Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 10 Question Answers Summary उपसंहार

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Question and Answers

प्रश्न 1.
भारत की क्या विशेषता है?
उत्तर:
भारत में विभिन्नता में एकता है। यह अपराजेय है। बार-बार आक्रमणों के बावजूद भी इसकी आत्मा को जीता नहीं जा सका है। यह बदलते समय के अनुसार ढल जाता है।

प्रश्न 2.
हमारी क्या विशेषता है?
उत्तर:
हम भारतवासी किसी मामूली देश के वासी नहीं हैं। हमें अपनी जन्मभूमि, अपने देशवासियों, अपनी संस्कृति और अपनी परंपराओं पर गर्व है।

प्रश्न 3.
हम कैसी दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं?
उत्तर:
हम एक ऐसी दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं जहाँ राष्ट्रीय संस्कृतियाँ मानव-जाति अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति में घुल-मिल जाएगी। हमें समझदारी, ज्ञान, मित्रता और सहयोग से काम लेना है। हमें विश्व का नागरिक बनना है।

प्रश्न 4.
लेखक के अनुसार हम विदेश क्यों जाते हैं?
उत्तर:
हम विदेशों में वर्तमान की तलाश में जाते हैं। यह तलाश जरूरी है। उससे अलग रहने का अर्थ है-पिछड़ापन और क्षय।

प्रश्न 5.
समय की आवश्यकता क्या है?
उत्तर:
अतीत में भारत दूसरी संस्कृतियों का स्वागत करके उन्हें आत्मसात् कर लेता था। आज इस बात की कहीं अधिक आवश्यकता है जिससे हम विश्व नागरिक बन सकें।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘भारत की खोज’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) जवाहरलाल नेहरू
(ग) रवींद्रनाथ टैगोर
(घ) इंदिरा गाँधी
उत्तर:
(ख) जवाहरलाल नेहरू

प्रश्न 2.
नेहरू जी की यह कौन-सी यात्रा थी?
(क) पाँचवीं
(ख) दूसरी
(ग) नौंवी
(घ) तीसरी
उत्तर:
(ग) नौंवी

प्रश्न 3.
लेखक भारत के उत्तर-पश्चिम में कहाँ खड़ा था?
(क) सिंधु घाटी
(ख) कश्मीर
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) पाकिस्तान
उत्तर:
(ख) कश्मीर

प्रश्न 4.
लेखक किस शहर का रहने वाला था?
(क) कानपुर
(ख) इलाहाबाद
(ग) आगरा
(घ) दिल्ली
उत्तर:
(ख) इलाहाबाद

प्रश्न 5.
‘भारत’ देश का नाम किसके नाम पर पड़ा?
(क) राजा भरत
(ख) राजा भरत
(ग) भीष्म
(घ) भागीरथ
उत्तर:
(ख) राजा भरत

प्रश्न 6.
लेखक जब सभाओं में पहुँचता था तो उसके स्वागत में क्या स्वर गूंज उठता था?
(क) भारत माता की जय
(ख) हिंदुस्तान की जय
(ग) सिंधु की जय
(घ) महात्मा गाँधी की जय
उत्तर:
(क) भारत माता की जय

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 7.
तक्षशिला क्यों प्रसिद्ध था?
(क) महान विश्वविद्यालय के रूप में
(ख) तीर्थ स्थान के रूप में
(ग) पर्यटक स्थल के रूप में
(घ) ऐतिहासिक स्थल के रूप में
उत्तर:
(क) महान विश्वविद्यालय के रूप में

प्रश्न 8.
किस महाकाव्य की घटनाएँ लोक मानस पर अंकित हैं?
(क) महाभारत
(ख) जातक कथाओं
(ग) नीति कथाओं
(घ) वैदिक कथाओं
उत्तर:
(क) महाभारत

प्रश्न 9.
जिस सभ्यता से लेखक प्रभावित है वह किस नदी तट पर थी?
(क) गंगा
(ख) सिंधु
(ग) यमुना
(घ) कावेरी
उत्तर:
(ख) सिंधु

प्रश्न 10.
सिंधु घाटी सभ्यता का संबंध निम्न में से किस देश से नहीं था?
(क) फारस
(ख) मेसोपोटामिया
(ग) मिस्र
(घ) जापान
उत्तर:
(घ) जापान

प्रश्न 11.
ऋग्वेद को ‘आर्य मानव के द्वारा कहा गया पहला शब्द’ किसने माना है?
(क) मैक्समूलर
(ख) गोपाल कृष्ण गोखले
(ग) गाँधी
(घ) टैगोर
उत्तर:
(क) मैक्समूलर

प्रश्न 12.
कौन-सा ग्रंथ मानव जाति की पहली पुस्तक है?
(क) महाभारत
(ख) बाइबिल
(ग) ऋग्वेद
(घ) रामायण
उत्तर:
(ग) ऋग्वेद

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 13.
उपनिषदों का समय क्या माना जाता है?
(क) 800 ईसा पूर्व
(ख) 1000 ईसा पूर्व
(ग) 1500 ईसा पूर्व
(घ) 1200 ईसा पूर्व
उत्तर:
(क) 800 ईसा पूर्व

प्रश्न 14.
“असत् से मुझे सत् की ओर ले चलो” यह किस ग्रंथ की प्रार्थना है?
(क) ऋग्वेद
(ख) उपनिषदों
(ग) सामवेद
(घ) अथर्ववेद
उत्तर:
(ख) उपनिषदों

प्रश्न 15.
‘अर्थशास्त्र’ नामक ग्रंथ के लेखक कौन थे?
(क) चन्द्रगुप्त
(ख) हर्ष
(ग) कौटिल्य
(घ) पाणिनि
उत्तर:
(ग) कौटिल्य

प्रश्न 16.
रामायण के रचयिता कौन हैं?
(क) कालिदास
(ख) वेदव्यास
(ग) तुलसीदास
(घ) महर्षि वाल्मीकि
उत्तर:
(ग) तुलसीदास

प्रश्न 17.
महाभारत कैसा ग्रंथ है?
(क) खंडकाव्य
(ख) महाकाव्य
(ग) गीतकाव्य
(घ) लोककथा
उत्तर:
(ख) महाकाव्य

प्रश्न 18.
महाभारत की वह नायिका कौन है जिसके पति पाँच भाई एक साथ थे?
(क) द्रौपदी
(ख) गाँधारी
(ग) उत्तरा
(घ) कुंती
उत्तर:
(क) द्रौपदी

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 19.
गांधार का वर्तमान नाम क्या है?
(क) जालंधर
(ख) कंदहार (कांधार)
(ग) इंद्रप्रस्थ
(घ) पाटलिपुत्र
उत्तर:
(ख) कंदहार (कांधार)

प्रश्न 20.
‘गीता’ किस महाकाव्य का एक अंश है?
(क) हर्षचरित्
(ख) रामायण
(ग) महाभारत
(घ) मेघदूत
उत्तर:
(ग) महाभारत

प्रश्न 21.
भगवद्गीता में कितने श्लोक हैं?
(क) 1000 श्लोक
(ख) 600 श्लोक
(ग) 700 श्लोक
(घ) 1200 श्लोक
उत्तर:
(ग) 700 श्लोक

प्रश्न 22.
गीता में संवाद किन दो के बीच हैं?
(क) अर्जुन और कृष्ण
(ख) भीम और द्रौपदी
(ग) भीष्म और कृष्ण
(घ) युधिष्ठिर और कृष्ण
उत्तर:
(क) अर्जुन और कृष्ण

प्रश्न 23.
बुद्ध के समय से पहले का वृत्तांत हमें किस कथा ग्रंथ से मिलता है?
(क) रामायण में
(ख) जातक कथाओं में
(ग) गीता में
(घ) महाभारत में
उत्तर:
(ख) जातक कथाओं में

प्रश्न 24.
संस्कृत भाषा की व्याकरण के रचयिता माने जाते हैं?
(क) पाणिनि
(ख) कालिदास
(ग) वाल्मीकि
(घ) वेदव्यास
उत्तर:
(क) पाणिनि

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 25.
भारत में औषध-विज्ञान का जनक किसे माना जाता है?
(क) सुश्रुत
(ख) धन्वंतरि
(ग) चरक
(घ) कनिष्क
उत्तर:
(ख) धन्वंतरि

प्रश्न 26.
‘चरक’ किसके राजदरबार में राजवैद्य थे?
(क) चंद्रगुप्त
(ख) हर्ष
(ग) सिकंदर
(घ) कनिष्क
उत्तर:
(घ) कनिष्क

प्रश्न 27.
जैन धर्म के संस्थापक थे?
(क) ऋषभदेव
(ख) महावीर
(ग) बुद्ध
(घ) गुरुनानक
उत्तर:
(ख) महावीर

प्रश्न 28.
बुद्ध का जन्म हुआ था?
(क) वैशाख पूर्णिमा
(ख) चैत्र पूर्णिमा
(ग) माघ पूर्णिमा
(घ) कार्तिक पूर्णिमा
उत्तर:
(क) वैशाख पूर्णिमा

प्रश्न 29.
बुद्ध ने कितने आर्य सत्यों का निरूपण किया है?
(क) पाँच आर्य सत्य
(ख) चार आर्य सत्य
(ग) सात आर्य सत्य
(घ) दो आर्य सत्य
उत्तर:
(ख) चार आर्य सत्य

प्रश्न 30.
‘चाणक्य’ किसका मंत्री था?
(क) विक्रमादित्य
(ख) हर्षवर्धन
(ग) चंद्रगुप्त मौर्य
(घ) सिकंदर
उत्तर:
(ग) चंद्रगुप्त मौर्य

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 31.
कलिंग विजय के बाद अशोक ने किस धर्म को अपना लिया?
(क) बौद्ध धर्म
(ख) जैन धर्म
(ग) सिख धर्म
(घ) मुस्लिम धर्म
उत्तर:
(क) बौद्ध धर्म

प्रश्न 32.
किसके शासन काल में बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में बँट गया?
(क) कुषाण
(ख) चंद्रगुप्त मौर्य
(ग) मेनांडर
(घ) अशोक
उत्तर:
(क) कुषाण

प्रश्न 33.
हर्षवर्धन की राजधानी थी?
(क) पाटलिपुत्र
(ख) कन्नौज
(ग) दिल्ली
(घ) उज्जयिनी
उत्तर:
(घ) उज्जयिनी

प्रश्न 34.
“बुद्ध चरित’ के लेखक कौन हैं?
(क) चंद्रगुप्त
(ख) बुद्ध
(ग) अश्वघोष
(घ) कौटिल्य
उत्तर:
(ग) अश्वघोष

प्रश्न 35.
मुद्रा राक्षस के लेखक हैं?
(क) विशाख दत्त
(ख) हर्ष
(ग) पाणिनि
(घ) अश्वघोष
उत्तर:
(क) विशाख दत्त

प्रश्न 36.
अभिज्ञान शाकुन्तलम् कालिदास की प्रसिद्ध कृति है-
(क) नाटक
(ख) गीत
(ग) महाकाव्य
(घ) कविता
उत्तर:
(क) नाटक

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 37.
बीजगणित के प्राचीन ग्रंथ ज्योतिर्विद के लेखक हैं?
(क) भास्कर
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) आर्य भट्ट
(घ) पाणिनि
उत्तर:
(ख) ब्रह्मपुत्र

प्रश्न 38.
इनमें से कौन खगोल शास्त्री है?
(क) भास्कर
(ख) ब्रह्मपुत्र
(ग) अश्वघोष
(घ) आर्य भट्ट
उत्तर:
(घ) आर्य भट्ट

प्रश्न 39.
‘लीलावती’ किसकी रचना है?
(क) भास्कर
(ख) आर्य भट्ट
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) पाणिनि
उत्तर:
(क) भास्कर

प्रश्न 40.
सन् 1000 के आसपास अफगानिस्तान के किस सुल्तान ने भारत पर आक्रमण किए?
(क) महमूद गजनवी
(ख) शाहबुद्दीन गौरी
(ग) तैमूर
(घ) महमूद
उत्तर:
(क) महमूद गजनवी

प्रश्न 41.
हिंदुओं पर जजिया कर लगाने वाला शासक कौन था?
(क) औरंगजेब
(ख) बाबर
(ग) अकबर
(घ) जहाँगीर
उत्तर:
(क) औरंगजेब

प्रश्न 42.
शिवाजी का जन्म कब हुआ था?
(क) सन् 1640
(ख) सन् 1627
(ग) सन् 1530
(घ) सन् 1527
उत्तर:
(ख) सन् 1627

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

प्रश्न 43.
औरंगजेब की मृत्यु कब हुई?
(क) सन् 1507
(ख) सन् 1640
(ग) सन् 1707
(घ) सन् 1704
उत्तर:
(ग) सन् 1707

प्रश्न 44.
ईरान के शासक नादिरशाह का दिल्ली पर आक्रमण कब हुआ?
(क) सन् 1590
(ख) सन् 1640
(ग) सन् 1639
(घ) सन् 1739
उत्तर:
(घ) सन् 1739

प्रश्न 45.
1757 का प्लासी का युद्ध किसने जीता?
(क) क्लाइव ने
(ख) मराठों ने
(ग) शिवाजी ने
(घ) औरंगजेब ने
उत्तर:
(क) क्लाइव ने

प्रश्न 46.
जयपुर शहर को किसने बसाया?
(क) जयसिंह
(ख) वीरसिंह
(ग) राणा प्रताप
(घ) जयपाल
उत्तर:
(क) जयसिंह

प्रश्न 47.
सन् 1660 में किस कंपनी या सोसाइटी की स्थापना हुई?
(क) रायल सोसाइटी
(ख) ईस्ट इंडिया कंपनी
(ग) कामन वेल्थ
(घ) यूनाइटेड नेशंस
उत्तर:
(क) रायल सोसाइटी

प्रश्न 48.
मेरठ में भारतीय सेना ने कब बगावत कर दी?
(क) सन् 1860
(ख) सन् 1530
(ग) सन् 1857
(घ) सन् 1760
उत्तर:
(ग) सन् 1857

प्रश्न 49.
विवेकानंद का निधन हुआ?
(क) सन् 1902
(ख) सन् 1900
(ग) सन् 1905
(घ) सन् 1903
उत्तर:
(ग) सन् 1905

प्रश्न 50.
नेशनल कांग्रेस की स्थापना हुई?
(क) सन् 1880
(ख) सन् 1800
(ग) सन् 1885
(घ) सन् 1801
उत्तर:
(ग) सन् 1885

प्रश्न 51.
अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना की?
(क) अबुल कलाम आजाद
(ख) मो. अली जिन्ना
(ग) सर सैयद अहमद खाँ
(घ) शहाबुद्दीन
उत्तर:
(ग) सन् 1885

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 10 Questions and Answers Summary उपसंहार

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Summary

नेहरू जी मानते हैं कि भारत के पर्दे को उठाकर उसमें झाँकने की चेष्टा उनकी अनाधिकार चेष्टा थी। भारत एक भौगोलिक और आर्थिक सत्ता है। इसकी विभिन्नता में सांस्कृतिक एकता है। यह विरुद्धों का एक ऐसा पुंज है जो मजबूत और अदृश्य सूत्रों से बँधा है। बार-बार आक्रमणों के बावजूद इसकी आत्मा को कभी नहीं जीता जा सका। यह अपराजेय है।

ऐसा लगता है कि जैसे पुराना जादू अब हट रहा है। हमें भारत में अतीत और सुदूर की खोज में देश के बाहर नहीं जाना है। हमारे अपने पास इसकी बहुतायत है। हम किसी मामूली देश के नागरिक नहीं हैं। हमें अपनी जन्मभूमि, संस्कृति और परंपराओं पर गर्व है। हमें अपनी कमजोरियों और असफलताओं को कभी भूलना नहीं चाहिए। हमारे पास सीमित समय है और दुनिया की रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। अतीत में भारत दूसरी संस्कृतियों का स्वागत कर उन्हें अपने में समा लेता था। आज इस बात की और आवश्यकता है। हमें जहाँ भी समझदारी, ज्ञान, मित्रता और सहयोग मिलेगा, हम वहीं उसकी तलाश करेंगे और सामूहिक कामों में सभी का सहयोग करेंगे। लेकिन दूसरों की कृपा और सहारे के प्रार्थी नहीं हैं। इस तरह हम सच्चे भारतीय और एशियाई होंगे और साथ ही अच्छे अंतर्राष्ट्रीयवादी और विश्व नागरिक होंगे।

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Class 8th Sanskrit Solution

  1. Class 8 Sanskrit Solution Chapter 1 सुभाषितानि
  2. NCERT Solutions Class 8 Sanskrit Chapter 2 बिलस्य वाणी न कदापि में श्रुता
  3. NCERT Class 8 Sanskrit Solution Chapter 3 डिजीभारतम्
  4. NCERT Sanskrit Solution Class 8 Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्
  5. Sanskrit Class 8 NCERT Solutions Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम्
  6. NCERT Solutions for Class 8th Sanskrit Chapter 6 गृहं शून्यं सुतां विना
  7. CBSE Class 8 Sanskrit Chapter 7 भारतजनताऽहम्
  8. NCERT Sanskrit Book for Class 8 Chapter 8 संसारसागरस्य नायकाः
  9. Ruchira Bhag 3 Chapter 9 सप्तभगिन्यः
  10. Class 8 Sanskrit NCERT Solutions Chapter 10 नीतिनवनीतम्
  11. NCERT Solutions for Class 8 Skt Chapter 11 सावित्री बाई फुले
  12. Solutions of Sanskrit Class 8 Chapter 12 कः रक्षति कः रक्षितः
  13. Sanskrit Ruchira Class 8 Chapter 13 क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः
  14. रुचिरा भाग 3 Chapter 14 आर्यभटः
  15. 8th Class Sanskrit Book Chapter 15 प्रहेलिकाः

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Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Questions and Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी

These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9 Question Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Question and Answers

प्रश्न 1.
1942 का आंदोलन क्या था?
उत्तर:
अगस्त, 1942 में भारत में जो कुछ हुआ, वह आकस्मिक नहीं था। वह पहले से चली आ रही असंतोष की परिणति थी। पूरे भारत में 1942 में युवा पीढ़ी ने विशेष विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने हिंसक और शांतिपूर्ण-दोनों तरह की कार्यवाहियों से बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया। 1942 के दंगों में पुलिस और सेना की गोलाबारी में हजारों लोग मारे गए तथा घायल हुए।

प्रश्न 2.
लेखक ने अकाल के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन के 170 वर्षों में सबसे भयंकर अकाल पड़ा। इसका प्रभाव बंगाल तथा पूर्वी और दक्षिणी भारत पर पड़ा। इसकी तुलना 1766 ई. से 1770 के दौरान बंगाल और बिहार की भयंकर अकालों से की जा सकती है। इसके बाद भयंकर महामारी फैली, जैसे-हैजा और मलेरिया।

प्रश्न 3.
अकाल के दौरान क्या अंतर्विरोध दिखाई पड़ रहे थे?
उत्तर:
अकाल के दौरान कलकत्ता की सड़कों पर लाशें बिछी पड़ी थी तो दूसरी ओर अमीर तबके के लोग नाच-गाने, राग-रंग में मस्त थे। उनके सामाजिक जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया था। दावतों तथा विलासिता का प्रदर्शन हो रहा था। उनका जीवन उल्लास से भरा था।

प्रश्न 4.
टैगोर ने मृत्यु-शैय्या पर पड़े हुए क्या कहा था?
उत्तर:
टैगोर ने मृत्यु-शैय्या पर पड़े हुए कहा था कि ये अंग्रेज कैसा भारत छोड़ेंगे? कितनी नग्न दुर्गति है? अंत में उनकी सदियों पुरानी प्रशासन की धारा सूख जाएगी तो वे अपने पीछे कितनी कीचड़ और कचरा छोड़ जाएंगे।

प्रश्न 5.
अकाल युद्ध के बाद प्रकृति क्या करती है?
उत्तर:
अकाल युद्ध के बाद प्रकृति अपना कायाकल्प करती है। नए प्रकार से सृजन- कार्य होता है। लड़ाई के मैदान फूलों और हरी घास से भर जाते हैं।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Questions and Answers Summary दो पृष्ठभूमियाँ-भारतीय और अंग्रेजी

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 9 Summary

भारत में अगस्त, 1942 में जो कुछ हुआ, वह आकस्मिक नहीं था। वह पहले से जो कुछ होता आ रहा था, उसकी परिणति थी।

व्यापक उथल-पुथल और उसका दमन- जनता की ओर से अकस्मात् संगठित प्रदर्शन और विस्फोट जिसका अंत हिंसात्मक संघर्ष और तोड़-फोड़ होता था। इससे जनता की तीव्रता का पता चलता था। 1942 में पूरी युवा पीढ़ी ने विशेष रूप से विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों ने हिंसक और शांतिपूर्ण दोनों की तरह की कार्यवाहियों में महत्त्वपूर्ण काम किया। 1942 के दंगों में पुलिस और सेना की गोलीबारी से मारे गए और घायलों की संख्या सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1028 लोग मरे और 3200 लोग घायल हुए। जनता के अनुसार मृतकों की संख्या 25000 थी। संभवतः यह संख्या कुछ ज्यादा रही हो, पर 10000 की संख्या ठीक होगी।

भारत की बीमारी : अकाल- भारत तन और मन दोनों से बीमार था। उन दिनों अकाल पड़ा। इसका व्यापक असर बंगाल और दक्षिणी भारत पर पड़ा। पिछले 170 सालों में यह सबसे बड़ा और विनाशकारी था। इसकी तुलना 1766 ई. से 1770 ई. के दौरान बिहार और बंगाल के उन भयंकर अकालों से की जा सकती है जो ब्रिटिश शासन की स्थापना के आरंभिक परिणाम थे। इसके बाद महामारी फैली, विशेषकर हैजा और मलेरिया।

हजारों की संख्या में लोग काल का ग्रास बन गए। कोलकाता की सड़कों पर लाशें बिछी थीं। ऊपरी तबके के लोगों में विलासिता जारी थी। उनका जीवन उल्लास से भरा था। सन् 1943 के उत्तरार्द्ध में अकाल के उन भयंकर दिनों में जैसा अंतर्विरोध कोलकाता में दिखाई दिया, वैसा पहले कभी नहीं था। भारत गरीबी और भुखमरी के कगार पर था। भारत में ब्रिटिश शासन पर बंगाल की भयंकर बरबादी ने और उड़ीसा मालाबार और दूसरे स्थानों पर पड़ने वाले अकाल ने आखिरी फैसला दे दिया कि जब अंग्रेज जाएँगे तो क्या छोड़ेंगे। वे अपने पीछे कचरा और कीचड़ ही छोड़ेंगे।

भारत का सजीव सामर्थ्य- अकाल और युद्ध के बावजूद प्रकृति अपना कायाकल्प करती है और कल के लड़ाई के मैदान को आज फूल और हरी घास से ढक देती है। मनुष्य के पास स्मृति का विलक्षण गुण होता है। आज जो बीते हुए कल की संतान हैं, खुद अपनी जगह अपनी संतान आने वाले कल को दे जाते हैं। कमजोर आत्मा वाले लोग समर्पण कर देते हैं, लेकिन बाकी लोग मशाल को आगे ले जाते हैं और आने वाले मार्गदर्शकों को सौंप देते हैं।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 8 Questions and Answers Summary तनाव

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 8 Question Answers Summary तनाव

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 8 Question and Answers

प्रश्न 1.
7-8 अगस्त को बंबई में किस प्रस्ताव पर विचार किया गया?
उत्तर:
7-8 अगस्त, 1942 को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने खुली सभा में उस प्रस्ताव पर विचार किया और बहस की जो ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 2.
‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव में क्या सुझाव दिए गए थे?
उत्तर:
इस प्रस्ताव में अंतरिम सरकार बनाने का सुझाव दिया गया था जिसमें एक मिली-जुली सरकार बने तथा सभी वर्गों के लोगों का प्रतिनिधित्व हो। इसका पहला काम होगा-मित्र-शक्तियों के सहयोग से भारत की सुरक्षा और अपनी सारी हथियारबंद और अहिंसक शक्तियों के साथ बाहरी हमलों को रोकना।

प्रश्न 3.
कांग्रेस कमेटी ने क्या कहा?
उत्तर:
कांग्रेस कमेटी ने संसार की आजादी के लिए ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र से अपील की तथा इस बात को स्वीकृति देने का विचार किया गया कि गाँधी जी के नेतृत्व में अहिंसात्मक ढंग से एक जन-आंदोलन शुरू किया जाए। कमेटी कांग्रेस के लिए शक्ति हासिल करना चाहती है। ताकत जब भी आएगी तो वह भारत की सारी जनता की ताकत होगी।

प्रश्न 4.
मौलाना आजाद और गाँधी जी ने क्या स्पष्ट किया?
उत्तर:
मौलाना आजाद और गाँधी जी ने यह स्पष्ट किया कि उनका अगला कदम होगा-ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि, वायसराय से मुलाकात करना और संयुक्त राष्ट्र के मुख्याधिकारियों से एक सम्मानपूर्ण समझौते के लिए अपील करना।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 8 Questions and Answers Summary तनाव

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 8 Summary

चुनौती : ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव- भारत में 1942 के शुरू के महीनों में तनाव था। 7-8 अगस्त को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पारित किया, उसे ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव के रूप में जाना जाता है। यह लंबा और विशद् प्रस्ताव था। उसमें अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। कांग्रेस कमेटी ने संसार की आजादी के लिए ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र से अपील की थी। अपने भाषण में कांग्रेस के सभापति मोहम्मद अबुल कलाम आजाद और गाँधी जी ने स्पष्ट कर दिया था कि उनका अगला कदम होगा-ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि वायसराय से मुलाकात करना और संयुक्त राष्ट्र के मुख्याधिकारियों से एक सम्मानपूर्ण समझौते के लिए अपील करना। 8 अगस्त, 1942 को काफी रात गए यह प्रस्ताव पारित हो गया। 9 अगस्त की सुबह पूरे देश में अनेक स्थानों पर गिरफ्तारियाँ हुईं। नेहरू जी को अहमदनगर के किले में ले जाया गया।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Questions and Answers Summary अंतिम दौर-दो

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 7 Question Answers Summary अंतिम दौर-दो

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Question and Answers

प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति पर देश में राहत और प्रगति के बजाय दमनकारी कानून और पंजाब में मार्शल लॉ लागू हुआ। जनता में अपमान की कड़वाहट और क्रोध फैल गया। शोषण का बाजार गर्म था।

प्रश्न 2.
गाँधी जी का आगमन कैसा था?
उत्तर:
गाँधी जी का आगमन एक ताजा हवा के झोंके की तरह था। उन्होंने हमें गहरी सांस लेने योग्य बनाया। गाँधी जी की शिक्षा का सार था निर्भयता और सत्य और इनसे जुड़ा कर्म। गाँधी जी ने भारत के करोड़ों लोगों को प्रभावित किया।

प्रश्न 3.
गाँधी जी के नेतृत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जब गाँधी जी ने पहली बार कांग्रेस संगठन में प्रवेश किया, तब तत्काल इसके संविधान में परिवर्तन ला दिया। उनका तरीका शांतिपूर्ण था। उनमें मुकाबला करने की भरपूर शक्ति थी। उनकी कांग्रेस का मुख्य आधार था-राष्ट्रीय एकता। इनमें अल्पसंख्यकों की समस्याओं को हल करना और दलित जातियों को ऊपर उठाने के साथ छुआछूत के अभिशाप को खत्म करना। गाँधी जी ने अंग्रेजी शासन की बुनियाद पर चोट किया। गाँधी जी निवृत्ति मार्ग के विरोधी थे। आर्थिक, सामाजिक और दूसरे मामलों में गाँधी जी के विचार सख्त थे।

प्रश्न 4.
गाँधी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गाँधी जी मूलतः धर्म-परायण व्यक्ति थे। कर्म संबंधी अवधारणा का किसी सिद्धांत, परंपरा या कर्मकांड से संबंध नहीं था। वे सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों में विश्वास करते थे। उनकी कथनी और करनी में अंतर नहीं होता था। वे गरीबों और स्त्रियों के लिए कार्य करते थे।

प्रश्न 5.
गाँधी जी ने भारतीय संस्कृति के बारे में क्या कहा?
उत्तर:
गाँधी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति न हिंदू है न इस्लाम, न पूरी तरह से कुछ और है। यह सबका मिला-जुला रूप है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Questions and Answers Summary अंतिम दौर-दो

प्रश्न 6.
लेखक ने किसे अद्भुत तेजस्वी व्यक्ति कहा है?
उत्तर:
लेखक ने गाँधी जी को अद्भुत तेजस्वी व्यक्ति कहा है जिसका पैमाना सबसे गरीब व्यक्ति है। उन्होंने भारत की जनता को सम्मोहित कर लिया और उन्हें चुंबक की तरह सम्मोहित किया।

प्रश्न 7.
मोहम्मद अली जिन्ना के क्या विचार थे?
उत्तर:
मोहम्मद अली जिन्ना की माँग का आधार एक नया सिद्धांत था-भारत में दो राष्ट्र हैं-हिंदू और मुसलमान। इनके दो राष्ट्रों के सिद्धांत से पाकिस्तान या भारत के विभाजन की अवधारणा का विकास हुआ, लेकिन इससे दो राष्ट्रों की समस्या का हल नहीं हुआ।

प्रश्न 8.
कांग्रेस किन प्रश्नों पर अडिग रही?
उत्तर:
कांग्रेस दो प्रश्नों पर अडिग रही- (1) राष्ट्रीय एकता, (2) लोकतंत्र।

प्रश्न 9.
अगस्त, 1940 में कांग्रेस ने क्या घोषणा की?
उत्तर:
कांग्रेस ने कहा कि भारत में ब्रिटिश सरकार की नीति जनजीवन में संघर्ष और फूट को प्रत्यक्ष रूप से उकसाती और भड़काती है।

प्रश्न 10.
अंग्रेजों ने किसके मतभेदों को प्रोत्साहित किया?
उत्तर:
अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा के मतभेदों को प्रोत्साहित किया।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Questions and Answers Summary अंतिम दौर-दो

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 7 Summary

राष्ट्रपिता बनाम साम्राज्यवाद-
मध्यवर्ग की बेवसी : गाँधी का आगमन- पहला विश्वयुद्ध आरंभ हुआ। राजनीति उतार पर थी। यह युद्ध समाप्त हुआ और भारत में दमनकारी कानून और पंजाब में मार्शल लॉ लागू हुआ। शोषण लगातार बढ़ रहा था, तभी गाँधी जी का आगमन हुआ। गाँधी जी ने भारत में करोड़ों लोगों को प्रभावित किया। गाँधी जी ने पहली बार कांग्रेस के संगठन में प्रवेश किया। इस संगठन का लक्ष्य और आधार था-सक्रियता। इसका आधार शांतिप्रियता थी। गाँधी जी ने अंग्रेजी शासन की बुनियाद पर चोट की। कांग्रेस के पुराने नेता, जो एक अलग निष्क्रिय परंपरा में पले थे, इन नए तौर-तरीकों को आसानी से नहीं पचा पाए। ऐसा कहा जाता है कि भारतीय मूलतः निवृत्ति मार्गी है, पर गाँधी जी इस निवृत्त मार्ग के विपरीत थे। उन्होंने भारतीय जनता की निष्क्रियता के विरुद्ध संघर्ष किया। उन्होंने लोगों को गाँव की ओर भेजा। देहात में हलचल मच गई। गाँधी जी मूलतः धर्मप्राण व्यक्ति थे। वे भारत को अपनी इच्छाओं तथा आदर्शों के अनुसार ढाल रहे थे। वे सभी को समान अधिकार देने के पक्षपाती थे। इस अद्भुत तेजस्वी आदमी का पैमाना सबसे गरीब आदमी था। कांग्रेस पर गाँधी जी का प्रभुत्व था। सन् 1920 में नेशनल कांग्रेस ने काफी हद तक देश में एक नए रास्ते को अपना लिया। सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ और उसके कारण बहुत कष्ट उठाने पड़े, लेकिन उससे ताकत ही प्राप्त हुई।

अल्पसंख्यकों की समस्या : मुस्लिम लीग-मोहम्मद अली जिन्ना- राजनीतिक मामलों में धर्म का स्थान साम्प्रदायिकता ने लिया था। कांग्रेस सांप्रदायिक हल निकालने के लिए उत्सुक और चिंतित थी। कांग्रेस की सदस्य संख्या में मुख्य रूप से हिंदू थे। कांग्रेस दो बुनियादी प्रश्नों पर अडिग रही-राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र। 1940 में कांग्रेस ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश सरकार की नीति जनजीवन में संघर्ष और फूट को प्रत्यक्ष रूप से उकसाती और भड़काती है।

बीते दिनों में अंग्रेजों की नीति मुस्लिम लीग और हिंदू सभा के मतभेदों को प्रोत्साहित करके उन पर बल देने की और साम्प्रदायिक संगठनों को कांग्रेस के विरुद्ध महत्त्व देने की रही।

मिस्टर जिन्ना की माँग का आधार एक नया सिद्धांत था-भारत में दो राष्ट्र हैं-हिंदू और मुसलमान। यदि राष्ट्रीयता का आधार धर्म है तो भारत में बहुत से राष्ट्र हैं। मिस्टर जिन्ना के दो राष्ट्रों के सिद्धांत से पाकिस्तान या भारत के विभाजन की अवधारणा का विकास हुआ। लेकिन उससे दो राष्ट्रों की समस्या का हल नहीं हुआ, क्योंकि वे तो पूरे देश में थे।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Questions and Answers Summary अंतिम दौर-एक

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 6 Question Answers Summary अंतिम दौर-एक

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Question and Answers

प्रश्न 1.
अंग्रेजों ने अपनी व्यवस्था चलाने के लिए क्या किया?
उत्तर:
अंग्रेजों ने भारत में अपने नमूने के बड़े जमींदार पैदा किए। उनका लक्ष्य था- लगान की शक्ल में अधिक से अधिक रुपया इकट्ठा करना। ब्रिटिश शासन ने इस प्रकार अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर लिया।

प्रश्न 2.
भारत का इस्तेमाल किस प्रकार किया था?
उत्तर:
इंग्लैंड ने भारत को साम्राज्यवादी उद्देश्यों के लिए बिना कुछ भुगतान किए अड्डे की तरह इस्तेमाल किया। इसके अलावा उसे इंग्लैंड में ब्रिटिश सेना के एक हिस्से के प्रशिक्षण का खर्च भी उठाना पड़ा। इसे ‘कैपिटेशन चार्ज’ कहा जाता था।

प्रश्न 3.
18वीं शताब्दी में बंगाल में किस व्यक्तित्व का उदय हुआ?
उत्तर:
यह प्रभावशाली व्यक्तित्व था-राजा राममोहन राय। वे एक नए ढंग के व्यक्ति थे। उन्हें भारतीय विचारधारा और दर्शन की गहरी समझ थी। उन्होंने अनेक भाषाएँ सीखी थीं। वे समाज-सुधारक थे। उन्हीं के आंदोलन के कारण सती-प्रथा पर रोक लगी।

प्रश्न 4.
सन् 1857 में भारत में क्या हुआ?
उत्तर:
सन् 1857 में मेरठ की भारतीय सेना ने बगावत कर दी। विद्रोह की योजना गुप्त थी पर समय से पूर्व विस्फोट ने नेताओं की योजना बिगाड़ दी। हिंदू, मुसलमान दोनों ने विद्रोह में भाग लिया। यह विद्रोह दबा दिया गया।

प्रश्न 5.
1857 के विद्रोह से क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
इस विद्रोह से ये नेता उभरे-1. तात्या टोपे, 2. रानी लक्ष्मीबाई।

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प्रश्न 6.
विद्रोह की ब्रिटेन में क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
इस विद्रोह ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया। सरकार ने प्रशासन का पुनर्गठन किया। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ईस्ट इंडिया कंपनी से देश का शासन अपने हाथों में ले लिया।

प्रश्न 7.
श्री रामकृष्ण परमहंस कौन थे?
उत्तर:
श्री रामकृष्ण परमहंस बंगाल के थे। उनका नए पढ़े-लिखे लोगों पर बहुत प्रभाव था। वे सीधे चैतन्य और भारत के अन्य संतों की परंपरा में आते थे। वे मुख्यतः धार्मिक थे, पर साथ ही बहुत उदार थे। वे कलकत्ता के निकट दक्षिणेश्वर में रहते थे।

प्रश्न 8.
विवेकानंद के बारे में बताइए।
उत्तर:
विवेकानंद ने अपने गुरु-भाइयों के सहयोग से रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। वे बांग्ला और अंग्रेजी के ओजस्वी वक्ता थे। 1893 ई. में उन्होंने शिकागो के अंतर्राष्ट्रीय धर्म-सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने वेदांत के अद्वैत दर्शन के एकेश्वरवाद का उपदेश दिया। 1902 ई. में 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

प्रश्न 9.
रवींद्र नाथ ठाकुर कौन थे?
उत्तर:
रवींद्र नाथ ठाकुर विवेकानंद के समकालीन थे। वे श्रेष्ठ लेखक और कलाकार थे। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने जलियाँवाला बाग कांड का विरोध करते हुए ‘सर’ की उपाधि लौटा दी। शांति निकेतन की स्थापना की। घोर व्यक्तिवादी होने के बावजूद वे रूसी क्रांति की उपलब्धियों के प्रशंसक थे। टैगोर भारत के सबसे बड़े मानवतावादी थे।

प्रश्न 10.
टैगोर और गाँधी जी में क्या अंतर था?
उत्तर:
टैगोर सम्भ्रांत कलाकार थे; जबकि गाँधी जी विशेष रूप से आम जनता के आदमी थे। टैगोर मूलतः विचारक थे; जबकि गाँधी जी अनवरत् कर्मठता के प्रतीक थे।

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प्रश्न 11.
सर सैयद अहमद खाँ का परिचय दीजिए।
उत्तर:
सर सैयद अहमद खाँ उत्साही समाज-सुधारक थे। उन्होंने मुस्लिमों की ब्रिटिश-विरोधी भावना को कम करने का प्रयास किया। अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना सर सैयद अहमद ने की। इनका घोषित उद्देश्य था- “भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश ताज की योग्य और उपयोगी प्रजा बनाना।” इनका प्रभाव मुसलमानों में उच्च वर्ग के कुछ लोगों तक ही सीमित था।

प्रश्न 12.
1912 में मुसलमानों के कौन-से दो साप्ताहिक पत्र निकले?
उत्तर:
उर्दू में ‘अल-हिलाल’ तथा अंग्रेजी में ‘द कामरेड’।

प्रश्न 13.
अबुल कलाम आजाद कौन थे?
उत्तर:
अबुल कलाम एक प्रतिभा सम्पन्न नवयुवक थे। वे अरबी-फारसी के ज्ञाता थे। उनका दृष्टिकोण उदार व तर्कसंगत था। वे भारतीय राष्ट्रवादी थे। उनकी शैली में उत्तेजना थी।

प्रश्न 14.
तिलक और गोखले के बारे में बताइए।
उत्तर:
एक योग्य और तेजस्वी नेता के रूप में उभरे महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक। पुराने नेतृत्व के प्रतिनिधि सज्जन थे-गोखले तथा कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दादाभाई नौरोजी को राष्ट्रपिता समझा जाता था।

प्रश्न 15.
कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 ई. में हुई।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Questions and Answers Summary अंतिम दौर-एक

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 6 Summary

भारत राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से पहली बार एक अन्य देश का पुछल्ला बनता है-भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना उसके लिए एकदम नई घटना थी। नया पूँजीवाद सारे विश्व में जो बाजार तैयार कर रहा था, उससे हर .सूरत में भारत के आर्थिक ढाँचे पर प्रभाव पड़ना ही था। भारत ब्रिटिश ढाँचे का औपनिवेशिक और खेतिहर पुछल्ला बनकर रह गया। अंग्रेजों ने जो बड़े जमींदार पैदा किए, उनका लक्ष्य था-लगान के रूप में अधिक से अधिक धन इकट्ठा करना। उन्होंने अपने प्रकार का एक वर्ग तैयार किया। इस व्यवस्था में जमींदार थे, राजा थे, विभिन्न महकमों में पटवारी, मुखिया तथा कर्मचारियों की बहुत बड़ी संख्या थी। हर जिले में कलक्टर व जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस थी। भारत को ब्रिटेन के हर तरह के दूसरे खर्चे भी उठाने पड़ते थे।

भारत में ब्रिटिश शासन के अंतर्विरोध-
राजा राममोहन राय : बंगाल में अंग्रेजी शिक्षा और समाचार-पत्र- बंगाल में अंग्रेजी शिक्षा और समाचार-पत्र व्यक्तिगत रूप से अंग्रेजों ने, जिनमें शिक्षाविद्, प्राच्य-विद्या विशारद, पत्रकार, मिशनरी और अन्य लोग थे, पाश्चात्य संस्कृति को भारत में लाने में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। यूरोप के विचारों से बहुत सीमित वर्ग प्रभावित हुआ, क्योंकि भारत अपनी दार्शनिक पृष्ठभूमि को पश्चिम से बेहतर मानता था। पर नई तकनीक, रेलगाड़ी, छापाखाना दूसरी मशीनें-ये सब ऐसी बातें थीं जिनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती थी। 18वीं शताब्दी में बंगाल में एक अत्यंत शक्तिशाली व्यक्तित्व का उदय हुआ। इनका नाम था-राजा राममोहन राय। वे पूर्णतः नए ढंग के व्यक्ति थे। भारतीय विचारधारा व दर्शन की उन्हें गहरी जानकारी थी। उन्होंने अनेक भाषाएँ सीखीं। वे एक सच्चे समाज-सुधारक थे। ब्रिटिश सरकार ने सती-प्रथा पर रोक उन्हीं के आंदोलन के कारण लगाई। वे पत्रकारिता के प्रवर्तकों में से थे। 1780 के बाद भारत में अंग्रेजों ने कई अखबार निकाले। 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई।

1857 की महान क्रांति : जातीयतावाद- ब्रिटिश शासन के लगभग एक शताब्दी के उपरांत बंगाल ने उससे समझौता कर लिया था। किसान आर्थिक बोझों के तले पिस रहे थे। जनता में असंतोष और ब्रिटिश विरोधी भावना फैल रही थी। मई, 1857 में मेरठ की भारतीय सेना ने बगावत कर दी। विद्रोह गुप्त था, पर समय से पहले हुए विस्फोट ने योजना को बिगाड़ दिया। यह केवल सैनिक विद्रोह से कहीं अधिक था। इसने भारतीय स्वाधीनता का रूप ले लिया। हिंदू और मुसलमान दोनों ने विद्रोह में भाग लिया। अंग्रेजों ने इसका दमन भारतीय सहायता से किया। इस विद्रोह में कुछ श्रेष्ठ छापामार नेता उभरकर आए। इनमें तेजस्वी तात्या टोपे भी थे। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भी प्रमुख थीं। इस विद्रोह ने ब्रिटिश शासन को झकझोर कर रख दिया। ब्रिटिश पार्लियामेंट ने ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत को अपने हाथ में ले लिया।

हिंदुओं और मुसलमानों में सुधारवादी और दूसरे आंदोलन- राजा राममोहन राय ने ‘हिंदू ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। 19वीं शताब्दी में स्वामी दयानंद सरस्वती ने महत्त्वपूर्ण सुधार आंदोलन शुरू किए और ‘आर्य समाज’ की स्थापना की। इनका नारा था-वेदों की ओर चलो। आर्य समाज में वेदों की एक विशेष ढंग से व्याख्या की गई है। स्वामी दयानंद के ही समय में बंगाल में श्री रामकृष्ण परमहंस का व्यक्तित्व सामने आया। उनका पढ़े-लिखे वर्ग पर बहुत प्रभाव पड़ा। वे कलकत्ता के निकट दक्षिणेश्वर में रहते थे। उनके असाधारण व्यक्तित्व और चरित्र ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। स्वामी विवेकानंद ने गुरु-भाइयों की मदद से रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसमें सांप्रदायिकता नहीं थी। सन् 1895 में विवेकानंद ने शिकागो में अंतर्राष्ट्रीय धर्म-सम्मेलन में भाग लिया। सन् 1902 ई. में 39 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। रवींद्र नाथ ठाकुर विवेकानंद के समकालीन थे। टैगोर परिवार ने बंगाल के सुधारवादी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने शांति निकेतन को भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र बनाया। टैगोर ने भारत की उसी तरह सेवा की जैसे दूसरे स्तर पर गाँधी जी ने की थी। टैगोर सम्भ्रांत परिवार के कलाकार थे। गाँधी जी विशेष रूप से जनता के आदमी थे जो भारतीय किसान का रूप थे। टैगोर मूलतः विचारक थे और गाँधी अनवरत् कर्मठता के प्रतीक थे। उस समय एनी बेसेंट का भी प्रभाव था। बहुत-सी बातें मुसलमान जनता में समान रूप से प्रचलित थीं।

सर सैयद अहमद खाँ उत्साही सुधारक थे। वे आधुनिक वैज्ञानिक विचारों के साथ इस्लाम का तालमेल बिठाना चाहते थे। उन्होंने मुसलमानों में ब्रिटिश विरोधी भावना को कम करने का प्रयास किया। उन्होंने अलीगढ़ कॉलेज की स्थापना की। उनका एक घोषित उद्देश्य था-“भारत के मुसलमानों को ब्रिटिश ताज की योग्य और उपयोगी प्रजा बनाना।” सर सैयद अहमद खाँ का प्रभाव मुसलमानों के उच्च वर्ग के कुछ लोगों तक ही सीमित था। 1912 में मुसलमानों के दो नए साप्ताहिक निकले-उर्दू में ‘अल-हिलाल’ और अंग्रेजी में ‘द कामरेड’। अबुल कलाम आजाद का अलीगढ़ कॉलेज में सर सैयद अहमद खाँ से संबंध था। अबुल कलाम आजाद ने पुरातन-पंथी और राष्ट्र-विरोधी भावना के गढ़ पर हमला किया।

तिलक और गोखले- 1885 ई. में नेशनल कांग्रेस की स्थापना हुई। कांग्रेस ने कई आंदोलन चलाए। इनमें बड़ी संख्या में मध्य वर्ग के विद्यार्थी और युवा लोगों के प्रतिनिधि थे। बंगाल विभाजन के विरोध में शक्तिशाली आंदोलन हुआ। कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दादा भाई नौरोजी को राष्ट्रपिता समझा जाता था। 1907 में संघर्ष फिर शुरू हुआ जिसमें पुराने उदार दल की जीत हुई। कांग्रेस का महत्त्व काफी कुछ घट गया और बंगाल में हिंसक घटनाएँ सामने आ रही थीं।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 5 Questions and Answers Summary नई समस्याएँ

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 5 Question Answers Summary नई समस्याएँ

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 5 Question and Answers

प्रश्न 1.
हर्ष कहाँ का शासक था?
उत्तर:
हर्ष उत्तर भारत का शक्तिशाली शासक था।

प्रश्न 2.
भारत और अरब के बीच कैसा संपर्क हुआ?
उत्तर:
भारत और अरब के बीच यात्रियों का आना-जाना शुरू हुआ, राजदूतों की अदला-बदली शुरू हुई, पुस्तकें इधर-उधर हुईं, चिकित्सक गए, व्यापार शुरू हुआ।

प्रश्न 3.
भारत और अरब के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंध कहाँ तक सीमित थे?
उत्तर:
भारत और अरब के बीच व्यापार-संबंध उत्तर भारत तक सीमित थे।

प्रश्न 4.
महमूद गजनवी का भारत पर कब आक्रमण हुआ?
उत्तर:
सन् 1000 के आस-पास महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया। वह भारत से बहुत बड़ा खजाना लूटकर ले गया। महमूद ने पंजाब और सिंध को अपने राज्य में मिला लिया। सन् 1050 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 5.
शहाबुद्दीन गौरी कौन था?
उत्तर:
एक अफगान शहाबुद्दीन गौरी ने गजनी पर आक्रमण करके उस पर अधिकार कर लिया। उसने पहले लाहौर, फिर दिल्ली पर कब्जा कर लिया। 1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान को हराकर वह दिल्ली के तख्त पर बैठा।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 5 Questions and Answers Summary नई समस्याएँ

प्रश्न 6.
तैमूर ने क्या किया?
उत्तर:
14वीं शताब्दी के अंत में तुर्क-मंगोल तैमूर ने उत्तर की ओर से आकर दिल्ली की सल्तनत को ध्वस्त कर दिया। वह कुछ महीने ही भारत में रहा।

प्रश्न 7.
14वीं शताब्दी में कौन-से दो बड़े राज्य कायम हुए?
उत्तर:

  • गुलमर्ग जो बहमनी राज्य के नाम से प्रसिद्ध है।
  • विजयनगर का हिंदू राज्य।

प्रश्न 8.
भारत में पर्दा-प्रथा कब शुरू हुई?
उत्तर:
भारत में पर्दा-प्रथा की शुरुआत मुगल काल में हुई। औरतों को अलग पर्दे में रखने की प्रथा उन इलाकों में सबसे अधिक थी, जहाँ ऊँचे वर्ग थे।

प्रश्न 9.
अमीर खुसरो कौन थे?
उत्तर:
अमीर खुसरो फारसी के प्रसिद्ध कवि और लेखक थे। उन्हें संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। उन्हें सितार का आविष्कारक माना जाता है। अमीर खुसरो ने पहेलियाँ भी लिखी हैं।

प्रश्न 10.
अकबर कौन था? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर:
अकबर मुगल शासक बाबर का पोता था। वह मुगल खानदान का तीसरा शासक था। उसका आकर्षक व्यक्तित्व था। 1556 ई. में वह बादशाह बना। उसने 50 वर्षों तक शासन किया। उसने राजपूतों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। अकबर ने जो इमारत खड़ी की, वह इतनी मजबूत थी कि दुर्बल उत्तराधिकारियों के बावजूद 100 साल तक शासन कायम रहा।

प्रश्न 11.
मुगल शासन में कौन-सी पस्तकें लिखी गई?
उत्तर:
मुगल शासन के दौरान हिंदुओं ने फारसी में अनेक कालजयी रचनाएँ लिखीं। मलिक मुहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ लिखा। रहीम भी अकबर के अमीर थे तथा फारसी, अरबी और संस्कृत के कवि थे।

प्रश्न 12.
औरंगजेब कौन था?
उत्तर:
औरंगजेब मुगल शासक था। उसने अपने पूर्वजों के कामों पर पानी फेर दिया। उसने उल्टी गंगा बहाई। उसे कला, साहित्य से प्रेम नहीं था। वह धर्मान्ध, कठोर और नेतिकतावादी था। उसने हिंदुओं पर जजिया-कर लगाया। उसने अनेक हिंदू मंदिर तुड़वा दिए।

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प्रश्न 13.
18वीं शताब्दी में भारत पर अधिकार के दावेदार कौन थे?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में भारत पर अधिकार के चार दावेदार थे-

  • मराठे,
  • हैदरअली और उसका बेटा टीपू सुल्तान,
  • फ्रांसीसी,
  • अंग्रेज।

प्रश्न 14.
अंग्रेजों ने किस-किसको हराकर भारत पर प्रभुत्व स्थापित किया?
उत्तर:
अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान तथा मराठों को पराजित कर अपना प्रभुत्व स्थापित किया।

प्रश्न 15.
जयपुर के राजा जयसिंह ने क्या-क्या निर्माण करवाया?
उत्तर:
राजा जयसिंह ने जयपुर, दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में बड़ी-बड़ी वेधशालाएँ बनवायीं। जयपुर नगर को बसाया।

प्रश्न 16.
इंग्लैंड में रॉयल सोसाइटी की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1660 ई. में इंग्लैंड में रॉयल सोसाइटी की स्थापना हुई।

प्रश्न 17.
‘द वैल्थ ऑफ नेशन्स’ में एडम स्मिथ ने क्या लिखा है?
उत्तर:
एडम स्मिथ ने सन् 1776 ई. में ‘द वैल्थ ऑफ नेशन्स’ में लिखा है कि एकमात्र व्यापारियों की कंपनी की सरकार किसी भी देश के लिए सबसे बुरी सरकार है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 5 Questions and Answers Summary नई समस्याएँ

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 5 Summary

अरब और मंगोल-जब हर्ष उत्तर भारत में एक शक्तिशाली शासक थे और विद्वान चीनी चात्री हुआनत्सांग नालंदा में अध्ययन कर रहे थे, उसी समय अरब में इस्लाम अपना रूप ग्रहण कर रहा था। लगभग 600 वर्षों में उसने भारत में राजनीतिक विजय के साथ प्रवेश किया। अरब वाले भारत के उत्तर-पश्चिम छोर तक पहुँचकर वहीं रुक गए। अरब सभ्यता का क्रमश: पतन हुआ। मध्य तथा पश्चिमी एशिया में तुर्की जातियाँ आगे आईं। यहीं तुर्क और अफगान इस्लाम को राजनीतिक शक्ति के रूप में भारत लाए।

अरबों ने बड़ी आसानी से दूर-दूर तक फैलकर तमाम इलाके जीत लिए। बाद में वे सिंध से आगे नहीं बढ़े। अरबों के आंतरिक झगड़े भी थे। दोनों ओर से यात्रियों व दूतों का आना-जाना हुआ। गणित तथा खगोल शास्त्र की पुस्तकों का अरबी में अनुवाद हुआ। अब भारतीयों को इस नए इस्लाम धर्म की जानकारी हुई।

महमूद गजनवी और अफगान- 1000 ई. के आस-पास अफगानिस्तान के सुल्तान महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण शुरू किए। बहुत खून-खराबा हुआ। महमूद गजनवी ने उत्तर भारत के सिर्फ एक टुकड़े को छुआ और लूटा। उसने पंजाब और सिंध को अपने राज्य में मिला लिया। वह कश्मीर पर विजय नहीं पा सका। काठियावाड़ में सोमनाथ से लौटते हुए उसे राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में हार खानी पड़ी। सन् 1030 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। फिर 160 वर्षों बाद शहाबुद्दीन गौरी ने गजनी पर कब्जा कर लिया। फिर लाहौर तथा दिल्ली पर धावा बोल दिया। पृथ्वीराज चौहान ने उसे पराजित किया, पर अगले साल उसकी जीत हुई और 1192 में वह दिल्ली के तख्त पर बैठा।

14वीं शती के अंत में तुर्क-मंगोल तैमूर ने उत्तर की ओर से आकर दिल्ली की सल्तनत को ध्वस्त कर दिया। सौभाग्य से वह बहुत आगे नहीं बढ़ा पाया। 14वीं शताब्दी के आरंभ में दो बड़े राज्य कायम हुए-गुलबर्ग जो बहमनी राज्य के नाम से प्रसिद्ध है और विजयनगर का हिंदू राज्य। दक्षिण भारत में विजयनगर तरक्की कर रहा था। तब एक हमलावर ने 1526 में दिल्ली का सिंहासन जीत लिया। तैमूर वंश का वह तुर्क-मंगोल बाबर था। इसने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।

समन्वय और मिली-जुली संस्कृति का विकास- दिल्ली के प्रसिद्ध सुल्तान फिरोजशाह की माँ हिंदू थी। यही स्थिति गयासुद्दीन तुगलक की थी। अकबर के प्रसिद्ध राजस्व मंत्री टोडरमल की नियुक्ति शेरशाह ने ही की थी। यह समन्वय का एक नया रूप था। वास्तुकला की नई शैली उपजी, खान-पान बदला, गीत-संगीत में भी समन्वय दिखाई देने लगा। फारसी भाषा दरबार की भाषा बन गई। जब तैमूर के हमले से दिल्ली की सल्तनत कमजोर हुई तो जौनपुर में एक छोटी-सी मुस्लिम रियासत खड़ी हुई। 15वीं शताब्दी के दौरान यह रियासत कला, संस्कृति और धार्मिक सहिष्णुता का केंद्र रही।

अमीर खुसरो तुर्क थे। वे फारसी के चोटी के कवि थे और उन्हें संस्कृत का भी ज्ञान था। कहा जाता है कि सितार का आविष्कार उन्होंने ही किया था। अमीर खुसरो ने अनगिनत पहेलियाँ लिखीं।

बाबर और अकबर : भारतीयकरण की प्रक्रिया- अकबर भारत में मुगल खानदान का तीसरा शासक था। उसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पक्की की। भारत में आने के चार वर्ष बाद ही बाबर की मृत्यु हो गई। बाबर का व्यक्तित्व आकर्षक था। उसका पौत्र अकबर उससे भी गुणवान् निकला। वह बहादुर ‘दुस्साहसी’ योग्य सेनानायक, विनम्र, दयालु, आदर्शवादी और स्वप्नदर्शी था। 1556 से शुरू होकर उसका शासन 50 वर्ष तक रहा। उसने एक राजपूत राजकुमारी से शादी की। उसका बेटा जहाँगीर आधा मुगल आधा हिंदू राजपूत था। जहाँगीर का बेटा शाहजहाँ भी राजपूत माँ का बेटा था। राजपूत घरानों से संबंध बनाने से साम्राज्य मजबूत हुआ। राणा प्रताप ने मुगलों से टक्कर ली। अकबर ने अपने चारों ओर अत्यंत प्रतिभाशाली लोगों का समुदाय इकट्ठा किया जो उसके आदर्शों के प्रति समर्पित थे।

यांत्रिक उन्नति और रचनात्मक शक्ति में एशिया और यूरोप के बीच अंतर- अकबर ने जो इमारत खड़ी की थी, वह इतनी मजबूत थी कि दुर्बल उत्तराधिकारियों के बावजूद सौ साल तक कायम रही। वास्तुकला की दृष्टि से दिल्ली और आगरा में सुंदर इमारतें तैयार हुईं। भारत में रहने वाले अधिकतर मुसलमानों ने हिंदू धर्म से धर्म परिवर्तन कर लिया था। दोनों में काफी समानताएँ विकसित हो गई थीं। गाँव की जनता का जीवन मिला-जुला था। हिंदुओं ने मुसलमानों को भी एक जात मान लिया था। मुगल शासन के दौरान कई हिंदुओं ने दरबारी भाषा फारसी में पुस्तकें लिखीं। फारसी में संस्कृत की पुस्तकों का अनुवाद हुआ।

औरंगजेब ने उल्टी गंगा बहाई : हिंदू राष्ट्रवाद का उभार शिवाजी- औरंगजेब समय के विपरीत चलने वाला शासक था। उसने अपने कारनामों से पूर्वजों के कामों पर पानी फेरने का प्रयास किया। वह धर्मान्ध तथा कठोर नैतिकतावादी था। उसे कला और साहित्य से कोई प्रेम नहीं था। उसने हिंदुओं पर जजिया-कर लगाया। मंदिरों को तुड़वाया। इसकी प्रतिक्रिया में पुनर्जागरण विचार पनपने लगे। मुसलमान साम्राज्य के खंडित होने का महत्त्वपूर्ण कारण आर्थिक ढाँचे का चरमराना था। इसी समय 1627 ई. में शिवाजी का जन्म हुआ। उसके छापामार दस्तों ने मुगलों की नाक में दम कर दिया। 1680 में शिवाजी की मृत्यु हो गई।

प्रभुत्व के लिए मराठों और अंग्रेजों में संघर्ष : अंग्रेजों की विजय- 1707 ई. औरंगजेब की मृत्यु के बाद 100 वर्ष तक भारत पर अधिकार के लिए संघर्ष चलता रहा। 18वीं शताब्दी में चार दावेदार थे-(i) मराठे, (ii) दक्षिण में हैदरअली और उसका बेटा टीपू सुल्तान, (iii) फ्रांसीसी, (iv) अंग्रेज। 1739 ई. में ईरान का बादशाह नादिरशाह दिल्ली पर टूट पड़ा। उसने मार-काटकर बेशुमार दौलत लूट ली। वह अपने साथ तख्ते-ताऊस भी साथ ले गया। बंगाल में जालसाजी और बगावत को बढ़ावा देकर क्लाइव ने 1757 ई. में प्लासी का युद्ध जीत लिया। 1770 ई. बंगाल और बिहार में भयंकर अकाल पड़ा। अंग्रेजों की विजय के साथ भारत में फ्रांसीसियों का नामो-निशान मिट गया। मैसूर के टीपू सुल्तान को अंग्रेजों ने अंतत: 1799 में हरा दिया। मराठे सरदारों में आपसी वैर था। अंग्रेजों ने उन्हें भी अलग-अलग युद्धों में हरा दिया। अंग्रेजों ने भारत को अव्यवस्था व अराजकता से बचाया। पर यह स्थिति भी ईस्ट इंडिया कंपनी के कारण फैली थी।

रणजीत सिंह और जयसिंह- महाराजा रणजीत सिंह एक जाट सिख थे। पंजाब में उन्होंने अपना शासन कायम किया। राजपूताने में जयपुर का सवाई जयसिंह था। जयसिंह ने जयपुर, दिल्ली, बनारस और मथुरा में बड़ी-बड़ी वेधशालाएँ बनवाईं। जयपुर नगर की योजना उसी की थी।

भारत की आर्थिक पृष्ठभूमि : इंग्लैंड के दो रूप- ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्य काम था-भारतीय माल लेकर यूरोप में व्यापार करना। कंपनी को इससे बहुत लाभ भी हुआ।

इंग्लैंड का भारत में तभी आगमन हुआ जब 1600 ईसवी में एलिजाबेथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी को परवाना दिया। 1605 ई. में मिल्टन का जन्म हुआ। सौ साल बाद कपड़े बुनने की ढरकी का आविष्कार हुआ। इंग्लैंड सामंतवाद और प्रतिक्रियावाद से घिरा हुआ था।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Questions and Answers Summary तलाश

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 2 Question Answers Summary तलाश

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Question and Answers

प्रश्न 1.
नेहरू जी के मन में क्या प्रश्न उठते थे?
उत्तर:
नेहरू जी के मन में निम्नलिखित प्रश्न उठते थे-

  • आखिर भारत है क्या?
  • अतीत में भारत किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था?
  • भारत ने अपनी प्राचीन संस्कृति को कैसे खो दिया?
  • क्या आज भी भारत के पास ऐसा कुछ बचा है जिसे जानदार कहा जा सके?
  • आधुनिक विश्व से उसका तालमेल किस रूप में बैठता है?

प्रश्न 2.
लेखक ने भारत को किस रूप में देखा?
उत्तर:
लेखक ने भारत को आलोचक के रूप में देखा।

प्रश्न 3.
लेखक कहाँ खड़ा था?
उत्तर:
लेखक भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सिंधुघाटी में मोहनजोदड़ो के एक टीले पर खड़ा था। उसके चारों तरफ प्राचीन नगर के घर और गलियाँ बिखरी पड़ी थीं।

प्रश्न 4.
सिंधु घाटी की सभ्यता का समय क्या बताया गया है?
उत्तर:
लेखक द्वारा इसका समय लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व बताया गया है।

प्रश्न 5.
सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर:

  • यह सभ्यता पूर्ण व विकसित थी।
  • इसका आधार ठेठ भारतीयपन था।
  • इसका समय लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व था।
  • इसका अन्य सभ्यताओं से भी संबंध रहा था।

प्रश्न 6.
लेखक पर किसने प्रभाव डाला?
उत्तर:
लेखक पर प्राचीन साहित्य के विचारों की ओजस्विता, भाषा की स्पष्टता और उसके पीछे सक्रिय मस्तिष्क की समृद्धि ने गहरा प्रभाव डाला।

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प्रश्न 7.
इस सभ्यता का दूसरे किन देशों के लोगों से संपर्क रहा?
उत्तर:
फारस, मिस्र, ग्रीस, चीन, अरब, मध्य एशिया और भू-मध्यसागर के लोगों से उसका बराबर निकटसंपर्क रहा।

प्रश्न 8.
पहाड़ों के बारे में लेखक का क्या कहना है?
उत्तर:
लेखक का पहाड़ों के प्रति विशेष प्रेम था। कश्मीर के साथ उसका खून का रिश्ता था।

प्रश्न 9.
नदियों के बारे में नेहरू जी के क्या विचार हैं?
उत्तर:
पर्वतों से निकलकर भारत के मैदानी भागों में बहने वाली नदियों ने आकर्षित किया है। यमुना के चारों ओर नृत्य, उत्सव और नाटक से संबंधित अनेक पौराणिक कथाएँ हैं। भारत की प्रमुख नदी गंगा ने भारत के हृदय पर राज किया है। गंगा की गाथा भारत की सभ्यता और संस्कृति की कहानी है।

प्रश्न 10.
किसके पत्थर भारत के अतीत की कहानी कहते हैं?
उत्तर:
पुराने स्मारकों और भग्नावशेषों, पुरानी मूर्तियों, भित्तिचित्रों, अजंता-एलोरा, एलिफेंटा की गुफाएँ भारत के अतीत की कहानी कहते हैं।

प्रश्न 11.
नेहरू जी ने कुंभ पर्व पर क्या देखा?
उत्तर:
नेहरू जी अपने शहर इलाहाबाद व हरिद्वार में कुंभ पर्व पर मेले में जाते थे। वहाँ हजारों की संख्या में लोग आते और गंगा-स्नान करते थे।

प्रश्न 12.
नेहरू जी ने किन-किन ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया था?
उत्तर:
नेहरू जी ने निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया था-

  • अजंता, एलोरा, एलिफेंटा की गुफाएँ।
  • आगरा और दिल्ली में बनी इमारतें।
  • बनारस के पास सारनाथ।
  • फतेहपुर सीकरी, हरिद्वार आदि।

प्रश्न 13.
लेखक को किन-किन कारणों से उत्तरोत्तर गिरावट का अनुभव होता है?
उत्तर:
लेखक को लगता है-शब्दाडंबर की प्रधानता, भव्य कला एवं मूर्ति-निर्माण की जगह जटिल पच्चीकारी वाली नक्काशी का होना, सरल, सजीव और समृद्ध भाषा के स्थान पर अत्यंत अलंकृत और जटिल साहित्य शैली अपनाना, संकीर्ण रूढ़िवादिता उत्तरोत्तर गिरावट का कारण है।

प्रश्न 14.
लेखक को किससे संतोष नहीं हुआ?
उत्तर:
लेखक को पुस्तकों, प्राचीन स्मारकों और विगत् उपलब्धियाँ तो समझ आईं, लेकिन उसे वह नहीं मिला जिसकी वह तलाश कर रहा था। इसलिए उसे संतोष नहीं हुआ।

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प्रश्न 15.
लेखक को किस बात से निराशा नहीं हुई?
उत्तर:
लेखक ने सामान्य व्यक्तियों से बहुत अपेक्षाएँ नहीं रखी थी, इसलिए उसे बहुत निराशा नहीं हुई। उसने उससे जितनी उम्मीद की थी, उससे अधिक पाया।

प्रश्न 16.
भारत माता के संबंध में नेहरू जी ने लोगों से क्या प्रश्न पूछे? उन्हें क्या उत्तर मिला?
उत्तर:
‘भारत माता की जय’ बोलने वालों से नेहरू जी प्रश्न पूछते थे कि इस जयकारे से उनका क्या आशय है? जब एक किसान ने उन्हें बताया कि भारत माता हमारी धरती है, भारत की प्यारी मिट्टी है। तब नेहरू जी पूछते-कौन-सी मिट्टी-अपने गाँव की, जिले की, राज्य की या पूरे भारत की मिट्टी?

प्रश्न 17.
नेहरू जी ने सीमित नजरिये वाले किसानों को क्या बताया?
उत्तर:
लेखक ने सीमित नजरिये वाले किसानों को बताया कि जिस देश की मुक्ति के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं, उसका हर हिस्सा एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी भारत है। उन्होंने किसानों को उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी दी।

प्रश्न 18.
भारत की विविधता कैसे अद्भुत है?
उत्तर:
भारत में विविधता प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देती है। यह शारीरिक व मानसिक दोनों रूपों में दिखाई देती है। उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के पठानों और सुदूर दक्षिण के वासी तमिल में बहुत कम समानता है, पर उनके भीतरी सूत्र एक समान ही हैं।

प्रश्न 19.
क्या जानकारी हैरत में डालने वाली है?
उत्तर:
यह जानकारी बेहद हैरत में डाल देने वाली है कि बंगाली, मराठी, गुजराती तमिल, आंध्र, उडिया, असमी, कन्नड़, मलयाली, सिंधी, पंजाबी, पठान, कश्मीरी, राजपूत और हिंदुस्तानी भाषा-भाषी कैसे सैकड़ों वर्षों से अपनी पहचान बनाये रहते हैं। सबके गुण- दोष एक से हैं।

प्रश्न 20.
अब कौन-सी अवधारणा विकसित हो गई?
उत्तर:
अब राष्ट्रवाद की भावना अधिक विकसित हो गई है। विदेशों में भारतीय अनिवार्य रूप से एक राष्ट्रीय समुदाय बनाकर विभिन्न कारणों से जुटते रहते हैं; भले ही उनमें भीतरी भेद हो। एक हिंदुस्तानी ईसाई कहीं भी जाए, उसे हिंदुस्तानी ही माना जाता है।

प्रश्न 21.
अनपढ़ ग्रामीणों को क्या याद थे?
उत्तर:
अनपढ़ ग्रामीणों को महाकाव्यों व ग्रंथों के सैकड़ों पद याद थे जिनका प्रयोग वे अपनी बातचीत के दौरान करते थे। वे प्राचीन कथाओं में सुरक्षित नैतिक शिक्षाओं का भी उल्लेख करते थे।

प्रश्न 22.
लेखक कब विस्मय-मुग्ध हो जाता है?
उत्तर:
लेखक जब गाँवों से गुजरते हुए किसी मनोहर पुरुष व स्त्री को देखता था तो उनके संवेदनशील चेहरे, बलिष्ठ देह, महिलाओं में लावण्यता, नम्रता, गरिमा आदि देखकर वह मंत्र-मुग्ध हो जाता था।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Questions and Answers Summary तलाश

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 2 Summary

भारत के अतीत की झाँकी-नेहरू जी कहते हैं कि बीते सालों में उनका भारत को समझने का प्रयास रहा है। उनके मन में देश के प्रति प्रश्न उठते हैं कि आखिर भारत क्या है? भारत भूतकाल की किस विशेषता का प्रतिनिधित्व करता था? उसने अपनी प्राचीन शक्ति को कैसे खो दिया? भारत उनके खून में रचा-बसा था। उन्होंने भारत को एक आलोचक की दृष्टि से देखना शुरू किया। उनके मन में तरह-तरह की शंकाएँ उठ रही थीं। वे विशेष तत्त्व को जानना चाहते थे।

नेहरू जी भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सिंधु घाटी में मोहनजोदड़ो के एक टीले पर खड़े थे। उनके चारों ओर उस नगर के घर और गलियाँ बिखरी थीं। इस नगर को 5000 वर्ष पूर्व का बताया गया है। वहाँ एक प्राचीन और पूर्ण विकसित सभ्यता थी-इसका ठेठ भारतीयपन और यही आधुनिक भारतीय सभ्यता का आधार है। भारत ने फारस, मिस्र, ग्रीस, चीन, अरब, मध्य एशिया तथा भू-मध्यसागर के लोगों को अपनी सभ्यता से प्रभावित किया तथा स्वयं भी उनसे प्रभावित हुआ।

नेहरू जी ने भारतीय इतिहास और उसके विशाल प्राचीन साहित्य को पढ़ा जिससे वह प्रभावित हुए। उन्होंने चीन और पश्चिमी एशिया से आए पराक्रमी यात्रियों की दास्तान को पढ़ा और समझा। वे हिमालय पर भी घूमते रहे जिसका पुराने मिथकों और दंत-कथाओं के साथ निकट संबंध है, जिसने उनके विचारों और साहित्य को प्रभावित किया। पहाड़ों के प्रति, विशेषकर कश्मीर के प्रति उनका विशेष लगाव रहा है। भारत की विशाल नदियाँ उन्हें आकर्षित करती रही हैं। इंडस और सिंधु के नाम पर हमारे देश का नाम इंडिया और हिन्दुस्तान पड़ा। यमुना के चारों ओर नृत्य, उत्सव और नाटक से संबंधित न जाने कितनी पौराणिक कथाएँ एकत्र हैं। भारत की नदी गंगा ने भारत के हृदय पर राज किया है। प्राचीन काल से आधुनिक युग तक गंगा की धारा व गाथा भारत की सभ्यता और संस्कृति की कहानी है।

नेहरू जी कहते हैं कि उन्होंने भारत के पुराने स्मारकों, पुरानी मूर्तियों, अजंता, एलोरा, एलिफेंटा की गुफाओं को देखा है। वे अपने नगर इलाहाबाद और हरिद्वार में कुंभ के मेले के अवसर पर जाते थे। उनकी यात्राओं ने उन्हें अतीत में देखने की दृष्टि प्रदान की। उन्हें सच्चाई का बोध होने लगा। उनके मन में अतीत के सैकड़ों चित्र भरे हुए थे। बनारस के पास सारनाथ में उन्होंने बुद्ध को पहला उपदेश देते हुए अनुभव किया था। उन्हें अकबर का विभिन्न संतों और विद्वानों के साथ संवाद और वाद-विवाद की अनुभूति हो रही थी। इस प्रकार इतिहास के द्वारा भारत की लंबी झाँकी अपने उतार-चढ़ावों, विजय-पराजयों के साथ नेहरू जी ने देखा था।

भारत की शक्ति और सीमा- भारत की शक्ति के स्रोतों और नाश के कारणों की खोज लंबी और उलझी हुई है। नई तकनीकों ने पश्चिमी देशों को सैनिक बल दिया और उनके लिए अपना विस्तार करके पूरब पर अधिकार करना आसान हो गया। पुराने समय में भारत में मानसिक सजगता और तकनीकी कौशल की कमी नहीं थी, किंतु बाद की सदियों में गिरावट आने लगी। भव्य कला और मूर्ति-निर्माण का स्थल जटिल साहित्य-शैली विकसित हुई। विवेकपूर्ण चेतना लुप्त हो गई और अतीत की अंधी मूर्ति-पूजा ने उसकी जगह ले ली। इस हालात में भारत का ह्रास होने लगा, किंतु यह स्थिति का पूरा और पूर्णतः सही सर्वेक्षण नहीं है। एक युग के अंत पर नई चीजों का निर्माण होता रहा। समय-समय पर पुनर्जागरण के दौर आते रहे।

भारत की तलाश- लेखक ने भारत की समझ के लिए पुस्तकों, प्राचीन स्मारकों, विगत् सांस्कृतिक उपलब्धियों का अध्ययन किया, लेकिन उससे उसे संतोष नहीं हुआ। लेखक मध्य वर्ग व अपने जैसे लोगों का प्रशंसक नहीं था। मध्य वर्ग खुद तरक्की करना चाहता था। अंग्रेजी शासन के ढाँचे में ऐसा न कर पाने के कारण इस वर्ग में विद्रोह की भावना पनपी। लेकिन अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेंकना उसके वश की बात नहीं थी। नई ताकतों ने सिर उठाया। दूसरे ढंग का भारत अस्तित्व में आया। लेखक ने वास्तविक भारत की तलाश शुरू की। इससे उसके अंदर समझ और द्वंद्व पैदा हुआ। कुछ लोग ग्रामीण समुदाय से पहले से परिचित थे, इसलिए उन्हें कोई नया उत्तेजक अनुभव नहीं हुआ। भारत की ग्रामीण जनता में ऐसा कुछ था जिसे परिभाषित करना कठिन है। लेखक आम जनता की अवधारणा को काल्पनिक नहीं बनाना चाहता। उसके लिए भारत के लोगों का सारी विविधता के साथ अस्तित्व है। लेखक ने जितनी उम्मीद की थी, उससे कहीं अधिक पाया। भारत के लोगों में एक प्रकार की दृढ़ता और अंतःशक्ति है जिसका कारण भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा है। बहुत कुछ समाप्त हो जाने के उपरांत भी बहुत कुछ ऐसा है जो सार्थक है। इसके साथ काफी कुछ निरर्थक और अनिष्टकर भी है।

भारत माता- नेहरू जी अक्सर सभाओं में लोगों से भारत के स्वरूप के बारे में चर्चा करते थे। ‘भरत’ के नाम पर भारत का प्राचीन संस्कृत नाम है। यह बात उन्होंने सीमित दृष्टिकोण रखने वाले किसानों को बताने का प्रयास किया तथा इस महान देश को मुक्ति दिलाने के लिए जागरुक किया। उन्होंने अपनी यात्राओं में किसानों की विविध समस्याओं-गरीबी, कर्ज, निहित स्वार्थ, जमींदार, महाजन, भारी लगान, पुलिस अत्याचार पर चर्चा की। उन्होंने लोगों को अखंड भारत के बारे में सोचने के लिए कहा। यहाँ के लोगों को प्राचीन महाकाव्यों, दंत-कथाओं की पूरी जानकारी थी। लोग ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते थे। नेहरू जी लोगों से ‘भारत माता की जय’ से उनका क्या आशय है, इसके बारे में पूछते थे। एक व्यक्ति ने उत्तर दिया-भारत माता हमारी धरती है, भारत की मिट्टी प्यारी है। भारत में ही सब कुछ है। भारत के पहाड़ और नदियाँ जंगल और फैले हुए खेत जो हमारे लिए भोजन मुहैया करते हैं, यह सब उसे प्रिय हैं। ‘भारत माता की जय’ ‘जनता- जनार्दन की जय’। लेखक ने उनसे कहा कि तुम भारत माता के हिस्से हो; एक तरह से खुद ही भारत माता हो। यह विचार धीरे-धीरे लोगों के दिमाग में बैठता जाता और उनकी आँखें चमकने लगती मानो उन्होंने कोई महान खोज कर ली हो।

भारत की विविधता और एकता- भारत की विविधता भी अद्भुत है। प्रकट रूप में यह दिखाई पड़ती है। बाहर से देखने पर उत्तर-पश्चिमी इलाके के पठान और सुदूर दक्षिण वासी तमिल में बहुत कम समानता है। इनमें चेहरे-मोहरे, खान-पान, वेशभूषा और भाषा में बहुत अंतर है। पठानों के लोक-नृत्य रूसी कोजक नृत्यशैली से मिलते हैं। इन तमाम विभिन्नताओं के बावजूद पठान पर भारत की छाप वैसी ही स्पष्ट है जैसी तमिल पर है। सीमांत क्षेत्र प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रमुख केंद्रों में से था। तक्षशिला का महान विश्वविद्यालय दो हजार वर्ष पहले प्रसिद्धि की चरम् सीमा पर था। पठान और तमिल तो मात्र दो उदाहरण हैं। बाकी की स्थिति इन दोनों के बीच की है। सबकी अपनी अलग-अलग विशेषताएँ हैं। सब पर गहरी छाप भारतीयता की है। भारत में विभिन्न भाषाएँ व बोलियाँ बोली जाती हैं। इसके बावजूद सभी भारतीय हैं, सबकी विरासत एक है। उनकी नैतिक व मानसिक विशेषताएँ एक हैं। प्राचीन चीन की तरह प्राचीन भारत अपने आप में एक दुनिया थी, एक संस्कृति और सभ्यता थी जिसने तमाम चीजों को आकार दिया। विदेशी भी आए और यहीं विलीन हो गए। किसी भी देशीय समूह में छोटी-छोटी विविधताएँ हमेशा देखी जाती हैं। आज राष्ट्रीयतावाद की अवधारणा कहीं अधिक विकसित हो गई, भले ही उनमें भीतरी मतभेद हो। एक हिंदुस्तानी ईसाई, मुसलमान कहीं भी जाए, एक हिंदुस्तानी ही समझा जाएगा। लेखक ने भारत की यात्रा की, उसे समझा है। इस कारण वह समग्र देश का चिन्तन व मनन करता है।

जन-संस्कृति- लेखक जनता में एक गतिशील जीवन नाटक देखता है। हर जगह एक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है जिसका जनता पर गहरा प्रभाव है। इस पृष्ठभूमि पर लोक-प्रचलित दर्शन, परंपरा, इतिहास, मिथक, पुराकथाओं का मेल था। भारत के प्राचीन महाकाव्य-रामायण और महाभारत जनता के बीच प्रसिद्ध थे और हैं। नेहरू जी ऐसी कहानी का उल्लेख करते थे जिससे कोई नैतिक उपदेश निकलता हो। उनके मन में लिखित इतिहास और तथ्यों का भंडार था। गाँव के रास्ते से निकलते हुए लेखक की नज़र जब सुंदर स्त्री या पुरुष पर पड़ती थी तो वे विस्मय मुग्ध हो जाते थे।

उन्हें लगता था कि तमाम भयानक कष्टों के बावजूद जिनसे भारत सदियों से गुजरता रहा, आखिर यह सौंदर्य कैसे टिका और बना रहा। चारों ओर गरीबी और उनसे उत्पन्न होने वाली अनगिनत विपत्तियाँ फैली हुई थी और इसकी छाप हर मनुष्य के माथे पर थी। सामाजिक विकृति से तरह-तरह के भ्रष्टाचार उत्पन्न हुए थे। अभाव और सुरक्षा की भावना पैदा थी। इस सबके बावजूद नम्रता और भलमनसाहत लोगों में मौजूद थी जो हजारों वर्षों की सांस्कृतिक विरासत की देन थी।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Questions and Answers Summary सिंधु घाटी की सभ्यता

These NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant & Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 सिंधु घाटी की सभ्यता Questions and Answers Summary are prepared by our highly skilled subject experts.

Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 3 Question Answers Summary सिंधु घाटी की सभ्यता

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Question and Answers

प्रश्न 1.
सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ मिले हैं?
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब के हडप्पा में मिले हैं।

प्रश्न 2.
सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में क्या-क्या बातें पता चली हैं?
उत्तर:
सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में निम्न बातें पता चली हैं-

  • सिंधु घाटी सभ्यता अत्यंत विकसित सभ्यता थी।
  • यह सभ्यता नगर-सभ्यता थी।
  • यह सभ्यता सांस्कृतिक युगों की अग्रदूत थी।
  • यह सभ्यता प्रधान रूप से धर्मनिरपेक्ष थी।
  • इस सभ्यता में व्यापारी वर्ग धनाढ्य था।

प्रश्न 3.
सिंधु सभ्यता ने किन सभ्यताओं से संबंध स्थापित किया?
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता ने फारस, मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से संबंध स्थापित किया और व्यापार किया।

प्रश्न 4.
सिंधु नदी किसके लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
सिंधु नदी अपनी भयंकर बाढों के लिए प्रसिद्ध है।

प्रश्न 5.
इस सभ्यता में मिले मकान कैसे हैं?
उत्तर:
इस सभ्यता में मिले मकान दो या तीन मंजिले हैं।

प्रश्न 6.
ऋग्वेद का रचनाकाल कब माना जाता है?
उत्तर:
अधिकांश विद्वान ऋग्वेद का रचनाकाल ईसा पूर्व 1500 मानते हैं।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Questions and Answers Summary सिंधु घाटी की सभ्यता

प्रश्न 7.
मैक्समूलर ने ऋग्वेद के बारे में क्या कहा है?
उत्तर:
मैक्समूलर ने इसे आर्य मानव द्वारा कहा गया पहला शब्द कहा है।

प्रश्न 8.
‘वेद’ शब्द की उत्पत्ति किस धातु से हुई है? इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘वेद’ शब्द की उत्पत्ति ‘विद्’ धातु से हुई है। इसका अर्थ है-जानना। अत: वेद का सीधा अर्थ है-अपने समय के ज्ञान को जानना।

प्रश्न 9.
भारतीय संस्कृति में कौन-सी प्रवृत्ति आरंभ दिखाई देती है?
उत्तर:
भारतीय संस्कृति में विशिष्टतावाद और छुआछूत की प्रवृत्ति का आरंभ दिखाई देता है।

प्रश्न 10.
उपनिषदों का समय कौन-सा माना जाता है?
उत्तर:
उपनिषदों का समय ई.पू. 800 के आस-पास माना जाता है। ये हमें भारतीय आर्यों के चिंतन में एक कदम और आगे ले जाते हैं।

प्रश्न 11.
आर्यों का प्रवेश कब माना जाता है?
उत्तर:
आर्यों का प्रवेश सिंधु घाटी सभ्यता युग के लगभग एक हजार वर्ष बाद माना जाता है।

प्रश्न 12.
उपनिषदों की प्रमुख विशेषता क्या है?
उत्तर:
उपनिषदों की प्रमुख विशेषता सच्चाई पर बल देना है। इनमें प्रकाश और ज्ञान की कामना की गई है। असत् से सत् की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाने की प्रार्थना की गई है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Questions and Answers Summary सिंधु घाटी की सभ्यता

प्रश्न 13.
उपनिषदों का झुकाव किस ओर था?
उत्तर:
उपनिषदों का झुकाव अद्वैतवाद की ओर था।

प्रश्न 14.
उपनिषदों में किस बात पर जोर दिया गया है?
उत्तर:
उपनिषदों में इस बात पर जोर दिया गया है कि कारगर रूप से प्रगति के लिए शरीर का स्वरूप होना, मन का स्वस्थ होना तथा तन-मन का अनुशासन में होना आवश्यक है। ज्ञानार्जन के लिए संयम, आत्म-पीड़न और आत्म-त्याग जरूरी है।

प्रश्न 15.
व्यक्तिवाद का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
व्यक्तिवाद का यह परिणाम हुआ कि मनुष्य ने सामाजिक पक्ष पर समाज के प्रति उसके कर्तव्यों पर कम ध्यान दिया। भौतिकवादियों ने विचार, धर्म और ब्रह्म विज्ञान के अधिकारियों और स्वार्थ से प्रेरित विचारों का विरोध किया।

प्रश्न 16.
अधिकांश पुराकथाएँ कैसी हैं?
उत्तर:
अधिकांश पुराकथाएँ और प्रचलित कहानियाँ वीरगाथात्मक हैं। इनमें सत्य पर अड़े रहने और वचन पालन का उपदेश दिया गया है। चाहे परिणाम कुछ भी हो, इनमें जीवन पर्यन्त और मरणोपरांत भी वफादारी, साहस और लोकहित के लिए सदाचार और बलिदानी शिक्षा दी गई है।

प्रश्न 17.
भौतिकवाद पर लिखा साहित्य किसने नष्ट कर दिया?
उत्तर:
भारत के भौतिकवादी साहित्य को पुरोहितों और धर्म के पुरातनपंथी स्वरूप में विश्वास करने वालों ने नष्ट कर दिया।

प्रश्न 18.
लेखक ने राजतरंगिनी के बारे में क्या लिखा है?
उत्तर:
लेखक ने राजतरंगिनी के बारे में लिखा है कि यह कहूण द्वारा लिखित एकमात्र प्राचीन इतिहास ग्रंथ है।

प्रश्न 19.
महाभारत के बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर:
महाभारत का दर्जा विश्व की श्रेष्ठतम रचनाओं में है। यह कृति परंपरा और दंत-कथाओं तथा प्राचीन भारत की राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं का विश्वकोष है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Questions and Answers Summary सिंधु घाटी की सभ्यता

प्रश्न 20.
भगवद्गीता में क्या बताया गया है?
उत्तर:
भगवद्गीता में महाभारत का अंश है, परंतु वह अपने आप में एक पूर्ण रचना है। यह 700 श्लोकों का एक छोटा काव्य है जिसकी रचना बौद्धकाल से पहले हुई थी। इसका आकर्षण आज तक बना हुआ है। इस पुस्तक में संकटग्रस्त व्यक्ति को कर्म करने की प्रेरणा दी गई है।

प्रश्न 21.
भगवद्गीता का सारांश क्या है?
उत्तर:
गीता में महाभारत युद्ध में अर्जुन और श्रीकृष्ण का संवाद है। अर्जुन परेशान थे। अपने मित्रों और परिचितों के भावी नर-संहार पर उनकी आत्मा ने विद्रोह कर दिया। अर्जुन इंसान की उस पीड़ित आत्मा का प्रतीक बन जाता है जो युग-युग से कर्तव्यों और नैतिकता के तकाजों से ग्रस्त होता है। गीता में ज्ञान, कर्म और भक्ति के बीच समन्वय करने का प्रयास किया गया है। गीता की दृष्टि सार्वभौमिक है।

प्रश्न 22.
प्राचीन भारत में ग्राम सभाओं का क्या स्वरूप था?
उत्तर:
प्राचीन भारत में ग्राम सभाएँ एक सीमा तक स्वतंत्र थीं। उनकी आमदनी का मुख्य स्रोत लगान था। इसका भुगतान प्रायः गल्ले या पैदावार की शक्ल में किया जाता था।

प्रश्न 23.
भारत में लिखने की प्रथा के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर:
भारत में लिखने की प्रथा, बहुत पुरानी है। पाषाण युग के मिट्टी के पुराने बर्तनों पर ब्राह्मी लिपि के अक्षर मिले हैं। इसी लिपि से भारत की देवनागरी तथा अन्य लिपियों का विकास हुआ है। अशोक के कुछ लेख ब्राह्मी लिपि में हैं। उत्तर-पश्चिम में कुछ लेख खरोष्टी लिपि में हैं।

प्रश्न 24.
पाणिनि ने कब, किस ग्रंथ की रचना की?
उत्तर:
पाणिनि ने ईसा पूर्व छठी या सातवीं शताब्दी में संस्कृत भाषा में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘व्याकरण’ की रचना की। तब तक संस्कृत का रूप स्थिर हो चुका था।

प्रश्न 25.
औषध विज्ञान की कौन-सी पुस्तकों की रचना की गई?
उत्तर:
औषध पर चरक की पुस्तकें हैं और शल्य चिकित्सा पर सुश्रुत ने पुस्तकें लिखी हैं। इसमें अनेक बीमारियों की पहचान तथा इलाज के तरीके बताए गए हैं। सुश्रुत ने अपनी पुस्तक में शल्यक्रिया के औजारों और विधियों का उल्लेख विस्तारपूर्वक किया है।

प्रश्न 26.
वनों में स्थिर विश्वविद्यालयों के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर:
अक्सर वनों में विश्वविद्यालयों की स्थापना की जाती थी। इनमें शिक्षण- प्रशिक्षण पाने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। यहाँ विद्यार्थियों को संयम और ब्रह्मचर्य का जीवन जीना होता था। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करके विद्यार्थी गृहस्थ जीवन में लौट जाते थे।

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प्रश्न 27.
तक्षशिला विश्वविद्यालय के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर:
पेशावर के पास तक्षशिला नामक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था। यह विश्व- विद्यालय विज्ञान, चिकित्साशास्त्र, कलाओं के लिए मशहूर था। इसमें भारत के दूर-दूर के हिस्सों से लोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे। तक्षशिला का स्नातक होना सम्मान और विशेष योग्यता की बात समझी जाती थी। बौद्धकाल में यह बौद्धज्ञान का केंद्र बन गया था।

प्रश्न 28.
जैन और बौद्ध धर्म में क्या समानता थी?
उत्तर:

  • दोनों वैदिक धर्म से कटकर अलग हुए थे।
  • दोनों ने वेदों को प्रमाण नहीं माना था।
  • दोनों अहिंसा पर बल देते थे।
  • दोनों ने भिक्षुओं के संघ बनाए।

प्रश्न 29.
बुद्ध में क्या विशेषता थी?
उत्तर:
बुद्ध में लोक-प्रचलित धर्म, अंधविश्वास, कर्मकांड और पुरोहित प्रपंच पर हमला करने का साहस था। उन्होंने चमत्कारों की भी निंदा की।  उनका आग्रह तर्क, विवेक और अनुभव पर था। उनका बल नैतिकता पर था। उनकी पद्धति मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की थी। उन्होंने वर्ण-व्यवस्था पर सीधा वार तो नहीं किया, पर अपनी संघ व्यवस्था में इसे कोई स्थान नहीं दिया।

प्रश्न 30.
बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं?
उत्तर:
महात्मा बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ निम्न थीं-

  • संसार में घृणा का अंत घृणा से न होकर प्रेम से होता था।
  • मनुष्य को अपने क्रोध पर दया से तथा बुराई पर भलाई से काबू पाना चाहिए।
  • मनुष्य की जाति जन्म से नहीं बल्कि कर्म से तय होती है।
  • सभी देशों में जाओ और बुद्ध धर्म का प्रचार करो।

प्रश्न 31.
सिकंदर के आक्रमण से कौन-से विलक्षण व्यक्ति सामने आए?
उत्तर:
सिकंदर के आक्रमण से चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य जैसे दो विलक्षण व्यक्ति सामने आए।

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प्रश्न 32.
चंद्रगुप्त और चाणक्य ने मिलकर क्या किया?
उत्तर:
चंद्रगुप्त और चाणक्य ने मिलकर राष्ट्रीयता का नारा बुलंद किया। युनानी सेना को खदेड़कर तक्षशिला पर अधिकार कर लिया। सिकंदर की मृत्यु के दो वर्ष बाद पाटलिपुत्र पर अधिकार कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।

चाणक्य ने ‘अर्थशास्त्र’ लिखा। इसमें राजनीतिशास्त्र की बातें बताई गई हैं।

प्रश्न 33.
चाणक्य कैसा व्यक्ति था?
उत्तर:
चाणक्य चंद्रगुप्त का मंत्री था। वह बहुत तीव्र बुद्धि वाला था। उसी का दूसरा नाम ‘कौटिल्य’ है। वह सम्राट को स्वामी की तरह नहीं बल्कि प्रिय शिष्य की तरह देखता है। वह उद्देश्य को पाने में सफल होता है। चंद्रगुप्त की सफलता चाणक्य के बुद्धि चातुर्य का परिणाम है।

प्रश्न 34.
अर्थशास्त्र में किन विषयों पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में व्यापार, वाणिज्य, कानून, न्यायालय, नगर-व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज, विवाह, तलाक, स्त्रियों के अधिकार, कृषि, लगान, खानों, कारखानों, दस्तकारियों, उद्योग-धंधों, मत्स्य उद्योग, जनगणना, जेल आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है।

प्रश्न 35.
पुस्तक में अशोक के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर:
अशोक 273 ई.पू. मौर्य साम्राज्य का उत्तराधिकारी बना। उसने पूर्वी तट के लिंग प्रदेश पर आक्रमण करके उसे जीत लिया। परंतु इसके भयंकर नरसंहार ने अशोक का हृदय-परिवर्तन कर दिया। उस पर बौद्ध धर्म का प्रभाव पड़ गया। उसने दूर देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। वह एक निर्माता भी था। उसने अनेक बड़ी इमारतों का निर्माण भी करवाया। 41 वर्षों तक शासन करने के उपरांत 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु हो गई। उसका नाम आज भी आदर के साथ लिया जाता है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Questions and Answers Summary सिंधु घाटी की सभ्यता

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 3 Summary

भारत के अतीत की सबसे पहली तसवीर उस सिंधु घाटी सभ्यता में मिलती है, जिसके अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले हैं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा एक-दूसरे से काफी दूरी पर हैं। दोनों स्थानों पर इन खंडहरों की खोज मात्र एक संयोग थी। यह सभ्यता विशेष रूप से उत्तर भारत में दूर-दूर तक फैली थी। यह सभ्यता गंगा की घाटी तक फैली थी। सिंधु घाटी सभ्यता जिस रूप में मिली है, उससे इसके अत्यंत विकसित होने का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके इस स्थिति में पहुँचने में हजारों साल लगे होंगे। यह सभ्यता धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी। धार्मिक तत्त्व मौजूद होने पर भी इस पर हावी नहीं थे।

सिंधु घाटी सभ्यता ने फारस मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं से संबंध स्थापित किया था और व्यापार किया था। यह ऐसी नागर सभ्यता थी जिसमें व्यापारी वर्ग धनाढ्य था। सड़कों पर दुकानों की कतारें थीं। यह सभ्यता हमें चली आती परंपरा और रहन-सहन की लोक-प्रचलित रीति-रिवाज़ों की दस्तकारी की, यहाँ तक कि पोशाकों के फैशन की याद दिलाता है। इस सभ्यता में केवल सुंदर चीजें ही नहीं बनी हैं बल्कि आधुनिक सभ्यता के उपयोगी और ज्यादा ठेठ चिह्नों, अच्छे हमामों और नीतियों के तंत्र का निर्माण भी किया है।

आर्यों का आना- सिंधु घाटी के सभ्यता के लोग कौन थे? कहाँ से आए थे? इनके बारे में ठीक से पता नहीं है। व्यावहारिक दृष्टि से उन्हें भारत का ही माना जा सकता है। सिंधु नदी में भयंकर बाढ़ आने से इस सभ्यता का अंत हो गया होगा। बाढ़ में नगर-गाँव बह गए होंगे। संभव है-मौसम परिवर्तन से जमीन सूखती चली गई हो, खेतों पर रेगिस्तान छा गया हो, बालू तह-पर-तह जमती गई होगी जिससे शहर की जमीन की सतह ऊँची उठ गई होगी। खुदाई में निकले मकान दो या तीन मंजिले जान पड़ते हैं। मौसम के परिवर्तनों का प्रभाव इलाके के निवासियों पर पड़ा होगा। सिंधु सभ्यता के निरंतर टूटने के प्रमाण मिलते हैं। यह संभव है कि आर्यों का प्रवेश सिंधु घाटी युग के लगभग एक हजार वर्ष बाद हुआ हो। सबसे बड़ा सांस्कृतिक समन्वय और मेल-जोल बाहर से आने वाले आर्यों एवं द्रविड़ जाति के लोगों के बीच हुआ। बाद के युगों में बहुत-सी जातियाँ आईं। सबने अपना प्रभाव डाला और फिर यही घुल-मिलकर रह गई।

प्राचीनतम अभिलेख, धर्मग्रंथ और पुराण- सिंधु घाटी की सभ्यता की खोज से पहले यह समझा जाता था कि हमारे भारतीय संस्कृति का सबसे पुराना इतिहास वेद है। आजकल अधिकांश विद्वान ऋग्वेद की ऋचाओं का समय ई. पू. 1500 मानते हैं। पर मोहनजोदड़ो की खुदाई के बाद से इन आरंभिक धार्मिक ग्रंथों को और पुराना साबित करने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। मैक्समूलर ने इसे ‘आर्य मानव के द्वारा कहा गया पहला शब्द’ कहा है। यह भी कहा गया है कि वेद भारत के अन्य महाकाव्यों की संस्कृत की अपेक्षा अवेस्ता के अधिक निकट हैं। अवेस्ता की रचना ईरान में हुई थी।

वेद- बहुत से हिंदू वेदों को प्रकाशित धर्मग्रंथ मानते हैं। वेद की उत्पत्ति ‘विद्’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है-‘जानना’! अत: वेद का सीधा-सादा अर्थ है-‘अपने समय के ज्ञान का संग्रह’। पर उसमें न मूर्तिपूजा है, न देव मंदिर। वैदिक युग के आर्यों में जीवन के प्रति इतनी उमंग थी कि उन्होंने आत्मा पर बहुत कम ध्यान दिया। वेद या ऋग्वेद मानव जाति की पहली पुस्तक है। इसमें मानव-मन के आरंभिक उद्गार मिलते हैं, काव्य-प्रवाह मिलता है।

हमें भारत में विचार की कर्म की दो समान्तर विकसित होती धाराएँ मिलती हैं। जो एक जीवन को स्वीकार करती हैं और दूसरी जो जिंदगी से बचकर निकल जाना चाहती हैं। वैदिक संस्कृति की मूल पृष्ठभूमि परलोकवादी या विश्व को निरर्थक मानने वाली नहीं है। जब भी भारत की सभ्यता में बहार आई, लोगों ने जीने की प्रक्रिया में आनंद लिया। ऐसे ही युगों में कला, साहित्य, संगीत, चित्रकला, रंगमंच आदि का विकास हुआ।

भारतीय संस्कृति की निरंतरता- भारतीय संस्कृति और सभ्यता तमाम परिवर्तनों के बावजूद आज भी बनी हुई है। इसी समय विशिष्टतावाद और छुआछूत का आरंभ दिखाई पड़ता है जो बाद में असह्य हो जाती है। यही प्रवृत्ति आधुनिक युग की जाति-व्यवस्था है। यह व्यवस्था लंबे समय तक बनी रही। इतिहास के लंबे दौर में भारत अलग-थलग नहीं रहा।

उपनिषद- उपनिषदों का समय ई.पू. 800 के आस-पास माना जाता है। वे हमें भारतीय आर्यों के चिंतन में एक कदम और आगे ले जाते हैं। उपनिषदों में जाँच-पड़ताल की चेतना और चीजों के बारे में सत्य की खोज का उत्साह दिखाई पड़ता है। वे किसी किस्म के दृढ़वाद को अपने रास्ते में नहीं आने देते। उनका जोर आत्म-बोध पर है, व्यक्ति में आत्मा-परमात्मा संबंधी ज्ञान पर है। उपनिषदों का सामान्य झुकाव अद्वैतवाद की ओर है। इनमें बिना सच्चे ज्ञान के कर्मकांड और पूजापाठ को व्यर्थ बताया गया है। उपनिषदों की प्रमुख विशेषता सच्चाई पर बल देना है। इसमें कामना की गई है-असत् से मुझे सत् की ओर ले चलो। अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले चलो। इसमें हर श्लोक का अंत इस टेक से होता है-“चरैवेति चरैवेति” अर्थात् “चलते रहो चलते रहो”।

व्यक्तिवादी दर्शन के लाभ और हानियाँ- उपनिषदों में कहा गया है कि शरीर स्वस्थ हो, मन स्वच्छ हो और दोनों में अनुशासन हो। ज्ञानार्जन के लिए संयम, आत्म-पीडन और आत्म-त्याग जरूरी है। इस प्रकार की तपस्या का विचार भारतीय चिंतन में सहज रूप से निहित है। व्यक्तिवाद का यह परिणाम हुआ कि उन्होंने मनुष्य के सामाजिक पक्ष पर बहुत कम ध्यान दिया। हर व्यक्ति के लिए जीवन बँटा और बँधा हुआ था। उसके मन में समाज की समग्र कल्पना नहीं थी। बाद में भी ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया कि समाज के साथ एकात्मकता महसूस की जाए।

भौतिकवाद- हमारा प्राचीन साहित्य ताड़पत्रों या भोजपत्रों पर लिखा गया था। कागज पर लिखने का प्रचलन बाद में हुआ। जो पुस्तकें खो गईं, उनमें भौतिकवाद पर लिखा पूरा साहित्य है जिसकी रचना आरंभिक उपनिषदों के ठीक बाद में हई। राजनीतिक और आर्थिक संगठन पर ई.पू. चौथी शताब्दी में रचित कौटिल्य की प्रसिद्ध रचना ‘अर्थशास्त्र’ में भारत के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत हैं। भारत में भौतिकवाद के बहुत से साहित्य को पुरोहितों और धर्म के पुरातन-पंथी स्वरूप में विश्वास रखने वाले लोगों ने नष्ट कर दिए। भातिकवादियों ने विचार, धर्म और ब्रह्मज्ञान के अधिकारियों और स्वार्थ से प्रेरित विचारों का विरोध किया। उन्होंने हर तरह के जादू-टोने और अंधविश्वास की घोर निंदा की। उनके अनुसार वास्तविक अस्तित्व केवल विभिन्न रूपों में वर्तमान पदार्थ का और इस संसार का ही माना जाता है। इसके अलावा न कोई संसार है, न स्वर्ग और नरक है, न ही शरीर से अलग कोई आत्मा। नैतिक नियम मनुष्य द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ हैं।

महाकाव्य, इतिहास, परंपरा और मिथक- प्राचीन भारत के दो महाकाव्यों-रामायण और महाभारत को रूप ग्रहण करने में शायद सदियाँ लगी होंगी और उनमें बाद में भी टुकड़े जोड़े जाते रहे। इतने प्राचीन समय में रची जाने के बावजूद भी इनका भारतीय जीवन पर आज भी जीवंत प्रभाव दिखाई पड़ता है। ये दो ग्रंथ भारतीय जीवन के अंग बन गए हैं।

भारतीय पुराकथाएँ महाकाव्यों तक सीमित नहीं हैं। उनका इतिहास वैदिक काल तक जाता है। अधिकांश पुराकथाएँ और प्रचलित कहानियाँ वीरगाथात्मक हैं। इनमें वफादारी, साहस, लोकहित के लिए सदाचार और बलिदान की शिक्षा दी गई है। ये कहानियाँ पूर्णतः काल्पनिक हैं। यूनानियों, चीनियों और अरबवासियों की तरह प्राचीन काल में भारतीय इतिहासकार नहीं थे। अतः कालक्रम का निर्धारण कठिन है। कहूण की ‘राजतरंगिनी’ एकमात्र प्राचीन ग्रंथ है जिसे इतिहास माना जा सकता है। यह कश्मीर का इतिहास है जिसकी रचना ईसा की बारहवीं शताब्दी में की गई थी।

महाभारत- महाकाव्य के रूप में महाभारत एक महान रचना है। महाभारत का दर्जा विश्व की श्रेष्ठतम रचनाओं में है। यह रचना परंपरा और दंतकथाओं का तथा प्राचीन भारत की राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं का विश्वकोष है। परिस्थितियों के अनुसार वैदिक धर्म में संशोधन किए गए जिससे आधुनिक हिंदू धर्म निकला। महाभारत में हिंदुस्तान की बुनियादी एकता पर बल देने की कोशिश की गई है। महाभारत का युद्ध ई.पू. चौदहवीं शताब्दी के आस-पास हुआ होगा। महाभारत में श्रीकृष्ण से संबंधित आख्यान भी है और प्रसिद्ध काव्य भगवद्गीता भी है। गीता के दर्शन के अलावा इस ग्रंथ में शासन कला और सामान्य रूप से जीवन के नैतिक और आचार संबंधी सिद्धांतों पर जोर दिया गया है। महाभारत एक ऐसा समृद्ध भंडार है जिसमें अनेक अनमोल चीजें ढूँढी जा सकती हैं।

भगवद्गीता- भगवद्गीता महाभारत का अंश है। यह 700 श्लोकों का एक छोटा-सा महाकाव्य है। इसकी रचना बौद्धकाल से पहले हुई थी। इसकी लोकप्रियता अभी तक कम नहीं हुई है। इसमें दुविधाग्रस्त मानव को मार्गदर्शन मिलता है। गीता की असंख्य व्याख्याएँ व टीकाएँ की गईं। आधुनिक युग के विचार और कर्मक्षेत्र के नेताओं-तिलक, अरविंद घोष और गाँधी ने इसकी अपने ढंग से व्याख्या की है। इस काव्य का आरंभ युद्ध शुरू होने से पहले युद्धक्षेत्र में अर्जुन और कृष्ण के संवाद से होता है। गीता में जीवन के कर्तव्यों के निर्वाह के लिए कर्म का आह्वान किया गया है और अकर्मण्यता की निंदा की गई है। गीता सभी संप्रदायों व वर्गों को मान्य हुई है।

प्राचीन भारत में जीवन और कर्म- बुद्ध के समय से पहले का वृत्तांत हमें जातक कथाओं में मिलता है। जातक कथाओं में उस समय का वर्णन मिलता है जब भारत की दो प्रधान जातियों-द्रविड़ों और आर्यों का अंतिम रूप से मेल हो रहा था। जातक पुरोहित या ब्राह्मण परंपरा तथा क्षत्रिय या शासक परंपरा के विरोध में लोक-परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। उस समय आमदनी का एकमात्र जरिया लगान था। लगान उपज का छठा भाग होता था। जातकों के वर्णन में एक खास तरह का विकास उभर कर सामने आता है। विशेष दस्तकारियों से जुड़े लोगों की अलग बस्तियाँ और गाँव थे। एक गाँव बढ़इयों तथा एक गाँव लोहारों का था। पेशेवरों के गाँव शहरों के पास बसे हुए थे। जातकों में सौदागरों की समुद्री यात्राओं का भी हाल है। भारत में लिखने की प्रथा बहुत पुरानी है। पाषाण युग के मिट्टी के पुराने बर्तनों पर ब्राह्मी लिपि के अक्षर मिले हैं। ईसा पूर्व छठी या सातवीं शताब्दी में पाणिनि ने संस्कृत भाषा में अपने प्रसिद्ध व्याकरण की रचना की। उस समय तक संस्कृत का रूप स्थिर हो चुका था। औषध विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकें और अस्पताल भी थे। औषधि पर चरक की तथा शल्य चिकित्सा पर सुश्रुत की पुस्तकें मिलती हैं। महाकाव्यों के युग में वनों में एक तरह के विश्वविद्यालयों का जिक्र आया है। कुछ वर्ष तक वहाँ प्रशिक्षण लेकर विद्यार्थी वापस लौटकर गृहस्थ जीवन बिताते थे।

बनारस हमेशा शिक्षा का केंद्र रहा। बुद्ध के समय में भी वह प्राचीन केंद्र माना जाता था। तक्षशिला विश्वविद्यालय विशेष रूप से विज्ञान, चिकित्साशास्त्र और कलाओं के लिए मशहूर था। तक्षशिला का स्नातक होना गर्व की बात थी। पाणिनि ने यहीं से शिक्षा प्राप्त की थी। तथ्यों के आधार पर पता चलता है कि सुदूर अतीत के भारतीय खुले दिल के, आत्म- विश्वासी, परंपरावादी, मर्यादा और मूल्यों को महत्त्व देने वाले जीवन का सहज भाव से आनंद लेने वाले, मौत का लापरवाही से सामना करने वाले लोग थे।

महावीर और बुद्ध : वर्ण व्यवस्था- जैन धर्म और वुद्ध धर्म दोनों वैदिक धर्म से कटकर अलग हुए थे। उन्होंने वेदों को प्रमाण नहीं माना। दोनों अहिंसा पर बल देते थे। वे यथार्थवादी और बुद्धिवादी थे। वे जीवन और विचार में तपस्या के पहलू पर बल देते थे। महावीर और बुद्ध समकालीन थे। बुद्ध में लोक-प्रचलित धर्म, अंधविश्वास, कर्मकांड और पुरोहित प्रपंच पर हमला करने का साहस था। उनका आग्रह तर्क, विवेक और अनुभव पर था।

बुद्ध की शिक्षा- बुद्ध का संदेश उन भारतीयों के लिए नया और मौलिक था, जो ब्रह्मज्ञान की गुत्थियों में डूबे रहते थे। बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा-“सभी देशों में जाओ और इस धर्म का प्रचार करो।” बुद्ध ने विवेक, तर्क और अनुभव का सहारा लिया और उन्होंने लोगों से कहा कि वे अपने मन के भीतर सत्य की खोज करें। बुद्ध की पद्धति मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की पद्धति थी। जीवन में चेतना और दुःख पर बौद्ध धर्म में बहुत बल दिया गया है। बुद्ध ने जिन चार आर्य-सत्यों का निरूपण किया है, उनका संबंध दुःख से है। बुद्ध ने मध्यम मार्ग अपनाने की बात की है। यह मध्यम मार्ग अष्टांग मार्ग है।

बुद्ध कथा- बुद्ध की वह संकल्पना जिसे प्यार से भरे अनगिनत हाथों ने पत्थर, संगमरमर और काँसे में ढालकर आकार दिया, भारतीयों के विचारों की समग्र आत्मा की, या कम से कम उसके एक तेजस्वी पक्ष का प्रतीक है। कमल के फूल पर बैठे हुए शांत और धीर, वासनाओं और लालसाओं से परे इस संसार के तूफानों और संघर्षों से दूर वे इतनी दूर, पहुँच से परे मालुम होते हैं। बुद्ध के बारे में सोचते हुए आज भी एक जीती-जागती थरथराहट पैदा करने वाली अनुभूति से गुजरते हैं। उस राष्ट्र और जाति के पास निश्चय ही समझदारी और आंतरिक शक्ति की गहरी संचित निधि होगी जो ऐसे भव्य आदर्श को जन्म दे सकती है।

चंद्रगुप्त और चाणक्य : मौर्य साम्राज्य की स्थापना- भारत में बौद्ध धर्म का प्रचार धीरे-धीरे हुआ। पश्चिमोत्तर प्रदेश पर सिकंदर के आक्रमण से दो विलक्षण व्यक्ति सामने आए-चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य। दोनों का मेल कारगर सिद्ध हुआ। दोनों मगध के शक्तिशाली शासक नंद द्वारा साम्राज्य से निकाल दिए गए थे। चंद्रगुप्त की भेंट सिकंदर से हुई। सिकंदर की मृत्यु के दो ही वर्ष में पाटलिपुत्र पर अधिकार करके चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। चाणक्य अर्थात् कौटिल्य ने ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की जो राजनीति का महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इस पुस्तक में व्यापार, वाणिज्य, कानून, न्यायालय, नगर व्यवस्था, सामाजिक रीति-रिवाज़, विवाह, तलाक, कृषि-लगान, दस्तकारियों, जनगणना आदि पर चर्चा की गई है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Questions and Answers Summary युगों का दौर

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 4 Question Answers Summary युगों का दौर

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Question and Answers

प्रश्न 1.
मौर्य साम्राज्य के अवसान पर उसकी जगह किसने ली?
उत्तर:
मौर्य साम्राज्य के अवसान पर उसकी जगह शुंग वंश ने ली।

प्रश्न 2.
मेनांडर किस नाम से प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर:
मेनांडर राजा मिलिंद के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न 3.
साँची के निकट कौन-सी लाट थी?
उत्तर:
साँची के निकट बेसनगर में ग्रेनाइट पत्थर की एक लाट है जो हेलिओदो स्तंभ के नाम से प्रसिद्ध है। इस पर संस्कृत का एक लेख खुदा था।

प्रश्न 4.
कुषाणों ने क्या काम किया?
उत्तर:
कुषाणों ने शकों. को पराजित करके दक्षिण की ओर खदेड़ दिया। कुषाणों ने पूरे उत्तर भारत पर और मध्य एशिया के बहुत बड़े भाग पर अपना मजबूत साम्राज्य कायम कर लिया।

प्रश्न 5.
कुषाण काल में बौद्ध धर्म की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
कुषाण काल में बौद्ध धर्म दो संप्रदायों में बँट गया था-महायान और हीनयान। दोनों में मतभेद उठ खड़े हए। समस्याओं पर विवाद आयोजित किए जाते थे। महायान के सिद्धांतों का प्रचार चीन में हुआ तथा श्रीलंका और बर्मा के लोग हीनयान को मानते रहे। कुषाणों ने अपना भारतीयकरण कर लिया था।

प्रश्न 6.
गुप्त वंश का शासन कब से कब तक रहा?
उत्तर:
चौथी शताब्दी के आरंभ से लेकर 150 वर्षों तक गुप्त वंश ने उत्तर में एक बड़े एवं शक्तिशाली राज्य पर शासन किया। इसके बाद 150 वर्ष तक उनके उत्तराधिकारी अपने बचाव में लगे रहे और साम्राज्य सिकुड़कर छोटा होता चला गया।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Questions and Answers Summary युगों का दौर

प्रश्न 7.
हूणों को किसने पराजित किया?
उत्तर:
हूणों को कन्नौज के राजा हर्षवर्धन ने पराजित किया। हर्ष ने उत्तर से मध्य भारत तक एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। हर्षवर्धन कवि और नाटककार थे। उसने अपनी राजधानी उज्जयिनी को सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया।

प्रश्न 8.
भारत में जिस सभ्यता का निर्माण किया गया, उसका मूल आधार क्या था?
उत्तर:
भारत में जिस सभ्यता का निर्माण किया गया, उसका मूल आधार स्थिरता और सुरक्षा की भावना थी।

प्रश्न 9.
भारतीय रंगमंच की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
भारतीय रंगमंच अपने विचारों में विकास में पूरी तरह स्वतंत्र था। ऋग्वेद की ऋचाओं में रंगमंच का उद्गम खोजा जा सकता है।

प्रश्न 10.
संस्कृत नाटकों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
भास ने 13 नाटक लिखे।

  • अश्वघोष का प्राचीनतम नाटक है।
  • कालिदास ने ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ नाटक लिखा।
  • शूद्रक ने ‘मृच्छकटिक’ नाटक लिखा।
  • विशाखदत्त का ‘मुद्राराक्षस’ नाटक प्रसिद्ध है।

प्रश्न 11.
संस्कृत भाषा के बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर:
संस्कृत भाषा एक समृद्ध और अलंकृत भाषा है। इसके व्याकरण का ढाँचा पाणिनि ने तैयार किया। संस्कृत आधुनिक भारतीय भाषाओं की जननी है।

प्रश्न 12.
प्राचीन भारत में कौन-सा उद्योग बहुत विकसित था?
उत्तर:
प्राचीन भारत में जहाज बनाने का उद्योग बहुत विकसित था। उस समय बनाए गए जहाजों का वर्णन ब्यौरेवार मिलता है। भारतीय बंदरगाहों का भी उल्लेख मिलता है।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Questions and Answers Summary युगों का दौर

प्रश्न 13.
भारतीय कला का प्रभाव विदेशों में किस प्रकार दिखाई देता है?
उत्तर:
जावा और बाली के मशहूर नृत्य भारत से लिए गए हैं। कंबोडिया में वर्णमाला दक्षिण भारत से ली गई है। भारतीय वास्तुकला का प्रभाव अंगकोर और बोरोबुदूर की इमारतों में दिखाई पड़ता है। भारतीय संगीत ने चीन और सुदूर-पूर्व के अलावा एशियाई संगीत को प्रभावित किया। मथुरा के संग्रहालय में बोधिसत्व की विशाल मूर्तियाँ हैं।

प्रश्न 14.
अजंता-एलोरा की गुफाओं के बारे में बताइए।
उत्तर:
गुप्तकाल के दौरान अजंता की गुफाएँ खोदी गईं। उनमें भित्तिचित्र भी बनाए गए। इन चित्रों को बौद्ध भिक्षुओं ने बनाया था। इनमें स्त्रियों के विभिन्न रूपों को दर्शाया गया था। 7वीं-8वीं शताब्दी में ठोस चट्टान को काटकर एलोरा की विशाल गुफाएँ तैयार हुई हैं। एलिफेंटा की गुफाओं में नटराज शिव की एक खंडित मूर्ति नृत्य मुद्रा में है।

प्रश्न 15.
भारत के विदेशी व्यापार के बारे में बताइए।
उत्तर:
भारत का व्यापार दूर-दूर तक फैला था। भारत का कपड़ा उद्योग बहुत विकसित था। यहाँ रेशमी कपड़ा भी बनता था। आरंभिक शताब्दियों में भारत में रसायन शास्त्र का विकास अन्य देशों की तुलना में अधिक हुआ। दूसरे देशों में भारत के फौलाद और लोहे की बहुत कद्र थी।

प्रश्न 16.
प्राचीन भारत में गणित शास्त्र की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
आधुनिक अंकगणित और बीजगणित की नींव भारत में पड़ी। भारत में ज्यामिति का भी विकास हुआ। शून्य की विधि भी निकाली गई।

गणित में भास्कर महत्त्वपूर्ण थे। इनका ‘लीलावती’ ग्रंथ प्रसिद्ध है। ब्रह्मपुत्र ने शून्य पर लागू होने वाले नियम निश्चित किए।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Questions and Answers Summary युगों का दौर

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 4 Summary

गुप्त शासन में राष्ट्रीयता और साम्राज्यवाद- मौर्य शासन की समाप्ति पर शुंग वंश आया। भारतीय और यूनानी संस्कृतियों के मेल से अफगानिस्तान और सरहदी सूबे के क्षेत्र में गांधार की यूनानी बौद्ध कला का जन्म हुआ। मध्य एशिया में शक आक्सस नदी की घाटी में बस गए थे। ये शक बौद्ध और हिंदू हो गए थे। कुषाणों ने शकों को हराकर दक्षिण की ओर खदेड़ दिया। शक काठियावाड़ और दक्खन की ओर चले गए। कुषाण काल में बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में बँट गया-महायान और हीनयान। इनमें विवाद होने लगा। एक नाम नागार्जुन उभरा। वह बौद्धशास्त्रों और भारतीय दर्शन के विद्वान थे। उन्हीं के कारण महायान की विजय हुई। चीन में महायान तथा लंका-बर्मा में हीनयान को मानते रहे।

चंद्रगुप्त ने गुप्त साम्राज्य स्थापित किया। 320 ई. में गुप्त युग का आरंभ हुआ। इसमें कई महान शासक हुए। 150 वर्ष तक गुप्त वंश ने उत्तर में एक शक्तिशाली और समृद्ध राज्य स्थापित किया। भारत में हूणों का शासन आधी शताब्दी तक ही रहा। इनका दमन करके कन्नौज के राजा हर्षवर्धन ने उत्तर से लेकर मध्य भारत तक एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। हर्षवर्धन कवि और नाटककार था। उसकी मृत्यु 648 ई. में हुई थी।

दक्षिण भारत- दक्षिण भारत में मौर्य साम्राज्य के सिमटकर अंत हो जाने से एक हजार साल से भी ज्यादा समय तक बड़े-बड़े राज्य फूले-फले। दक्षिण भारत अपनी बारीक दस्तकारी और समुद्री व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। उत्तर भारत पर बार-बार होने वाले हमलों का सीधा प्रभाव दक्षिण पर नहीं पड़ा। इसका परोक्ष प्रभाव जरूर पड़ा कि बहुत से लोग उत्तर से दक्षिण में जाकर बस गए। इन लोगों में राजगीर, शिल्पी और कारीगर भी शामिल थे।

शांतिपूर्ण विकास और युद्ध के तरीके- मौर्य, कुषाण, गुप्त और दक्षिण भारत में आंध्र. चालुक्य, राष्ट्रकूट के अलावा और भी ऐसे राज्य हैं जहाँ दो-दो, तीन-तीन सौ वर्षों तक शासन रहा। जब कभी दो राज्यों के बीच कोई युद्ध या आंतरिक आंदोलन होता था तो आम जनता की दिनचर्या में बहुत कम हस्तक्षेप किया जाता था। यह धारणा भ्रामक है कि अंग्रेजी राज ने पहली बार भारत में शांति और व्यवस्था कायम की। अंग्रेजों के शासन में देश अवनति की पराकाष्ठा पर था। इस समय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था टूट चुकी थी।

प्रगति बनाम सुरक्षा- भारत में जिस सभ्यता का निर्माण किया गया, उसका मूल आधार स्थिरता और सुरक्षा की भावना थी। भारतीय दर्शन व्यक्तिवादी है; जबकि भारत का सामाजिक ढाँचा सामुदायिक है। पाबंदी के बावजूद पूरे समुदाय में लचीलापन था। रीति-रिवाज बदले जा सकते थे। यहाँ समन्वय की भावना थी। राजा आते-जाते रहे, पर व्यवस्था नींव की तरह कायम रही। ऐसे हर तत्त्व ने जो बाहर से आया और जिसे भारत में अपने आप में समा लिया। भारत को कुछ दिया और उससे बहुत कुछ लिया।

भारत का प्राचीन रंगमंच- भारतीय रंगमंच अपने मूलरूप में विचारों और विकास में पूरी तरह स्वतंत्र था। इसका उद्गम ऋग्वेद की ऋचाओं में खोजा जा सकता है। रंगमंच की कला पर रचित ‘नाट्यशास्त्र’ ईसा की तीसरी शताब्दी की रचना बताई जाती है। यह माना जाता है कि नियमित रूप से लिखे गए संस्कृत नाटक ई.पू. तीसरी शताब्दी तक प्रतिष्ठित हो चुके थे। भास द्वारा रचित तेरह नाटकों का संग्रह मिला है। संस्कृत नाटकों में प्राचीनतम नाटक अश्वघोष के हैं। उसने ‘बुद्धचरित’ नाम से बुद्ध की जीवनी लिखी। यह ग्रंथ भारत, चीन तिब्बत में बहुत प्रसिद्ध हुआ। 1789 ई. में कालिदास के नाटक ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ का अंग्रेजी अनुवाद सर विलियम जोर ने किया। गेटे पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ा। कालिदास को संस्कृत साहित्य का सबसे बड़ा कवि और नाटककार माना गया है। कालिदास की एक लंबी कविता ‘मेघदूत’ है। शूद्रक का नाटक ‘मृच्छकटिक’ अर्थात् मिट्टी की एक गाड़ी प्रसिद्ध रचना है। विशाखदत्त का नाटक ‘मुद्राराक्षस’ था। इस ऊँचे दर्जे के रंगमंच के अलावा एक लोकमंच भी रहा है। इसका आधार भारतीय पुराकथाएँ तथा महाकाव्यों से ली गई कथाएँ होती थीं। दर्शकों को इन विषयों की अच्छी जानकारी रहती थी। संस्कृत साहित्य के पतन के काल में भाषा ने अपनी कुछ शक्ति और सादगी खो दी थी।

दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय उपनिवेश और संस्कृति- ईसा की पहली शताब्दी से लगभग 900 ई. तक उपनिवेशीकरण की चार प्रमुख लहरें दिखाई पड़ती हैं। इन साहसिक अभियानों की सबसे विशिष्ट बात यह थी कि इनका आयोजन स्पष्टतः राज्य द्वारा किया जाता था। इन बस्तियों का नामकरण पुराने भारतीय नामों के आधार पर किया गया जिसे अब कंबोडिया कहते हैं, उस समय कंबोज़ कहलाया। जावा स्पष्ट रूप यवद्वीप है। साहसिक व्यवसायियों और व्यापारियों के बाद धर्म-प्रचारकों का जाना शुरू हुआ होगा। प्राचीन भारत में जहाज बनाने का उद्योग बहुत विकसित और उन्नति पर था। अजंता के भित्तिचित्रों में लंका-विजय और हाथियों को ले जाते हुए जहाजों के चित्र हैं।

विदेशों पर भारतीय कला का प्रभाव- भारतीय सभ्यता ने विशेष रूप से दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों में अपनी जड़ें जमाईं। चंपा अंगकोर श्री विजय आदि स्थानों पर संस्कृत के बड़े-बड़े अध्ययन केंद्र थे। वहाँ के शासकों के विशुद्ध भारतीय और संस्कृत नाम थे। इंडोनेशिया और बाली आदि लेने अभी तक भारतीय संस्कृति को कायम रखा है। कंबोडिया की वर्णमाला दक्षिण भारत से ली गई है और बहुत से संस्कृत शब्दों को थोड़े हेरफेर से लिया गया है। जावा में बुद्ध के जीवन की कथा पत्थरों पर अंकित है। अंगकोर के विशाल मंदिर के चारों ओर विशाल खंडहरों का विस्तृत क्षेत्र है। कंबोडिया के राजा का नाम जयवर्मन था जो ठेठ भारतीय नाम है।

भारतीय कला का भारतीय दर्शन और धर्म से बहुत गहरा रिश्ता है। भारतीय संगीत जो यूरोपीय संगीत से इतना भिन्न है, अपने ढंग से बहुत विकसित था। मथुरा के संग्रहालय में बोधिसत्व की एक विशाल शक्तिशाली प्रभावशाली पाषाण प्रतिमा है। भारतीय कला अपने आरंभिक काल में प्रकृतिवाद से भरी है। भारतीय कला पर चीनी प्रभाव दिखाई देता है। गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है। इसी काल में अजंता की गुफाएँ खोदी गईं तथा उनमें भित्तिचित्र बनाए गए। इन चित्रों को बौद्ध भिक्षुओं ने बनाया था। इनमें सुंदर स्त्रियाँ, राजकुमारियाँ, गायिकाएँ, नर्तकियाँ बैठी हैं।

सातवीं-आठवीं शताब्दी में ठोस चट्टान को काटकर एलोरा की विशाल गुफाएँ तैयार हुईं। एलिफेंटा की गुफाओं में नटराज-शिव की एक खंडित मूर्ति है जिसमें शिव नृत्य की मुद्रा में है। ब्रिटिश संग्रहालय में विश्व का सृजन और नाश करते हुए नटराज शिव की एक मूर्ति है।

भारत का विदेशी व्यापार- ईस्वी सन् के एक हजार वर्षों के दौरान भारत का व्यापार दूर-दूर तक फैल चुका था। भारत में प्राचीन काल से ही कपड़े का उद्योग बहुत विकसित हो चुका था। यहाँ रेशमी कपड़ा भी बनता था। कपड़े रंगने की कला भी उन्नत थी। भारत में रसायन शास्त्र का विकास और देशों की तुलना में अधिक हुआ था। भारतीय लोहे व फौलाद का दूसरे देशों में बहुत महत्त्व था। भारतीयों को बहुत-सी धातुओं की जानकारी थी। औषधियों के लिए धातुओं का मिश्रण तैयार करना भी भारतीय जानते थे।

प्राचीन भारत में गणित शास्त्र- आधुनिक अंकगणित और बीजगणित की नींव भारत में ही पड़ी, ऐसा माना जाता है। बीजगणित का सबसे प्राचीन ग्रंथ आर्यभट्ट का है जिसका जन्म 427 ई. में हुआ था। भारतीय गणित शास्त्र में अगला नाम भास्कर का है। ब्रह्मपुत्र प्रसिद्ध खगोल शास्त्री था जिसने शून्य पर लागू होने वाले नियम निश्चित किए थे। अंकगणित की प्रसिद्ध पुस्तक ‘लीलावती’ है जिसके रचयिता भास्कर हैं।

विकास और ह्रास- चौथी से छठी शताब्दी तक गुप्त साम्राज्य समृद्ध होता रहा। स्वर्ण-युग के समाप्त होते ही ह्रास के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। सातवीं शताब्दी में हर्ष के शासनकाल में उज्जयिनी जो गुप्त शासकों की शानदार राजधानी थी, एक अन्य शक्तिशाली साम्राज्य का केंद्र बनती है। आगे के समय में वह भी कमजोर पड़कर खत्म हो जाती है। नौवीं शताब्दी में मिहिरभोज एक संयुक्त राज्य कायम करता है। 11वीं शताब्दी में एक बार दूसरा भोज सामने आता है। भीतरी कमजोरी ने भारत को जकड़ रखा था। छोटे-छोटे राज्यों में बँटे होने पर भी भारत समृद्ध देश था।

साहित्य के क्षेत्र में भवभूति आखिरी बड़ा व्यक्ति था। भारत समय के साथ-साथ क्रमशः अपनी प्रतिभा और जीवन-शक्ति को खोता जा रहा था। यह प्रक्रिया धीमी थी और कई सदियों तक चलती रही। राधाकृष्णन का कहना था कि भारतीय दर्शन ने अपनी शक्ति राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ खो दी है। हर सभ्यता के जीवन में ह्रास और विघटन के दौर आते रहते हैं। भारत ने उन सबसे बचकर नए सिरे से अपना कायाकल्प किया था। भारत के सामाजिक ढाँचे ने भारतीय सभ्यता को अद्भुत दृढ़ता दी थी। हर तरफ ह्रास हुआ- विचारों में, दर्शन में, राजनीति में, युद्ध पद्धति में और बाहरी दुनिया के बारे में जानकारी और संपर्क में।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 1 Questions and Answers Summary अहमदनगर का किला

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Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 1 Question Answers Summary अहमदनगर का किला

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 1 Question and Answers

प्रश्न 1.
इस पाठ में किसकी कौन-सी यात्रा का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
इस पाठ में पं. जवाहरलाल नेहरू की नौवीं जेल-यात्रा का वर्णन किया गया है। यह जेल अहमदनगर जिले की थी।

प्रश्न 2.
इस जेल में आए नेहरू जी को कितना समय हुआ था?
उत्तर:
‘इस जेल में आए नेहरू जी को बीस महीने से भी अधिक का समय हुआ था।

प्रश्न 3.
अहमदनगर के किले का चाँद नेहरू जी को क्या याद दिलाता था?
उत्तर:
अहमदनगर के किले का चाँद नेहरू जी को याद दिलाता था कि उनके जेल का एक महीना और बीत गया है तथा अँधेरे के बाद उजाला होता है।

प्रश्न 4.
किले की जेल में लेखक ने क्या काम शुरू कर दिया?
उत्तर:
नेहरू जी ने अहमदनगर के किले की जेल में दूसरी जेलों की तरह बागवानी का कार्य शुरू कर दिया। वह प्रतिदिन तपती धूप में कई घंटे फूलों की क्यारियाँ बनाते थे।

प्रश्न 5.
यहाँ की मिट्टी कैसी थी?
उत्तर:
अहमदनगर के किले की मिट्टी बहुत खराब थी। यहाँ की मिट्टी पथरीली, पुराने मलबे और अवशेषों से भरी हुई थी।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 1 Questions and Answers Summary

प्रश्न 6.
अहमदनगर के किले के साथ कौन-सी कहानी जुड़ी हुई है?
उत्तर:
अहमदनगर के किले के साथ चाँदबीवी नामक एक सुंदर महिला के साहस की कहानी जुड़ी हुई है। उसने इस किले की रक्षा के लिए अकबर की शाही सेना के विरुद्ध तलवार उठाकर अपनी सेना का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 7.
खुदाई में नेहरू जी को क्या मिला?
उत्तर:
खुदाई के दौरान नेहरू जी को जमीन की सतह के बहुत नीचे दबे हुए प्राचीन दीवारों के हिस्से, कुछ गुंबदों और इमारतों के ऊपरी हिस्से मिले।

प्रश्न 8.
अतीत का दबाव कैसा होता है?
उत्तर:
अतीत का दबाव अच्छा हो या बुरा, दोनों ही रूपों में अभिभूत करता है। कभी-कभी यह दबाव दम-घोंटू भी होता है। खासकर उन लोगों के लिए जिनकी जड़ें बहुत पुरानी सभ्यताओं में होती हैं।

प्रश्न 9.
लेखक किस-किसका वारिस है?
उत्तर:
लेखक उन सबका वारिस है जिसे मानवता ने हजारों सालों में हासिल किया है। वह मानवता की विजयों, पराजयों, साहसिक कार्यों आदि का उत्तराधिकारी है।

प्रश्न 10.
लेखक क्या अनुभव करता है?
उत्तर:
लेखक यह अनुभव करता है कि वह मानवता की विशिष्ट विरासत को लिखना तो चाहता है, पर विषय कीजटिलता और कठिनता उसे भयभीत करती है। उसे लगता है कि वह इस विषय को केवल सतही तौर पर ही छू सकेगा।

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 1 Questions and Answers Summary

Bharat Ki Khoj Class 8 Chapter 1 Summary

यह नेहरू जी की नौवीं जेल-यात्रा थी। यहाँ आए उन्हें बीस मास से अधिक का समय हो चुका था। जब वे यहाँ पहुँचे थे तो अँधेरे आकाश में झिलमिलाते दूज़ के चाँद ने उनका स्वागत किया था। इसके बाद जब भी चाँद निकलता तो उन्हें जेल में एक मास बीत जाने का अहसास होता था। वे मानते थे कि चाँद उनके जेल-जीवन का स्थायी सहचर रहा है। चाँद उन्हें यह भी याद दिलाता है कि अँधेरे के बाद उजाला आता है।

अतीत का भारत – नेहरू जी ने दूसरी जेलों की तरह अहमदनगर की जेल में भी बागवानी करनी शुरू कर दी थी। वे तेज़ धूप में भी फूलों की क्यारियाँ बनाते थे। वहाँ की मिट्टी पथरीली और पुराने मलबे तथा अवशेषों से भरी हुई है। इस किले की एक घटना उन्हें याद आती थी। चाँदबीवी नाम की एक सुंदर महिला ने इस किले की रक्षा के लिए अकबर की शाही सेना के विरुद्ध तलवार उठाकर सेना का नेतृत्व किया था। लेकिन अंत में उसकी हत्या अपने ही एक आदमी के हाथों हुई। खुदाई के दौरान नेहरू जी को जमीन में दबे हुए प्राचीन दीवारों के हिस्से, कुछ गुंबद तथा इमारतों के ऊपरी हिस्से मिले। नेहरू जी इस कार्य को जारी नहीं रख सके. क्योंकि न तो इसके लिए उन्हें अधिकारियों की मंजरी मिली और न ही इसे आगे बढ़ाने के लिए उनके पास साधन थे। अब उन्होंने कुदाल छोड़कर कलम हाथ में ले ली। उन्हें लिखने की पूरी स्वतंत्रता नहीं थी। वह पहले की ही तरह अपने आज के विचारों और क्रियाकलापों के साथ संबंध स्थापित करके उसके बारे में लिख सकते थे। गेटे ने एक बार कहा था-“इस तरह का इतिहास-लेखन अतीत के भारी बोझ से एक सीमा तक राहत दिलाता है।”

अतीत का दबाव-दबाव कभी-कभी दम-घोंटू होता है। खास तौर पर उन लोगों के लिए जिनकी जड़ें बहुत पुरानी सभ्यताओं में होती हैं। जैसे-भारत और चीन की सभ्यताएँ।

आखिर मेरी विरासत क्या है? मैं किन बातों का उत्तराधिकारी हूँ? क्या उन सबका जिसे मानवता ने दसियों-हजारों सालों के दौरान हासिल किया। उनकी विजयों, पराजयों, मानव के साहसिक कारनामों का वह वारिस है। भारतवासियों की विरासत में एक खास बात है, पर अनौखी नहीं है। यह हम सब लोगों पर विशेष रूप से लागू होती है। इस विशेषता से हमारा वर्तमान स्वरूप बना है और भावी रूप बनेगा। ऐसे विचार लेखक के मन में बसे हुए हैं। वह इसी के बारे में लिखना चाहता है। विषय की कठिनता व जटिलता उसे भयभीत करती है।

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