NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15 नीलकंठ Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

नीलकंठ NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 15

Class 7 Hindi Chapter 15 नीलकंठ Textbook Questions and Answers

निबंध से

प्रश्न 1.
मोर मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए ?
उत्तर:
मोर की गरदन नीली थी इसलिए उसका नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी सदैव मोर के आस-पास ही रहती थी। वह उसका साथ बिल्कुल भी नहीं छोड़ती थी। वह सदा उनका अनुसरण करती रहती थी। अतः उसका नाम राधा रख दिया।

प्रश्न 2.
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ ?
उत्तर:
जालीघर में पहुंचने पर दोनों नवागंतुकों ने पहले से रहने वालों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसा नववधू के आगमन पर परिवार में स्वाभाविक है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम-घूमकर गुटरगूं-गुटरगूं की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछलकूद मचाने लगे। तोते मानो भली-भाँति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। उस दिन मेरे चिड़ियाघर में मानो भूचाल आ गया।

प्रश्न 3.
लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं ?
उत्तर:
लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ भाती थीं-
लेखिका को नीलकंठ का झूले से उतरकर अपने पंखों का सतरंगी छाता तानकर नृत्य भंगिमा में खड़ा होना बहुत अच्छा लगता था।

नीलकंठ द्वारा हथेली से भुने चने खाना बहुत भाता था। मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर जब वह नाचता था, तब उस नृत्य में एक सहजात लय-ताल रहता था। आगे-पीछे, दाहिने-बाएँ क्रम से घूमकर वह किसी अलक्ष्य सम पर ठहर-ठहर जाता था।

प्रश्न 4.
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर:
यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका चिड़िया बेचने वाले बड़े मियाँ से एक घायल मोरनी खरीद लाई। उस मोरनी के घर में आने पर नीलकंठ एवं राधा का सारा आनंद समाप्त हो गया। उसने उनके अंडों को भी तोड़ दिया था। वह राधा को नीलकंठ के पास नहीं जाने देती थी। लेखिका ने उस मोरनी का नाम उसके रूप के अनुसार ही कुब्जा रखा था।

प्रश्न 5.
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?
उत्तर:
मोर को वसंत ऋतु और वर्षा ऋतु बहुत भाती है। नीलकंठ भी भला इस ऋतु में जालीघर में क्यों बंद रहता, उसका मन नाचने के लिए मचल उठता था। अतः वसंत में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे, अशोक नए लाल पल्लवों से ढक जाता था, तब जालीघर में वह इतना अस्थिर हो उठता कि उसे बाहर छोड़ देना पड़ता।

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प्रश्न 6.
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?
उत्तर:
जालीघर में रहने वाले सभी जीव जंतु आपस में स्नेह का भाव रखते थे उनको एक दूसरे से ईर्ष्या नहीं थी। कुब्जा मोरनी का स्वभाव ईष्यालु था। वह सभी के साथ बैरभाव रखती थी। राधा को तो वह नीलकंठ के पास फटकने ही नहीं देती थी। उसने चोंच मार-मारकर उसके अंडों को तोड़ दिया था। कुब्जा अपने स्वभाव के कारण किसी की भी मित्र नहीं बन पाई।

प्रश्न 7.
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया ? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
एक दिन की घटना थी कि एक साँप जाली के भीतर पहुँच गया। सब जीव-जंतु भागकर इधर-उधर छिप गए, केवल एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। निगलने के प्रयास में साँप ने उसका आधा पिछला शरीर तो मुँह में दबा रखा था, शेष आधा जो बाहर था, उससे चीं-चीं का स्वर भी इतना तीव्र नहीं निकल पा रहा था कि किसी को स्पष्ट सुनाई दे सके। नीलकंठ दूर ऊपर झूले में सो रहा था। उसी के चौकन्ने कानों ने उस मंद स्वर की व्यथा पहचानी और वह पूँछ-पंख समेटकर सर्र से एक झपट्टे में नीचे आ गया। संभवतः अपनी सहज चेतना से ही उसने समझ लिया होगा कि साँप के फन पर चोंच मारने से खरगोश भी घायल हो सकता है।

उसने साँप के फन को पंजों में दबाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा मुख से निकल आया, इस प्रकार उसके प्राणों की रक्षा हुई। इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ प्रकट होती हैं।

नीलकंठ साहसी था।
नीलकंठ दूसरों की सहायता के लिए सदा तत्पर रहता था।
उसका स्वभाव दयालु था। वह किसी का दुःख देख नहीं सकता था।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं ? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर:
शब्दों के द्वारा किसी जीव-जंतु अथवा मनुष्य का ऐसा चित्रण करना कि वह हमारे सामने एकदम जीवंत हो उठे रेखाचित्र कहलाता है। रेखाचित्र पूरी तरह से सत्य घटना पर आधारित होता है। कल्पना के लिए इसमें कोई स्थान नहीं होता। रेखाचित्र हमें यथार्थ का ज्ञान कराता है। महादेवी वर्मा ने विभिन्न पशु-पक्षियों एवं आदमियों से जुड़े रेखाचित्र प्रस्तुत किए हैं। उनके द्वारा रचित ‘पथ के साथी’ एवं ‘अतीत की स्मृतियाँ’ रेखाचित्रों का संकलन है। ये सभी पुस्तकालयों में उपलब्ध रहते हैं।

प्रश्न 2.
वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।
पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
छात्र-कक्षा नवम् ‘अ’ पाठ्यक्रम’ क्षितिज भाग-1 से सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता ‘मेघ आए’ पढ़ें।

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अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं-‘मैं अपने शाल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धार में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’-इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।
उत्तर:
जिस प्रकार वृत्ताकार मोर के पंख थे उसी प्रकार लेखिका ने जब मोर को गंगा में प्रवाहित किया तो गंगा में वृत्ताकार छोटी-छोटी लहरें चारों ओर फैल गईं।

प्रश्न 2.
नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्द चित्र प्रस्तुत करें।
उत्तर:
नीलकंठ मेघों को गरजते देखकर जालीघर से बाहर आने के लिए बेचैन हो उठता था। वह अपने पंखों को मंडालाकार रूप में करके नृत्य मुद्रा में आ जाता था। मेघों को देखकर उसका केकारव तीव्र होता जाता था। जब वर्षा की रिमझिम शुरू हो जाती थी तो धीरे-धीरे उसका केकारव मंद पड़ने लगता था। वह पूरी तरह से नृत्य में मग्न हो जाता था। उसकी नृत्य भंगिमा बहुत चित्ताकर्षक होती थी।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-
गंध, रंग, फल, ज्ञान।
उत्तर:
गंध – सुगंध, दुर्गंध, गंधयुक्त
रंग – बदरंग, रंगीला, रंगहीन, रंगत, रंगीन
फल – निष्फल, फलित, सुफल, फलदार, फलीभूत
ज्ञान – अज्ञान, विज्ञान, ज्ञानी, अज्ञानी

विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के य के साथ अभिभूत के अ के मिलने से या हो गया है। अ आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्गों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे-क् + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (1) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से अकार की मात्रा ही लगती है, जैसे-मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर (जोड़ने पर) मंडलाकार शब्द बनता है और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-
नील + आभ = ………………
सिंहासन = …………..
नव + आगंतुक = …………
मेघाच्छन्न = ……………
संधि
उत्तर:
नील + आभ = नीलाभ
नव + आगंतुक = नवागंतुक

विच्छेद
सिंहासन – सिंह + आसन
मेघाच्छन्न – मेघ + आच्छन्न

कुछ करने को

चयनित व्यक्ति/पशु पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।

प्रिय नेता – सुभाष चंद्र बोस

मालती के फूल की तरह मनस्वी लोगों की दो प्रमुख स्थितियाँ होती हैं या तो वे संसार के एकांत में पड़े रह जाते हैं या संसार के सिर पर मुकुट की तरह शोभा पाते हैं। ‘जय हिंद’ का मंत्र देने वाले महान् देश-भक्त नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे ही मनस्वी थे। इस वीर योद्धा का नाम हमारे स्वाधीनता आंदोलन के सुनहरे पृष्ठों पर लिखा जा चुका है। सुभाष चंद्र बोस की माँ प्रभावती उन्हें ‘सुब्बी’ कहकर पुकारती थी। अपनी माता के बड़े लाडले थे सुभाष । माँ ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका दुलारा ‘सुब्बी’ एक दिन भारत में ही नहीं वरन् पूरी दुनिया में नेता जी के नाम से लोकप्रिय होगा। नेता जी सुभाष का नाम हर भारतवासी के हृदय में सुगंध की तरह बस गया है।

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गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मोर के सिर ……………….. आँका जा सकता।

प्रश्न 1.
नीलकंठ मोर के सौंदर्य का वर्णन कीजिए। .
उत्तर:
मोर के सिर पर कलगी गहरी चमकीली और ऊँची लगने लगी थी। उसकी चोंच टेढ़ी और पैनी हो गई। उसकी गोल आँखों में मीली चमक दिखाई देने लगी थी। उसकी गरदन पर नीला-गहरा रंग झलकने लगा था। उसके दोनों पंख सफेद एवं सलेटी आलेखन स्पष्ट होने लगे थे।

प्रश्न 2.
इस गद्यांश में मोर के किन-किन अंगों की सुंदरता का वर्णन किया गया है ?
उत्तर:
इस गद्यांश में मोर की कलगी, चोंच, आँखों, गरदन, पंखों, पूँछ और पैरों का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 3.
लेखिका ने यह क्यों कहा कि ‘गति का चित्र नहीं आंका जा सकता’ ?
उत्तर:
मोर बहुत चंचल पक्षी होता है। वह निरंतर तरह-तरह की क्रियाएँ करता रहता है। वह क्षणभर के लिए भी स्थिर नहीं होता इसलिए लेखिका ने ऐसा कहा है।

2. राधा नीलकंठ के …………………. उपाधि दे डाली।

प्रश्न 1.
लेखिका ने राधा की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर:
राधा नीलकंठ की तरह नाच नहीं सकती थी परंतु वह नृत्य मग्न नीलकंठ के कभी दाईं ओर से बाईं ओर कभी बाईं ओर से दाईं ओर चक्कर लगाती रहती थी।

प्रश्न 2.
लेखिका के जालीघर के पास आने पर नीलकंठ किस मुद्रा में आ जाता था ?
उत्तर:
लेखिका के जालीघर के पास आने पर नीलकंठ झूले से उतरकर नीचे आ जाता और अपने पंखों का मंडलाकर छाता बनाकर नृत्य मुद्रा में आ जाता था।

प्रश्न 3.
विदेशी मेहमान नीलकंठ को देखकर विस्मयाभिभूत क्यों हो उठते थे ?
उत्तर:
लेखिका के जालीघर के पास आने पर नीलकंठ जिस मुद्रा में आ जाता था लेखिका के साथ आए मेहमान उसकी उस मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो जाते थे।

प्रश्न 4.
विदेशी महिलाओं ने नीलकंठ को क्या उपाधि दी ?
उत्तर:
विदेशी महिलाओं ने नीलकंठ को ‘परफैक्ट जेंटिलमैन’ की उपाधि दी।

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3. नीलकंठ और राधा की ………………….. भी एक करुण कथा है।

प्रश्न 1.
नीलकंठ और राधा को कौन-सी ऋतु प्रिय थी। वे इस मौसम में किस प्रकार आनंदित होते थे ?
उत्तर:
वर्षा ऋतु नीलकंठ और राधा की प्रिय ऋतु थी। मेघों के गर्जन करते ही वे नृत्य करने लगते थे। मेघों के आने से पहले ही उनको उनकी सजल (जलयुक्त) आहट आने लगती थी।

प्रश्न 2.
मेघों के आने पर उनका केकारव कैसा हो जाता था ?
उत्तर:
मेघों के आने पर नीलकंठ व राधा का मंद केकारव निरंतर तीव्र से तीव्रतर होता चला जाता था। ऐसा लगता था मानो वे आकाश से मेघों की बूंदों को उतारने के लिए सीढ़ी बना रहे हों।

प्रश्न 3.
मेघों के गर्जन, बिजली की चमक और वर्षा की रिमझिमाहट बढ़ने के साथ-साथ नीलकंठ में क्या परिवर्तन आने लगता था ?
उत्तर:
जैसे ही मेघ गरजने लगते, बिजली चमकने लगती और वर्षा की बूंदों की रिमझिम बढ़ने लगती वैसे ही नीलकंठ का केकारव मंद्र से मंद्रतर होने लगता।

4. वास्तव में नीलकंठ ………………… दृष्टि लगाए रहती थी।

प्रश्न 1.
नीलकंठ न तो बीमार था और न घायल ही फिर भी उसकी मृत्यु हुई ऐसा क्यों हुआ होगा ?
उत्तर:
नीलकंठ को कुब्जा के व्यवहार से बहुत ही मानसिक आघात पहुँचा था। कुब्जा ने उसके अंडों को भी तोड़ दिया था। कुब्जा राधा को नीलकंठ के पास नहीं आने देती थी। इस कलह कोलाहल के कारण ही शायद नीलकंठ का अंत हो गया।

प्रश्न 2.
लेखिका ने नीलकंठ का अंतिम संस्कार किस प्रकार किया ?
उत्तर:
लेखिका नीलकंठ के शव को अपने शाल में लपेटकर संगम तट पर ले गई। वहाँ उन्होंने उसे गंगा की धार में प्रवाहित कर दिया।

प्रश्न 3.
नीलकंठ की मृत्यु के बाद राधा की कैसी दशा हुई ?
उत्तर:
नीलकंठ की मृत्यु के बाद राधा निश्चेष्ट-सी घर के एक कोने में बैठी रही। वह अब भी इस इंतजार में कि शायद नीलकंठ लौट आए। क्योंकि नीलकंठ कई बार घर से चले जाने के बाद फिर लौट आता था। इसी भाव से वह द्वार पर दृष्टि लगाए रहती थी।

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नीलकंठ Summary

पाठ का सार

लेखिका महादेवी वर्मा अपने किसी अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौट रही थी कि उनको चिड़ियाँ और खरगोशों की दुकान का ध्यान आया। उन्होंने अपने ड्राइवर से मियाँ- चिड़िया वाले की दुकान की ओर चलने को कहा। वे दुकान पर पहुंची और मियाँ- चिड़िया वाला बोला कि आपने पिछली बार मोर के बच्चों के लिए पूछा था मैंने एक शिकारी से आपके लिए बच्चे खरीद लिए। बड़े मियाँ की भाषण मेल चलती ही जा रही थी अतः लेखिका पैंतीस रुपये में उन मोर के दोनों बच्चों को खरीद कर घर ले आई। घर पहुँचने पर सबने कहा कि ये मोर नहीं तीतर के बच्चे हैं, आपको ठग लिया है। लेखिका ने उन बच्चों का पिंजरा अपने पढ़ने वाले कमरे में रखकर खोला। वे दोनों इधर-उधर लुका छिपी खेलने लगे। बिल्ली के डर के कारण उनको पिंजरे में ही रखना पड़ता था। इनको देखकर लेखिका के घर में रहने वाले कबूतर, खरगोश, तोते सभी में कुतूहल जागा।

धीरे-धीरे मोर के बच्चे बड़े होने लगे। मोर के सिर पर कलगी सघन और ऊँची तथा चमकीली हो गई। चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई। लंबी नील-हरित ग्रीवा बहुत सुंदर लगने लगी। लेखिका ने इसका नाम नीलकंठ रखा। मोरनी का विकास मोर जितना चमत्कारिक तो नहीं था परन्तु वह अपनी मंथर गति से मोर की उपयुक्त सहचरी होने का प्रभाव देने लगी। नीलकंठ लेखिका के घर में रहने वाले सभी जीव जंतुओं का सेनापति बन गया। खरगोश के छोटे बच्चों को वह चोंच से उनके कान पकड़कर उठा लेता था। एक दिन वहाँ जाली में एक साँप आ गया। एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया। वह उसे निगलने का प्रयास कर रहा था कि नीलकंठ ने उसके फन को पंजों से दबाकर चोंच से प्रहार किया इस प्रकार खरगोश मुक्त हो गया और साँप के भी नीलकंठ ने दो खंड कर दिए।

नीलकंठ जब आकाश में बादल होते थे तो वह इंद्र धनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचता था। राधा नीलकंठ के समान तो नहीं नाच सकती थी परन्तु नीलकंठ की परिक्रमा से एक पूरक ताल का परिचय अवश्य मिलता था। नीलकंठ का नृत्य बहुत अच्छा लगता था। वह भी यह बात जान गया था अतः वह अब प्रतिदिन अपना नृत्य कौशल दिखाने लगा था। कुछ विदेशी मेहमानों ने भी उसका नृत्य देखा उन्होंने उसको ‘परफैक्ट अँटिलमैन’ की उपाधि से विभूषित कर दिया। जैसे ही वर्षा ऋतु की रिमझिम शुरू होती नीलकंठ का नृत्य आरंभ हो जाता।

नीलकंठ की इस सुखद नृत्य कथा का अंत भी एक दिन हुआ। लेखिका बड़े मियाँ के यहाँ से एक घायल मोरनी ले आई। लेखिका ने उसका इलाज करके उसके प्राण बचाए लेखिका ने उसका नाम कुब्जा रखा क्योंकि घायल होने के कारण उसकी चाल-ढाल बदल गई थी। वह नीलकंठ के पास राधा को भी नहीं जाने देती थी। इस घटना से नीलकंठ उदास रहने लगा। कुब्जा ने राधा के अंडों को भी चोंच मारकर गिरा दिया। नीलकंठ बहुत उदास रहने लगा था। कई महीने बीतने के बाद एक दिन वह मरा हुआ मिला। उसकी मृत्यु का कारण तो पता नहीं चला। लेखिका उसे अपने शाल में लपेट कर गंगा में प्रवाहित कर आई। नीलकंठ के न रहने पर राधा भी निष्चेष्ट-सी बैठी रहने लगी। एक दिन अल्सेशियन कुतिया कजली के दाँत लगने से कुब्जा भी घायल हो गई उसे बचाया नहीं जा सका।

अब राधा कभी ऊँचे झूले पर और कभी अशोक की डाल पर अपनी केका को तीव्रतर करके नीलकंठ को बुलाती रहती है।

शब्दार्थ- चिडिमार-चिड़िया को मारने वाला शिकारी; अनुसरण-नकल करना, पीछे चलना; संकीर्ण-सँकरा/छोटा; मुनासिब-उचित; पक्षी-शावक-पक्षी का बच्चा; आश्वस्त-तसल्ली; आविर्भूत-प्रकट होना; नवागंतुक-नया-नया आया हुआ मेहमान; मार्जारी-बिल्ली; असह्य-न सहने योग्य; कायाकल्प-शरीर में बहुत भारी परिवर्तन आना; बंकिम-टेढ़ी; नीलाभ-नीली चमक; उद्दीप्त-चमक उठना; भंगिमा-मुद्रा; सहचारिणी-पत्नी/साथ-साथ चलने वाली, विचरण करने वाली; ग्रीवा-गर्दन; आर्तक्रंदन-दर्द भरे स्वर में रोना; उष्णता-गर्मी; कार्तिकेय-कृतिका नक्षत्र में उत्पन्न शिव के पुत्र, देवताओं के सेनापति; विस्मयाभिभूत-आश्चर्य से आनंदमग्न होना; पुष्पित और पल्लवित-फूलों और पत्रों से लदा हुआ; मंजरिया-आम का बौर या फूल; केका-मोर की ध्वनि (आवाज)।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

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खानपान की बदलती तस्वीर NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14

Class 7 Hindi Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर Textbook Questions and Answers

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. पिछले दस-पंद्रह वर्षों …………………… अजनबी नहीं रहे।

प्रश्न 1.
दक्षिण भारत के व्यंजन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
इटली-डोसा-बड़ा-सांभर-रसम दक्षिण भारत के व्यंजन हैं।

प्रश्न 2.
ढाबा संस्कृति क्या है ?
उत्तर:
सड़कों के किनारे छोटे-छोटे रैस्टोरेंटनुमा खाने की दुकानों को ढाबा कहा जाता है। ढाबा अक्सर उत्तर भारत में होते हैं। लोग इन ढाबों पर खाना खाते हैं परन्तु आज ये पूरे भारत में फैल गए हैं।

प्रश्न 3.
फास्ट फूडं क्या है? इनका चलन क्यों बढ़ा है ?
उत्तर:
बहुत शीघ्रता से तैयार होने वाले व्यंजन जैसे बर्गर, नूडल्स आदि फास्टफूड की श्रेणी में आते हैं। आज भागम-भाग जीवन के कारण इन चीजों का चलन बढ़ गया है।

2. मुंबई की पाव-भाजी …………………… सचमुच दुःसाध्य है।

प्रश्न 1.
मुंबई की पाव-भाजी और दिल्ली के छोले कुलचों की दुनिया पहले की तुलना में किस प्रकार बड़ी हुई है?
उत्तर:
मुंबई की पाव-भाजी अब केवल मुंबई तक ही सीमित नहीं है वरन् सम्पूर्ण भारत में लोग पाव-भाजी खाने लगे हैं। इसी प्रकार दिल्ली के छोले कुलचे भी अब हर जगह मिल सकते हैं।

प्रश्न 2.
मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे में पहले वाली बात क्यों नहीं रही?
उत्तर:
अन्य वस्तुओं का महत्त्व बढ़ जाने के कारण और पहले जैसी शुद्ध चीज न मिलने के कारण इनकी गुणवत्ता में बहुतः . अंतर आ गया है। अब लोग पहले जितनी मेहनत नहीं करना चाहते।

प्रश्न 3.
महिलाओं के लिए अब क्या दुःसाध्य हो गया है?
उत्तर:
महिलाओं के लिए अब ऐसे कार्य दुःसाध्य हो गए हैं जिनमें मेहनत व समय अधिक लगता है और फल कम प्राप्त होता है। खरबूजे के बीज सुखाना और उनको-छीलना ऐसे ही कार्य हैं।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

3. आजादी के बाद ………………………. खानपान-विशेष से जुड़ी हुई है।

प्रश्न 1.
खानपान की चीजें एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में किस प्रकार पहुँची हैं?
उत्तर:
उद्योग-धंधों और नौकरियों में तबादले के कारण एक स्थान का व्यक्ति दूसरे स्थान पर अपनी जीविका के लिए जाता है इस प्रकार उसके साथ उसका खान-पान भी दूसरी जगह पहुँच जाता है।

प्रश्न 2.
खानपान की यह संस्कृति राष्ट्रीय एकता में किस प्रकार सहायक हो सकती है?
उत्तर:
खानपान की यह संस्कृति तरह-तरह के लोगों को नज़दीक लाती है जैसे विद्यालयों में देखते हैं कि वहाँ सभी धर्म-जाति और क्षेत्रों के विद्यार्थी पढ़ते हैं वे सभी खान-पान के समय एक दूसरे के नज़दीक आते हैं। अब वे एक दूसरे को बड़ी नज़दीकी से समझ सकते हैं। भाषा और बोलचाल के द्वारा एक-दूसरे के नजदीक आयेंगे।

खानपान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद नहीं ले पा रहे। अक्सर प्रीतिभोजों और पार्टियों में एक साथ ढेरों चीजें रख दी जाती हैं और उनका स्वाद गड्डमड्ड होता रहता है। खानपान की मिश्रित या विविध संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है, हम उसका लाभ प्रायः नहीं उठा रहे हैं। हम अक्सर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन परोस लेना चाहते हैं।

प्रश्न 1.
खान-पान की मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीज़ों का असली और अलग स्वाद क्यों नहीं ले पा रहे हैं?
उत्तर:
उत्तर जब हम किसी पार्टी या प्रीतिभोज में जाते हैं तो वहाँ अलग-अलग तरह की चीजें खाने के लिए रखी होती हैं। खाने वाला ठीक प्रकार से खाने की वस्तुओं का चयन ही नहीं कर पाता। सबका स्वाद आपस में गड्डमगड्ड हो जाता है।

प्रश्न 2.
खान-पान की संस्कृति हमें कुछ चीजें चुनने का अवसर देती है परन्तु हम उनका लाभ क्यों नहीं उठा पाते?
उत्तर:
जब हम किसी पार्टी आदि में भोजन करते हैं तो अक्सर एक ही प्लेट में कई तरह के और कई बार तो बिलकुल विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन एक साथ परोस लेना चाहते हैं। इस प्रकार हम उन व्यंजनों का लाभ नहीं उठा पाते।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

निबंध से

प्रश्न 1.
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?
उत्तर:
खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब है एक ही स्थान पर तरह-तरह और अलग-अलग स्थानों के व्यंजनों का होना जैसे किसी परिवार में पाव-भाजी, छोले कुल्चे व चाइनिज फूड आदि का खाया जाना। ये सभी खाद्य पदार्थ अलग-अलग स्थानों एवं राज्यों के व्यंजन हैं। भारत में उत्तरी क्षेत्र में और तरह के व्यंजन होते हैं तथा दक्षिण में और तरह के। गुजरात का ढोकला और खांडवी भी आजकल हर जगह मिलते हैं और बंगाल का रसगुल्ला भी हर जगह मौजूद है।

प्रश्न 2.
खानपान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है ?
उत्तर:
खानपान के बदलाव के अनेक फायदे हैं जैसे हम हर तरह एवं हर स्वाद का भोजन कर सकते हैं। एकतरह का भोजन . करने से हमें एक तरह के ही तत्त्वं भोजन से प्राप्त होते हैं। दूसरा फायदा यह है कि जब हम एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं तो आसानी से हम अपने को वहाँ के माहौल में ढाल लेते हैं।

लेखक इस बदलाव से इसलिए चिंतित है क्योंकि हम खाते समय परस्पर विरोधी प्रकृतिवाले व्यंजनों को एक साथ खाने लगते हैं। इस बदलाव के कारण हमारे स्थानीय व्यंजन लुप्त होते जा रहे हैं। साथ ही उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
स्थानीयता का अर्थ उन व्यंजनों से है जो किसी स्थान विशेष के परंपरागत व्यंजन हैं। जैसे दिल्ली के छोले-भटूरे, मथुरा के पेड़े और आगरा का पेठा तथा घरों में बनने वाले व्यंजन जैसे सब्जी-पूड़ी आदि। इन चीजों को विशेष अवसरों पर अवश्य बनाया जाता है परन्तु धीरे-धीरे इनका महत्त्व कम होता जा रहा है। बहुत-सी चीजें अब केवल पाँच सितारा होटलों तक ही सीमित रह गई हैं।

निबंध से आगे

प्रश्न 1.
घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई बाज़ार से आती हैं? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?
उत्तर:
घर में बनने वाली चीजें – दाल, सब्जी रोटी-पूड़ी, खीर, दलिया, खिचड़ी आदि
बाज़र से आने वाली चीजें – मिठाई, समोसे, पकोड़ी, जलेबी, आइसक्रीम आदि।

प्रश्न 2.
यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़
आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर 1
उत्तर:
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर 2

प्रश्न 4.
छौंक चावल कढ़ी
इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

प्रश्न 5.
पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तस्वीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा-
सन् साठ का दशक – छोले-भटूरे
सन् सत्तर का दशक – इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक – पीजा, पाव-भाजी
इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।
उत्तर:
सन् साठ का दशक – पतलून, कमीज, सलवार, साड़ी
सन् सत्तर का दशक – बैलबाटम, कुर्ता पाजामा
सन् अस्सी का दशक – पेंट, शर्ट, टाई, सूट, जींस
सन् नब्बे का दशक – जींस, पेंट, टी शर्ट

प्रश्न 6.
मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर:
हलवा, पूड़ी सब्जी
छोले-चावल
गाजर का हलवा
आलू गोभी की सब्जी और रोटी
प्याज, टमाटर, खीरे का सलाद
बूंदी, लौकी या आलू से बना रायता
बूंदी वाली छाछ
आम एवं नींबू का अचार

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
‘फास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है? किसी फिल्म या अखबारी खबर के हवाले से खानपान में होने वाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
खानपान में मिलावट अनेक रोगों को जन्म देती है। इस मिलावट के कारण हमारा पाचन तंत्र खराब हो जाता है जिसके कारण पेट की अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। गलत खान पान से नेत्र ज्योति भी कमजोर होती है तथा हृदय से जुड़ी अनेक बीमारियाँ पैदा होती हैं यहाँ तक कि कैंसर और टी.बी. जैसी बीमारियाँ गलत खान-पान के कारण ही होती हैं।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

भाषा की बात

प्रश्न 1.
खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए-
सीना-पिरोना भला-बुरा – चलना-फिरना
लंबा-चौड़ा कहा-सुनी घास-फूस
उत्तर:
सामासिक शब्दों का वाक्य में प्रयोग

  • सीना-पिरोना – पहले लड़की के लिए सीना-पिरोना ही मुख्य काम माना जाता था।
  • भला-बुरा – समझदार व्यक्ति अपना भला-बुरा स्वयं देख लेता है।
  • चलना-फिरना – मरीज ने चलना-फिरना शुरू कर दिया है।
  • लंबा-चौड़ा – हमारे विद्यालय का मैदान लंबा-चौड़ा है।
  • कहा-सुनी – मेरी किसी बात को लेकर मोहन के साथ कहा-सुनी हो गई।
  • घास-फूस – मजदूर घास-फूस के घर बनाकर रहते हैं।

प्रश्न 2.
कई बार शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है-
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम…
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

कुछ करने को

उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल ही के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफाई पर दिए गए ब्योरों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है?

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 खानपान की बदलती तस्वीर

खानपान की बदलती तस्वीर Summary

पाठ का सार

पिछले दस-पन्द्रह वर्षों में हमारे खानपान में बहुत बदलाव आया है। अब एक क्षेत्र के व्यंजन वहीं तक सीमित न रहकर सब जगह फैल गए हैं। अब दक्षिण के व्यंजन उत्तर में और उत्तर की ढाबा संस्कृति दक्षिण में नज़र आती है। अंग्रेजी राज तक ब्रेड साहबी ठिकानों तक ही सीमित थी। वह आज कस्बों, गाँवों तक पहुँचकर लाखों करोड़ों लोगों के घरों में नाश्ते के रूप में प्रयोग हो रही है। खान-पान के इस बदलाव से नई पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित हुई है। स्थानीय व्यंजन घटकर अब कुछ चीज़ों तक सीमित रह गए हैं। बंबई की पाव भाजी और दिल्ली के छोले कुलचों की दुनिया बढ़ गई है परन्तु आगरे का पेठा और मथुरा के पेड़ों का दायरा घट गया है-क्वालिटी भी पहले वाली नहीं रही है। मौसमी व्यंजनों के बनाने का चलन भी अब उतना नहीं रहा। महिलाएँ भी अब इस प्रकार के व्यंजनों को दुःसाध्य समझने लगी हैं। जहाँ स्थानीय व्यंजनों में कमी आ रही है वहीं देशी-विदेशी व्यंजन अपनाए जा रहे हैं जिनको आसानी से बनाया जा सके। इसका कारण आज जीवन की भागम-भाग है। मँहगाई के कारण भी लोग कई चीजों से वंचित हो गए हैं।

अब खानपान की एक मिश्रित संस्कृति बन गई है। गृहिणियाँ और कामकाजी महिलाएँ जल्दी तैयार होने वाले व्यंजनों को बनाना पंसद करती हैं। नयी-पीढ़ी को देश-विदेश के व्यंजनों को जानने का सुयोग मिला है। आजादी के बाद उद्योग धंधों एवं दूर-दूर नौकरियों के कारण सभी संस्कृतियों के लोग आपस में मिल गए हैं। इनसे उनका खान-पान भी एक दूसरे लोगों ने अपना लिया है। विद्यालयों में हर क्षेत्र के लोगों के बच्चे पढ़ते हैं। उनके टिफिन में तरह-तरह के व्यंजन होते हैं। सभी बच्चे उनसे परिचित हो जाते हैं। स्थानीय व्यंजन धीरे-धीरे गायब होने लगे हैं। पाँच सितारा होटलों में वे कभी-कभार मिलते रहते हैं। जो चीजें उत्तर भारत में गली मुहल्ले में आम हुआ करती थीं वे अब खास दुकानों में ही उपलब्ध हैं। पश्चिम की नकल में हमने कई चीजें ऐसी अपना ली हैं जो स्वास्थ्य और स्वाद के मामले में हमारे अनुकूल नहीं हैं। प्रीतिभोज पार्टियों में इतने व्यंजन होते हैं कि किसी का ठीक से स्वाद भी नहीं ले सकते कभी -कभी तो विपरीत प्रकृति वाले व्यंजन परोस लेते हैं। आज लगता है खानपान की यही मिश्रित संस्कृति अधिक विकसित होने वाली है।

शब्दार्थ : चलन-रिवाज़; विज्ञापित-प्रचारित; गुणवत्ता-क्वालिटी (Quality); दुःसाध्य-जिसको साधना (करना) मुश्किल हो; व्यंजन-पकवान; निखालिस-शुद्ध; बोली-बानी-बोलचाल की भाषा; प्रचारार्थ-प्रचार के लिए; सरसता-रसीला/स्वादिष्ट; प्रीतिभोज-पार्टी आदि; गड्डमगड्-आपस में मिल जाना; मिश्रित-मिली-जुली; पुनरुद्वार-फिर से उद्धार करना, ऊपर उठाना; विनिहित-रखा हुआ।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 13 एक तिनका

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एक तिनका NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 13

Class 7 Hindi Chapter 13 एक तिनका Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा
मूंठ देने लोग कपड़े की लगे-लोग कपड़े की मुंठ देने लगे
(क) एक दिन जब मैं मुंडेरे पर खड़ा था-………………….
(ख) आँख लाल होकर दुखने लगी-……………..
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी-……………………………..
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया-…….
उत्तर:
(क) एक दिन जब में मुंडेर पर खड़ा था।
(ख) आँख लाल होकर दुखने लगी।
(ग) बेचारी ऐंठ दबे पाँवों भगी।
(घ) जब किसी ढब से तिनका निकल गया।

प्रश्न 2.
‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?
उत्तर:
इस कविता में अहंकार में डूबे कवि की आँख में तिनका गिरने की घटना की चर्चा की गई है क्योंकि इस घटना के बाद कवि का सारा अहंकार जाता रहा।

प्रश्न 3.
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई ?
उत्तर:
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी बेचैन हो गया। वह आँख को रगड़ने लगा। इससे उसकी आँख लाल होकर दुखने लगी। घमंडी ने तब सोचा कि तेरी अकड़ निकालने के लिए तो एक तिनका ही काफी है।

प्रश्न 4.
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आस-पास के लोगों ने क्या किया ?
उत्तर:
उसके आस-पास खड़े लोगों ने कपड़े की गूंठ बनाई। वे उस मूंठ को मुँह की भाप से गर्म करके घमंडी की आँख को सेंकने लगे। मूंठ की सिकाई से आँख का तिनका निकल गया और आँख की पीड़ा भी कम हो गई।

प्रश्न 5.
‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी-
ऐंठता त किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।
इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है-
तिनका कबहूँ न निदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।
उत्तर:
कबीर के कथन और अयोधसिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के कथन में यह समानता है कि दोनों ने तिनके को तुच्छ बताया और कहा कि एक छोटा सा तिनका भी आँख में गिरने पर बहुत पीड़ा दे सकता है। इन दोनों की बात में यह अंतर है कि कबीर तिनके के माध्यम से किसी की उपेक्षा न करने की बात कहता है और हरिऔध जी तिनके के माध्यम से अहंकार न करने की चेतावनी देते हैं।

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अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
इस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ किया है- ‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़नेवाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़नेवाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में ‘मैं’ की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव आ जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
इन पंक्तियों में ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनका अभिनय कैसा होता ?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अगल अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।
उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।
तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास।।
उत्तर:
पहले तिनके का अर्थ आत्मा, दूसरे तिनके का अर्थ खंड-खंड है।
तीसरे तिनका का अर्थ है – जिनका 2-अर्थात ईश्वर का।
चौथे तिनके का अर्थ है – जिनके अर्थात् ईश्वर के।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-
छप से, टप से, थर्र से, फुर्र से, सन् से
(क) मेंढक पानी में …………. कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद …………. चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया ……… उड़ी।
(घ) ठंडी हवा …………. गुजरी, मैं ठंड में …………. काँप गया।
उत्तर:
(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद टप से चू.गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ गई।
(घ) ठंडी हवा सन् से गुज़री, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।

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कविता की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

मैं घमंडों ……………………. बहुत तेरे लिए।

शब्दार्थ : ऐंठना-अकड़ दिखाना; मूँठ देना-कपड़े को मोल गाँठ-सी बनाकर मुँह की भाप से उसको गर्म कर आँख सेंकने की एक विधि; ढब-तरीका, उपाय।

प्रसंग- प्रस्तुत कविता ‘एक तिनका’ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘बसंत भाग-2’ में संकलित है। इस कविता में बताया है कि हमें अहंकार नहीं करना चाहिए। एक तुच्छ-सी वस्तु भी हमारे अहंकार को तोड़ने के लिए काफी है।

व्याख्या- कवि बताता है कि एक दिन मैं मन में अहंकार लिए अपने घर की छत पर खड़ा हुआ था। मैं अपने आपको बहुत शक्तिशाली समझता था। तभी अचानक कहीं दूर से एक तिनका उड़ता हुआ आया और मेरी आँख में गिर गया। आँख में तिनका गिरने से मुझे झिझक हुई और मैं बेचैन हो उठा। मेरी आँख लाल हो गई और दुखने लगी। मेरी आँख के दर्द को दूर करने के लिए पास खड़े लोग कपड़े की गांठ को मुँह की भाप से गर्म करके मेरी आँख की सिकाई करने लगे। मेरी सारी ऐंठ निकल गई। पता नहीं कैसे-कैसे करके मेरी आँख से तिनका निकाला गया। मेरी समझ ने मुझको ताने दिए कि तू बहुत अकड़वाला बनता था। तू इतना किसलिए ऐंठता था एक तिनके ने तेरी सारी अकड़ निकाल दी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि कहाँ खड़ा हुआ था जब उसकी आँख में तिनका गिरा?
उत्तर:
कवि अपने घर की मुंडेर पर खड़ा था जब उसकी आँख में एक तिनका उड़कर गिर गया।

प्रश्न 2.
तिनका आँख में गिरने पर कवि की कैसी दशा हो गई ?
उत्तर:
कवि बेचैन हो उठा। उसकी आँख लाल होकर दुखने लगी। लोग उसकी आँख को कपड़े की पूँठ देकर सिकाई करने लगे।

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प्रश्न 3.
आँख से तिनका किस प्रकार निकाला गया ?
उत्तर:
वहाँ खड़े लोगों ने तरह-तरह के यत्न करके किसी तरह से आँख से तिनका निकाल दिया।

प्रश्न 4.
इस कविता से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:
इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अहंकार नहीं करना चाहिए एक तुच्छ-सी वस्तु या छोटा और कमजोर-सा शत्रु भी हमको पीड़ा दे सकता है।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 12 कंचा

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कंचा NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 12

Class 7 Hindi Chapter 12 कंचा Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है?
उत्तर:
कंचे जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तो उसे लगता है कि मानो जार एकदम बड़ा हो गया है आकाश से भी बड़ा। वह भी उसके भीतर आ गया। जब वह स्कूल पहुँचता है और कक्षा में मास्टर जी रेल के बारे में पढ़ाते हैं तो उस रेलगाड़ी का बॉयलर भी काँच का एक बड़ा जार नजर आने लगता है उसमें हरी लकीर वाले, सफेद गोल कंचे भरे हैं। बड़े आवले जैसे।

प्रश्न 2.
दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए?
उत्तर:
दुकानदार और ड्राइवर दोनों ही अप्पू को देखकर पहले खीज़ उठते हैं। दुकानदार सोचता है यह लड़का इतनी देर से इस जार को देख रहा है। यह नाहक समय बर्बाद कर रहा है। परन्तु दुकानदार उसकी मासूमियत देखकर हँसने लगता है। इसी प्रकार ड्राइवर जब अप्पू को बीच सड़क पर देखता है तो उसे गुस्सा आता है परन्तु जब अप्पू सोचता है कि शायद ड्राइवर को भी कंचे अच्छे लग रहे हैं तो उसने एक कंचा उठाकर उसे दिखाया और कहा-“बहुत अच्छा है न। यह सुनकर ड्राइवर का गुस्सा हवा हो गया। वह भी अप्पू के साथ हँस पड़ा।

प्रश्न 3.
‘मास्टर जी की आवाज़ अब कम ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।’ मास्टर जी की आवाज धीमी क्यों हो गई होगी? लिखिए।
उत्तर:
मास्टर जी की आवाज़ अब धीमी इसलिए हो गई थी क्योंकि सभी बच्चे रेलगाड़ी के बारे में पूरी उत्सुकता से सुन रहे थे। कक्षा में पूरी तरह से शांति थी। यदि कक्षा शांत हो तो फिर जोर से बोलने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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कहानी से आगे

प्रश्न 1.
कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिठ्ठ) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं? उनी एक सूची बनाइए?
उत्तर:
हमारे इलाके में बच्चे-फुटबॉल, गल्ली-डंडा, क्रिकेट, खो-खो, छपम-छपाई आदि खेल खेलते हैं।

प्रश्न 2.
किसी एक खेल को खेले जाने की विधि अपने शब्दों में लिखिए? .
उत्तर:
गाँव के लड़के आज भी सबसे ज्यादा गुल्ली-डंडा ही खेलते हैं। इस खेल में किसी प्रकार का खर्चा भी नहीं आता। किसी पेड़ से एक टहनी तोड़कर गुल्ली और डंडा बना लिया जाता है। गुल्ली को ज़मीन पर रखकर डंडे से मारते हैं। गुल्ली दूर जाती है। इस प्रकार खेल शुरू हो जाता है। दूसरा पक्ष गुल्ली को उठाकर डंडे पर मारता है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
जब मास्टर जी अप्पू से सवाल पूछते हैं तो वह कौन-सी दुनिया में खोया हुआ था? क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दिन क्लास में रहते हुए भी क्लास से गायब रहे हों? ऐसा क्यों हुआ और आप पर उस दिन क्या गुज़री? अपने अनुभव लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आप इस कहानी को क्या शीर्षक देना चाहेंगे?
उत्तर:
मैं इस कहानी को ‘बचपन’ शीर्षक देना चाहूँगा।

प्रश्न 3.
गुल्ली-डंडा और क्रिकेट में कुछ समानता है और कुछ अंतर। बताइए, कौन-सी समानताएँ हैं और क्या-क्या अंतर हैं?
उत्तर:
गुल्ली-डंडा और क्रिकेट का बैट एवं विकेट लकड़ी के बने होते हैं। गुल्ली-डंडे के खेल में कुछ खर्चा नहीं आता। इस खेल को दो जने खेल सकते हैं। क्रिकेट का खेल खर्चीला है तथा इसे खेलने के लिए अधिक खिलाड़ियों की आवश्यकता पड़ती है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित मुहावरे किन भावों को प्रकट करते हैं? इन भावों से जुड़े दो-दो मुहावरे बताइए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

  • माँ ने दाँतों तले अंगुली दबाई
  • सारी कक्षा साँस रोके हुए उसी तरफ़ देख रही है।

उत्तर:
पहला मुहावरा आश्चर्य व्यक्त करने के लिए प्रयोग हुआ है। इस अर्थ के लिए अन्य मुहावरा है ‘आँखें फटी की फटी रह जाना’।
पहलवान की ताकत देखकर सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
दूसरा मुहावरा एकाग्रचित होकर किसी चीज को देखने के लिए प्रयोग हुआ है। इसके लिए अन्य मुहावरा ‘दम साधकर बैठना’ है। मुझे झूले पर डर लग रहा था ‘मैं दम साधकर बैठ गया’।

प्रश्न 2.
विशेषण कभी-कभी एक से अधिक शब्दों के भी होते हैं। नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित हिस्से क्रमशः रकम और कंचे के बारे में बताते हैं, इसलिए वे विशेषण हैं।
पहले कभी किसी ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे।
बढ़िया सफेद गोल कंचे
इसी प्रकार के कुछ विशेषण नीचे दिए गए हैं इनका प्रयोग कर वाक्य बनाएँ-
ठंडी अँधेरी रात, खट्टी-मीठी गोलियाँ
ताज़ा स्वादिष्ट भोजन, स्वच्छ रंगीन कपड़े
उत्तर:
(i) ठंडी अँधेरी रात में अचानक सियार बोल उठे।
(ii) मुझे खट्टी-मीठी गोलियाँ अच्छी लगती हैं।
(iii) ताजा स्वादिष्ट भोजन खाना चाहिए।
(iv) स्वच्छ और रंगीन कपड़े बच्चों को बहुत भाते हैं।

कुछ करने को

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘ईदगाह’ खोजकर पढ़िए। ‘ईदगाह’ कहानी में हामिद चिमटा खरीदता है। और ‘कंचा’ कहानी में अप्पू कंचे। इन दोनों बच्चों में से किसकी पसंद को आप महत्त्व देना चाहेंगे? हो सकता है, आपके कुछ साथी चिमटा खरीदने वाले हामिद को पसंद करें और कुछ अप्पू को। अपनी कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।
छात्र स्वयं करें।

1. वह चलते-चलते ………………… अकेले ही खेलता था।

प्रश्न 1.
यहाँ किसकी बात हो रही है? वह जिस दुकान में पहुँचा उस दुकान में क्या-क्या रखा था?
उत्तर:
यहाँ अप्पू की बात हो रही है। वह जिस दुकान में गया उस दुकान के काउंटर पर कई जार थे जिनमें चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट भरे थे।

प्रश्न 2.
किस चीज ने अप्पू का ध्यान आकृष्ट किया ?
उत्तर:
एक जार ने अप्पू का ध्यान आकृष्ट किया। उस जार में कंचे भरे हुए थे।

प्रश्न 3.
उस जार में कैसे-कैसे कंचे थे ?
उत्तर:
उस जार में हरी लकीरवाले बढ़िया सफेद गोल कंचे थे। वे आकार में बड़े आँवले जैसे थे।

प्रश्न 4.
अप्पू को जार कैसा लगने लगने लगा ?
उत्तर:
अप्पू को जार बड़ा लगने लगा। जार आसमान से भी बड़ा हो गया और वह भी उसमें भीतर आ गया।

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2. लड़कों के बीच ………………….. ध्यान नहीं दे रहा है।

प्रश्न 1. अप्पू को जॉर्ज का ख्याल क्यों आया ?
उत्तर:
लड़को में जॉर्ज ही सबसे अच्छा कंचे का खिलाड़ी है वह किसी भी लड़के को कंचे के खेल में हरा सकता है।

प्रश्न 2.
जॉर्ज जीतने पर क्या करता था ?
उत्तर:
जॉर्ज जीतने पर हारने वाले लड़के की मुट्ठी ज़मीन पर रखवाकर कंचा चलाकर बंद मुट्ठी पर मारता था।

प्रश्न 3.
जॉर्ज उस दिन स्कूल क्यों नहीं आया था ?
उत्तर:
जॉर्ज को बुखार था इसलिए वह स्कूल नहीं आया था।

कंचा Summary

पाठ का सार

अप्पू नीम के पेड़ों की घनी छाँव से होते हुए सियार की कहानी का मजा लेता हुआ आ रहा था। उसके कंधे पर बस्ता झूल रहा था। सियार और कौए की कहानी थी जिसमें सियार कौए को मूर्ख बनाकर उसकी रोटी खा लेता है। अप्पू चलते-चलते एक दुकान के पास पहुँचा। दुकान के कांउटर पर कई जार रखे थे जिनमें चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट थे। तभी उसकी नज़र एक दूसरे जार पर पड़ी जिसमें कंचे भरे हुए थे। लड़के को वे कंचे बहुत अच्छे लगे। तभी दुकानदार ने उससे पूछा कि क्या तुम्हें कंचा चाहिए? दुकानदार ने जार का ढक्कन खोला परन्तु अप्पू ने सिर हिलाकर मना कर दिया। तभी स्कूल की घंटी सुनकर वह बस्ता थामे हुए दौड़ा। उस दिन वह सबके बाद स्कूल पहुँचा।

लड़कों के बीच जॉर्ज सबसे अच्छा कंचों का खिलाड़ी था। अप्पू की निगाह उसको खोज रही थीं। परन्तु वह उस दिन स्कूल नहीं आया था। उसे पता लगा कि जॉर्ज को बुखार है। मास्टर जी कक्षा में पढ़ा रहे थे परन्तु अप्पू का ध्यान पढ़ाई में नहीं था। उसके दिलो-दिमाग में तो बस कंचे छाए हुए थे। मास्टर जी उस दिन रेलगाड़ी के बारे में समझा रहे थे परन्तु अप्पू की निगाहों में तो काँच का बड़ा-सा जार छाया हुआ था तभी उसके चेहरे पर चॉक का टुकड़ा आकर लगा। मास्टर जी ने उससे पूछा कि क्या कर रहा है तू। अप्पू की छबराहट बढ़ गई। तभी चपरासी एक नोटिस लाया कि जो फीस लाए हैं वे ऑफिस में आकर फीस जमा कर दें। अप्पू भी फीस जमा कराने गया परन्तु वहाँ बहुत भीड़ थी। उसकी जेब में फीस के एक रुपया पचास पैसे थे। वह बिना फीस जमा कराए ही आ गया। स्कूल की छुट्टी के बाद वह कंधे पर बस्ता लादकर चल दिया। वह सीधा उस दुकान पर पहुँचा जहाँ कंचों का जार रखा था। दुकानदार ने उससे पूछा कि तुम्हें कितने कंचे चाहिए अप्पू ने अपनी जेब से एक रुपया पचास पैसे निकाल कर सब पैसों के कंचे खरीद लिए। वह एक थैली में कंचे लेकर चल दिया। वह जॉर्ज के अलावा और किसी को कंचों की बात बताना नहीं चाहता था। वह यह देखने के लिए पोटली को खोलकर देखने लगा कि कहीं सभी कंचों में लकीर है कि नहीं। पोटली खुलते ही सारे कंचे बिखर गए। वह कंचे चुनने लगा तभी पीछे से एक कार आई। वह कंचे चुनने में मग्न था। कार वाले ने ब्रेक लगा दी ड्राइवर गुस्से में था। अप्पू को लगा शायद ड्राइवर को भी कंचे अच्छे लग रहे हों इसलिए वह यहीं रुका है। वह ड्राइवर को एक कंचा उठाकर दिखाने लगा कि बहुत अच्छा है न! “यह सुनकर ड्राइवर भी हँस पड़ा।

घर में माँ अप्पू की बाट जोह रही थी। माँ ने पूछा कि तू अब तक कहाँ था? अप्पू ने अपना बस्ता हिलाकर दिखाया। माँ ने पूछा कि इसमें क्या है? उसने कहा कि पहले तुम अपनी आँखें बंद करो। माँ के आँखें बंद करने पर उसने गिना वन, टू-थ्री.. माँ ने आँखें खोलकर देखा बस्ते में कंचे ही कंचे थे। माँ ने पूछा कि ये कंचे तू कहाँ से लाया? वह बोला- ‘मैंने खरीदे हैं पैसों से? पूछने पर वह पिता की तस्वीर की ओर इशारा करते हुए बोला कि दोपहर दिए थे ना। माँ ने दाँतों तले अंगुली दबाते हुए कहा फीस के पैसों से इतने सारे कंचे खरीद लिए। वह अपनी माँ से बोला-देखने में बहुत अच्छे लगते हैं न उसकी बातों पर माँ को भी हँसी आ गई।

शब्दार्थ : आकृष्ट-खींचना; निषेध-मना; नौ दो ग्यारह होना-भाग जाना; चिकोटी-चुटकी; धीरज-धैर्य; सटाए-चिपकाए।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

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रहीम की दोहे NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11

Class 7 Hindi Chapter 11 रहीम की दोहे Textbook Questions and Answers

दोहे से

प्रश्न 1.
पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर

कथन कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण
(क) कहि रहीम संपति सगे,
बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे,
तेई साँचे मीत।
(ख) कहि रहीम परकाज हित,
संपति-संचहिं सुजान,
तरुवर फल नहिं खात है,
सरवर पियत न पान।
(ग) धनी पुरुष निर्धन भए,
करें पाछिली बात।
थोथे बादर क्वार के,
ज्यों रहीम घहरात।
(घ) जैसी परें सो सहि रहे,
त्यों रहीम यह देह।
धरती की-सी रीत है,
सीत घाम औ मेह।

प्रश्न 2.
रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यवितयों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं ? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे ?
उत्तर:
सावन के बादल झूम-झूम कर बरसते हैं। वे धरती को अपनी फुहारों से सराबोर कर देते हैं। ऐसा लगता है मानो वे धरती को हरा-भरा करने एवं संपूर्ण जीव जगत एवं वनस्पति जगत को प्रसन्न करने के लिए अपना सर्वस्व लुटा देना चाहते हों। सावन के बादलों को देखकर लगता है जो समृद्ध होते हैं वे किसी से कहते नहीं कि हम समृद्ध हैं वे तो करके दिखाते हैं।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

दोहों से आगे

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे ? सोचिए और लिखिए-
(क) तरुवर फल ………………. संचहिं सुजान।।
(ख) धरती की-सी ………………….. यह देह।।
उत्तर:
(क) यदि हम इन दोहों की सच्चाई को अपने जीवन में उतार लें तो हमारा मन परोपकार के कामों में लग जाएगा। हमको ऐसा करके बहुत अधिक संतोष होगा। हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा।

(ख) यदि हमारा शरीर हर तरह के कष्टों को सहने लगे तो हम बड़ी से बड़ी विपत्ति को भी हँसते-हँसते झेल जाएँगे। हमारे जीवन में फिर चाहे कैसी भी परिस्थितियाँ आएँ हम उनको सह लेंगे।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए-
जैसे-परे-पड़े, (रे, ड़े)
बिपति, बादर, मछरी, सीत
उत्तर:
बिपति – विपत्ति
बादर – बादल
मछरी – मछली
सीत – शीत

प्रश्न 2.
नीचे दिए उदाहरण पढ़िए-
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
कहि रहीम संपति सगे (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)
तऊ न छाड़ति छोह (‘छ’ वर्ण की आवृत्ति)
संपति-संचहि सुजान (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)
जैसी परे सो सहि रहे (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)

दोहों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कहि ……………………………. मीत॥1॥

शब्दार्थः सगे-अपने, बनत-बनते हैं, बहु रीत-तरह-तरह से, विपति-विपत्ति मुसीबत कसौटी-परख/जाँच, कसे-खरा उतरे, मीत-मित्र।

प्रसंग- प्रस्तुत दोहा कवि रहीम द्वारा रचित है। इस दोहे में कवि ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है।

व्याख्या- रहीम कवि कहते हैं कि जब मनुष्य के पास धन, संपत्ति एवं शक्ति होती है तो उसके बहुत से सगे बन जाते हैं। सभी लोग उससे नजदीक का संबंध बताने लगते हैं। वे तरह-तरह से अपने आपको उसका मित्र या रिश्तेदार बताने लगते हैं। कवि कहता है कि सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति अर्थात् मुसीबत पड़ने पर कसौटी पर खरा उतरता है अर्थात् साथ निभाता है।

अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
प्रस्तुत दोहे में कवि ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है?
उत्तर:
सच्चा मित्र विपत्ति पड़ने पर अपने मित्र का साथ नहीं छोड़ता वह पहले से भी अधिक गहरी मित्रता निभाता है और अपने मित्र की सहायता करता है।

प्रश्न 2.
झूठे मित्रों की क्या पहचान है ?
उत्तर:
झूठे मित्र केवल तभी नज़र आते हैं जब किसी के पास धन-संपत्ति होती है। व्यक्ति के निर्धन होते ही ये लोग साथ छोड़ जाते हैं।

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2. जाल ……………………………………. छोह॥2॥

शब्दार्थ: जल जात बहि-जल बह जाता है, तजि-छोड़कर, मीनन-मछली, मछरी-मछली, तऊ-तब भी, छाँड़ति छोड़ती/त्यागती, छोह-मोह/प्रेम।

प्रसंग- प्रस्तुत दोहा कवि रहीम द्वारा रचित है। कवि ने इस दोहे में मीन की अनन्य भावना को दर्शाया है कि वह किस प्रकार जल के बिना अपने प्राण त्याग देती है।

व्याख्या- मछुआरा जब नदी में जाल डालता है उसमें मछलियाँ फँस जाती हैं और जल मछलियों का मोह त्याग कर ब्रह जाता है। फिर भी मछली अपने प्रिय (जल) का परित्याग नहीं करती। वह पानी के साथ रहने के लिए खूब छटपटाती है और पानी का साथ न मिलने पर तड़फ-तड़फ कर अपने प्राण दे देती है।

अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि ने जल की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर:
कवि ने जल को निष्ठुर प्रेमी बताया है क्योंकि वह जाल पड़ने पर मछली का साथ नहीं देता बल्कि बहकर दूर चला जाता है।

प्रश्न 2.
कवि ने मछली की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर:
मछली जल से अनन्य प्रेम रखती है। वह किसी भी कीमत पर जल का साथ नहीं छोड़ना चाहती यदि उसको बाध्य किया जाता है तो वह तड़फ-तड़फ कर अपने प्राण दे देती है।

3. तरुवर ……………………….. सुजान॥3॥

शब्दार्थः तरुवर-पेड़, सरवर-सरोवर, पान-पानी, परकाज-दूसरों का कार्य/परोपकार, हित-भले के लिए, संचहि-संचय करते हैं/इकट्ठा करते हैं, सुजान-सज्जन व्यक्ति।

प्रसंग- प्रस्तुत दोहा कवि रहीम द्वारा रचित व ‘बसंत भाग-2’ में संकलित है। कवि ने यहाँ परोपकार के महत्त्व को दर्शाया है।

व्याख्या- कवि कहता है कि पेड़ अपने फलों को स्वयं नहीं खाता और सरोवर अपने पानी को स्वयं नहीं पीता। इसी प्रकार सज्जन व्यक्ति संपत्ति का संचय अपने लिए नहीं करते बल्कि दूसरों के लिए ही करते हैं। कवि कहना चाहता है कि वृक्ष, सरोवर और सज्जन व्यक्तियों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है।

अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि ने सरोवर व पेड़ की क्या विशेषता बताई है ?
उत्तर:
कवि ने बताया है कि सरोवर व पेड़ का जीवन परोपकार के लिए ही होता है। सरोवर दूसरों के लिए ही जल का संचय करता है और पेड़ भी अपने फल दूसरों को ही अर्पित कर देते हैं।

प्रश्न 2.
सज्जन व्यक्ति की क्या विशेषता होती है।
उत्तर:
सज्जन व्यक्ति संपत्ति का संचय परोपकार के लिए ही करता है। उसका अपना कोई स्वार्थ नहीं होता।

प्रश्न 3.
इस दोहे से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर:
इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपना जीवन परोपकार के कार्यों में ही लगाना चाहिए। जीवन में परोपकार का बहुत महत्त्व है।

4. थोथे ………………. बात॥4॥

शब्दार्थः थोथे-खाली, क्वार-कार्तिक, घहरात-घहराते हैं/गर्जते हैं, भए-होने पर।

प्रसंग- प्रस्तुत दोहा कवि रहीम द्वारा रचित है इस दोहे में कवि ने बताया है कि धनी व्यक्ति निर्धन होने पर पिछली बातों को सुना-सुना कर अपने अहं को तुष्ट करता रहता है। कवि ने क्वार के बादल का उदाहरण देकर अपनी बात की पुष्टि की है।

व्याख्या- कवि कहता है कि क्वार के महीने के बादल जल से रहित होते हैं परंतु फिर भी वह जोर-जोर से गर्जना करके अपनी उपस्थिति का अहसास कराते हैं। इसी प्रकार एक धनवान व्यक्ति जब निर्धन हो जाता है तो वह पिछली बातें करता रहता है, जब वह धनी एवं साधन संपन्न था। ऐसा करके वह अपने अहं को तुष्ट करता है।

अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्वार के महीने के बादलों की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर:
क्वार के महीनों के बादल जल रहित होते हैं इसलिए वे गर्जना अधिक करते हैं।

प्रश्न 2.
धनी पुरुष निर्धन होने पर पिछली बातें क्यों करता है ?
उत्तर:
उस व्यक्ति को अपने वैभव के दिन याद आते हैं वह जब अपनी गरीबी को देखता है तो उसे दुःख होता है। वह अपने मन को संतोष प्रदान करने के लिए पिछली बातें करता रहता है।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

5. धरती ……………. यह देह ॥5॥

शब्दार्थः सीत-शीत/सर्दी, घाम-गर्मी, मेह-वर्षा, देह-शरीर।

प्रसंग- प्रस्तुत दोहा कवि रहीम द्वारा रचित है। इस दोहे में कवि ने बताया है कि हमारा शरीर भी जैसी परिस्थितियाँ होती हैं वैसा ही हो जाता है।

व्याख्या- कवि कहता है कि धरती का यह नियम है कि वह सर्दी, गर्मी और बारिश सबको सह जाती है। इसी प्रकार हमारा शरीर भी है इस पर जैसे भी कष्ट आते हैं यह उनको सहन कर लेता है।

विशेष- हमारे शरीर में सर्वाधिक अंश धरती का ही होता है। अतः जो विशेषता धरती की है वही विशेषता हमारे शरीर की भी है। हमारा शरीर इसी मिट्टी से ही बना है।

अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि ने धरती और शरीर में क्या समानता बताई है ?
उत्तर:
कवि ने बताया है कि जैसा स्वभाव धरती का होता है वैसा ही स्वभाव हमारे शरीर का होता है। इनको जैसे भी कष्ट मिलें यह उनको सह लेते हैं।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव

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अपूर्व अनुभव NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10

Class 7 Hindi Chapter 10 अपूर्व अनुभव Textbook Questions and Answers

पाठ से

प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए।
उत्तर:
यासुकी-चान को पोलियो था, इसलिए वह किसी पेड़ पर चढ़ नहीं पाता था। तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। उसकी हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े। यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास किया।

प्रश्न 2.
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अलग थे। दोनों में क्या अंतर रहे ? लिखिए।
उत्तर:
दोनों के अनुभव में काफी अंतर था। तोत्तो-चान, यासुकी-चान के पेड़ पर चढ़ने को लेकर आह्लादित थी। वह इसे अपने लिए एक बहुत बड़ी सफलता मान रही थी क्योंकि उनको अथक प्रयास करने के बाद ही सफलता मिली थी।

यासुकी-चान का अनुभव एकदम अलग था. वह पहली और अंतिम बार किसी पेड़ पर चढ़ा था। उस दिन यासुकी-चान ने दुनिया की एक नयी झलक देखी, जिसे उसने पहले कभी न देखा था। “तो ऐसा होता है पेड़ पर चढ़ना”, यासुकी-चान ने खुश होते हुए कहा था।

प्रश्न 3.
पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है ?
उत्तर:
जब यासुकी-चान और तोत्तो-चान एक सीढ़ी के द्वारा वृक्ष की द्विशाखा पर पहुँचे उस समय सूरज का ताप पड़ रहा था, वे दोनों पसीने के कारण तरबतर थे और जब तोत्तो-चान यासुकी-चान को पूरे प्रयास से ऊपर खींच रही थी। तभी बादल का एक टुकड़ा उनको कड़ी धूप से बचाने आ गया। ऐसी परिस्थितियाँ मौसम के अनुसार बदलती हैं। जब कोई प्रयास करता है तो परिस्थितियाँ भी उसके अनुकूल हो जाती हैं। प्रकृति भी प्रयास करने वालों की सहायता करती है।

प्रश्न 4.
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह ………………….. अंतिम मौका था।-इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा ?
उत्तर:
‘यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अंतिम मौका था। लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि यासुकी-चान स्वयं पेड़ पर चढ़ नहीं सकता था। घरवालों के पता चलने पर तोत्तो-चान को घर में डाँट पड़ी होगी इसलिए तोत्तो-चान ने भी पुनः यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ने के लिए आमंत्रित नहीं किया होगा।

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पाठ से आगे

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं ?
उत्तर:
हम परीक्षा में बहुत ही अच्छे अंक लाने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
हम अक्सर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आस-पास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे ?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नजरें नीचे क्यों थीं ?
उत्तर:
तोत्तो-चान झूठ बोल रही थी इसलिए वह नज़रें मिलाने का साहस नहीं कर पा रही थी। यदि वह नज़रें मिलाती तो उसके चेहरे के भाव उसकी माँ ताड़ लेती और उसकी सारी योजना खटाई में पड़ जाती।

प्रश्न 2.
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। उन सुविधा वाली जगहों की सूची बनाइए।
उत्तर:
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुज़रने वाले व्यक्तियों के लिए अनेक जगह ऐसी सुविधाएँ हैं। आजकल स्कूलों में ऐसी सुविधाएँ दी गई हैं। दिल्ली मेट्रो स्टेशन पर विक्लांगों के लिए पूरी सुविधा है। उनके लिए लिफ्ट लगाई गई है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटी-मोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बनने वाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अक्सर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेज़ी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे-हिंदी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेज़ी-एट।

प्रश्न 2.
पाठ में ‘ठिठियाकर हँसने लगी’, ‘पीछे से धकियाने लगी’ जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठी-ठी हँसना या ठट्ठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज़ को हँसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में ‘आना’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। ‘आना’ प्रत्यय से बनने वाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर:
बात – बतियाना
पश्चाताप – पछताना
लात – लतियाना
खट-खट – खटखटाना।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. यासुकी-चान को पोलियो ………………….. बताए बिना तोत्तो-चान से रहा नहीं गया।

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर क्यों आमंत्रित किया ?
उत्तर:
यासुकी-चान को पोलियो था, जिस कारण से वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था और न ही किसी पेड़ को अपना मानता था इसलिए तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया।

प्रश्न 2.
तोत्तो-चान ने अपने घर वालों को यह बात क्यों नहीं बताई कि उसने यासुकी को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया है।
उत्तर:
यासुकी के हाथ और पैर पोलियो से ग्रस्त थे। वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। जब बड़े इस बात को सुनते तो उन पर डाँट पड़ती अतः उन्होंने किसी को नहीं बताया।

प्रश्न 3.
तोत्तो-चान ने किसको सच बताया और क्यों ?
उत्तर:
तोत्तो-चान जब स्टेशन की ओर गई तो रॉकी उसके पीछे-पीछे स्टेशन तक आया। जाने से पहले उसे सच बताए बिना तोत्तो-चान को चैन नहीं पड़ रहा था। अतः उसने रॉकी से सच बता दिया।

2. जब तोत्तो-चान में क्यारियों के पास मिला। गरमी की छुट्टियों के कारण सब सूना पड़ा था। यासुकी-चान उससे कुल जमा एक ही वर्ष बड़ा था, पर तोत्तो-चान को वह अपने से बहुत बड़ा लगता था।

जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसके हाथ अपनी चाल को स्थिर करने के लिए दोनों ओर फैले हुए थे। तोत्तो-चान उत्तेजित थी। वे दोनों आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को भी पता न था। वह उल्लास में ठिठियाकर हँसने लगी। यासुकी-चान भी हँसने लगा।

प्रश्न 1.
तोत्तो-चान जब बाग में पहुंची तो सब कुछ सूना-सूना-सा क्यों था ?
उतर:
उस समय गर्मी की छुट्टियों के कारण स्कूल बंद था अतः वहाँ कोई भी बच्चा नहीं था। इस कारण वह बाग सुनसान था।

प्रश्न 2.
तोत्तो-चान को देखकर यासकी-चान ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की ?
उत्तर:
जैसे ही यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर बढ़ा। उसने अपनी चाल को स्थिर करनेके लिए। (बैलेंस बनाने के लिए) दोनों हाथों को दोनों ओर फैला लिया था।

प्रश्न 3.
तोत्तो-चान उत्तेजित क्यों थी ?
उत्तर:
तोत्तो-चान और यासुकी-चान आज कुछ ऐसा करने वाले थे जिसका भेद किसी को पता न था। इसलिए तोत्तो-चान उत्तेजित थी।

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3. यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमज़ोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाजुक-सी, इससे अधिक सहायता क्या करती! यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान को पहली बार लगा कि काम उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी। अब क्या करे वह ?

प्रश्न 1.
यासुकी-चान सीढ़ी पर भी चढ़ने में क्यों असमर्थ था ?
उत्तर:
यासुकी-चान के पोलियो के कारण हाथ-पैर बहुत कमजोर थे वह बिना सहारे के सीढ़ी की पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ सकता था।

प्रश्न 2.
तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को सीढ़ी पर चढ़ाने के लिए क्या प्रयत्न किया ?
उत्तर:
तोत्तो-चान पेड़ से नीचे उतरकर यासुकी-चान को पीछे से धकेल कर ऊपर चढ़ाने का प्रयत्न करने लगी। तोत्तो-चान नाजुक सी लड़की थी इससे अधिक वह क्या प्रयत्न करती ?

प्रश्न 3.
यासुकी-चान ने अपना सिर क्यों झुका लिया ?
उत्तर:
सीढ़ी पर न चढ़ने की हताशा के कारण यासुकी-चान ने अपना सिर हताशा के कारण झुका लिया।

अपूर्व अनुभव Summary

पाठ का सार

सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोत्तो-चान के लिए एक बड़ा साहस करने का दिन आया। उसने अपने माता-पिता से बताए बिना यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दिया था। तोमोए में हरेक बच्चा बाग के एक पेड़ को अपना पेड़ मानता था। तोत्तो-चान का भी एक पेड़ था। तोत्तो-चान अक्सर खाने की छुट्टी के समय उस पेड़ पर चढ़कर नीचे सड़क पर चढ़े लोगों को देखा करती थी। सभी बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति समझते थे।

यासुकी-चान को पालियो था अतः वह किसी पेड़ पर चढ़ नहीं पाता था। इसलिए तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था। घर से निकलते समय तोत्तो-चान ने अपनी माँ से कहा कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है। यासुकी-चान उसे मैदान में क्यारियों के पास मिला। यासुकी-चान उससे एक वर्ष बड़ा था। यासुकी-चान को लेकर तोत्तो-चान पेड़ की तरफ आई। उसके बाद वह चौकीदार के छप्पर की ओर गई और एक सीढ़ी को घसीटते हुए लाई। उसने उस सीढ़ी को पेड़ के साथ लगाया। यासुकी-चान को सीढ़ी के द्वारा पेड़ पर चढ़ने को कहा परंतु उसके हाथ-पैर बहुत कमजोर थे वह बिना सहारे के पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ पाता था। तोत्तो-चान ने उसे पीछे से धकेलते हुए चढ़ाने की कोशिश की परंतु सफल नहीं हुई। तोत्तो-चान की हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान पेड़ पर चढ़े। अब क्या करे! तभी वह एक बार फिर चौकीदार के छप्पर की ओर दौड़ी उसे वहाँ एक तिपाई-सीढ़ी मिली जिसे थामे रहना भी जरूरी नहीं था।

तोत्तो-चान ने उस तिपाई-सीढ़ी को पेड़ के साथ लगा दिया। तोत्तो-चान ने बहुत ही प्रयास करके यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाया। तोत्तो-चान को यासुकी-चान का पेड़ पर चढ़ाना बहुत अच्छा लगा। काफी मेहनत के बाद दोनों वृक्ष की द्विशाखा पर थे। दोनों पसीने से तरबतर। तोत्तो-चान ने सम्मान से झुककर कहा, “मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।”

यासुकी ने कहा, “क्या मैं अंदर आ सकता हूँ।”
उस दिन यासुकी ने पेड़ पर चढ़कर दुनिया की एक नई झलक देखी। वे बड़ी देर तक पेड़ पर बैठे हुए गप्पें लड़ाते रहे। पेड़ मानो गीत गा रहे थे और वे दोनों बहुत खुश थे। यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और आखिरी मौका था।

शब्दार्थः द्विशाखा-पेड़ के तने के ऊपर का वह भाग जहाँ से शाखाएँ अलग-अलग हो जाती हैं, निजी-व्यक्तिगत/खुद की, शिष्टता-सभ्यता, ठिठियाकर-खिलखिलाकर, छप्पर-घास फूंस से बनी घर की छत, धकियाना-पीछे से धक्का देकर जोर लगाना, हताशा-निराशा।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

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चिड़िया की बच्ची NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9

Class 7 Hindi Chapter 9 चिड़िया की बच्ची Textbook Questions and Answers

कहानी से

प्रश्न 1.
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था ?
उत्तर:
माधवदास की कोठी, बगीचा और उसका ठाटबाट देखकर लगता था कि वह बहुत ही संपन्न है। उसके प्रास अनेक नौकर चाकर थे। उसके पास वह सभी कुछ था जो एक धनी व्यक्ति के पास होता है। इतना होने के बाद भी वह सुखी नहीं था, उसका मन एकदम वीरान था। उसकी कोठी में बच्चों की किलकारियाँ नहीं गूंज रही थीं। उसकी कोठी एकदम सूनी थी। वह अकेले में अपने ख्यालों में डूबा रहता था।

प्रश्न 2.
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है ? क्या माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
माधवदास निःस्वार्थ मन से ऐसा नहीं कह रहा था कि यह बगीचा तुम्हारा है। माधवदास को वह चिड़िया बहुत सुंदर लग रही थी। वह चाहता था कि यह चिड़िया यहीं रहे। यही उसका सबसे बड़ा स्वार्थ है। अपने इस स्वार्थ की पूर्ति के लिए वह उस चिड़िया को बंधन में डालना चाहता था। उसके मन में यह बिल्कुल भी नहीं था कि एक चिड़िया को भी आजादी से रहने का अधिकार है। वह केवल अपने मन की खुशी देख रहा था।

प्रश्न 3.
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ़ माधवदास की नज़र में चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माधवदास के पास बहुत-सा धन था। उसका मानना था कि सभी धन के लालच में आ सकते हैं। वह यह नहीं जानता था कि असली सुख स्वच्छंदता में है। चिड़िया माधवदास के विचारों के एकदम उलट थी। उसके लिए पूरी प्रकृति ही उसका घर थी। वह स्वच्छंद रहना चाहती थी। उसकी सुख-सुविधाओं से बढ़कर उसका परिवार व उसका खुली हवा में सांस लेना था।

प्रश्न 4.
कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हें कैसा लगा ? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
चिड़िया को सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलना अच्छा लगा। ऐसा लगा जैसे कोई मासूम अपहरणकर्ताओं के चुंगल से छूट कर भाग गया हो। यदि चिड़िया को सेठ माधवदास का नौकर पकड़ लेता तो वह उसे पिंजरे में कैद कर देता। यदि ऐसा हो जाता तो एक नहीं-सी प्यारी सी चिड़िया अपनी सारी स्वच्छंदता भूल जाती और सदा-सदा के लिए माधवदास की बंदिनी बन जाती। उसका अपनी माँ व अन्य चिड़ियाओं से भी साथ छूट जाता। यदि ऐसा हो जाता तो यह कहानी का दुःखद पक्ष होता।

प्रश्न 5.
‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
हमारी जिंदगी में माँ का सबसे अधिक महत्त्व है। माँ हमें सुख पहुँचाने के लिए स्वयं अनेक प्रकार के कष्ट उठाती है। माँ हमारी सभी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करती है। माँ नहीं चाहती कि उसकी संतान को किसी प्रकार का कष्ट हो। चोट संतान को लगती है परंतु उसकी पीड़ा माँ को होती है। माँ दुःख की घड़ी में अपनी संतान का एकमात्र सहारा होती है। वह उसे हर हाल में सुखी देखना चाहती है।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

प्रश्न 6.
इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर:
इस कहानी का अन्य शीर्षक हो सकता है ‘प्यारी चिड़िया’ । इस शीर्षक को इसलिए देना चाहूँगा क्योंकि चिड़िया बहुत ही प्यारी है। उसके रंग बिरंगे पंख हैं, वह एक डाली से दूसरी डाली पर फुदकती हुई बहुत अच्छी लग रही है।

प्रश्न 7.
इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीज़ों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है ? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
इस प्रकृति में मनुष्य को छोड़कर सभी चीजें अनुशासित हैं। सूर्य का उगना, पशुओं का अपने थान (स्थान) पर पहुँच जाना। वनस्पतियों का उगना एवं परिपुष्ट होना सभी कुछ एक बंधे-बंधाए अनुशासन के दायरे में चलता है। हमारी सेना भी एकदम अनुशासित है।

प्रश्न 8.
सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे ? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-‘स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनों वाली पराधीनता’ ? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें-
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
उत्तर:
यदि हमको सारी सुविधाएँ देकर बंद रहने को कहा जाए तो हमें यह स्वीकार नहीं है। किसी कवि ने कहा है-
मिले जो शुष्क रोटी आजाद रहकर।
वह गुलामी के हलवे पूड़ी से बेहतर।।
मैं किसी भी कीमत पर कोई प्रलोभन स्वीकार नहीं करूँगा।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
आपने गौर किया होगा कि मनुष्य, पशु, पक्षी-इन तीनों में ही माताएँ अपने बच्चों का पूरा-पूरा ध्यान रखती हैं। प्रकृति की इस अद्भुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
माँ आखिर माँ होती है चाहे वह किसी मनुष्य की माँ हो या पशु पक्षी की। सभी माँ के हृदय में अपनी संतान के प्रति अथाह स्नेह होता है। माँ के स्नेह को परखने के लिए किसी भी कसौटी का निर्धारण नहीं किया जा सकता। जिस तरह से एक मानव शिशु की माँ अपने बच्चे के लिए तड़फती है उसी प्रकार एक पक्षी की माँ अपने बच्चे को पालने के लिए उसके लिए सारे सुख के साधन जुटाती है। एक पशु भी अपनी संतान की इसी प्रकार रक्षा करता है।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए हैं
(क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आ बैठी।
(ख) कभी पर हिलाती थी।
(ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से और चिपक गई।
तीनों ‘पर’ के प्रयोग तीन उद्देश्यों से हुए हैं। इन वाक्यों का आधार लेकर आप भी ‘पर‘ का प्रयोग कर ऐसे तीन वाक्य बनाइए जिनमें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए ‘पर’ के प्रयोग हुए हों।
उत्तर:

  • सड़क पर लोगों की अपार भीड़ है।
  • मोर के पर बहुत सुंदर होते हैं।
  • मुझे आपके पास आना था पर वर्षा होने के कारण आ न सका।

प्रश्न 2.
पाठ में तैने, छनभर, खुश करियो-तीन वाक्यांश ऐसे हैं जो खड़ीबोली हिंदी के वर्तमान रूप में तुने, क्षणभर, खुश करना लिखे-बोले जाते हैं लेकिन हिंदी के निकट की बोलियों में कहीं-कहीं इनके प्रयोग होते हैं। इस तरह के कुछ अन्य शब्दों की खोज कीजिए।
उत्तर:
री चिड़िया-अरी चिड़िया!
तैंने मेरे चित को प्रसन्न किया है-तुमने मेरे चित्त को प्रसन्न किया है।
चिड़िया को पकड़ने के जतन में चला-चिड़िया को पकड़ने का यत्न करने लगा।
अभी तो उजेला है-अभी तो उजाला है।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. माधवदास ने अपनी संगमरमर की …………………….. भाँति गुज़ार देते हैं।

प्रश्न 1.
माधवदास कैसे व्यक्ति थे ?
उत्तर:
माधवदास कला प्रेमी व्यक्ति थे। उनको किसी प्रकार की कोई लत नहीं थी। वे प्रकृति से विशेष प्रेम करने वाले थे।

प्रश्न 2.
माधवदास ने अपनी कोठी को किस प्रकार सजाया था ?
उत्तर:
माधवदास ने अपनी कोठी के सामने बहुत ही सुंदर बगीचा बनवाया था। उसमें तरह-तरह के फूलों से लदे पौधे थे। बीच में उन्होंने सुंदर फव्वारे लगवाए थे।

प्रश्न 3.
माधवदास अपना समय किस प्रकार व्यतीत करते थे ?
उत्तर:
माधवदास शाम को कोठी के बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मनसद के सहारे गलीचे पर बैठ जाते थे और प्रकृति के सौंदर्य को देखते रहते थे। मित्र आते तो उनके साथ विनोद चर्चा करते थे। फर्शी हुक्के की नाल को मुँह में दबाकर ख्यालों में खोए रहते थे।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

2. उस दिन संध्या …………………… आवाज़ निकाल रही थी।

प्रश्न 1.
चिड़िया की सुंदरता का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
चिड़िया बहुत ही सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर ज़रा-जरा नीली पड़ गई थी। उसके पंख ऊपर से चमकदार और काले थे। उसके शरीर पर रंग-बिरंगी चित्रकारी थी।

प्रश्न 2.
चिड़िया किस प्रकार माधवदास के बगीचे में फुदक रही थी ?
उत्तर:
चिड़िया कभी अपने पर हिलाती थी। कभी एक डाली से दूसरी डाली पर फुदकती थी। वह बहुत ही खुश थी। वह अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाजें निकाल रही थी।

चिड़िया की बच्ची Summary

कहानी का सार

माधवदास ने बहुत ही सुंदर संगमरमर की कोठी बनवाई। उस कोठी को हर तरह से सजाया, सुंदर फूलदार पेड़ लगवाए, फव्वारे लगवाए। कोठी में प्रकृति की अनोखी छटा बिखेर दी। वह संध्या के समय अपनी कोठी के बगीचे में बैठकर प्रकृति का आनंद लिया . करता था। तभी एक दिन उसके बगीचे में एक सुंदर-सी छोटी-सी चिड़िया आई। माधवदास उस चिड़िया के साथ बात करने लगा। . वह उसकी सुंदरता की प्रशंसा करने लगा। चिड़िया को उसं दिन पता चला कि यह कोठी इस सेठ की है। वह तो अब तक पूरी प्रकृति को अपना ही घर समझती थी। माधवदास के यह कहने पर वह वहाँ से अपनी माँ के पास जाने के लिए उद्धत हो उठी परंतु सेठ ने उस चिड़िया को मीठी-मीठी बातों में उलझाए रखा। जब अंधेरा होने को आया तो उसने कोठी की लाइट जला दी और चिड़िया से बोला कि अभी तो उजाला है। अभी क्या जाने की जल्दी है। इसी बीच उसका नौकर आकर उस चिड़िया को पकड़ना चाहता है परंतु वह उसके हाथों में नहीं आ पाती और उड़ जाती है। वह अपनी माँ के पास जाकर उसकी गोद में सिसकने लगती है। वह । इतनी डर जाती है कि माँ के पूछने पर कुछ बता भी नहीं पाती। माँ की गोद में पड़ी-पड़ी बस सुबकती रहती है।

शब्दार्थः सुहावना-खुशनुमा/सुंदर, व्यसन-लत/बुरी आदत, अभिरुचि-शौक/विशेष रुचि, रकाबी-तश्तरी, छटा-सुंदरता, तृप्ति-संतुष्टि, मनमानी-इच्छानुसार/अपने मन के अनुसार, स्वच्छंदता-आजादी/स्वतंत्रता, वीरान-सुनसान/निर्जन, निरी-बिल्कुल/पूरी तरह, नादान-नासमझ।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

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शाम एक किशान NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 8

Class 7 Hindi Chapter 8 शाम एक किशान Textbook Questions and Answers

कविता से

प्रश्न 1.
इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवीं एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।
उत्तर:
दूसरी एकरूपता – सूरज की चिलम खींचता।
बैठा है पहाड़ – किसान के रूप में।
चौथी एकरूपता – पलाश के जंगल की अँगीठी, पलाश के फूलों से लदे पेड़।
पाँचवीं एकरूपता – भेड़ों के गल्ले-सा-अंधकार।

प्रश्न 2.
शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए-
(क) शाम कब से शुरू हुई ?
(ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा ?
(ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए ?
उत्तर:
(क) शाम सूरज ढलने से शुरू हुई।
(ख) तब से लेकर सूरज ढलने में लगभग 1 घंटे का समय लगा।
(ग) इस बीच आसमान में लालिमा छा गई। आकाश में बादलों के टुकड़े लाल-लाल दिखाई देने लगे। धीरे-धीरे लालिमा समाप्त होने लगी और आकाश में अंधकार छाने लगा।

प्रश्न 3.
मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो-‘सुनते हो’। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिए-
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 8 शाम एक किशान 1
उत्तर:
कबूतर – गुटरगूं – क्या बात है? क्या बात है?
कौआ – काँव-काँव – जाओ-जाओ!
मैना – टें-टें – जाने दो! जाने दो!
तोता – टें-टें – बस-बस।
चील – चीं-चीं – उठा ले जा, उठा ले जा।
हंस – गुटरुक-गुटरुक – आगे बढ़ो-आगे बढ़ो।

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कविता से आगे

प्रश्न 1.
इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का प्रयोग करना होगा ?
उत्तर:
इस कविता को चित्रित करने के लिए सफेद, स्लेटी, लाल, पीला और काले रंग का प्रयोग करना होगा।

प्रश्न 2.
शाम के समय ये क्या करते हैं ? पता लगाइए और लिखिए-
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 8 शाम एक किशान 2
उत्तर:
पक्षी – पक्षी अपने घौंसलों में लौट जाते हैं।
खिलाड़ी – खिलाड़ी मैदान में खेलते हैं।
फलवाले – फल बेचते हैं।
माँ – माँ चूल्हा सुलगाकर खाना बनाने की तैयारी करती है।
पेड-पौधे – सो जाते हैं।
पिता जी – पिता जी घर लौट आते हैं।
किसान – किसान खेत से घर की ओर चल पड़ते हैं।
बच्चे – बच्चे अपनी माँ से खाना माँगने लगते हैं।

प्रश्न 3.
हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने संध्या का वर्णन इस प्रकार किया है-
संध्या का झुटपुट-
बाँसों का झुरमुट-
है चहक रहीं चिड़ियाँ
टी-वी-टी-टु-टुट्
ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल जी की कविता में आपको क्या मुख्य अंतर लगा ? लिखिए।
उत्तर:
ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल जी की कविता ‘शाम-एक किसान की’ में मुख्य अंतर यह है कि ऊपर की कविता में शाम का सीधा वर्णन किया गया है। संध्या के समय पक्षियों की चहचहाट बढ़ जाती है। सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने अपनी कविता में संध्या के दृश्य का एक किसान के रूप में रूपक बाँधकर चित्रित किया है।

अनुमान और कल्पना

शाम के बदले यदि आपको एक कविता सुबह के बारे में लिखनी हो तो किन-किन चीज़ों की मदद लेकर अपनी कल्पना को व्यक्त करेंगे ? नीचे दी गई कविता की पंक्तियों के आधार पर सोचिए-

पेड़ों के झुनझुने-
बजने लगे;
लुढ़कती आ रही है
सूरज की लाल गेंद।
उठ मेरी बेटी, सुबह हो गई।

पेड़ मुखरित हो उठे हैं
बज उठा मधुर संगीत
आकाश में छा-गई लालिमा
पक्षी चले घरों को छोड़
किसान भी चल पड़ा खेतों पर
पकड़ हाथों में बैलों की डोर
पनिहारिन पहुँच गई पनघट पर
बीत गई अलसाई भोर
-सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे लिखी पंक्तियों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखिए-
(क) घुटनों पर पड़ी है नदी चादर-सी
(ख) सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा
(ग) पानी का परदा-सा मेरे आसपास था हिल रहा
(घ) मँडराता रहता था एक मरियल-सा कुत्ता आसपास
(ङ) दिल है छोटा-सा छोटी-सी आशा
(च) घास पर फुदकती नन्ही-सी चिड़िया
इन पंक्तियों में सा/सी का प्रयोग व्याकरण की दृष्टि से कैसे शब्दों के साथ हो रहा है ?
उत्तर:
सा-सी का प्रयोग व्याकरण की दृष्टि से तब होता है जब एक वस्तु की तुलना उसके समान गुणों वाली दूसरी वस्तु से की जाती है अर्थात् उपमेय (अर्थात् जो प्रस्तुत है) की तुलना उपमान (जो प्रस्तुत नहीं है) से की जाती है। ऐसे प्रयोग को उपमा अलंकार कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग आप किन संदर्भो में करेंगे ? प्रत्येक शब्द के लिए दो-दो संदर्भ (वाक्य) रचिए।
आँधी, दहक, सिमटा
उत्तर:
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अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
पहाड़ को कवि ने किस रूप में दिखाया है, वह किस प्रकार बैठा है?
उत्तर:
पहाड़ को कवि ने एक किसान के रूप में दिखाया है। वह अपनी टाँगों पर घुटनों तक नदी रूपी चादर डालकर बैठा हुआ है।

प्रश्न 2.
कवि ने अँगीठी किसे कहा है और क्यों ?
उत्तर:
कवि ने पलाश के पेड़ों पर खिले फूलों को अँगीठी कहा है क्योंकि पलाश के लाल रंग के फूल बड़े-बड़े गुच्छों में होते हैं। उनका सुर्ख लाल रंग ऐसा लगता है मानो शाम होने पर लोगों ने अपने घरों में अँगीठी सुलगा ली हो। अँगीठी में लाल-लाल कोयले दहक रहे हैं।

प्रश्न 3.
कवि ने पूर्व दिशा में सिमटे अंधकार की तुलना किससे की है ? और क्यों ?
उत्तर:
कवि ने पूर्व दिशा में सिमटे अंधकार की तुलना भेड़ों के बैठे हुए झुंड से की है। भेड़ें अधिकतर काले रंग की होती हैं व कछ सफेद रंग की होती हैं। अभी तना पूरी तरह स अधकार नहीं छाया ह पूर्व दिशा में अधकार ऐता लग रहा है मानो किसान शाम के समय अपनी भेड़ों को इकट्ठा करके एक जगह बाड़े में बैठा दिया हो।

प्रश्न 4.
अँधेरा छाने पर कवि ने क्या कल्पना की है ?
उत्तर:
अँधेरा छाने पर कवि ने कल्पना की है कि किसान ने किसी के पुकारने पर अपनी चिलम को औंधा कर दिया है और चिलम से अंधकार के रूप में काला सफेद धुआँ उठ रहा है।

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काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

आकाश का …………………….. अँधेरा छा गया।

शब्दार्थः साफ़ा-पगड़ी, दकहना-जलना, सिमटना-संकुचित होना।

प्रसंग- प्रस्तुत कविता ‘शाम-एक किसान की’ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2′ में संकलित है।
इस कविता के रचियता ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ जी हैं। कवि ने इस कविता में जाड़े की एक शाम का किसान के रूप में चित्रण किया है।

व्याख्या- कवि जाड़े की एक शाम का चित्रण करता हुआ कहता है-ऐसा लगता है मानो पहाड़ एक किसान के रूप में आकाश रूपी साफ़ा सिर पर बाँधकर बैठा है और सूरज रूपी चिलम को पी रहा है। शाम का सूरज ऐसा लग रहा है जैसे किसान की चिलम में रखी आग हो जो किसान द्वारा हुक्के का कश खींचने के कारण सुलग उठी हो। पहाड़ों में बहती हुई नदी ऐसी लगती है जैसे किसान ने अपने घुटनों तक चादर डाल ली हो। पास ही जंगल में पलाश के पेड़ लाल-लाल फूलों से लदे हुए हैं। कवि को ऐसा लगता है मानो ये फूल नहीं बल्कि संध्या के समय लोगों ने अंगीठियाँ सुलगा ली हों। पलास के फूलों का गहरा लाल रंग दहकती हुई अँगीठी के समान लग रहा है। पश्चिम दिशा में सूर्य छिपता है अतः उधर अभी तक थोड़ा-थोड़ा प्रकाश है परंतु पूर्व की दिशा में अंधेरे ने कदम रखना शुरू कर दिया है। पूर्व दिशा में सिमटा अँधेरा ऐसा प्रतीत होता है मानो किसान ने संध्या के समय अपनी भेड़ों को इकट्ठा करके बैठा दिया हो।

तभी अचानक मोर बोलने लगता है ऐसा लगता है मानो किसान को किसी ने आवाज दी हो कि सुनते हो! और किसान ने उस आवाज़ को सुनकर चिलम को बुझाने के लिए उसे उलटा करके रख दिया हो। कवि कहना चाहता है कि क्षितिज में तभी सूर्य पूर्णतया डूब जाता है और अंधकार छा जाता है। अंधकार ऐसा लगता है मानो चिलम से धुंआ उठ रहा हो।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 पापा खो गए

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पापा खो गए NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7

Class 7 Hindi Chapter 7 पापा खो गए Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
नाटक में आपको सबसे बुद्धिमान पात्र कौन लगा और क्यों ?
उत्तर:
नाटक में सबसे बुद्धिमान पात्र लैटर बॉक्स है। लैटर बॉक्स पढ़ना-लिखना जानता है। वह सबको दिशा निर्देश भी देता है। उसे लड़की के प्रति सच्ची सहानुभूति है। वह लड़की को उसके पापा से मिलवाने की योजना बनाता है। वह सबके साथ मिलकर ऐसी स्थिति पैदा कर देता है जिसके कारण वहाँ पुलिस जाए और बच्ची पुलिस के हाथ पड़ जाए। इस प्रकार पुलिस उस बच्ची को उसके पिता से मिलवा देगी।।

प्रश्न 2.
पेड़ और खंभे में दोस्ती कैसे हुई ?
उत्तर:
एक दिन जोर की आँधी और बारिश आई (आँधी के कारण खंभा पेड़ के ऊपर गिर गया। पेड़ ने उसको संभाल लिया। पेड़ ने खंभे का पूरा भार अपने ऊपर झेला। पेड़ इस प्रक्रिया में जख्मी हो गया। खंभे का सारा अहंकार भी समाप्त हो गया। इस प्रकार खंभे और पेड़ में दोस्ती हो गई।

प्रश्न 3.
लैटर बॉक्स को सभी लालताऊ कहकर क्यों पुकारते थे ?
उत्तर:
लैटर बॉक्स लाल रंग था इसलिए उसे लालताऊ कहते थे। लैटर बॉक्स ताऊ की तरह बातें भी खूब किया करता था। उनकी बातें किस्से कहानियों से कम नहीं थीं। अतः उसका ‘ताऊ’ नामकरण ठीक ही था।

प्रश्न 4.
लालताऊ किस प्रकार दूसरे पात्रों से भिन्न था ?
उत्तर:
लालताऊ की सबसे बड़ी विशेषता थी उसका पढ़ा-लिखा होना। वह अपने अंदर से चिट्ठियों को निकालकर पढ़ता था। वह दूसरों को भी उन चिट्ठियों को सुनाता था। वह ज्ञान की बातें बहुत करता था। वह निडर भी था। ये गुण लालताऊ को अन्य पात्रों से अलग करते हैं।

प्रश्न 5.
नाटक में बच्ची को बचाने वाले पात्रों में एक ही सजीव पात्र है। उसकी कौन-कौन सी बातें आपको मजेदार लगीं? लिखिए।
उत्तर:
नाटक में एक कौवा ही ऐसा पात्र है जो सजीव है वह बहुत ही मजेदार बातें करता था जैसे-
कौआ : (पेड़ के पीछे से झांककर) कॉउव-कॉउव कौन है जो रात के वक्त इतनी मीठी आवाजें लगाकर मेरी नींद खराब करता है ? जराभर चैन नहीं इन्हें।
कौआ : लड़की को उसके पिता से मिलाने का तरीका बताता हुआ कहता है।
कौआ : कहता है-आसान है। सुबह जब हो जाए पेड़ राजा, तो आप अपनी घनी-घनी छाया इस पर किए रहें, वह आराम से देर तक सोती रहेगी और खंभे महाराज, आप ज़रा टेढ़े होकर खड़े रहिए।
खंभा : के यह कहने पर कि इससे क्या होगा ?
कौआ : बोला, पुलिस को लगेगा, एक्सीडेंट हो गया। वो यहाँ आएगी और हमारी इस छोटी सहेली को देखेगी। वो लगाएगी इसके घर का पता। पुलिस सबके घर का पता मालूम करती है। खोए हुए बच्चों को उनके घर पहुँचाती है।
खंभा : के यह कहने पर कि-रहूँगा, मैं आड़ा होकर खड़ा रहूँगा। पर मान लो, पुलिस नहीं आई तो ?
कौआ : बोला, मैं बराबर यहाँ ज़ोर-ज़ोर से काँव-काँव करता रहूँगा। लोगों का ध्यान इधर खींचूँगा। उनकी चीजें अपनी चोंच से उठा- उठाकर लाता जाऊँगा।

प्रश्न 6.
वह कौन-सी वजह थी कि सभी पात्र मिलकर भी लड़की को उसके घर नहीं पहुंचा पा रहे थे ?
उत्तर:
वह लड़की बहुत छोटी थी। उसे अपने घर, मुहल्ले गली के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थे। ये लोग भी उसके घर का पता नहीं जानते थे। वे चलने-फिरने में भी असमर्थ थे इसलिए वे पुलिस में भी रिपोर्ट नहीं करा सकते थे। कौए को छोड़कर वे सभी निर्जीव थे।

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नाटक से आगे

प्रश्न 1.
अपने-अपने घर का पता लिखिए तथा चित्र बनाकर वहाँ पहुँचने का रास्ता भी बताइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
मराठी से अनूदित इस नाटक का शीर्षक ‘पापा खो गए’ क्यों रखा गया होगा? अगर आपके मन में कोई दूसरा शीर्षक हो तो सुझाइए और साथ में कारण भी बताइए।
उत्तर:
‘पापा खो गए’ शीर्षक इसलिए रखा गया होगा कि जब उस बच्ची से पूछा होगा तो उसने कहा होगा कि मेरे पापा खो गए। वह लड़की बहुत ही मासूम है। मासूम बच्चे अक्सर इस तरह का ही जबाव देते हैं कि मेरे पापा खो गए, या मेरी मम्मी खो गई इसका और शीर्षक हो सकता है। ‘मासूम बच्ची’।

प्रश्न 3.
क्या आप बच्ची के पापा को खोजने का नाटक से अलग कोई और तरीका बता सकते हैं ?
उत्तर:
इस बच्ची के पापा को खोजने के कई तरीके हो सकते हैं जैसे-पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाना-ऐसा करने पर पुलिस अपने तरीके से खोज सकती है। दूसरा तरीका-समाचार पत्र और दूरदर्शन पर विज्ञापन देना है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
अनुमान लगाइए कि जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह किस स्थिति में, होगी ? क्या वह पार्क/मैदान में खेल रही होगी या घर से रूठकर भाग गई होगी या कोई अन्य कारण होगा ?
उत्तर:
जिस समय बच्ची को चोर ने उठाया होगा वह घर से बैठकर बाहर चली गई होगी तभी उस पर किसी बच्चे चुराने वाले चोर की निगाह पड़ी होगी। उसने उस बच्ची को कोई खाने की वस्तु देकर बहला लिया होगा। वह पार्क में खेलते समय भी इधर-उधर जा सकती है क्योंकि बच्ची अभी छोटी है। उसे जगह की पहचान भी नहीं है।

प्रश्न 2.
नाटक में दिखाई गई घटना को ध्यान में रखते हुए यह भी बताइए कि अपनी सुरक्षा के लिए आजकल बच्चे क्या-क्या कर सकते हैं। संकेत के रूप में नीचे कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं। आप इससे अलग कुछ और उपाय लिखिए।
उत्तर:

  • समूह में चलना।
  • एकजुट होकर बच्चा उठाने वालों या ऐसी घटनाओं का विरोध करना।
  • अनजान व्यक्तियों से सावधानीपूर्वक मिलना।
  • इसके अतिरिक्त अन्य उपाय हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति बच्चे को उठाने की चेष्टा करे तो बच्चे को चाहिए कि वह बचाओ! बचाओ! कहकर जोर से चिल्लाए ऐसा करने पर चोर इरकर भाग जाएगा।
  • कभी भी अकेले कहीं न जाना, घर के बड़े व्यक्तियों के साथ ही कहीं जाना चाहिए।
  • यदि कोई व्यक्ति कोई प्रलोभन दे तो प्रलोभन में न आना।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 पापा खो गए

भाषा की बात

प्रश्न 1.
आपने देखा होगा कि नाटक के बीच-बीच में कुछ निर्देश दिए गए हैं। ऐसे निर्देशों से नाटक के दृश्य स्पष्ट होते हैं, जिन्हें नाटक खेलते हुए मंच पर दिखाया जाता है, जैसे-‘सड़क/रात का समय…दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज़।’ यदि आपको रात का दृश्य मंच पर दिखाना हो तो क्या-क्या करेंगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर:

  • रात का सन्नाटा
  • आकाश बादलों से ढका हुआ
  • झिंगुरों की आवाज
  • गीदड़ का बोलना
  • घुप्प अँधेरा।

प्रश्न 2.
पाठ को पढ़ते हुए आपका ध्यान कई तरह के विराम चिन्हों की ओर गया होगा। नीचे पृष्ठ पर दिए अंश से विराम चिन्हों को हटा दिया गया है। ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उपयुक्त चिन्ह लगाइए-
मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी अरे बाप रे वो बिजली थी या आफ़त याद आते ही अब भी दिल धक्-धक् करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ गड्डा कितना गहरा पड़ गया था खंभे महाराज अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है अंग थरथर काँपने लगते हैं।
उत्तर:
मुझ पर भी एक रात आसमान में गड़गड़ाती बिजली आकर पड़ी थी। अरे! बाप रे वो बिजली थी या आफ़त! याद आते ही अब भी दिल धक्-धक् करने लगता है और बिजली जहाँ गिरी थी वहाँ गड्डा कितना गहरा पड़ गया था, खंभे महाराज! अब जब कभी बारिश होती है तो मुझे उस रात की याद हो आती है। अंग थरथर काँपने लगते हैं।

प्रश्न 3.
आसपास की निर्जीव चीज़ों को ध्यान में रखकर कुछ संवाद लिखिए, जैसे-

  1. चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
  2. कलम का कॉपी से संवाद
  3. खिड़की का दरवाज़े से संवाद

उत्तर:
1. चॉक का ब्लैक बोर्ड से संवाद
चॉक : अरे ब्लैक बोर्ड तुम तो बहुत काले हो।
ब्लैक बोर्ड : मैं काला हूँ तभी तो तुम्हारा लिखा मुझ पर दिखाई देता है।
चॉक : मैं हूँ ही इतना खूबसूरत कि मेरे द्वारा सुंदर लिखा जाता है।
ब्लैक बोर्ड : नहीं यह बात नहीं है। पिछले दिनों जब मेरा रंग हल्का हो गया था और मैं कुछ चिकना हो गया था तब भी क्या तुम्हारे द्वारा सुंदर लिखा जाता था।
चॉक : नहीं, तब तो नहीं।
ब्लैक बोर्ड : मेरे कारण ही तुमसे सुंदर लिखा जाता है।
चॉक : हाँ, ब्लैक बोर्ड भाई तुम ठीक कहते हो।

2. कलम का कॉपी से संवाद ।
कलम : कॉपी बहिन मेरे द्वारा जब लोग तुम पर लिखते हैं तो कितने सुंदर अक्षर बन जाते हैं।
कॉपी : मैं तुम्हारे द्वारा लिखी बातों को अपने में सहेजकर रखती हूँ, जिनको बाद में भी लोग पढ़ सकते हैं।
कलम : मेरे द्वारा लिखा हुआ इस प्रकार ज्ञान का खजाना बन जाता है।
कॉपी : कलम भाई कभी-कभी तुम अपने लिखे को काट देते हो तब मेरी सूरत गंदी हो जाती है।

3. खिड़की का दरवाज़े से संवाद ।
दरवाजा : खिड़की तुम्हारा महत्त्व कुछ भी नहीं है ?
खिड़की : मेरा महत्त्व तुमसे अधिक है क्योंकि मुझसे ही होकर शुद्ध हवा कमरे में आती है।
दरवाजा : हवा तो मुझ से भी आती है।
खिड़की : परंतु कितनी देर। मालिक जब आता है तुम्हें बंद कर देता है।
दरवाजा : मैं आने-जाने के काम आता हूँ तुम थोड़े ही।
खिड़की : सबका अपना-अपना महत्त्व है, कोई भी महत्त्वहीन नहीं है।

प्रश्न 4.
उपर्युक्त में से दस-पंद्रह संवादों को चुनें, उनके साथ दृश्यों की कल्पना करें और एक छोटा-सा नाटक लिखने का प्रयास करें। इस काम में अपने शिक्षक से सहयोग लें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 7 पापा खो गए

पापा खो गए Summary

नाटक का सार

यह एक काल्पनिक घटना पर आधारित नाटक है। इसकी सभी घटनाएँ सड़क पर घटित होती हैं। यहाँ लैटर बॉक्स, सड़क का खंभा और पेड़ सभी अपनी-अपनी परेशानियों का वर्णन करते हैं। खंभे और पेड़ को दिन-रात खड़े रहने में परेशानी है। वे हर मौसम में सदैव खड़े ही रहते हैं। उन्हें आँधी, तूफान झेलना पड़ता है। लैटर बॉक्स (लालताऊ) भी उनकी बातचीत में शामिल हो जाता है। वह कुछ पत्र निकाल कर पढ़ने लगते हैं। खंभा और पेड़ समझते हैं कि किसी का पत्र नहीं पढ़ना चाहिए।

तभी एक गुंडा-बदमाश एक छोटी प्यारी बच्ची को बेहोश कर वहाँ उठा लाता है, उन्हें लगता है कि वह उसे किसी को बेच देगा। वह आदमी लड़की को छिपाकर भोजन की तलाश में जाता है। गुंडे के जाते ही खंभा, पेड़ और लैटर बॉक्स लड़की के बारे में चिंतित हो जाते हैं, वे उसे बचाने के बारे में सोच-विचार कर बातें करने लगते हैं। इस बातचीत में कौए को जगाकर शामिल करते हैं, तभी लड़की कुछ होश में आ जाती है। वह समझ नहीं पाती कि बातें कौन कर रहा है, उसे अंधेरे में डर लग रहा है। लैटर बॉक्स उसके पास आकर उसे तसल्ली देता है। लड़की को लैटर बॉक्स को बोलते देखकर आश्चर्य के बाद खुशी होती है। लैटर बॉक्स उससे उसका पता-ठिकाना पूछता है, लेकिन लड़की कुछ बता नहीं पाती। धीरे-धीरे पेड़, खंभा और कौआ भी बातचीत में शामिल हो जाते हैं। लड़की सब कुछ भूलकर उनके साथ खेलने लग जाती है, तभी वह दुष्ट आदमी वहाँ आता है और लड़की को ढूँढ़ता है। लड़की बचने का प्रयत्न करती है। पेड़, लैटर बॉक्स, खंभा, पोस्टर सभी लपक-लपककर सामने आकर लड़की को गुंडे के हाथ नहीं लगने देते, तभी कौआ भूत-भूत चिल्लाता है, सभी के भूत-भूत चिल्लाने से गुंडा घबरा कर भाग जाता है। सभी खूब हँसते हैं। कुछ देर लड़की नहीं मिलती तो सब उसे ढूंढ़ कर थक कर सुला देते हैं।

खंभा, पेड़ सभी सोचते हैं कि अब लड़की को घर कैसे पहुँचाया जाए, उसे तो अपने पापा का नाम भी नहीं मालूम। सुबह होती है, वे एक पोस्टर बनाते हैं। सड़क पर सारे लड़की पर झुक कर छाया किए हुए हैं। खंभा टेढ़ा खड़ा है जैसे कोई दुर्घटना हुई हो। कौवा शोर करता है, सबका ध्यान उसकी ओर आकर्षित होता है। पोस्टर पर लिखा है-मेरे पापा खो गए हैं। लैटर बॉक्स सरकता हुआ लोगों से कहता है-इस प्यारी बच्ची के पापा को खोज कर यहाँ ले आइए।

शब्दार्थः आफत-मुसीबत, भंगिमा-मुद्रा, संतुलन-बराबर बने रहना, हड़बड़ी-जल्दबाजी, मुमकिन नहीं-असंभव, चौकस-सावधान, गरूर-घमंड, गश्त-फेरी, करीब से-निकट से, स्वीकृति-मंजूरी, दुबक जाना-छिप जाना, संरक्षण-रखवाली, चकमा-धोखा, आनंदित-प्रसन्न, प्रेक्षक-दर्शक।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

रक्त और हमारा शरीर NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 6

Class 7 Hindi Chapter 6 रक्त और हमारा शरीर Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
रक्त के बहाव को रोकने के लिए उस स्थान पर साफ कपड़ा बाँध देना चाहिए। ऐसा करने से रक्त शीघ्र रुक जाएगा। यदि जख्म गहरा है तो घायल को लेकर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
खून को ‘भानुमती का पिटारा’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
जिस प्रकार भानुमती के पिटारे में असंख्य चीजें होती हैं उसी प्रकार हमारे खून में भी असंख्य कण होते हैं। इन कणों को सूक्ष्मदर्शी यंत्र के द्वारा ही देखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
एनामिया से बचन के लिए हमें पीष्टिक आहार लेना चाहिए। हम सभी वादय वस्तओं को परीमपाईने दी खाना चाहिए। साबुन से हाथों को अच्छी प्रकार धोना चाहिए। पेट में कीड़े न हों इसलिए पूरी सफाई रखनी चाहिए।

प्रश्न 4.
पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे किस प्रकार बचा जा सकता है?
उत्तर:
दूषित जल के पीने और खाद्य पदार्थों के स्वच्छ न होने से पेट में कीड़े हो जाते हैं। इनसे बचने के लिए पूरी सफाई से बनाए गए खाद्य पदार्थ ही ग्रहण करने चाहिए। भोजन करने से पूर्व हाथ अच्छी तरह से धोएं और साफ पानी ही पिएँ। शौच के लिए शौचालय का ही प्रयोग करें और इधर-उधर नंगे पैर न घूमें।

प्रश्न 5.
रक्त के सफेद कणों को ‘वीर सिपाही’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
जब हमारे शरीर पर रोगाणु धावा बोलने की कोशिश करते हैं तो सफेद कण डटकर उनसे मुकाबला करते हैं और रोगाणुओं को यथासंभव भीतर घर नहीं करने देते। इसलिए सफेद कणों को ‘वीर सिपाही’ कहा जाता है।

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प्रश्न 6.
ब्लड बैंक में रक्तदान से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
प्रायः हर अस्पताल में ब्लड बैंक होता है। जहाँ सभी प्रकार के रक्त-समूहों का रक्त तैयार रखा जाता है। आपातस्थिति में इन ब्लड बैंकों का रक्त ही रोगी के काम आता है। ब्लड बैंक में रक्तदान करने से रोगी को समय पर रक्त मिल जाता है इस प्रकार उसका जीवन बचाया जा सकता है। रक्तदान करने वाले व्यक्ति को आपातस्थिति में आसानी से रक्त मिल जाता है।

प्रश्न 7.
साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सीजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है-
सफेद कण, साँस नली, लाल कण, फेफड़े
उत्तर:
लाल कण

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है-
जस्ता, लोहा, शीशा, प्लैटिनम
उत्तर:
लोहा

प्रश्न 2.
बिंबाणु (प्लेटलैट कण) की कमी किस बीमारी में पाई जाती है-
टाइफायड, डेंगू, मलेरिया, फाइलेरिया
उत्तर:
डेंगू

भाषा की बात

प्रश्न 1.
(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते हैं-
इस वाक्य को ध्यान से पढ़िए। इस वाक्य में ‘होते-होते’ के प्रयोग से यह बताया गया है कि चार महीने से पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के चार वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का प्रयोग हो-
बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते
उत्तर:
बनते-बनते – मुकेश के विवाह की बात बनते-बनते बिगड़ गई।
पहुँचते-पहुँचते – रेलवे स्टेशन पहुँचते-पहुँचते आठ बज गए।
लेते-लेते – सामान लेते-लेते रात के आठ बज गए।
करते-करते – परिश्रम करते-करते सफलता मिल ही गई।

(ख) इन प्रयोगों को पढ़िए-
सड़क के किनारे-किनारे पेड़ लगे हैं।
आज दूर-दूर तक वर्षा होगी।

  • इन वाक्यों में होते-होते’ की तरह ‘किनारे-किनारे’ और ‘दूर-दूर’ शब्द दोहराए गए हैं। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे-किनारे का अर्थ है-किनारे से लगा हुआ और दूर-दूर का-बहुत दूर तक।
  • आप भी निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए और उनके अर्थ लिखिए-
    ठीक-ठीक, घड़ी-घड़ी, कहीं-कहीं, घर-घर, क्या-क्या

उत्तर:

  • ठीक-ठीक – अच्छी तरह
    मुझे ठीक-ठीक याद नहीं यह बात कर की हैं।
  • घड़ी-घड़ी – हर समय
    वह मुझे घड़ी-घड़ी परेशान करता रहता है?
  • कहीं-कहीं – बहुत कम
    जंगल में शेर कहीं-कहीं दिखाई देते हैं।
  • घर-घर – प्रत्येक घर
    वह घर-घर घूमा परन्तु कहीं कुछ न मिला।
  • क्या-क्या- सभी प्रयत्न करना
    नौकरी के लिए उसने क्या-क्या नहीं किया?

प्रश्न 2.
इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
भानुमती का पिटारा, दस्तक देना, धावा बोलना, घर करना, पीठ ठोकना
उत्तर:

  • भानुमती का पिटारा-हमारे विद्यालय का पुस्तकालय भानुमती का पिटारा है, जिसमें हर तरह की पुस्तकें हैं।
  • दस्तक देना-कमजोर शरीर में रोग जल्दी दस्तक देते हैं?
  • धावा बोलना-सैनिकों ने शत्रु सेना पर धावा बोल दिया।
  • घर करना-यदि स्वास्थ्य का समुचित ध्यान न रखा जाए तो शरीर में रोग घर कर लेते हैं।
  • पीठ ठोकना-कक्षा में प्रथम आने पर पिता जी ने मेरी पीठ ठोकी।

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कुछ करने को

प्रश्न 1.
अपने परिवार के अट्ठारह वर्ष से पचास वर्ष तक की आयु वाले सभी स्वस्थ सदस्यों को रक्तदान के लिए प्रेरित कीजिए और समय आने पर स्वयं भी रक्तदान करने का संकल्प लीजिए।

प्रश्न 2.
शरीर-रचना का चित्र देखकर उसमें रक्त-संचार क्रिया को ठीक-ठीक समझिए।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए प्रश्नों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए-
(क) ब्लू बेबी क्या है?
(ख) रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लेटलैट) का कार्य क्या है?
(ख) रक्तदान के लिए कम-से-कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
(ख) कितने समय बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है?
(ख) क्या स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है?

प्रश्न 4.
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाने से क्या-क्या परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर:
शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त-संचार रुक जाने से कमजोरी महसूस हो सकती है। हृदयाघात (हार्ट अटैक) हो सकता है। शरीर निस्तेज हो जाता है।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. ‘देखने में रक्त ……………………. प्लाज्मा में तैरते रहते हैं।’

प्रश्न 1.
रक्त के कितने भाग होते हैं?
उत्तर:
मोटे तौर पर रक्त के दो भाग होते हैं। एक भाग तरल होता है जिसे हम प्लाज़्मा कहते हैं, दूसरे भाग को बिंबाणु कहते हैं?

प्रश्न 2.
विंबाणु किसे कहते हैं?
उत्तर:
हमारे रक्त में कुछ कण ऐसे होते हैं जिनका कोई रंग नहीं होता। (इन कणों को बिंबाणु या प्लेटलैट कण कहते हैं।)

2. लाल कण बनावट में …………………….. लेकिन एक साथ नहीं, धीरे-धीरे।

प्रश्न 1.
लाल कण देखने में कैसे लगते हैं ?
उत्तर:
लाल कण देखने में बालूशाही जैसी बनावट लिए होते हैं। ये दोनों ओर बीच में से दबे हुए होते हैं।

प्रश्न 2.
एक मिलीमीटर रक्त में लाल कणों की संख्या लगभग कितनी होती है?
उत्तर:
एक मिलीमीटर रक्त में लाल कणों की संख्या लगभग पचपन लाख होती है। इनके कारण ही हमारा रक्त लाल दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
रक्त कणों का क्या कार्य है?
उत्तर:
रक्त कण हमारे शरीर के लिए दिन रात कार्य करते हैं। ये कण साँस द्वारा ली गई हवा को शुद्ध करके ऑक्सीजन के रूप में हमारे शरीर के प्रत्येक भाग में पहुँचाते हैं।

प्रश्न 4.
रक्त कण कितने दिन तक हमारे रक्त में रहते हैं?
उत्तर:
रक्त कणों का जीवन काल लगभग-चार माह होता है। पुराने रक्त कण धीरे-धीरे नष्ट होते रहते हैं उनका स्थान नए रक्त कण ले लेते हैं।

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3. शरीर में हर समय ………………… उपयुक्त मात्रा में होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति उचित आहार ग्रहण नहीं करता तो इन कारखानों को आवश्यकतानुसार कच्चा माल नहीं मिल पाता। नतीजा यह होता है कि रक्त-कण बन नहीं पाते, रक्त में इनकी कमी हो जाती है। लाल कणों की इसी कमी को एनीमिया कहते हैं।

प्रश्न 1.
हमारे शरीर में रक्त कणों का निर्माण कहाँ होता है?
उत्तर:
हमारी हड्डियों के बीच मज्जा भाग में ऐसे बहुत से कारखाने होते हैं जो हर समय रक्त कणों के निर्माण में लगे रहते हैं।

प्रश्न 2.
रक्त कणों के निर्माण के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
रक्त कणों के निर्माण के लिए प्रोटीन, लौह-तत्त्व एवं विटामिन रूपी कच्चे माल की जरूरत पड़ती है।

प्रश्न 3.
प्रोटीन, लौहतत्त्व और विटामिन हमें कहाँ से प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
ये सभी तत्त्व हमें उचित आहार लेने से मिलते हैं। हमारे लिए उचित आहार हैं हरी सब्जी, फल, दूध, अंडा, गोश्त आदि।

प्रश्न 4.
लाल कणों की कमी से कौन-सा रोग होता है?
उत्तर:
लाल कणों की कमी से ‘एनीमिया’ हो जाता है। इस रोग को उचित आहार के द्वारा दूर किया जा सकता है।

4. एनीमिया बहुत से ………………… नंगे पैर न घूमें”।

प्रश्न 1.
एनीमिया किन-किन कारणों से होता है ?
उत्तर:
एनीमिया पौष्टिक आहार की कमी एवं पेट में कीड़ों के हो जाने से होता है।

प्रश्न 2.
पेट के कीड़े किस कारण से होते हैं, इनसे बचने का क्या उपाय है ?
उत्तर:
पेट में होने वाले कीड़े दूषित जल व खाद्य पदार्थों द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं (इनसे बचने के लिए हमें सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए एवं साफ भोजन ग्रहण करना चाहिए और भोजन से पहले हाथ साबुन से धोएं)।

प्रश्न 3.
त्वचा के रास्ते शरीर में प्रवेश करने वाले कीड़ों से किस प्रकार बचा जा सकता हैं ?
उत्तर:
इस प्रकार के कीड़े जमीन की ऊपरी सतह पर पाए जाते हैं। इन अंडों से उत्पन्न लार्वा त्वचा के सहारे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इनसे बचने का उपाय है शौच के लिए शौचालय का ही प्रयोग करें और नंगे पैर इधर-उधर न घूमें।

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5. “सफ़ेद कण वास्तव में …………………… निकलना बंद हो जाता है।”

प्रश्न 1.
हमारे शरीर में सफेद कणों का क्या कार्य है ?
उत्तर:
सफेद कण हमारे शरीर के वीर सिपाही हैं। जब रोगाणु शरीर पर धावा बोलते हैं तो सफेद कण डटकर उनका मुकाबला करते हैं। ये रोगाणुओं को भीतर घर नहीं करने देते।

प्रश्न 2.
बिंबाणु हमारे शरीर में क्या काम करते हैं ?
उत्तर:
बिंबाणु चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करते हैं रक्त और तरल भाग प्लाज्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है जो रक्त-वाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान जाला बुन देती है। बिंबाणु इस जाले से चिपक कर खून को बहने से रोक लेते हैं।

6. अट्ठारह वर्ष से ………………… दीदी समझाते हुए बोलीं।

प्रश्न 1.
रक्तदान कौन कर सकता है ?
उत्तर:
एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी उम्र अट्ठारह वर्ष से अधिक हो रक्तदान कर सकता है?

प्रश्न 2.
हमारे शरीर में लगभग कितना खून होता है ? रक्तदान के समय कितना खून लिया जाता है?
उत्तर:
हमारे शरीर में लगभग पाँच लीटर खून होता है। रक्तदान करते समय हमारे शरीर से 300 मिलीलीटर खून लिया जाता है?

प्रश्न 3.
रक्तदान का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
रक्तदान करने से शरीर में नई स्फूर्ति आती है शीघ्र ही नया खून बन जाता है और रक्तदान किए गए रक्त की पूर्ति हो जाती है। हमें रक्तदान अवश्य करना चाहिए।

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रक्त और हमारा शरीर Summary

पाठ का सार

अनिल की छोटी बहिन दिव्या पिछले कुछ दिनों से थकान अधिक महसूस करने लगी। उसे भूख भी कम लगने लगी तो उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने उसके रक्त की जाँच की। जाँच में पाया गया कि उसे एनीमिया हो गया है। एनीमिया एक रक्त की बीमारी है। सूक्ष्मदर्शी से देखने पर पता चलता है कि रक्त में बहुत-सी चीजें होती हैं। मौटे तौर पर इसके दो भाग होते हैं। एक भाग वह जो तरल है, जिसे हम प्लाज़्मा कहते हैं। दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते हैं, कुछ लाल और कुछ सफेद। लालकण बनावट में बालूशाही की तरह ही होते हैं। रक्त की एक बूंद में इनकी संख्या लाखों होती है, ये कण शरीर के लिए दिन-रात काम करते हैं। शरीर के हर हिस्से में ऑक्सीजन पहुँचाना इन्हीं का ही काम है। इनका जीवनकाल लगभग चार महीने होता है। पुराने कण धीरे-धीरे नष्ट होते हैं और नए कण बनते रहते हैं। हड्डियों के बीच के मज्जा भाग में ऐसे बहुत से कारखाने हैं जो रक्त कणों का निर्माण करते रहते हैं। उचित आहार के बिना ये रक्त कण नहीं बन पाते।

एनीमिया बहुत से कारणों से हो सकता है। पेट के कीड़ों व उचित आहार न मिलना एक बहुत बड़ा कारण है। हमें उचित आहार और सफाई का उचित ध्यान रखना चाहिए। शरीर में सफेद कण हमें रोगों से बचाते हैं। विंबाणु चोट लगने पर रक्त जमाव क्रिया में मदद करते हैं। रक्त के तरल भाग प्लाज़्मा में एक विशेष किस्म की प्रोटीन होती है जो रक्त वाहिका की कटी-फटी दीवार में मकड़ी के जाले के समान एक जाला बुन देती है। जिससे शरीर से रक्त बहना बंद हो जाता है। अधिक चोट लगने पर रक्त चढ़ाना पड़ता है। परन्तु सभी का रक्त एक जैसा नहीं होता। जिस व्यक्ति का रक्त जिस समूह का होता है उसे उस समूह के व्यक्ति का ही रक्त चढ़ाया जाता है। हर अस्पताल में ब्लड बैंक होते हैं जहाँ से हम ब्लड ले सकते हैं परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि हम समय-समय पर ब्लड बैंक में रक्त दान करते रहें। अट्ठारह वर्ष से अधिक के स्वस्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान करने से कोई हानि नहीं होती।

शब्दार्थः सूक्ष्मदर्शी-सूक्ष्म वस्तुओं को देखने का यंत्र; जिज्ञासा-जानने की इच्छा; एनीमिया-रक्त की कमी से होने वाला एक रोग; भानुमती का पिटारा-एक स्थान पर अनेक वस्तुओं का भण्डार होना; अवतल-मध्यभाग से दबे हुए; आहार-भोजन; संतुलित-न कम न अधिक पूरी तरह से उचित मात्रा; बिंबाणु-प्लेटलैट कण।

NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मीठाईवाला

These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मीठाईवाला Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts.

मीठाईवाला NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5

Class 7 Hindi Chapter 5 मीठाईवाला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीने बाद क्यों आता था ?
उत्तर:
बच्चे अलग-अलग चीज़ों को पसंद करते हैं। उनको खिलौने भी चाहिए और मिठाई भी तथा मन बहलाने के लिए मुरली भी चाहिए। वह एक बार में एक चीज ही लाता है। तब तक दूसरी चीज बनकर तैयार हो जाती है। मिठाईवाला बच्चों की इच्छा का पूरा ध्यान रखता है। वह बच्चों के लिए चीजें तैयार कराता है इसलिए वह महीनों बाद आता है।

प्रश्न 2.
मिठाईवाले में वे कौन से गुण थे जिनकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी ओर खिंचे चले आते थे?
उत्तर:
मिठाईवाले में वे सभी गुण थे जिनकी अपेक्षा बच्चे करते हैं।

  • मिठाईवाले के हृदय में बच्चों के प्रति वात्सल्य भाव भरा हुआ था।
  • मिठाईवाले का स्वर बहुत ही मधुर था, उसकी आवाज़ सुनकर बच्चे दौड़े चले आते थे।
  • वह बहुत ही सस्ती चीजें बेचता था जिनको हर बच्चा खरीदा सकता था। जिन बच्चों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती थी उनको वह मुफ्त में ही दे देता था।
  • वह बच्चों को यह तरीका भी बताता था कि माँ से पैसे कैसे लिए जाएँ।

प्रश्न 3.
विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरलीवाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं ?
उत्तर:
विजय बाबू एक ग्राहक और मुरलीवाला एक विक्रेता। विजय बाबू का मानना था कि सभी फेरीवाले झूठे व मक्कार होते हैं। वे सबको समान दर पर ही चीजें बेचते हैं परंतु ग्राहक पर अहसान जताने के लिए कहते हैं कि बस आपके लिए यह वस्तु इतने की है। मुरलीवाला कहता है कि ग्राहक को यह पता नहीं होता कि इस वस्तु पर कितनी लागत आई है। वह सोचता है कि वह उसे लूट रहा है। यदि दुकानदार हानि उठाकर भी चीजें बेचे तो भी ग्राहक को लगता है कि वह उससे अधिक पैसे ले रहा है। ग्राहक दुकानदार की बातों का विश्वास नहीं करता।

प्रश्न 4.
खिलौनेवाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी ?
उत्तर:
जब खिलौनेवाला आता था तो उसकी आवाज सुनकर बच्चे खिलौने लेने दौड़ पड़ते थे। वे ऐसे दौड़ते थे कि किसी की टोपी गली में गिर पड़ती। किसी का जूता पार्क में ही छूट जाता और किसी की सोथनी (पाजामा) ही ढीली होकर लटक जाती। इस तरह दौड़ते-हाँफते बच्चे खिलौनेवाले के पास पहुँच जाते। बच्चे खिलौने लेकर उछल-कूद मचाने लगाते थे।

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प्रश्न 5.
रोहिणी को मुरलीवाले के स्वर से खिलौनेवाले का स्मरण क्यों हो आया ?
उत्तर:
खिलौनेवाला भी इसी प्रकार गा-गाकर खिलौने बेच रहा था जैसे मुरली बेचनेवाला। दोनों के स्वर में एक जैसी मिठास थी। इसलिए रोहिणी को लगा कि मुरली बेचनेवाला वही है जो पहले खिलौने बेचने आया था।

प्रश्न 6.
किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर:
रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया। उसने इस व्यवसाय को इसलिए अपनाया ताकि वह बच्चों में अपने बच्चों की छवि देख सके। मिठाई बेचना, मुरली बेचना और खिलौने बेचना बच्चों से जुड़ा व्यवसाय था। इन सब चीजों के खरीदार बच्चे ही थे। इसलिए उसने इस व्यवसाय को अपनाया।

प्रश्न 7.
‘अब इस बार ये पेसे न लूँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर:
चुन्नू-मुन्नू जब रोहिणी से लिपटकर मिठाई माँगने लगे तो मिठाईवाले को उन दोनों बच्चों में अपने बच्चों की छवि नजर आई। वह पैसा कमाने के लिए तो मिठाई बेच नहीं रहा था। इसलिए उसने पैसे लेने से मना कर दिया। रोहिणी के द्वारा उसके जीवन से जुड़ी बातें पूछने पर वह बहुत भावुक हो गया था।

प्रश्न 8.
इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है ?
उत्तर:
आज कम ही ऐसे परिवार होंगे जहाँ पर्दा प्रथा है। आजकल तो गाँवों में भी पर्दा प्रथा समाप्त हो गई है। पहले इस प्रकार पर्दा किया जाता था क्योंकि तब स्त्रियाँ निरक्षर हुआ करती थीं। स्त्रियों को मुस्लिम परिवारों के प्रभाव के कारण पर्दे में ही रखा जाता था। स्त्रियों का इस प्रकार पर्दे में रहना उचित नहीं है। आज स्त्रियाँ पुरुषों के समान सभी कार्य करती हैं यदि वे पर्दे में रहेंगी तो कैसे काम करेंगी।

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कहानी से आगे

प्रश्न 1.
मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा ? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर:
इस प्रकार की घटनाएँ भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय बहुत घटी थीं। इस दौरान लोग अपने परिवारों से बिछुड़ गए थे। यह घटना भी तब की हो सकती है। हो सकता है मिठाईवाले का परिवार किसी दुर्घटना का शिकार हो गया हो।

प्रश्न 2.
हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं ? उनको सजाने-बनाने में किसका हाथ होगा ? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
हाट-मेले, शादी आदि के आयोजनों में रंग-बिरंगे वस्त्र, खिलौने व खाने-पीने की चीजें बहुत आकर्षित करती हैं। बच्चे हाट-मेले से खिलौने और बाँसुरी आदि चीजें खरीदने के लिए मचलते हैं। खाने की चीजों में मिठाई व चाट पकौड़ी पसंद करते हैं। उनको सजाने बनाने में विभिन्न कारीगरों का हाथ होता है। उन कारीगरों के चेहरे तब खिल उठते हैं जब लोग उनके द्वारा बनी वस्तुएँ खरीदते हैं एवं उनकी प्रशंसा करते हैं।

प्रश्न 3.
इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुःख कम करता है ? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढिए और पढ़िए।
उत्तर:
छात्र अपने पुस्तकालय से ऐसी बालोपयोगी पुस्तकें लेकर पढ़ें। चंपक, नंदन, बाल भारती, बालहंस जैसी पत्रिकाओं में भी आपको ऐसी अनेक कहानियाँ मिलेंगी।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1.
आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं ? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर:
नोट-छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाजों में कैसा बदलाव आया है ? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर:
पहले की अपेक्षा आज फेरीवाले कम हो गए हैं।

प्रश्न 3.
आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं ? कारण लिखिए।
उत्तर:
अब जगह-जगह दुकानें व बाजार खुल गए हैं। लोग फेरीवालों से सामान न लेकर इन बाजारों से ही खरीदारी करते हैं।

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भाषा की बात

प्रश्न 1.
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 5 मीठाईवाला 1
ऊपर ‘वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि-
(क) ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं ?
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है ?
उत्तर:
(क) वाला से पहले आने वाले शब्द संज्ञा भी हैं और क्रिया भी।
(ख) मिठाईवाला में मिठाई संज्ञा है। संज्ञा के साथ ‘वाला’ जुड़ने से यह शब्द विशेषण बना है। ‘बोलने वाली गुड़िया’ में ‘बोलना’ क्रिया है परंतु इसके साथ ‘वाली’ जुड़ने से यह शब्द गुड़िया का विशेषण हो गया।

प्रश्न 2.
“अच्छा मुझे ज्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”

  • उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ठे बटुली।
  • ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।

उत्तर:
इस प्रकार के प्रयोग अन्य जगह भी होते हैं :
जैसे- चार नग सामान
चार अदद सामान।

प्रश्न 3.
“वे भी जान पड़ता है पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
“क्यों भई किस तरह देते हो मुरली ?”
दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।
भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते। आप ये बातें कैसे कहेंगे
उत्तर:

  • यह मालूम होता है, पार्क में खेलने चले गए होंगे ?
  • क्यों भाई : कितने में बेचते हो मुरली ?
  • दादी चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई खरीदनी है, जरा कमरे में जाकर बैठाओ।

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कुछ करने को

प्रश्न 1.
फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी ? उनका घर-परिवार कहाँ होगा ? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे ? यह जानने के लिए तीन-तीन के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ प्रश्न तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवालों से बात करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुःख कम हो जाता है ? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर:
मिठाईवाला अधेड़ उम्र का व्यक्ति है उसके सिर पर पगड़ी तथा चेहरे पर बड़ी-बड़ी मूंछे हैं। परिस्थितियों के कारण मिठाई वाले के चेहरे पर समय से पहले ही झुर्रियाँ दिखाई देने लगी हैं। मिठाईवाला जब बच्चों को देखता है तो उसके चेहरे पर प्रसन्नता झलकने लगती है। वह अपने सिर पर एक बड़ी-सी पोटली बाँधकर रखता है जिसमें तरह-तरह की मिठाइयाँ हैं। उसके कंधे पर भी एक झोली लटक रही है जिसमें बच्चों के लिए भी कुछ वस्तुएँ हैं।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मुरलीवाला हर्ष-गद्गद ………………. लाद रहे हो।”

प्रश्न 1.
मुरलीवाला किस हर्ष से गद्गद हो गया था ?
उत्तर:
मुरलीवाले ने जब बच्चों को देखा तो वह हर्ष से गद्गद हो गया।

प्रश्न 2.
मुरलीवाले के पास कितनी मुरलियाँ थीं? वह कितने पैसे में मुरली बेच रहा था ?
उत्तर:
मुरलीवाले के पास सत्तावन मुरलियाँ थीं, वह दो-दो पैसे में मुरली बेच रहा था।

प्रश्न 3.
विजय बाबू क्यों मुस्करा दिए ?
उत्तर:
विजय बाबू मुरलीवाले की इस बात पर मुस्करा दिए कि वैसे तो तीन पैसे की मुरली है परंतु आपको दो पैसे की ही लगेगी।

प्रश्न 4.
विजय बाबू ने मुरलीवाले को यह क्यों कहा कि तुम्हारी झूठ बोलने की आदत होती है ?
उत्तर:
अक्सर सभी दुकानदार ग्राहक पर एहसान जताते हैं कि हम आपको सस्ता दे रहे हैं। विजय बाबू ने मुरलीवाले को भी आम फेरी लगाने वालों की तरह समझा।

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2. मुरलीवाला एकदम …………… तब मुझे इस भाव पड़ी हैं।”

प्रश्न 1.
मुरलीवाला अप्रतिम (उदास) क्यों हो उठा ?
उत्तर:
विजय बाबू की यह बात सुनकर कि तुम देते सब को मुरली दो पैसे की हो परंतु मुझे तीन की बताकर मेरे ऊपर एहसान जताना चाहते हो। विजय बाबू की इस बात से मुरली वाला अप्रतिभ हो गया।

प्रश्न 2.
‘अप्रतिभ’ शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
अप्रतिभ शब्द का अर्थ है उदास, लज्जाशील।

प्रश्न 3.
मुरलीवाले ने एक हजार मुरलियाँ कितने की बनवाईं थीं ?
उत्तर:
मुरलीवाले ने एक हजार मुरलियाँ बीस रुपये की बनवाईं थीं।

3. अतिशय गंभीरता के …………….. ऐसा जान पड़ता।

प्रश्न 1.
मिठाईवाले की आर्थिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर:
मिठाईवाले की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी। वह अपने नगर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था। उसके पास वह सभी कुछ था जो एक धनी व्यक्ति के पास होता है।

प्रश्न 2.
मिठाई वाले का परिवार कैसा था ?
उत्तर:
मिठाईवाले के परिवार में उसकी सुंदर स्त्री व दो बहुत ही सुंदर बच्चे थे। उसका परिवार हँसता खेलता था।

प्रश्न 3.
मिठाईवाला मिठाई क्यों बेचता है ?
उत्तर:
मिठाईवाले का परिवार अब इस दुनिया में नहीं है। वह बच्चों के लिए मिठाई लाता है। ऐसा करके कहीं न कहीं वह अपने बच्चों की छवि उन बच्चों में देख लेता है और उसको ऐसा करके अपार संतोष की प्राप्ति होती है।

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मीठाईवाला Summary

कहानी का सार

एक व्यक्ति बहुत ही मीठे स्वर में आवाज लगाकर खिलौने बेच रहा था। उसकी मधुर आवाज को सुनकर उसके चारों ओर बच्चे इकट्ठे हो जाते। वे अपनी तोतली बोली में उससे खिलौने माँगते। राय विजय बहादुर के बच्चे भी एक दिन खिलौने लेकर घर आए। खिलौने काफी सस्ते थे। यकीन नहीं होता था कि वह इतने सस्ते कैसे दे गया।

छह महीने बाद फिर नगर में एक मुरलीवाले के आने का समाचार फैला। वह मुरली बजाकर दो-दो पैसे में मुरली बेचता था। उसका स्वर बहुत ही मधुर था। वह जिस गली में भी जाता बच्चों का झुंड उसे घेर लेता। विजय बहादुर ने भी उससे अपने बच्चों के लिए मुरली खरीदी। उसने इनकी लागत पूछी जो उसने बताया कि मुझे ये दो पैसे में ही पड़ी है। मुरली वाला बच्चों को उनकी इच्छानुसार मुरलियाँ दे रहा था।

विजय बहादुर की पत्नी रोहिणी मुरली वाले की सारी बातें सुन रही थी। उसे लगा कि बच्चों से इतना प्यार करने वाला कोई फेरीवाला आज तक नहीं आया। धीरे-धीरे काफी दिन बीत गए। लगभग आठ महीने बाद गली में मिठाई बेचने वाले की मधुर आवाज सुनाई दी। वह फेरी देकर मिठाई बेच रहा था। साथ ही अपनी मिठाइयों की तारीफ भी कर रहा था। रोहिणी को मिठाई वाले का स्वर कुछ परिचित सा लगा। उसने अपनी सास से कहकर उसे बुलवा लिया। वह स्वयं चिक की ओट में बैठ गई और उसकी बातें सुनने लगी। उसकी सास ने उसके साथ मोल-भाव किया। रोहिणी उसकी बातों को सुनकर अपनी सास से बोली कि जरा इनसे. पूछो ये पहली बार आए हैं या इससे पहले भी कुछ बेचने आए हैं। मिठाई वाले ने बताया कि मैं पहले खिलौने और फिर मुरली बेचने आया था। रोहिणी ने प्रश्न किया, “भला तुम्हें इस व्यवसाय में क्या मिलता है ?” उसने उत्तर दिया मुझे इस व्यवसाय में असीम सुख मिलता है। रोहिणी के पूछने पर मिठाई वाले ने अपनी पूरी कहानी बताई कि वह नगर का एक प्रतिष्ठित व्यक्ति था। उसके पास नौकर-चाकर, घोड़ा-गाड़ी सब कुछ था। उसकी बहुत ही सुंदर स्त्री व दो बच्चे थे। मेरा घर बहुत ही सुखी था। अब उनमें से कोई नहीं है। उन बच्चों की खोज में निकला हूँ। कहीं न कहीं तो उन्होंने जन्म लिया ही होगा। मुझे ऐसा लगता है कि शायद मेरे बच्चे यहीं कहीं हैं और इन्हीं बच्चों में खेल रहे हैं। इन बच्चों में मुझे अपने बच्चों की झलक मिल जाती है। रोहिणी ने मिठाई वाले की ओर देखा, उसकी आँखें आँसुओं से तर थीं। रोहिणी ने भीतर से पैसे दिए। मिठाई वाले ने पेटी उठाते हुए कहा कि अब इस बार ये पैसे न लूँगा।” मिठाईवाला चला गया।

शब्दार्थः अंतापी-अंदर ही अंदर फैला हुआ; पुलकित-प्रसन्न; मृदुल-मीठा; अप्रतिभ-प्रतिभाहीन/उदास/लज्जाशील; दस्तूर-रिवाज़; स्नेहसिक्त-स्नेह में भीगी हुई/वात्सल्यपूर्ण; संशय-शक; विस्मयादि-आश्चर्य के अस्थिर-चंचल; असीम-जिसकी कोई सीमा न हो; हरजा-नुकसान; वैभव-खुशहाली/ऐश्वर्य; सजीव-जीता जागता; अतिशय-बहुत अधिक।

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