सकारात्मक, आत्मीय भावना भी नहीं होती है। यदि यही जनता अपने हाथ खड़े कर दे तो देश की प्रगति का पहिया एक दम ब्रेक लगने जैसे रुक जाएगा। दूसरी ओर इन्हें ही इतना कम मिलता है कि अपनी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते हैं।

प्रश्न 12.
आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है? इसे रोकने में आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए?
उत्तर
आज की युवा पीढ़ी को अपने मनोरंजन एवं सुख की चिंता है। यह प्रकृति से दूरी बनाकर रखता है जिससे वह प्रकृति की उपेक्षा करती है। वह इस बात को भी भूल जाता है कि उसका जीवन प्रकृति की कृपा पर आश्रित है। आज की पीढ़ी पर्वतीय स्थानों, नदी-झील के तट तथा प्रकृति के अन्य रमणीय स्थलों को अपना पर्यटन एवं मनोरंजन स्थल बना रही है। इससे वहाँ एक ओर गंदगी बढ़ रही है तो दूसरी ओर तापमान में वृद्धि हो रही है। इसे रोकने के लिए-

  • पर्यटन स्थलों पर किसी भी प्रकार का खाली पैकेट, अवशिष्ट खाद्य पदार्थ तथा कूड़ा-करकट नहीं फेंकना चाहिए।
  • इन स्थानों पर लगे कूड़ेदान का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
  • इन जगहों पर कागज या अन्य अनुपयोगी पदार्थ जलाना नहीं चाहिए।
  • यथासंभव यहाँ तक पहुँचने के लिए सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया है। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने आए हैं? लिखें।
उत्तर
लेखिका लायुग में बर्फ देखने की इच्छा सँजोए है कि लायुंग में बर्फ देखने को मिल जाएगी, लेकिन वहीं घूमते हुए एक सिक्किम युवक उसकी इच्छा पर यह कहकर पानी

फेर देता है कि बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण स्नो-फॉल भी कम होता जा रहा है। अब बर्फ ‘कटाओ’ में मिलेगी। अतः स्नो-फॉल न होना बढ़ते प्रदूषण का दुष्परिणाम है। इस तरह प्रदूषण के अनेक दुष्परिणाम सामने हैं-

  1. अंटार्टिका की बर्फ निरंतर पिघल रही है, जिसके कारण समुद्र का जल-स्तर बढ़ता जा रहा है, धरती की सीमाएँ डूबने लगी हैं।
  2. नदियों में पानी की मात्रा में इतनी कमी हो रही है, जिसे देखकर नदियों के सूखने की आशंका होने लगी है।
  3. नदियों का जल बहुत प्रदूषित हो गया है, जिससे जलीय-जंतुओं का जीवन खतरे | में पड़ गया है।
  4. पेड़ कटने से कार्बन-डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन का संतुलन बिगड़ गया है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
  5. मौसम चक्र बदल गया है, जिससे पैदावार घट रही है। प्राकृतिक आपदाओं ने जोर पकड़ लिया है।

प्रश्न 14.
‘कटाओ’ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है। इस कथन के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कीजिए।
उत्तर
कटाओ, सिक्किम का अत्यंत खूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थान है। यह अत्यंत ऊँचाई पर बसा दुर्गम स्थान है, जहाँ बरफ़ मिलने की संभावना सर्वाधिक रहती है। लेखिका जब कटाओ पहुँची तो उसे घुटने भर बरफ़ मिली। वह बरफ़ पर लेटना चाहती थी, पर वहाँ कोई दुकान न थी। यदि दुकान होती तो वहाँ व्यापारिक गतिविधियाँ बढ़ जाती और लोग खान-पान का अपशिष्ट एवं अवशिष्ट सामान छोड़ते तथा वहाँ वाहनों का आवागमन बढ़ता जिससे प्रदूषण तथा तापमान बढ़ जाता और वहाँ भी बरफ़ मिलने की संभावना समाप्त हो जाती तथा पर्यटकों को निराश लौटना पड़ता। इस प्रकार कटाओ पर किसी भी दुकान का न होना उसके लिए वरदान है।

प्रश्न 15.
प्रकृति ने जल संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?
उत्तर
प्रकृति के द्वारा जल-संचय की व्यवस्था हिम शिखरों के रूप में अद्भुत ढंग से की गई है। प्रकृति सर्दियों में बर्फ के रूप में जल-संग्रह कर लेती है और गर्मियों में पानी के लिए जब त्राहि-त्राहि मचती है तो ये बर्फ शिलाएँ पिघल-पिघलकर जलधारा बन हमारे सूखे कंठों को तरावट पहुँचाती है। कितनी अद्भुत व्यवस्था है जल संचय की।

इस प्रकार प्रकृति के द्वारा जल संचय की व्यवस्था है कि पहाड़ों पर जाड़े में बर्फ के पहाड़ बन जाते हैं और यही हिम-शिखर पिघलकर नदियों के द्वारा कृषि की, लोगों की और धरती की प्यास बुझाते हैं।

प्रश्न 16.
देश की सीमा पर बैठे फौजी किस तरह की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति हमारा क्या उत्तरदायित्व होना चाहिए?
उत्तर
देश की सीमा पर बैठे फ़ौजी अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में देश की रखवाली करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं। वे ऐसे निर्जन, दुर्गम एवं बीहड़ स्थानों पर रहकर अपना कर्तव्य निर्वाह करते हैं जहाँ हर समय मौत का साया मँडराता रहता है। प्राकृतिक परिस्थितियाँ भी पूर्णतया प्रतिकूल होती हैं। ठंड इतनी कि पेट्रोल के सिवा सब कुछ जम जाता है। देश और देशवासियों के लिए जान लुटाने को तत्पर इन फ़ौजियों के प्रति हमारा उत्तरदायित्व यह होना चाहिए कि-

  • हम उनके प्रति सम्मान एवं आदर भाव रखें।
  • उनकी कर्तव्यनिष्ठा एवं देशभक्ति पर उँगली न उठाए।
  • उनके परिवार की सुख-सुविधाओं का सदैव ध्यान रखें।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला.

बोध-प्रश्न

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर
इफ्फन टोपी शुक्ला कहानी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि कथा नायक टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फन के साथ हुई थी। टोपी शुक्ला व इफ़्फ़न विपरीत धर्मों के होते हुए भी अटूट व अभिन्न मित्र थे। इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला की कहानी में अधूरापन लगेगा और उसे समझा नहीं जा सकेगा। दोनों की घरेलू परंपराएँ अलग-अलग होने पर भी कोई ताकत उन्हें मिलने से नहीं रोक पाई थी।

प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थीं?
उत्तर
इफ्फ़न की दादी का विवाह मौलवी से हुआ था। वे एक जमींदार की बेटी थी। अपने मायके में रहते हुए उन्होंने अपनी मरजी और खूब आजादी से खाया-पीया था। वहाँ असामियों के घर से दूध-घी की जो हांडियाँ आती थीं उनके लिए लखनऊ (अपनी ससुराल) आकर तरस जाना पड़ा। मायके जाने पर दूध-दही की फिर आजादी हो जाती थी। लखनऊ में उन्हें एक मौलविन होकर रह जाना पड़ता था, इसलिए वे अपने पीहर जाना चाहती थीं।

प्रश्न 3.
इफ्फन की दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं?
उत्तर
दादी अपने बेटे सय्यद मुरतुजा हुसैन की शादी में गाने-बजाने की इच्छा को इसलिए पूरी नहीं कर पाईं क्योंकि उनके पति कट्टर मौलवी थे जो हिंदुओं के हाथ का पका हुआ तक नहीं खाते थे। बेटे की शादी में दादी का दिल गाने-बजाने को लेकर खूब फड़फड़ाया किंतु मौलवियों के घर में गाने-बजाने की पाबंदी होती थी। इसलिए उनकी इच्छा मन में ही दबकर रह गई। बेटे की शादी के बाद मौलवी साहब की मृत्यु हो गई। इफ्फ़न बाद में पैदा हुआ था जिस कारण दादी को अब कोई डर नहीं रह गया था और उसने इफ्फ़न की छठी पर खूब नाच-गाकर जश्न मनाया था।

प्रश्न 4.
“अम्मी” शब्द सुनकर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर
टोपी शुक्ला अपने मित्र इफ्फ़न के मुँह से अपनी माँ के लिए ‘अम्मी’ शब्द सुना करता था। उसके घर में अम्मी कहने सुनने पर कोई आपत्ति न थी। यह ‘अम्मी’ शब्द उसे भी अच्छा लगा। एक दिन शाम को जब मेज़ पर बैठे सभी खाना खा रहे थे तभी टोपी ने अपनी माँ से कहा, “अम्मी, जरा बैगन का भुरता।” इतना सुनते ही सभी के हाथ जहाँ के तहाँ रुक गए। यह शब्द उसने कहाँ से सीखा? यह पूछा गया। वह पुनः इफ़्फ़न के घर न जाए, ऐसा न स्वीकारने के कारण उसकी पिटाई भी की गई।

प्रश्न 5.
दस अक्टूबर सन् पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्त्व रखता है?
उत्तर
दस अक्टूबर सन् पैंतालीस वैसे तो सामान्य दिन था परंतु टोपी की जिंदगी में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन उसके सबसे प्यारे दोस्त इफ्फ़न के पिता का तबादला हो गया था और वे सपरिवार मुरादाबाद चले गए थे। अब टोपी बिल्कुल अकेला हो गया था क्योंकि इफ्फ़न के पिता की जगह आने वाले कलेक्टर के तीनों बेटों में से किसी ने भी उसके साथ दोस्ती न की थी। इसी दिन टोपी ने कसम खाई थी कि वह ऐसे लड़के से दोस्ती नहीं करेगा जिसका पिता ऐसी नौकरी करते हो जिसमें बदली होती हो।

प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर
टोपी की दादी नहीं चाहती थीं कि टोपी इफ्फ़न के घर आए-जाए या उसकी बोली भाषा सीखे। वे टोपी की भावनाओं की परवाह नहीं करती थी। टोपी को उनमें अपनापन नज़र नहीं आया, इसलिए वे टोपी को अच्छी नहीं लगती थी। इसके विपरीत इफ़्फ़न की दादी टोपी से पूरबी बोली में पूछती, ”तोरी अम्मा का कर रहीं…।” से बात शुरू करतीं और उसे प्यार से तरह-तरह की कहानियाँ सुनाती। ऐसा अपनापन उसे कभी भी अपनी दादी से नहीं मिल पाया था। इसलिए उसने इफ्फ़न से अपनी दादी बदलने की बात कही।

प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर
पूरे घर में इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था। यद्यपि प्यार तो उसे अपने अब्बू, अम्मी और बाजी से भी था तथापि दादी से उसे विशेष लगाव था। अब्बू तो कभी-कभी डॉट भी दिया करते थे परंतु एकमात्र दादी ही ऐसी थीं जिन्होंने उसका दिल कभी नहीं दुखाया था। दादी रात में इफ़्फ़न को प्यार से तरह-तरह की कहानियाँ सुनाया करती थीं। दादी की भाषा भी इफ्फ़न को अच्छी लगती थी। यही कारण था कि इफ्फन अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।

प्रश्न 8.
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगने लगा?
उत्तर
इफ्फ़न की दादी के देहांत के बाद उसका अपना घर खाली-सा लगा, क्योंकि उस घर में दादी के अलावा अन्य किसी से उसे अपनापन नहीं मिला। दादी ने ही उसका दुख-दर्द समझा। जिस तरह टोपी को अपने घर में भी अपनापन नहीं मिला उसी तरह इफ्फ़न की दादी भी अपनी बोली-भाषा के कारण परिवार में अलग-सी होकर रह रही थी। टोपी और दादी की मुलाकात ने एक-दूसरे का दुख समझने का अवसर दिया। इससे दोनों के बीच उम्र का, धर्म का और जाति का भेद किए बिना अटूट बंधन बँध गया। यही कारण है कि टोपी ने जब इफ़्फ़न की दादी की मृत्यु की बाते सुनी तो वह उदास हो गया और एकांत में देर तक रोता रहा।

प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान अटूट रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर
लेखक ने बताया है कि टोपी कट्टर हिंदू परिवार से संबंध रखता था तथा इफ़्फ़न की दादी मुसलमान थीं किंतु फिर भी टोपी और इफ्फन की दादी में एक अटूट मानवीय रिश्ता था। दोनों आपस में स्नेह के बंधन में बंधे थे। टोपी को इफ्फ़न के घर में अपनापन मिलता था। दादी के आँचल की छाँव में बैठकर वह स्नेह का अपार भंडार पाता था। इसके लिए रीति-रिवाज़, सामाजिक हैसियत, खान-पान आदि कोई महत्व नहीं रखता था। इफ्फन की दादी भी घर में अकेली थीं, उनकी भावनाओं को समझने वाला भी कोई न था। अतः दोनों का रिश्ता धर्म और जाति की सीमाएँ पार कर प्रेम के बंधन में बँध गया। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे। लेखक ने हमें समझाया है कि जब दिल से दिल मिल जाते हैं तो मज़हब और जाति के बंधन बेमानी हो जाते हैं। अतः स्पष्ट हो जाता है कि टोपी व इफ्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के होने पर भी वे दोनों आपस में प्रेम व स्नेह की अदृश्य डोर से बँधे हुए थे।

प्रश्न 10.
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए
(क) जहीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को किन भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मद्देनजर रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर

  1. टोपी एक जहीन लड़का था, फिर भी वह दसवीं में दो साल फेल हो गया। इसके दो मुख्य कारण थे
    • घर के सदस्य टोपी से अपना-अपना काम करवाते थे। इससे उसे पढ़ने का अवसर न मिला।
    • दूसरे साल वह टाइफ़ाइड होने के कारण पढ़ाई न कर सका।
  2. एक ही कक्षा में दो बार बैठने पर टोपी को अनेक भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उसके साथ पढ़ने वाले साथी छात्र अगली कक्षा में चले गए। पिछली कक्षा से आने वाले छात्रों को वह अपना मित्र न बना सका जिनसे खुलकर वह बातचीत कर सके। कक्षा के अध्यापक भी बात-बात पर उसका मजाक उड़ाते थे। वे उसकी तरफ़ ध्यान नहीं देते थे। जिस प्रश्न का उत्तर उसे आता भी रहता, उसे न बताने देते। मौका मिलते ही कक्षा के छात्र उसका मजाक उड़ाते इससे टोपी अपमानित महसूस करता और अपनी बातें न कह पाता।
  3. टोपी की भावनात्मक परेशानियों को ध्यान में रखने से ज्ञात होता है कि शिक्षा व्यवस्था में कुछ कमियाँ हैं, जिनमें सुधार करना अत्यावश्यक है। इसके लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं-
    • छात्रों की प्रगति का आधार केवल वार्षिक परीक्षा को ही न बनाया जाए।
    • छात्रों की परीक्षा साल में तीन-चार बार कराई जानी चाहिए।
    • छात्रों की पाठ्य सहगामी क्रियाओं, उनकी रुचियों, व्यवहार आदि का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
    • छात्र के पिछली कक्षा के परिणाम को भी ध्यान में रखकर उसे फेल करने का फैसला करना चाहिए।

प्रश्न 11.
इफ्फन की दादी के मायके को घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर
कस्टोडियन का अर्थ ऐसे विभाग से है जो ऐसी संपत्ति को संरक्षण देता है जिस संपत्ति पर किसी का कोई मालिकाना हक नहीं होता। जब इफ्फ़न की दादी की मृत्यु निकट थी तो उनकी स्मरण-शक्ति समाप्त-सी हो गई। उन्हें यह भी याद न रहा कि अब उनका घर कहाँ है। उनके सारे घरवाले कराची में रह रहे थे। इसलिए जब उनके घर का कोई ‘चारिस न रहा तो उनके मायके का घर कस्टोडियन में चला गया।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
उत्तर
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह सदियों की परतंत्रता की छाप है। चाटुकारिता उनके तन-मन में विद्यमान है और जहाँ चाटुकारिता का भाव होता है वहाँ अपने सम्मान का कोई महत्त्व नहीं होता है। सरकारी तंत्र उस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाता है। इस तरह सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है।

प्रश्न 2.
रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?
उत्तर
रानी एलिजाबेथ भारत सहित अन्य देशों के दौरे पर भी जाएँगी, यह बात जानकर उनका दरजी भी परेशान हो उठा। लगा कि रानी एलिजाबेथ को भारत के साथ-साथ पाकिस्तान और नेपाल भी जाना है जहाँ की संस्कृति और पहनावा जैसी बातों में पर्याप्त भिन्नता है। वहाँ के पहनावे और संस्कृति के अनुरूप ही रानी की वेशभूषा भी होनी चाहिए तथा उस वेशभूषा से रानी की राजसी शान का प्रतिबिंब भी उभरना चाहिए। यही सब उसकी परेशानी का कारण था। उसकी परेशानी अपनी जगह पूर्णतया जायज ही थी, क्योंकि ऐसा न होने से रानी अन्य देशों में उपहास का पात्र बन सकती थी।

प्रश्न 3.
‘और देखते ही देखते नई दिल्ली की कायापलट होने लगी। नई दिल्ली के कायापलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?
उत्तर
रानी एलिजाबेथ के स्वागतार्थ नई दिल्ली की कायापलट के निम्नलिखित प्रयत्न किए गए होंगे-

  1. सरकारी भवनों की साफ-सफाई तथा रंग-रोगन कर उन्हें चमकाया गया होगा।
  2. स्थान-स्थान पर कूड़े-करकट के ढेर उठाने का प्रयास किया गया होगा।
  3. रानी की नज़र कहीं झोंपड़ी, झुग्गी-बस्तियों पर न पड़ जाए। यह सोच कर उनको स्थानांतरित किया गया होगा।
  4. सड़कों को साफ-सुथरा कर सजे हुए तोरण द्वार बनाए गए होंगे, जगह-जगह बैनर लगाए गए होंगे।
  5. कहीं-कहीं प्रमुख स्थानों पर देश के सम्मानित नेताओं का झुंड हाथ में पुष्पहार और बुके आदि लिए खड़े होंगे।
  6. सुरक्षा की दृष्टि से स्थान-स्थान पर पुलिस की व्यवस्था की गई होगी।
  7. सरकारी भवनों पर झंडे लगाए गए होंगे।
  8. ब्रिटेन और भारत की मित्रता के स्लोगन लिखे गए होंगे।

प्रश्न 4.
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
(ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती
उत्तर
(क) आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों के अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन को पेज श्री टाइप की पत्रकारिता कहा जा सकता है जिसे युवा तथा देश का विशेष वर्ग इन्हें चाव से पढ़ता है और प्रभावित होता है। चर्चित व्यक्तियों के पहनावे की चर्चा एक सीमा में रहकर करना चाहिए। ऐसा ही कुछ दिन पहले हुआ था जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का नौ लाख की लागत से बना सूट चर्चा का विषय बन गया था। जिस देश के किसान आत्महत्या कर रहे हों, लोग दो वक्त की रोटी के लिए लालायित हों तब ऐसी प्रवृत्ति अर्थात् पत्रकारिता का विषय बनाकर वाह-वाही लूटने से बचना चाहिए।

(ख) इस प्रकार की पत्रकारिता से आम जनता और विशेषकर युवा पीढ़ी बहुत प्रभावित होती है। युवा पीढ़ी तो लक्ष्यभ्रमित होकर दिवास्वप्न देखने लगती है। वे पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देना कम करके फैशन और बनाव श्रृंगार पर अधिक ध्यान देने लगते हैं। इसके लिए वे अनुचित उपाय अपनाने से भी नहीं चूकते हैं।

प्रश्न 5.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के जो सराहनीय प्रयास किए वे सब निश्चित ही हैरान करने वाले थे, वे इस प्रकार हैं-

  1. मूर्तिकार ने फाइलें ढूँढ़वाईं, जिससे यह का पता चल सके कि इस प्रकार का पत्थर कहाँ पाया जाता है।
  2. फाइल के न मिलने पर मूर्तिकार उस तरह का पत्थर ढूँढ़ने के लिए हिंदुस्तान के हर पहाड़ पर गया।
  3. उसने अपने देश के सभी नेताओं की नाक नापी। उसके लिए वह देश के उन सब नेताओं की मूर्तियाँ ढूँढ़ते-ढूंढ़ते नाक नापते-नापते देश के हर प्रांत और कोने में गया।
  4. बिहार के सेक्रेटरिएट के सामने सन् बयालीस में शहीद हुए बच्चों की स्थापित मूर्तियों की नाक को नापा, परंतु सभी बड़ी निकलीं।
  5. अंत में देश के किसी जिंदा व्यक्ति की जिंदा नाक लगाने का प्रयास किया और यह प्रयास सफल रहा, अंत में जिंदा नाक लगा दी गई।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए- ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ सब हुक्कामों ने एक-दूसरे की तरफ ताका। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में आए कुछ व्यंग्यात्मक कथन जो मौजूदा व्यवस्था पर चोट करते हैं-

  • इन खबरों से हिंदुस्तान में सनसनी फैल रही थी।
  • देखते ही देखते नई दिल्ली का कायापलट होने लगा।
  • नई दिल्ली में सब था…सिर्फ नाक नहीं थी।
  • गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
  • यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
  • जैसे भी हो, यह काम होना है और इसका दारोमदार आप पर है।

प्रश्न 7.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभर कर आई है? लिखिए।
उत्तर
नाक सदा से ही मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा का प्रतीक रही है। प्रतिष्ठा के प्रतीक इसी नाक को इस व्यंग्य रचना का विषय बनाया गया है, साथ ही देश की सरकारी व्यवस्था, मंत्रियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गुलाम मानसिकता पर कठोर प्रहार किया गया है। देश स्वतंत्र हुए आज लंबा समय बीत जाने पर भी अधिकारी एवं कर्मचारी उसी मानसिकता में जी रहे हैं। लाट की जिस टूटी नाक की किसी को भी चिंता नहीं थी, वह एलिजावेथ के भारत आगमन के कारण अचानक महत्त्वपूर्ण हो उठी और सरकारी तंत्र तथा अन्य कर्मचारी बदहवास हो उसे पुनः लगाने के लिए हर प्रकार का जोड़-तोड़ करने में जुट गए। उनमें मची आपाधापी देखने लायक थी। यह गुलामी की मानसिकता का ही असर था कि वे जॉर्ज पंचम की नाक को अब और देर तक टूटी हुई नहीं देख सकते थे, न इस दशा में एलिजावेथ को दिखाना चाहते थे। निश्चित रूप में यह गुलामी की मानसिकता का ही प्रतीक था।

प्रश्न 8.
अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
उत्तर
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता-गांधी जी, टैगोर, तिलक, लाला लाजपत राय, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, बिस्मिल आदि नेताओं की नाक फिट न होने की बात कहकर यह दर्शाना चाहता है कि जॉर्ज पंचम और हमारे इन देश-भक्तों का कोई मुकबला नहीं है। इन देश भक्तों के कार्य और व्यवहार के सामने जॉर्ज पंचम सूर्य के सामने दीये जैसा महत्त्व रखते हैं। जॉर्ज पंचम तो हमारे देश के शहीद बच्चों जैसे आदरणीय नहीं हैं। ऐसे में हमारे देश के हुक्मरानों और सरकारी कार्यालय एक बुत की नाक के लिए पता नहीं क्यों इतने परेशान हैं।

प्रश्न 9.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।
उत्तर
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक का संकेत है कि जिस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए सरकारी तंत्र के सभी हुक्काम चिंतित थे उसकी नाक तो अपने देश, देश के लिए शहीद हुए बच्चों की नाक से भी छोटी थी। इस तरह जॉर्ज पंचम की स्थिति गोखले, तिलक, शिवाजी, गाँधी, पटेल, बोस की तुलना में नगण्य थी।

प्रश्न 10.
“नई दिल्ली में सब था… सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या * कहना चाहता है?
उत्तर
‘नई दिल्ली में सब था…सिर्फ नाक नहीं थी’ के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि हमारे देश की राजधानी में सब कुछ पहले जैसा था। यह कि अपना संविधान एवं लोकतंत्र था। लोग अपनी इच्छानुसार बोलने और आचरण करने के लिए स्वतंत्र थे। वे अपने-अपने ढंग से एलिजाबेथ के स्वागत की तैयारियों में जुटे थे। भारतीय ‘अतिथि देवो भवः’ परंपरा निभाने को तैयार थे, पर अब भारतीयों के मन में जॉर्ज पंचम के लिए मन में सम्मान न था।

प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर
जॉर्ज पंचम के लाट पर जिंदा नाक लगने से अखबार वाले लज्जित थे जिस जॉर्ज-पंचम की तुलना छोटे बच्चे से भी न की जा सके और जिसके अत्याचार का इतिहास भी शायद भूले नहीं थे, उस जॉर्ज पंचम की लाट पर अपने सम्मान की नाक कटवा कर जिंदा नाक फिट की गई। यह कृत्य चुल्लू भर पानी में डूबने जैसा था। यह दिन भारतीयों के आत्म-सम्मान पर चोट करने वाला था, इसलिए आज के दिन अखबार खाली थे।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन.

बोध-प्रश्न

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता है?
उत्तर
‘सपनों के-से दिन’ पाठ के लेखक श्री गुरदयाल सिंह जी बताते हैं कि बचपन में उनके आधे से अधिक साथी हरियाणा या राजस्थान से व्यापार के लिए आए परिवारों से संबंधित थे। उनके कुछ शब्द सुनकर लेखक व उसके अन्य साथियों को हँसी आ जाती थी। बहुत से शब्द समझ में नहीं आते थे। किंतु जब वे सब मिलकर खेलते थे तब सभी को एक-दूसरे की बातें खूब अच्छी तरह समझ में आ जाती थीं। पाठ के इसी अंश से यह बात सिद्ध होता है कि कोई भी भाषा आपसी
व्यवहार में बाधक नहीं होती।

प्रश्न 2.
पीटी साहब की ‘शाबाश’ फौज़ के तमगों-सी क्यों लगती थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
पीटी साहब अत्यंत कठोर स्वभाव वाले व्यक्ति थे। जो बात-बात में बच्चों को कड़ा दंड देते थे। प्रार्थना के समय जरा-सा इधर-उधर करते ही पीटी साहब उस पर टूट पड़ते और खूब पिटाई करते थे। स्काउटिंग का अभ्यास करवाते हुए बच्चे जब अपना काम गलती किए बिना पूरा करते तो वे कहते-‘शाबाश’। पीटी साहब से भयभीत रहने वाले बच्चों के लिए। यह ‘शाबाश’ शब्द बड़ा ही उत्साहवर्धक लगता था। यह ‘शाबाशी’ उन्हें फ़ौज में तमगों का अहसास कराती थी।

प्रश्न 3.
नयी श्रेणी में जाने और नयी कॉपियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता है?
उत्तर
नयी श्रेणी में जाने का विद्यार्थियों को विशेष चाव होता है क्योंकि उन्हें वहाँ नए-नए अध्यापक मिलते हैं जो उन्हें नई-नई किताबें पढ़ाते हैं जिस कारण उनमें उमंग और उत्साह छलकता प्रतीत होता है। लेकिन लेखक का मन नई श्रेणी में जाकर उदास हो जाता है। उसके बालमन के उदास होने का कारण निम्नलिखित था

1. लेखक गरीब परिवार का था। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न थी। वह नई किताबें खरीद न सकता था। उसे | नयी कॉपियाँ अवश्य मिल जाती थीं। हेडमास्टर साहब उसके लिए अन्य लड़कों द्वारा पढ़ी गई पुरानी किताबों का प्रबंध कर देते। इन पुरानी किताबों में से विशेष प्रकार की गंध आती थी जो उसके बालमन को उदास कर देती थी।

2. लेखक की उदासी का दूसरा कारण अगली कक्षा की कठिन पढ़ाई को लेकर था। नए मास्टरों द्वारा मारपीट का भय | उसके भीतर तक समाया हुआ था क्योंकि उसके विद्यालय के मास्टर पीटते-पीटते चमड़ी तक उधेड़ देने को तैयार
रहते थे।

प्रश्न 4.
स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण ‘आदमी’ फौजी जवान क्यों समझने लगता था?
उत्तर
स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्त्वपूर्ण आदमी’ फ़ौजी जवान इसलिए समझने लगता था, क्योंकि परेड करते समय वह स्काउट की पूरी वरदी पहने, गले में रंगीन रूमाल डाले और इंडिया हिलाते हुए परेड करता था। इस वेशभूषा में उसे फ़ौजी जवान होने की अनुभूति होने लगती थी।

प्रश्न 5.
हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअत्तल कर दिया?
उत्तर
पीटी साहब चौथी कक्षा के लड़कों को फ़ारसी पढ़ाते थे। वे विद्यार्थियों को शब्द रूप पढ़ने पर बल दिया करते थे। एक दिन जब कक्षा के विद्यार्थी दिए गए शब्द रूप याद करके न आए तो पीटी साहब ने उन्हें क्रूरतापूर्ण ढंग से मुर्गा बनाकर पीठ ऊँची करने का आदेश दिया। सजा के कारण कई लड़के गिर गए तभी हेडमास्टर साहब वहाँ आ गए और उन्होंने यह सारा दृश्य अपनी आँखों से देख पीटी सर की बर्बरती पर उत्तेजित होकर उन्हें तत्काल मुअत्तल अर्थात् निलंबित कर दिया।

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?
उत्तर
लेखक को उस समय के अध्यापकों की क्रूर ढंग से की जाने वाली पिटाई के कारण लगता था कि स्कूल खुशी-खुशी जाने की जगह नहीं लगती है फिर भी उसे स्कूल जाना उस समय अच्छा लगने लगता जब पीटी मास्टर उन्हें स्काउटिंग का अभ्यास करवाते। पीटी मास्टर के वन-टू-श्री कहने पर झंडियाँ ऊपर-नीचे दाएँ-बाएँ करना अच्छा लगता था। स्काउट की परेड के समय पूरी वरदी और गले में दो रंगा रूमाल लटकाए बिना गलती के परेड करने पर पीटी मास्टर द्वारा दी गई ‘शाबासी’ के कारण स्कूल उसे अच्छा लगने लगता था।

प्रश्न 7.
लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति ‘बहादुर’ बनने की कल्पना किया करता था?
उत्तर
लेखक के छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में बहुत-सा गृहकार्य दिया जाता था। तब लेखक स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए तरह-तरह की योजनाएँ बनाया करता था। उदाहरण के लिए हिसाब के मास्टरजी द्वारा दिए गए 200 सवालों को पूरा करने के लिए रोज 10 सवाल किए जाने पर बीस दिनों में पूरे हो जाएँगे किंतु खेलकूद में जब छुट्टियाँ बीतने लगतीं तो मास्टर जी की पिटाई का डर सताने लगती। फिर लेखक रोज के पंद्रह सवाल करने की योजना बनाता। तब उसे छुट्टियाँ भी बहुत कम लगतीं तथा दिन भी कम लगने लगते तथा स्कूल का भय भी बढ़ने लगता। ऐसे में लेखक पढ़ाई से डरने के बावजूद भी ओमा जैसे सहपाठी की तरह बहादुर बनने की कल्पना करने लगता जो छुट्टियों का काम पूरा करने की अपेक्षा मास्टर जी से पिटना, अधिक बेहतर समझता था।

प्रश्न 8.
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी मास्टर की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. अत्यंत कठोर स्वभाव – पीटी मास्टर का स्वभाव इतना कठोर है कि कभी भी स्कूल में उन्हें हँसते या मुसकराते नहीं देखा गया है। वे जरा-सी गलती के लिए कठोर दंड देते थे।
  2. अनुशासन प्रिय – पीटी मास्टर नहीं चाहते थे कि कोई बालक अनुशासन हीनता करे। प्रेयर में लाइन से सिर निकालकर इधर-उधर देखना या पिंडलियाँ खुजलाना आदि उन्हें जरा भी पसंद न था। ऐसा करते देख वे छात्रों पर टूट पड़ते थे।
  3. बाल मनोविज्ञान से अनभिज्ञ – पीटी मास्टर बाल मनोविज्ञान से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। वे पिटाई के बल पर सारी पढ़ाई करवा लेना चाहते थे। वे चौथी कक्षा के छात्रों का मानसिक स्तर समझे बिना शब्द रूप याद करने के लिए दे देते थे और न सुना पाने पर मुरगा बना देते थे।
  4. स्वाभिमानी – हेडमास्टर द्वारा मुअत्तल किए जाने के बाद भी पीटी मास्टर के चेहरे पर शिकन नहीं आती है। वे पहले जैसे ही अपने तोतों के साथ समय बिताते हैं।

प्रश्न 9.
विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर
‘सपनों के-से दिन’ पाठ में बताया गया है कि विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए उन्हें कठोर यातनाएँ दी जाती थीं। उन्हें भयभीत अवस्था में रखा जाता था। उस समय के स्कूल के छात्र पीटी सर से बहुत डरा करते थे। वे भय व आतंक के पर्याय थे। बच्चों को शारीरिक दंड भी दिया जाता था। अध्यापक की बात सुनकर बच्चे/छात्र थर-थर काँपते थे। उनके व्यवहार के लिए खाल खींचते जैसे मुहावरों का प्रयोग किया गया है। अनुशासन की यह युक्ति पूरी तरह से गलत मानी जानी चाहिए।

वर्तमान समय में अनुशासन के लिए इस प्रकार की युक्ति अपनाने की मनाही है। अदालत ने भी शारीरिक दंड पर रोक लगा दी है। छात्रों को मारना-पीटना कानूनी अपराध बन चुका है क्योंकि शारीरिक दंड बच्चों को भयभीत करते हैं जिससे उनका मन पढ़ाई से हट जाता है। आजकल बच्चों को सजा देने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके अपनाए जाते हैं जिनका उचित परिणाम देखने को मिलता है। अध्यापकों द्वारा विद्यार्थियों को समझा-बुझाकर, पुरस्कार आदि देकर अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित किया जाता है।

प्रश्न 10.
बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए।
उत्तर
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 11.
प्रायः अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज्यादा रुचि लेने से रोकते हैं और समय बर्बाद न करने की नसीहत देते हैं। बताइए
(क) खेल आपके लिए क्यों जरूरी हैं?
(ख) आप कौन-कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो?
उत्तर
(क) खेल प्रत्येक उम्र के बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है। इससे उनका सर्वांगीण विकास होता है। खेलों की बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास में अहम भूमिका होती है। इसके अलावा इससे बच्चों के व्यक्तित्व का विकास होता है। खेल बच्चों की सोच को विस्तृत तथा विकसित करते हैं। इससे बच्चों में सामूहिक रूप से काम करने के भावना का संचार होता है। बच्चों में प्रतिस्पर्धा तथा प्रतियोगिता हेतु आगे बढ़ने की होड़ पैदा होती है। खेलों में भाग लेने से बच्चे को अपना, विद्यालय का तथा देश का नाम रोशन करने का सुअवसर प्राप्त होता है। खेलों से बच्चों का मनोरंजन होता है तथा वे अनुशासन सीखते हैं इससे उनमें धैर्य व सहनशक्ति बढ़ती है।

(ख) हम निम्नलिखित नियम व कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को हमारे खेल पर आपत्ति नहीं होगी–

  1. हम समय सीमा का ध्यान रखेंगे और सीमित समय में ही खेलेंगे।
  2. हम परीक्षा के दिनों में खेलने की अपेक्षा पढ़ाई पर अधिक ध्यान देंगे।
  3. समय तालिका बनाते हुए हम पढ़ाई तथा खेल के समय को निर्धारित करेंगे।
  4. खेलकूद करते समय हम आपस में लड़ाई-झगड़े नहीं करेंगे।
  5. हम सद्भावना को ध्यान में रखकर खेल खेलेंगे।
  6. हम खेल भावना से खेलेंगे, खेलते समय हम हार-जीत की भावना मन में नहीं लाएँगे। हम पूरे उत्साह से खेलेंगे तथा हार या जीत को सहज स्वीकार करेंगे।
  7. हमें खेल जीतने के लिए मादक पदार्थों का सेवन नहीं करेंगे। जिससे हमारे माता-पिता या देश के गौरव को धक्का लगे।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका.

बोध-प्रश्न

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?
उत्तर
हरिहर काका और कथावाचक के बीच में गहरा संबंध था। दोनों एक ही गाँव के निवासी थे। कथावाचक हरिहर काका का बहुत सम्मान करता था। कथावाचक के हरिहर काका के प्रति लगाव के दो मुख्य कारण थे

  1. हरिहर काका का घर कथावाचक के पड़ोस में था। पड़ोसी होने के कारण सुख-दुख में उनका साथ रहा।
  2. लेखक की माँ के कथन के अनुसार हरिहर काका बचपन से उसे बहुत दुलार करते थे। वे एक पिता की भाँति उसे
    अपने कंधों पर बैठाकर घुमाया करते थे। वही दुलार बड़ा होने पर दोस्ती में बदल गया।

प्रश्न 2.
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी में क्यों लगने लगे?
उत्तर
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी में इसलिए लगने लगे, क्योंकि

  • दोनों ही स्वार्थ में आकंठ डूबे हैं। वे हरिहर काका से नहीं बल्कि उनकी जमीन-जायदाद चाहते हैं।
  • उनकी ज़मीन पाने के लिए वे किसी भी हद तक गिर सकते थे। यहाँ तक कि काका की जान लेने पर भी उतर आए थे।
  • दोनों ही काका के हितैषी होने का दावा करते हैं पर यह दिखावे के सिवा कुछ भी नहीं है। काका दोनों की ही सच्चाई देख चुके थे।

प्रश्न 3.
ठाकुरबारी के प्रति गाँववालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर
ठाकुरबारी गाँव में एक प्राचीन धार्मिक स्थल है। ठाकुरबारी के संबंध में जो कहानी प्रचलित है, वह यह है कि वर्षों पहले जब यह गाँव पूरी तरह बसा भी नहीं था; कहीं से एक संत आकर इस स्थान पर झोंपड़ी बनाकर रहने लगे थे। वह सुबह-शाम यहाँ ठाकुरजी की पूजा करते थे। गाँववालों ने चंदा जमा करके ठाकुर जी का एक छोटा-सा मंदिर बनवा दिया। आबादी बढ़ने के साथ-साथ ठाकुरबारी का विकास होता गया। गाँव के लोगों का मानना था कि उनके सभी काम ठाकुरजी की कृपा से पूरे होते हैं। पुत्र के जन्म पर, मुकदमें की जीत पर, लड़की की शादी अच्छी जगह तय होने पर, लड़के को नौकरी मिलने पर, वे अपनी खुशी से ठाकुर जी पर रुपये, जेवर, अनाज आदि चढ़ाते थे। अधिक खुशी होती तो ठाकुरजी के नाम अपने खेत का एक छोटा-सा टुकड़ा लिख देते। इससे पता चलता है कि गाँव वालों में ठाकुरजी के प्रति अपार श्रद्धा थी। वे धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे अपनी हर सफलता का श्रेय ठाकुर जी को देकर अपनी श्रद्धा और विनम्रता व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 4.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं- कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
हरिहर काका अच्छी तरह जान चुके थे कि महंत और उनके भाई जो आदर-सम्मान और सुरक्षा दे रहे हैं उसका कारण उनके साथ घनिष्ठ और सगे भाई का संबंध न होकर जायदाद है अन्यथा इसी गाँव में जायदादहीन को कौन पूछता है। ठाकुरबारी के महंत चिकनी-चुपड़ी बातें इसलिए करते थे ताकि काका की ज़मीन-जायदाद ठाकुरबारी के नाम वसीयत करा सकें। उनके भाइयों ने जो भी आदर-सत्कार और देखभाल बढ़ा दिया है वह भी उनकी जायदाद के कारण है। काका के सामने ऐसे अनेक उदाहरण थे जिन्होंने किसी बहकावे में आकर अपनी जायदाद दूसरों के नाम लिख दिया और वे उपेक्षापूर्ण कष्टमय जीवन जीने को विवश हुए।

प्रश्न 5.
हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बर्ताव किया?
उत्तर
हरिहर काकी को जबरन उठा ले जानेवाले ठाकुरबारी के महंत के भेजे हुए आदमी थे। वे ठाकुरबारी के साधु-संत और महंत के पक्षधर थे। वे लोग भाला, आँड़ासा और डंडे से लैस होकर आधी रात के समय हरिहर काका के घर आए और उन्हें जबरदस्ती अपनी पीठ पर लादकर चंपत हो गए। महंत और उनके साथियों ने हरिहर काका के साथ बुरा व्यवहार किया। उन्होंने काका के हाथ-पाँव बाँधकर मुँह में कपड़ा ठूसकर जबरन जमीन के कागज़ों पर अँगूठे के निशान लगवाए। उसके बाद उन्होंने काका को अनाज के गोदाम में बंद कर दिया।

प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँव वालों की क्या राय थी? और उसके क्या कारण थे?
उत्तर
हरिहर काका के मामले में गाँववालों के दो अलग-अलग वर्ग थे। इस कारण उनकी राय भी अलग-अलग थी। हरिहर काकी के बारे में एक वर्ग जो ठाकुरबारी के महंत और साधु-संतों के साथ था, वह सोचता था कि काकी को अपनी जमीन-जायदाद ठाकुरबारी के नाम लिख देना चाहिए तथा अपना नाम अमर कर लेना चाहिए। ऐसा धार्मिक कार्य करके काका सीधे स्वर्ग को जाएँगे। हरिहर काका के बारे में प्रगतिशील विचारों वाले लोगों (किसानों) की राय यह थी कि काका को अपनी जमीन अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए, क्योंकि वे किसान थे। वे किसान के लिए जमीन का महत्त्व जानते थे।

प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, “अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।”
उत्तर
लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि हरिहर काका दोनों ही स्थितियों से गुजरते हैं। पहले जब वे अज्ञान की स्थिति में थे तो मृत्यु से डरते थे परंतु बाद में ज्ञान होने पर वे मृत्यु का वरण करने का तैयार हो जाते हैं। ज्ञान होने पर काका को वे सब लोग याद आ जाते हैं, जिन्होंने परिवार वालों की मोहमाया में फँसकर अपनी ज़मीन उनके नाम कर दी। बाद में वे लोग दाने-दाने को मोहताज़ हो गए। काका सोचने लगे कि ऐसी दुर्गति होने से तो अच्छा है कि लोग उन्हें एक ही बार मार दें। कहानी में महंत एवं काका के भाई उनकी ज़मीन अपने नाम करवाने के लिए कई युक्तियाँ अपनाते हैं। महंत काका का अपहरण करवाता है। उसके आदमी काका को उठा ले जाते हैं, उन्हें डराते-धमकाते हैं। काका के भाई भी उन्हें डरा-धमकाकर ज़मीन अपने नाम करवाना चाहते हैं परंतु हरिहर काका पर उनकी धमकियों का कोई असर नहीं होता। वे मृत्यु का वरण करने के लिए तैयार हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि मृत्यु तो एक दिन होना ही है। अतः मृत्यु से डरना व्यर्थ है। हरिहर काका की इसी मनः स्थिति के कारण लेखक ने उक्त कथन कहा।

प्रश्न 8.
समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर
समाज में रिश्तों की विशेष अहमियत होती है। ये रिश्ते ही एक-दूसरे को अदृश्य डोर में बाँधे रहते हैं। ये रिश्ते व्यक्ति को मान-सम्मान दिलाने में सहायक होते हैं। ये रिश्ते ही हैं जिनके कारण व्यक्ति दूसरे के दुख-सुख में काम आता है। यदि रिश्ते न हों तो समाज में एक तरह का जंगलराज और अव्यवस्था का वातावरण होगा, जिसमें कोई किसी को पहचानेगा ही नहीं। इससे स्वार्थपरता, निजता और आत्मकेंद्रितता आदि का बोलबाला हो जाएगा। भाईचारा, पारस्परिक सौहार्द्र, प्रेम किसी अन्य लोक की बातें बनकर रह जाएँगी।

प्रश्न 9.
यदि आपके आसपास हरिहर काका जैसी हालत में कोई हो तो आप उसकी किस प्रकार मदद करेंगे?
उत्तर
यदि हमारे घर के आसपास कोई हरिहर काका जैसी दशा में होगा तो हम उसकी हर संभव मदद करेंगे। पहले तो उसके परिवारवालों को समझाएँगे कि वे उस व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार न करें, उसे प्यार, सम्मान और अपनापन दें। फिर भी यदि वे न माने तो पड़ोस के बड़े-बुजुर्गों की सहायता लेंगे कि वे उनकी किसी प्रकार की सहायता करें। यदि पुलिस की मदद लेनी पड़ेगी तो हम पीछे नहीं हटेंगे। हम कोशिश करेंगे कि मीडिया भी सहयोग करे और उस व्यक्ति को इंसाफ़ दिलवाए।

प्रश्न 10.
हरिहर कोका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो स्थिति एकदम विपरीत होती। हरिहर काका के अपहरण की बात अखबार और अन्य संचार माध्यमों की आवाज़ बन जाती। इससे पुलिस तत्काल महंत, साधुजन और उनके पक्षधरों पर कार्यवाही करती। इसी प्रकार हरिहर काका के भाइयों की अत्याचार की खबर प्रकाशित होते ही उनके विरुद्ध कार्यवाही होती और हरिहर काका की मदद के लिए अनेक समाज सेवी तथा वृद्धाश्रम संचालक तैयार हो जाते। इतना ही नहीं समाज के कुछ सहृदय व्यक्ति उन्हें गोद ले लेते। संभवतः स्वयंसेवियों द्वारा दायर किसी याचिका पर फैसला सुनाते हुए न्यायालय उनके भाइयों को जमीन देने के बदले हरिहर काका के लिए गुजारा भत्ता तय कर देती। ऐसी स्थिति में हरिहर काका को अपने भाइयों और ठाकुरबारी के भय के साये में न जीना पड़ता और उनकी ऐसी दुर्गति न होती और वे मुँगेपन का शिकार न होते।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 1 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?
उत्तर
बच्चे के पिता उसके प्रत्येक खेल में शामिल होने का प्रयास करते थे। उसे किसी-न-किसी प्रकार अधिकांश समय अपने साथ रखते थे अतः शिशु का पिता के प्रति अधिक लगाव स्वाभाविक था। किंतु माँ का स्नेह हृदयस्पर्शी होता है। निश्छल हृदय शिशु को हृदयस्पर्शी स्नेह की पहचान होती है। यही कारण है विपदा के समय शिशु पिता के पास न जाकर माँ के पास जाता है। माँ की गोद में सुरक्षा की गारंटी के साथ वात्सल्य स्नेह की पूर्ण अनुभूति करता है।

प्रश्न 2.
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर
बच्चों की यह स्वाभाविक विशेषता होती है कि वे अत्यंत भोले-भाले, निश्छल तथा सरल होते हैं। अपनी मनपसंद की चीजें मिलते ही, अपने साथियों का साथ पाते ही अपने दुख-सुख तथा रोना-धोना भूल जाते हैं। उन्हें अपने समान उम्र वाले सांथियों का साथ अच्छा लगता है। वे उन्हीं के साथ तरह-तरह के खेल खेलते हैं। अपने मन की हर बात तथा हर भाव को उनके साथ बाँटते हैं। भोलानाथ को भी जब साथी बालकों की टोली दिखाई देती है तो उनका खेलना-कूदना देखकर, वह गुरु जी की डाँट-फटकार तथा अपना सिसकना भूल जाता है और उनके साथ खेलने में मग्न हो जाता है। बच्चों के साथ उसे लगता है कि अब डर, भय और किसी तरह की चिंता की आवश्यकता नहीं रही। यही कारण है कि भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।

प्रश्न 3.
आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी-न-किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर
तुकबंदियाँ-

1. अटकन-बटकन दही चटाके।
बनफूले बंगाले ।

2. अर्रक-बकि दूध की धार ।
चोर भाग गया पल्ली पार।।

प्रश्न 4.
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से पूरी तरह भिन्न है। भोलानाथ जिस ग्रामीण पृष्ठभूमि का और जिस काल का बालक है, उस समय गाँवों में बिजली नहीं पहुँची थी तथा आज जैसे खेल खिलौने उपलब्ध न थे। ऐसे में भोलानाथ और उसके साथी मिलकर घर के पास बने चबूतरे पर नाटक खेलते थे। कभी-कभी वे सब मिलकर मिठाइयों की दुकान लगाते, जिसमें मिट्टी के ढेले के लड्डू पत्तियों की पूरी-कचौरियाँ, गीली मिट्टी की जलेबियाँ, घड़े के टुकड़े के बताशे आदि बना लेते।

वे धूल से मेंड़, दीवार, तिनकों का छप्पर, दीये की कड़ाही, पानी से घी, धूल का आटा, बालू की चीनी बनाकर भोज्य पदार्थ तैयार करते थे। इसके अलावा बारात का जुलूस निकालना, चिड़ियों को उड़ाना उनका प्रिय खेल था। आज हमारे खेल तथा खेल-सामग्री में बदलाव आ गया है। हमारे खेल के सामान मशीन-निर्मित हैं। भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने के सामान ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित हैं, हमारे खेलों में क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, लूडो, शतरंज, वीडियो गेम, कंप्यूटर पर गेम आदि शहरी पृष्ठभूमि वाले खेल शामिल हैं।

प्रश्न 5.
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों?
उत्तर
पाठ में आए हर प्रसंग प्रायः हृदयस्पर्शी हैं। सभी प्रसंग बचपन की याद दिलाते हैं;
जैसे-

  1. माँ का अचानक भोलानाथ को पकड़कर तेल लगाना, उसका छटपटाना, फिर भी उसे कन्हैया बनाकर छोड़ना तथा बाबू जी के साथ आकर रोना-सिसकना भूलकर अपने साथियों के खेल में शामिल हो जाना।
  2. भोलानाथ और उसके साथियों का खेती करने का अभिनय करना, खेती की पैदावार (राशि) को तौलना, इसी बीच बाबू जी का आना और सारी राशि को छोड़कर बच्चों का हँसते हुए भाग जाना, बटोहियों को देखते रह जाने का प्रसंग दिल को छू जाता है।
  3. भोलानाथ और उसके साथियों का टीले पर चूहे का बिल देख पानी उलीचना, बिल से चूहे की जगह साँप निकलना, फिर तो बच्चों का डरना, इधर-उधर काँटों में भागना, भोलानाथ को माँ के आँचल में छिपना, सिसकना, माँ की चिंता, हल्दी लगाना, बाबू जी के लेने पर भी माँ की गोद न छोड़ना मर्मस्पर्शी दृश्य उपस्थिति करता है।

प्रश्न 6.
इस उपन्यास-अंश में तीस के दशक की ग्राम्य-संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?
उत्तर
‘माता का अँचल’ उपन्यास में वर्णित तीस के दशक की संस्कृति और आज की ग्रामीण संस्कृति को देखकर लगता है कि समय के साथ दोनों समय की संस्कृतियों में अत्यधिक बदलाव आ गया है। बच्चों की दुनिया तो पूरी तरह से बदल गई है। अब जगह-जगह नर्सरी और प्री-प्राइमरी स्कूल खुल जाने से बच्चों को जबरदस्ती वहाँ भेजने का रिवाज चल पड़ा है। दोपहर बाद बच्चों को ट्यूशन भेजने में प्रतिष्ठा की झलक दिखने लगी है। बिजली पहुँच जाने से बच्चे अब टीवी पर कार्टून देखकर समय बिताने लगे हैं। ऐसे में मिलजुल खेलने का समय बचता ही नहीं है। खेती के काम अब मशीनों से होने लगे हैं। सिंचाई का काम ट्यूबेल से किया जाने लगा है। लोगों में राजनीतिक उन्माद बढ़ने से सहभागिता, सद्भाव और पारस्परिक प्रेम कम होने लगा है।

प्रश्न 7.
पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर
सोमवार 15 सितंबर, 2013
आदरणीय पिता या माता जी यद्यपि दोनों ही आज साथ नहीं हैं तथापि उनके साथ बिताए शैशव काल की कुछ घटनाएँ बरबस याद आ जाती हैं। बचपन में कुएँ की रहट पर खेलते हुए रहट के चक्कर में सिर फैंस करे फट गया था, मैं रो रहा था, सारा शरीर खून से लथपथ था। पिता जी ने अपनी धोती फाड़कर मेरा सिर बाँध कंधे पर बैठाकर घेर (फार्म हाऊस) से डॉक्टर के पास ले गए। मरहम-पट्टी कराकर दवी दिलवाई। मेरे ठीक होने तक मेरे साथ रहकर मेरी हर ज़रूरत का ध्यान रखते थे। एक-दूसरी घटना याद आ गई है हम माँ के साथ आम के पेड़ के नीचे खड़े थे। साथ में छोटा भाई और अन्य महिलाएँ भी थीं। वेग से वर्षा होने लगी, जोर से बिजली कड़की और माँ ने अपने पल्लू से यकायके ऐसे ढका मानो बिजली से वह पल्लू रक्षा कर लेगा। मैं माँ के स्नेह से हैरान रह गया।

प्रश्न 8.
यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
माता-पिता को अपने बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं। वे अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। भोलानाथ के माता-पिता दोनों ही भोलानाथ से असीम प्यार करते हैं, पर पाठ में माता की अपेक्षा पिता भोलानाथ को अधिक प्यार करते हैं। वे भोलानाथ के साथ प्यार से कुश्ती करते हुए हारने का अभिनय कर उसे खुश करना चाहते हैं। वे भोलानाथ को अपने पास बिठाकर पूजा करते हैं। वे उसके ललाट पर तीन आड़ी अथवा अर्धचंद्राकार रेखाएँ बनाकर तिलक करते तथा भभूत लगाते हैं। पूजा समाप्त होने पर वे उस बाग में ले जाकर पेड़ की डाल पर झुलाते हैं। इसी प्रकार माँ भोलानाथ को खिलाने के लिए अनेक उपाय करती। वह तरह-तरह की चिड़ियाँ का नाम लेकर भोलानाथ को खिलाती। वह दही-भात खिलाने के लिए अनेक बातें करती। वह चोटिल भोलानाथ के जख्ओं पर हल्दी लगाती है और भोलानाथ उसके अंचल में छिप जाता है।

प्रश्न 9.
‘माता का आँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाएँ।
उत्तर
भोलानाथ का अधिकांश समय पिता के साथ में बीतता है। ऐसा लगता है कि पिता भोलानाथ का संबंध व्यक्ति और छाया का है। भोलानाथ का माँ के साथ संबंध दूध पीने तक का रह गया है। अंत में साँप से डरा हुआ बालक भोलानाथ पिता को हुक्का गुड़गुड़ाता देखकर भी माता की शरण में जाता है और अद्भुत रक्षा और शांति का अनुभव करता है। यहाँ भोलानाथ पिता को अनदेखा कर देता है जबकि अधिकांश समय पिता के सानिध्य में रहता है। इस आधार पर माता का आँचल’ सटीक शीर्षक है।
अन्य और भी उचित तथा उपयुक्त शीर्षक हो सकते हैं।

  1. माता-पिता का सानिध्य।
  2. बचपन के वे दिन।
  3. बचपन की मधुर स्मृतियाँ।

प्रश्न 10.
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
उत्तर
बच्चे का बचपन सामान्यतया उसके माता-पिता के साथ बीतता है। बच्चा अपने माता के व्यवहार से प्रभावित होता है। माता-पिता उसकी हर आवश्यकता का ध्यान रखते हैं। बच्चे भी अपने माता से प्रेम करते हैं और वे अनेक तरीकों से माता-पिता के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हैं; जैसे-

  1. माँ-बाप के न चाहने पर भी वे उनकी गोद में बैठ जाते हैं।
  2. माँ-बाप से लिपटकर, उन्हें चूमकर।
  3. अपने नन्हें हाथों से माँ-बाप को खाना खिलाकर।
  4. माता-पिता की बात मानकर अपना प्यार प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 11.
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है? ।
उत्तर
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है उसकी पृष्ठभूमि पूर्णतया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। पाठ में तीस या चालीस के दशक के आसपास का वर्णन है। ग्रामीण परिवेश में चारों ओर उगी फसलें; उनके दूधभरे दाने चुगती चिड़ियाँ, बच्चों द्वारा उन्हें पकड़ने का प्रयास करना, उन्हें उड़ाना, माता द्वारा बलपूर्वक बच्चे को तेल लगाना, चोटी बाँधना, कन्हैया बनाना, साथियों के साथ मस्तीपूर्वक खेलना, आम के बाग में वर्षा में भीगना, बिच्छुओं का निकलना, मूसन तिवारी को चिढ़ाना, चूहे के बिल में पानी डालने पर साँप का निकल आना सब कुछ हमारे बचपन से पूर्णतया भिन्न है। आज तीन वर्ष की उम्र होते ही बच्चों को नर्सरी या प्रीपेरेटरी कक्षाओं में भर्ती करा दिया जाता है। उनके खेलों के सभी सामान दुकान से खरीदे गए होते हैं। बच्चे क्रिकेट, वॉलीबॉल, कंप्यूटर गेम, वीडियो गेम, लूडो आदि खेलते हैं। जिस धूल में खेलकर ग्रामीण बच्चे बड़े होते हैं तथा मजबूत बनते हैं। उससे इन बच्चों का कोई मतलब नहीं होता है। आज माता-पिता के पास बच्चों के लिए भी समय नहीं है, ऐसे में बच्चे टी.वी., वीडियो देखकर अपनी शाम तथा समय बिताते हैं।

प्रश्न 12.
फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर
छात्र पुस्तकालय से फणीश्वर नाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाएँ लेकर स्वयं पढ़ें।

Hope given NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 are helpful to complete your homework.

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics: Understanding Economic Development – II (इकाई 4अर्थशास्त्र-आर्थिक विकास की समझ-II)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics (Political Science) in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics (Political Science): Democratic Politics – II (इकाई 3: राजनीति विज्ञान-लोकतांत्रिक राजनीति-II)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History: India and The Contemporary World – II (इकाई 1: इतिहास-भारत और समकालीन विश्व-II)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Hindi

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Hindi

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography in Hindi Medium

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography: Contemporary India – II (इकाई 2: भूगोल-समकालीन भारत-II)

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4

These Sample Papers are part of CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A. Here we have given CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4

निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक : 80

सामान्य निर्देश

* इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड हैं
खण्ड (क) : अपठित अंश -15 अंक
खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण -15 अंक
खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक -30 अंक
खण्ड (घ) : लेखन -20 अंक
* चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
* यथासंभव प्रत्येक खण्ड के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: दीजिए।

खण्ड (क) : अपठित अंश

प्र. 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए
सुबुद्ध वक्ता अपार जनसमूह का मन मोह लेता है, मित्रों के बीच सम्मान और प्रेम का केन्द्रबिन्दु बन जाता है। बोलने का विवेक, बोलने की कला और पटुता व्यक्ति की शोभा है, उसका आकर्षण है। जो लोग अपनी बात को राई का पहाड़ बनाकर उपस्थित करते हैं, वे एक ओर जहाँ सुनने वाले के धैर्य की परीक्षा लिया करते हैं, वहीं अपना और दूसरे का समय भी अकारण नष्ट किया करते हैं। विषय से हटकर बोलने वालों से, अपनी बात को अकारण खींचते चले जाने वालों से तथा ऐसे मुहावरों और कहावतों का प्रयोग करने वालों से जो उस प्रसंग में ठीक ही न बैठ रहे हों, लोग ऊब जाते हैं। वाणी का अनुशासन, वाणी का संयम और संतुलन तथा वाणी की मिठास ऐसी शक्ति है जो हर कठिन स्थिति में हमारे अनुकूल ही रहती है, जो मरने के पश्चात भी लोगों की स्मृतियों में हमें अमर बनाए रहती है। हाँ, बहुत कम बोलना या सदैव चुप लगाकर बैठे रहना भी बुरा है। यह हमारी प्रतिभा और तेज को कुंद कर देता है। अतएव कम बोलो, सार्थक और हितकर बोलो। यही वाणी का तप है।।
(i) व्यक्ति की शोभा और आकर्षण किसे बताया गया है?
(ii) कैसे व्यक्तियों से लोग ऊब जाते हैं?
(iii) वाणी का तप किसे कहा गया है?
(iv) बहुत कम बोलना भी अच्छा क्यों नहीं है?
(v) ‘राई का पहाड़ बनाना’ मुहावरे का अर्थ लिखिए।

प्र. 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए

क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-घन के नर्तन,

मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।।

मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन ।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशी के दीप लिए,
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान पतन ।

मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल,
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल ।
आंधी हो, ओले वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जंग के खंडन-मंडन।

मुझे डरी पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं, अग्निशिखाओं के नर्तन।
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन मन में उन्माद लिए, ।
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।
(i) कविता में आए मेघ, सागर की गर्जना और ज्वालामुखी किनके प्रतीक हैं? कवि ने उनका संयोजन यहाँ क्यों किया है?
(ii) ‘शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने चयन’–पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(iii) ‘युग की प्राचीर’ से क्या तात्पर्य है?
(iv) उपर्युक्त काव्यांश के आधार पर कवि के स्वभाव की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(v) उत्थान-पतन’ शब्द में समास बताइए।

खण्ड (ख) : व्यावहारिक व्याकरण

प्र. 3. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए
(क) अध्यापिका ने छात्रा की प्रशंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ख) जो ईमानदार है वही सम्मान का सच्चा अधिकारी है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) ज्यों ही घंटी बजी छात्र अंदर चले गए। (रचना के आधार पर वाक्य भेद लिखिए)

प्र. 4. निम्नलिखित वाक्यों में वाच्य परिवर्तन कीजिए
(क) हम रात भर कैसे जागेंगे? (भाववाच्य में बदलिए)
(ख) तानसेन को संगीत सम्राट कहते हैं। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ग) उनके द्वारा कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) माँ ने अवनि को पढ़ाया। (कर्मवाच्य में बदलिए)

प्र. 5. रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए
(क) आज समाज में विभीषणों की कमी नहीं है।
(ख) रात में देर तक बारिश होती रही।
(ग) हर्षिता निबंध लिख रही है।
(घ) इस पुस्तक में अनेक चित्र हैं।

प्र. 6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए
(क) श्रृंगार रस के भेदों के नाम लिखिए।
(ख) करुण रस का मूल स्थायी भाव लिखिए।
(ग) अद्भुत रस का अनुभाव लिखिए।
(घ) हास्य रस से संबंधित काव्य पंक्तियाँ लिखिए।

खण्ड (ग) : पाठ्य पुस्तक एवं पूरक पाठ्य पुस्तक

प्र. 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
पढ़ने-लिखने में स्वयं कोई बात ऐसी नहीं जिससे अनर्थ हो सके। अनर्थ का बीज उसमें हरगिज नहीं। अनर्थ पुरुषों से भी होते हैं। अपढ़ों और पढ़े-लिखों, दोनों से अनर्थ, दुराचार और पापाचार के कारण और ही होते हैं और वे व्यक्ति विशेष का चाल-चलन देखकर जाने भी जा सकते हैं। अतएव स्त्रियों को अवश्य पढ़ाना चाहिए।

जो लोग यह कहते हैं कि पुराने जमाने में यहाँ स्त्रियाँ न पढ़ती थीं अथवा उन्हें पढ़ने की मुमानियत थी वे या तो इतिहास से अभिज्ञता नहीं रखते या जानबूझकर लोगों को धोखा देते हैं। समाज की दृष्टि में ऐसे लोग दंडनीय हैं क्योंकि स्त्रियों को निरक्षर रखने का उपदेश देना समाज का अपकार और अपराध करना है-समाज की उन्नति में बाधा डालना है।
(क) कुछ लोग स्त्री शिक्षा के विरोध में क्या तर्क देते हैं और क्यों ?
(ख) अनर्थ का मूल स्रोत कहाँ होता है?
(ग) स्त्री शिक्षा के विरोधी दंडनीय क्यों हैं?

प्र. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) देवदार की छाया और फादर कामिल बुल्के के व्यक्तित्व में क्या समानता थी?
(ख) शिष्या ने डरते हुए बिस्मिल्ला खाँ से क्या कहा? खाँ साहब ने उसे कैसे समझाया?
(ग) बालगोबिन भगत की पुत्रवधू की ऐसी कौन सी इच्छा थी जिसे वे पूरा न कर सके? कारण स्पष्ट कीजिए।
(घ) “एक कहानी यह भी’ नामक पाठ की लेखिका मन्नू भंडारी का साहित्य की अच्छी पुस्तकों से परिचय कैसे हुआ?

प्र. 9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।।
पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फूकि पहारू।।
इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं।।
देखि कुठारु सरासन बाना । मैं कछु कहा सहित अभिमाना।।
भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी ।।
सुर महिसुर हरिजन अरू गाई । हमरे कुल इन्ह पर न सुराई ।।
बधे पापु अपकीरति हारें । मारतहू पा परिअ तुम्हारें ।।
कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।।
(क) रघुकुल की परंपरा की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
(ख) “इहाँ कुम्हड़बतिआ कोउ नाहीं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं।” कहकर लक्ष्मण ने अपनी कौन सी विशेषता बताई है?
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में ‘कुम्हड़बतिया’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?

प्र. 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
(क) ‘आत्मकथ्य’ कविता में जीवन के किस पक्ष का वर्णन किया गया है।
(ख) श्री सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित कविता ‘उत्साह के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम क्यों कहा गया है?
(घ) मुख्य गायक एवं संगतकार के मध्य जुड़ी कड़ी अगर टूट जाए तो उसके क्या परिणाम हो सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।

प्र. 11. ‘साना-साना हाथ जोडि’ पाठ में कहा गया है कि कटाओ पर किसी दुकान का न होना वरदान है। ऐसा क्यों ? भारत के अन्य प्राकृतिक स्थानों को वरदान बनाने में नवयुवकों की क्या भूमिका हो सकती है? स्पष्ट कीजिए।

अथवा

‘माता का अंचल’ पाठ में वर्णित तत्कालीन विद्यालयों के अनुशासन से वर्तमान युग के विद्यालयों के अनुशासन की तुलना करते हुए बताइए कि आप किस अनुशासन व्यवस्था को अच्छा मानते हैं और क्यों ?

खण्ड (घ) : लेखन

प्र. 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए
(क) स्वच्छ भारत : एक कदम स्वच्छता की ओर

  • प्रस्तावना
  • स्वच्छता का महत्व
  • वर्तमान समय में स्वच्छता को लेकर भारत की स्थिति
  • स्वच्छ भारत अभियान का आरम्भ एवं लक्ष्य
  • उपसंहार

(ख) ऊर्जा की बढ़ती माँग : समस्या और समाधान

  • प्रस्तावना
  • ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का समाप्त होना
  • नवीन स्रोतों की आवश्यकता
  • हमारी ऊर्जा पर निर्भरता
  • उपसंहार

(ग) सामाजिक संजाल (सोशल नेटवर्किंग)-वरदान या अभिशाप

  • प्रस्तावना
  • सोशल नेटवर्किंग के लाभ
  • सोशल नेटवर्किंग से हानियाँ
  • उचित प्रयोग के लिए सुझाव
  • उपसंहार

प्र. 13. आपकी कक्षा के कुछ छात्र छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों को सताते हैं। इस समस्या के बारे में प्राचार्य जी को पत्र लिखकर बताएँ और कोई उपाय भी सुझाइए।

अथवा

आज दिन-प्रतिदिन सूचना और संचार माध्यम लोगों के बीच लोकप्रिय होते जा रहे हैं। ऐसे में पत्र लेखन पीछे छूटता जा रहा है। पत्र लेखन का महत्व बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

प्र. 14. आपके शहर में विश्व पुस्तक मेले का आयोजन होने जा रहा है। इसके लिए 25 से 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।

अथवा

आपकी बड़ी बहन ने एक संगीत सिखाने की संस्था खोली है। इसके लिए 25 से 50 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए।

उत्तरमाला
खण्ड (क)

उत्तर 1. (i) बोलने का विवेक और कला-पटुता को व्यक्ति की शोभा और आकर्षण कहा गया है। इसी के कारण वह मित्रों के बीच सम्मान और प्रेम का केन्द्रबिन्दु बन जाता है।
(ii) विषय से हटकर बोलने वालों से, अपनी बात को अकारण खींचते चले जाने वालों से और ऐसे मुहावरों, कहावतों का प्रयोग करने वालों से जो उस प्रसंग में ठीक ही न बैठ रहे हों, ऐसे व्यक्तियों से लोग ऊब जाते हैं।
(ii) अनुशासित, संयमित, संतुलित, सार्थक और हितकर बोलना वाणी का तप कहा गया है।
(iv) बहुत कम बोलना भी अच्छा नहीं है क्योंकि यह हमारी प्रतिभा और तेज को कुंद कर देती है।
(v) ‘राई का पहाड़ बनाना’-बढ़ा-चढ़ाकर बात करना।

उत्तर 2. (i) कविता में आए मेघ, सागर की गर्जना और ज्वालामुखी भीषण बाधाओं और संकटों के प्रतीक हैं। कवि ने इनका संयोजन संघर्षशीलता और हिम्मत को दिखाने के लिए किया है।
(ii) कवि ने अपने जीवन में हमेशा संघर्षों और चुनौतियों का कठिन मार्ग चुना। उन्होंने कभी फूलों का अर्थात् सुख-सुविधाओं युक्त मार्ग नहीं चुना।
(iii) युग की प्राचीर’ का आशय है-संसार की बाधाएँ।
(iv) कवि का स्वभाव साहसी और संघर्षशील है।
(v) उत्थान और पतन में द्वंद्व समास है।

खण्ड (ख)

उत्तर 3. (क) जब अध्यापिका ने छात्रा की प्रशंसा की तो उसका उत्साह बढ़ गया।
(ख) ईमानदार ही सम्मान का सच्चा अधिकारी है।
(ग) मिश्र वाक्य।

उत्तर 4, (क) हमसे रात भर कैसे जागा जाएगा।
(ख) तानसेन को संगीत सम्राट कहा जाता है।
(ग) : उन्होंने कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया।
(घ) माँ द्वारा अवनि को पढ़ाया गया।

उत्तर 5. (क) विभीषणों-जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंधकारक।
(ख) देर तक-कालवाचक क्रिया-विशेषण, ‘होती रही क्रिया की विशेषता बता रहा है।
(ग) लिख रही है-सकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, एकवचन, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।
(घ) अनेक-अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, ‘चित्र’ विशेष्य का विशेषण ।

उत्तर 6. (क) श्रृंगार रस के भेद-संयोग श्रृंगार रस, वियोग श्रृंगार।
(ख) करुण रस का स्थायी भाव शोक है।
(ग) अद्भुत रस का अनुभाव-रोमांच, आँखें फाड़कर देखना, काँपना, गद्गद् होना।
(घ) हाथी जैसी देह है, गैंडे जैसी खाल।
तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे से गाल।।

खण्ड (ग)

उत्तर 7. (क) लोग स्त्री शिक्षा के विरोध में यह तर्क देते हैं कि पुराने जमाने में यहाँ स्त्रियाँ पढ़ती न थीं और उनके पढ़ने पर रोक थी। ऐसा वे इसलिए कहते हैं क्योंकि वे इतिहास से अनभिज्ञ हैं।
(ख) अनर्थ का मूल स्रोत किसी व्यक्ति के चरित्र में होता है। कुसंस्कार, कुसंगति, कुत्सित विचार जो उसे अनर्थ करने के लिए प्रेरित करते हैं।
(ग) स्त्री शिक्षा के विरोधी दंडनीय हैं क्योंकि ऐसे लोग स्त्रियों को निरक्षर रखकर समाज का अपकार करते हैं तथा सामाजिक उन्नति में बाधा डालते हैं।

उत्तर 8. (क) देवदार की छाया शीतल और मन को शांत करने वाली होती है। फादर, लेखक और उसके साथियों के साथ हँसी-मजाक में निर्लिप्त शामिल रहते, गोष्ठियों में गंभीर बहस करते तथा उनकी रचनाओं पर बेबाक राय देते। घरेलू उत्सवों और संस्कार में बड़े भाई और पुरोहित जैसे खड़े होकर आशीषों से भर देते। इसी कारण लेखक को फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।
(ख) शिष्या ने बिस्मिल्ला खाँ को फटी लुंगी पहने हुए देखकर डरते हुए कहा कि आपकी इतनी प्रतिष्ठा है, अब तो भारत रत्न भी मिल चुका है और आप फटी लुंगी पहने रहते हैं। शिष्या के ऐसा कहने पर उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब ने उसे समझाते हुए कहा कि ठीक है आगे से नहीं पहनेंगे, किन्तु बनाव सिंगार में लगे रहते तो शहनाई कैसे होती।
(ग) बालगोबिन भगत की पुत्रवधू की इच्छा थी कि वह अपने पति की मृत्यु के बाद बालगोबिन भगत के पास ही रहे क्योंकि वह बुढ़ापे में अपने ससुर की सेवा करना चाहती थी, किन्तु भगत अपनी पुत्रवधू का पुनर्विवाह कराने के पक्ष में थे।
(घ) हिन्दी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल के संपर्क में आने के बाद मन्नू भंडारी का साहित्य की अच्छी पुस्तकों से परिचय हुआ। शीला अग्रवाल ने मात्र पढ़ने को, चुनाव करके पढ़ने में बदला।

उत्तर 9. (क) रघुकुल की परंपरा की विशेषताएँ बताई गई हैं कि देवता, ब्राह्मण, भगवान के भक्त और गाय इन सभी पर रघुकुल के व्यक्ति अपनी वीरता का प्रदर्शन नहीं करते हैं।
(ख) लक्ष्मण ने कहा कि हमें कुम्हड़े के पौधे की तरह मत समझिए, जो तर्जनी उंगली के दिखाने से मुरझा जाते हैं। इस प्रकार लक्ष्मण ने अपनी निर्भीकता और वीरता को प्रदर्शित किया।
(ग) प्रस्तुत काव्यांश में यह शब्द बहुत कमजोर और निर्बल व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया गया है।

उत्तर 10. (क) ‘आत्मकथ्य’ कविता में कवि ने जीवन के यथार्थ और अभाव पक्ष का वर्णन किया है। उनका मन खाली गागर के समान है।
(ख) कविता का शीर्षकउत्साह’ इसलिए रखा गया है क्योंकि बादल वर्षा करके पीड़ित प्यासे जन की आकांक्षा को पूरा करके उनके जीवन में आशा, उत्साह और नई चेतना का संचार करते हैं। (ग) शब्दों के भ्रम की तरह नारी जीवन भर वस्त्र और आभूषणे के मोहपाश में बंधी रहती हैं। इसलिए कवि ने वस्त्राभूषणों को ‘शाब्दिक भ्रम’ कहकर उन्हें नारी जीवन का बंधन माना है।
(घ) मुख्य गायक एवं संगतकार के मध्य जुड़ी कड़ी यदि टूट जाए तो मुख्य गायक का गायन सफलतापूर्वक पूर्ण नहीं हो पाएगा। जब मुख्य गायक अपने सुरों से भटकने लगेगा तो कोई स्थायी को संभालने वाला नहीं होगा।

उत्तर 11. ‘कटाओ’ को अपनी स्वच्छता और नैसर्गिक सौंदर्य के कारण हिन्दुस्तान का स्विट्जरलैंड कहा जाता है। यह सुंदरता आज इसलिए विद्यमान है क्योंकि यहाँ कोई दुकान आदि नहीं है, इस स्थान का व्यवसायीकरण नहीं हुआ है। कटाओ’ अभी तक पर्यटक स्थल नहीं बना है। प्रकृति अपने पूर्ण वैभव के साथ यहाँ दिखाई देती है।

आज के नवयुवक विशेष अभियान चलाकर प्राकृतिक स्थानों को गंदगी-मुक्त करके अपना योगदान दे सकते हैं। वे पर्यटकों तथा अन्य लोगों को प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

अथवा

‘माता का अंचल’ पाठ में जिस विद्यालय का वर्णन है वहाँ अध्यापक बच्चों की पिटाई करके, उन्हें शारीरिक दंड देकर अनुशासन में रखते थे। आज के विद्यालयों में शारीरिक दंड देना वर्जित है। आजकल विद्यार्थियों को समझा-बुझाकर अनुशासन में रखा जाता है। विद्यालय में परामर्शदाता की नियुक्ति की जाती है। परामर्शदाता शैक्षिक मार्गदर्शन देकर छात्रों को आत्म-समायोजन तथा सामाजिकसमायोजन में सहायता प्राप्त करते हैं।

आज के विद्यालयों में जो अनुशासन व्यवस्था है वह पुराने तरीके से अधिक अच्छी है।

खण्ड (घ)

उत्तर 12.(क) स्वच्छ भारत एक कदम स्वच्छता की ओर
प्रस्तावना–प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह पहल एक स्वच्छता अभियान है जिसे एक स्वच्छ भारत की कल्पना की दृष्टि से लागू किया गया। इसे महात्मा गाँधी की जयंती पर भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया। उनका सपना था भारत को एक स्वच्छ राष्ट्र बनाना।

स्वच्छता का महत्व-स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छता का विशेष महत्व है। स्वच्छता को अपनाने से हम सब रोग मुक्त रह सकेंगे और एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकेंगे। हर व्यक्ति को जीवन में स्वच्छता अपनानी चाहिए और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए। गंदगी के कारण कई प्रकार की बीमारियाँ फैलती हैं जिससे हम सब ग्रसित हो सकते हैं। ऐसी बीमारियों से बचे रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है।

वर्तमान समय में स्वच्छता को लेकर भारत की स्थिति-केन्द्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान ने देश के प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छता की ओर उन्मुख किया है और स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित किया है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नवीन आँकड़ों पर दृष्टिपात करें तो हम पायेंगे कि देश के छोटे शहरों से ज्यादा बड़े शहरों में गन्दगी का फैलाव बहुत बड़े पैमाने पर है। आज भी हमारे देश में 6 करोड़ टन कचरा हर वर्ष पैदा होता है और यह दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। कई टन कचरा केवल दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई जैसे बड़े शहरों में पैदा हो रहा है। आज भी भारत में कई लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में स्वच्छता के प्रति कितनी लापरवाही और अरुचि है।

स्वच्छता भारत अभियान का आरंभ एवं लक्ष्य-स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर के दिन गाँधी जी की समाधि राजघाट पर जाकर नरेन्द्र मोदी जी ने श्रद्धांजलि अर्पित करके की। इसका लक्ष्य है संपूर्ण भारत को स्वच्छ बनाना और सफाई के प्रति लोगों को जागरूक करना । स्वच्छ भारत अभियान को पूरा करने के लिये पाँच वर्ष (2 अक्टूबर, 2019) तक की अवधि निश्चित की गयी है। इस अभियान पर लगभग दो लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसके अन्तर्गत 4,041 शहरों को सम्मिलित किया जायेगा। इस अभियान की सफलता के लिये, पेयजल व स्वच्छता मन्त्रालय 1 लाख 34 हजार करोड़ और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय 62 करोड़ की सहायता प्रदान करेंगे।

उपसंहार-वर्तमान समय में स्वच्छता हमारे लिए एक बड़ी आवश्यकता है। यह समय भारतवर्ष के लिए बदलाव का समय है। बदलाव के इस दौर में यदि हम स्वच्छता के क्षेत्र में पीछे रह गए तो आर्थिक उन्नति का कोई महत्व नहीं रहेगा। हमारे लिए प्रदूषण एक बड़ी चुनौती है, हमें अपने दैनिक जीवन में सफाई को एक दिनचर्या की तरह शामिल करने की जरूरत है साथ ही हमें इसे एक बड़े स्तर पर देखना जरूरी है।

(ख) ऊर्जा की बढ़ती माँग : समस्या और समाधान
प्रस्तावना-भू-तापीय ऊर्जा जिसे जियोथर्मल पॉवर कहते हैं, जिसका अर्थ है पृथ्वी और ताप। यह वह ऊर्जा है जिसे पृथ्वी में संगृहीत ताप से निकाला जाता है। यह भू-तापीय ऊर्जा, ग्रह के मूल गठन से, खनिजे के रेडियोधर्मी क्षय से और सतह पर अवशोषित सौर ऊर्जा से उत्पन्न होती है।

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का समाप्त होना-आधुनिक युग से पूर्व मनुष्य का जीवन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित था, परन्तु आज का मनुष्य जीवाश्म स्रोतों (पेट्रोल, डीजल, गैस और कोयला) पर पूरी तरह से निर्भर हो चुका है। ऊर्जा के जीवाश्म स्रोत एक बार ही उपयोग में लाये जाते हैं। दूसरा इनका भण्डार सीमित है और इससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण उत्पन्न होता है। यह चिंता का विषय है कि अगर ऊर्जा के जीवाश्म स्रोत खत्म हो गए तो क्या होगा?

यह सच है कि ऊर्जा के बिना जीवन संभव नहीं है। इसलिए ऊर्जा के उन स्रोतों को अपनाना होगा जो कभी खत्म नहीं होंगे।

नवीन स्रोतों की आवश्यकता-हम सभी जानते हैं कि वर्तमान में ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत का सीमित भंडार है। वर्तमान ऊर्जा स्रोत जीवाश्म पर आधारित है। कभी न कभी आने वाले समय में पृथ्वी के तेल भंडार खत्म हो जायेंगे और उस समय हमें ऊर्जा के वैकल्पिक संसाधनों पर पूर्णत: निर्भर होना होगा। बहुत से देशों ने पारंपरिक सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा जल ऊर्जा को अपना लिया है। हमें भी इन वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर होना सीखना होगा।

हमारी ऊर्जा पर निर्भरता-हमारी ऊर्जा पर निर्भरता इतनी बढ़ गई है कि उसके बिना हमारा कोई भी कार्य संभव नहीं हो सकता। जैसे कि बिना बिजली के हम गर्मियों में ठंडा पानी, पंखे, ए.सी. आदि का उपयोग नहीं कर पायेंगे, बिना पानी के हमारी प्यास और साफ सफाई का कार्य संभव नहीं, बिना ईंधन के खाना पकाना संभव नहीं। हम हर प्रकार से ऊर्जा पर निर्भर करते हैं इसके बिना जीवन असंभव सा प्रतीत होता है।

उपसंहार-हम सभी जानते हैं कि एक न एक दिन ऊर्जा के स्रोत खत्म हो जायेंगे क्योंकि ऊर्जा के सीमित स्रोत है और भविष्य के लिए भी कम ही होगा। इसलिए हमें ऊर्जा के नए स्रोत खोजने होंगे और उन्हें अपने उपयोग में लाना होगा, जिससे हमारी सारी जरूरतों की पूर्ति होती रहे।

(ग) सामाजिक संजाल (सोशल नेटवर्किंग) : वरदान या अभिशाप
प्रस्तावना-सोशल मीडिया एक अपरंपरागत मीडिया है। इसे वर्चुअल वर्ल्ड भी कहते हैं जिसे इंटरनेट के माध्यम से देखा जा सकता है। सोशल मीडिया एक विशाल नेटवर्क है जिससे सारी दुनिया एक दूसरे से जुड़ी हुई है। यह दूरसंचार का सबसे अच्छा माध्यम है। यह हर प्रकार की सूचना को एक जगह से दूसरी जगह तक कम समय में पहुँचाता है। यह सबसे आसान जरिया है एक दूसरे से जुड़े रहने के लिए।

सोशल नेटवर्किंग के लाभ-सोशल नेटवर्किंग के लाभ हैं कि ये कम समय में किसी से भी हमारी बात या उस दूसरे व्यक्ति तक हमारी बात पहुँचा सकता है। सोशल नेटवर्किंग के जरिये हम अपने अकेलेपन से दूर हो सकते हैं। अपने दूर के दोस्तों और रिश्तेदारों से जुड़े सकते हैं। दुनिया में क्या चल रहा है इसकी सारी जानकारी एक जगह पर आसानी से प्राप्त की जा सकती है।

सोशल नेटवर्किंग से हानियाँ-सोशल नेटवर्क के लाभ के साथ हानियाँ भी जुड़ी हुई हैं। सोशल नेटवर्क एक प्रकार से लत है जो अगर एक बार लग जाती है तो उससे पीछा छुड़ाना आसान नहीं होता। इससे लोगों को भावनात्मक और मानसिक तनाव होना शुरू हो जाता है। यह हमारे जीवन का एक अंग बन जाता है, अगर एक बार भी दिन में सोशल साईट पर जाकर नहीं बैठते तो इससे पूरे दिन में कुछ कमी भी महसूस होने लगती है। इसके कारण हमें अपने परिवार, दोस्त, सगे संबंधी से भी दूर होते चले जाते हैं।

दूसरा नुकसान यह है कि आपकी निजी जानकारी चोरी होने का डर रहता है। नेटवर्क हेक कर इन पर कुछ आपत्तिजनक चीजें भी आती हैं जोकि बच्चों के लिए अच्छी नहीं होती। फोटो का गलत इस्तेमाल कर बहुत ही खराब चीजें नेटवर्किंग साइट पर डाल दी जाती हैं। जिससे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए सोशल नेटवर्किंग कहीं न कहीं हम सबके लिए हानिकारक भी है। सोशल साइट का ज्यादा लम्बे समय तक प्रयोग न करें। कई बार लोग पूरा दिन इन साइट पर ही बिता देते हैं।

अपनी निजी जानकारी सोशल साइट पर अपलोड न करें और निजी तस्वीरें भी नहीं अपलोड करनी चाहिए। बच्चों को अपनी निगरानी में सोशल साइट पर जाने दें। अपनी सही जानकारी कभी भी अपलोड नहीं करनी चाहिए।

उपसंहार-सोशल साइट हमारे लिए वरदान है तो साथ ही अभिशाप भी है। लोग इसका सही उपयोग कम और गलत तरीके से उपयोग ज्यादा करते हैं। जिसके कारण इसका नुकसान सिर्फ हमें भुगतना पड़ता है। हमें सोशल साइट पर जाना चाहिए पर सही कार्य के लिए और इसके अभ्यस्त (आदी) भी नहीं होना चाहिए।

उत्तर 13. सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
पब्लिक स्कूल,
कमलानगर,
लखनऊ
दिनांक : 10 मई 20xx
विषय-कुछ छात्रों द्वारा छोटी कक्षा के छात्रों को सताने हेतु।
आदरणीय महोदय,
मैं आपके विद्यालय में कक्षा दसव(अ) की छात्रा हूँ। मेरी कक्षा के कुछ छात्र मध्याह्न भोजन के समय छोटी कक्षाओं के विद्यार्थियों को सताते हैं और उनका भोजन भी छीन लेते हैं। इसके कारण छोटी कक्षा के बच्चे बहुत परेशान हैं। डर के कारण उनकी शिकायत अध्यापकों से नहीं करते हैं क्योंकि मेरी कक्षा के बच्चे उन्हें शिकायत करने पर सबक सिखाने की धमकी देते हैं।

इस समस्या से छोटी कक्षा के छात्रों को बचाने के लिए मध्याह्न भोजन के समय हर कक्षा में एक अध्यापक और प्रांगण में आप खुद एक बार देखने जाया करें। इससे आपको ज्ञात हो जाएगा कि वे कौन-से छात्र हैं जो छोटी कक्षा के छात्रों को परेशान करते हैं।
सधन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारी छात्रा
क.ख.ग.
कक्षा-दसर्वी(अ)

अथवा

अजय तिवारी
महावीर सदन
गली नं. 10, राम नगर
उज्जैन
दिनांक : 8 मई 20xx
प्रिय विवेकनी,
प्रेम!
आशा है, तुम प्रसन्न होगी। कई दिन हो गए, तुम्हें पत्र लिखे।
प्रिय माला! मैं जब भी तुम्हें टेलीफोन करता हूँ तो अच्छा लगता है। परन्तु ऐसा लगता है कि मैं तुम्हें पत्र द्वारा जो कह सकता हूँ, वह टेलीफोन पर नहीं कह सकता। पता नहीं, कौन-सा संकोच अपने मन की सारी बात कहने से मुझे रोकता है। शायद कहने वाला कुछ गहरी बात कहना चाहता है। वह सामने वाले की प्रतिक्रिया न तो चाहता है और न ही उससे अपनी भावधारा भंग करना चाहता है, परन्तु टेलीफोन पर यह संभव नहीं होता कि सामने से तुरंत प्रतिक्रिया न आए। यह तुरंत प्रतिक्रिया बात को और कहीं मोड़कर वाँछित संदेश नहीं पहुँचने देती। मुझे लगता है कि पत्र-लेखन सबसे गहरे संवाद का माध्यम है। इसमें एक निर्बाध वक्ता होने का सुख है। अपने मन की गहरी से गहरी और सूक्ष्म से सूक्ष्म बात कहने का सशक्त माध्यम है। यह माध्यम बना रहना चाहिए। जैसे फास्ट फूड भोजन का विकल्प नहीं हो सकता, उसी प्रकार संचार माध्यम भी पत्र-लेखन के विकल्प नहीं हो सकते। अपने पत्र में मेरे इन विचारों पर अपनी टिप्पणी देना। तुम्हारा मित्र
अजय तिवारी

उत्तर 14.

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 1

अथवा

CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 2

We hope the CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4 help you. If you have any query regarding CBSE Sample Papers for Class 10 Hindi A Set 4, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

error: Content is protected !!