NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 16 नमक

Our detailed NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 16 नमक Textbook Questions and Answers help students in exams as well as their daily homework routine.

नमक NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 16

नमक Questions and Answers Class 12 Hindi Aroh Chapter 16

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया? (A.I. C.B.S.E. 2012, Set-I)
उत्तर :
सफ़िया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि नमक पाकिस्तान से सरहद पार हिंदुस्तान ले जाना गैर-कानूनी था। फिर उसे वह नमक लेकर जहाँ से जाना था वहाँ कस्टम अधिकारी उसे पकड़ लेते, जिससे सफ़िया के साथ-साथ उसकी तथा उसके परिवार की भी बेईज्जती हो जाती।

प्रश्न 2.
नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में सफ़िया के मन में क्या द्वंद्व था? (A.L. C.B.S.E. 2012, Set-1, 2013 Set-I, II, III, Delhi C.B.S.E. 2008, 09, Delhi C.B.S.E. 2016, Set-III)
उत्तर :
सफ़िया को सुबह ही पाकिस्तान से रवाना होना था, इसलिए उसे रात को सामान की पैकिंग करनी थी। सारी चीजें समेटकर सूटकेस और बिस्तरबंद में बाँध दी गई। केवल कीनू की एक टोकरी तथा नमक की पुड़िया रह गई थी। वह सोच रही थी कि नमक की इस पुड़िया को वह कैसे ले जाएगी। सोच रही थी कि अगर इसे हाथ में ले ले और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसी को रख दे? लेकिन अगर कस्टम वालों ने नहीं जाने दिया तो मज़बूरी में हम छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा, जो हमने अपनी माँ से किया है।

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जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। वह सोचने लगी, यदि इस पुड़िया को कीनुओं की टोकरी में रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला इसे कौन देख पाएगा? और अगर देख लिया? वह चिंतित होने लगी। दूसरे ही क्षण वह सोचने लगी नहीं, फलों की टोकरियाँ तो आते समय भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। हिंदुस्तान से केले तथा पाकिस्तान से कीनू सब ऐसे ही ले जा रहे थे। बस, यही वंद्व उसके मन में चल रहा था।

प्रश्न 3.
जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?
उत्तर :
जब सफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए खड़े थे। देशों का चाहे राजनीतिक बँटवारा हो चुका है पर लोगों के मन में अभी भी अपनेपन का भाव है। कस्टम अधिकारी ढाका (तब पूर्वी पाकिस्तान अब बांग्लादेश) का था। वह भी भारत से अलग देश का था, भले ही वह यहाँ नौकरी कर रहा था।

प्रश्न 4.
लाहौर अभी तक उनका वतन है और दिल्ली मेरा या मेरा वतन ढाका है। जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं? (A.I.C.B.S.E. 2011, Set-1)
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका जिस मिट्टी, स्थान या देश में जन्म होता है, जहाँ वह खेल-कूदकर बड़ा होता है, जिस वातावरण में उसके बचपन की किलकारियाँ गूंजती हैं उसके साथ वह आजीवन बँधा रहता है। कहा भी गया है कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि यादें आजीवन उसके हृदय में विराजमान रहती हैं। यह एक प्राकृतिक यथार्थ है। मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी जन्मभूमि के साथ अनेक स्वप्न सँजोए रखता है। उसी भूमि से वह मृत्युपर्यंत संयुक्त रहता है।

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प्रश्न 5.
नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे वंवों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे वंवों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) प्रखर वक्ता-सफ़िया एक साहित्यकार थी, इसलिए वह बातचीत करने में तनिक भी संकोच नहीं करती थी। वह बहस करने में पूर्ण समर्थ थी। नमक ले जाने के बारे में उसका भाई बार-बार उसे समझाकर हार जाता है और उसे कहना पड़ता है कि अब आप से बहस कौन कर सकता है। इस प्रकार सफ़िया एक प्रखर वक्ता थी।

(ii) निडर-वह अत्यंत निडर थी। अपने भाई के बार-बार डराने पर भी वह कस्टमवालों से नहीं डरी। वह अमृतसर के कस्टम अधिकारियों के समक्ष अपने आप ही निडरता से कहती है-“देखिए मेरे पास नमक है, थोड़ा-सा।”

(iii) साहित्यकार-सफ़िया एक श्रेष्ठ साहित्यकार थी। उसका साहित्यकार होना हमें उसके भाई के संवादों से पता चलता है। उसके संवादों से हमें पता लगता है कि उसमें श्रेष्ठ प्रतिभा है। उसका भाई उससे कहता है “अब आपसे कौन बहस करे। आप अदीब ठहरों और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो ज़रूर ही घूमा हुआ होता है।”

(iv) ईमानदार-सफ़िया एक ईमानदार नारी है। जब सफ़िया का भाई उसे कहता है कि उसे नमक लेकर सरहद से गुजरना होगा जहाँ कस्टम वाले उसे पकड़ लेंगे तो वहाँ उसकी ईमानदारी का परिचय मिलता है। वह कहती है, “निकल आने का क्या मतलब, मैं क्या चोरी से ले जाऊँगी? छिपा के ले जाऊँगी? मैं तो दिखा के ले जाऊँगी?”

(v) इंसानियत से भरपूर-सफ़िया एक ऐसी इंसान है जिसमें इंसानियत का गुण कूट-कूट कर भरा है। वह सरहदों को देखकर अत्यंत चिंता में पड़ जाती है कि जब दोनों ओर के व्यक्ति, पहनावा, बोलने के अंदाज एक हैं, जब ज़मीन एक है तो फिर ये दो कैसे बने ? इस उदाहरण से उसकी इंसानियत स्वतः ही स्पष्ट हो जाती है-“अरे, फिर वही कानून-कानून कहे जाते हो । क्या सब कानून हुकूमत में ही होते हैं ? कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते ? आखिर कस्टम वाले भी इंसान होते हैं, कोई मशीन तो नहीं होते।”

(vi) दृढ निश्चयी-सफ़िया दृढ़ निश्चयी नारी है। उसने नमक लेकर आने का दृढ़ निश्चय किया था जिसे उसने पूर्णतः निभाया और वह अनेक मुसीबतों का सामना करते हुए सरहद के पास गैर-कानूनी होते हुए भी नमक की पुड़िया ले आई थी।

प्रश्न 6.
मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से जमीन और जनता बँट नहीं जाती है-उचित तर्को व उदाहरणों के जरिए इसकी पुष्टि करें। (Delhi C.B.S.E. 2016, A.I.C.B.S.E. 2011, Set-II)
अथवा
‘सीमाएँ बँट जाने से दिल नहीं बँटा करते’- ‘नमक’ कहानी में इस बात को किस तरह सिद्ध किया गया है? (A.I. CBSE 2014, Set-I, II, III)
उत्तर :
सत्य है कि जमीन को चाहकर भी नहीं बाँटा जा सकता और न ही कोई जनता के हृदय की भावनाओं को दबा सकता है। मानचित्र पर खींची गई लकीर जनता के अंतर्मन तक नहीं पहुँच पाती क्योंकि जनता को कोई भले ही शारीरिक रूप से विभक्त कर दे, लेकिन मानसिक व आत्मिक रूप से उसे नहीं बाँट सकता। जैसे सफ़िया को पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी का यह कथन कि मेरा वतन दिल्ली है, आप भी तो हमारी ही तरफ की मालूम होती हैं और अपने अजीजों से मिलने आई होंगी।

जब सफ़िया पाकिस्तान से नमक लेकर चली तो कस्टम अधिकारी बोले कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, तो बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जाएगा।” भारत-पाक विभाजन के इतने वर्षों बाद भी ये पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी व्यक्ति अपनी जन्मभूमि से हृदय से प्यार करते हैं। आज भी वे अपनी जमीन और अपने लोगों के दिलों से दूर नहीं हो पाए। इसी प्रकार सफ़िया को अमृतसर में भारतीय कस्टम अधिकारी कहता है-हाँ मेरा वतन ढाका है। जब डिवीजन हुआ तभी आए, मगर हमारा वतन ढाका है। मैं तो कोई बारह-तेरह साल का था।

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पर नजरूल और टैगोर को तो हम लोग बचपन से पढ़ते थे। जिस दिन हम रात को यहाँ आ रहे थे उसके ठीक एक वर्ष पहले मेरे सबसे पुराने सबसे प्यारे, बचपन के दोस्त ने मुझे यह किताब दी थी। उस दिन मेरी सालगिरह थी-फिर हम कलकत्ता रहे, पढ़े, नौकरी भी मिल गई, पर हम वतन आते-जाते थे।

प्रश्न 7.
नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे? (A.L. 2016, Set-III, A.I.C.B.S.E. 2009-10, Set-I, 2011, Set-III, 2017 Set-III)
उत्तर :
नमक कहानी में लेखिका ने भारत और पाक के विभाजन से उपजे विस्थापन की समस्या का चित्रण किया है। विस्थापन की समस्या के पश्चात यहाँ की जनता के ऊपर अनेक भेदभाव पैदा हो गए लेकिन इस आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ दिखाई देता है।

भारत-पाक जनता परस्पर जुड़ी हुई है। उन्हें अब भी अपनी जन्मभूमि की स्वर्णिम यादें सताती हैं। उन्हें अब भी कोई बात याद आने पर एक-दूसरे के प्रति संवेदनाएँ जागृत हो जाती हैं। सफ़िया के द्वारा गैर-कानूनी नमक लाने पर कस्टम अधिकारी उसे रोकते हैं तथा नमक को पकड़ भी लेते हैं लेकिन आपसी मुहब्बत के कारण वे सफ़िया को स्वयं नमक ले जाने की अनुमति दे देते हैं।

क्यों कहा गया?

प्रश्न 1.
क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते ?
उत्तर :
ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि कानून की दृष्टि में मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत आदि का कोई मूल्य नहीं होता है। आधुनिक युग में कानून केवल सरकारी गुलाम बनकर रह गया है।

प्रश्न 2.
भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।
उत्तर
सफ़िया पाकिस्तान से नमक की थैली लाने के लिए अनेक प्रयास करती है लेकिन बार-बार सोचकर चिंता में डूब जाती है कि कहीं किसी ने देख लिया तो पकड़ी जाएगी। अंत में फलों की टोकरी में नमक की थैली लाने का निर्णय करती है, इसलिए कहा गया है कि भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।

प्रश्न 3.
मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र आती है कि कानून हैरान रह जाता है।
उत्तर :
यह इसलिए कहा गया है कि भारत-पाक बँटवारे के पश्चात दोनों ओर विस्थापन हुआ। कुछ भारतीय पाकिस्तान में तो कुछ पाकिस्तानी भारत में चले गए। लेकिन आज तक भी उनके दिलों में अपने-अपने देश के प्रति प्यार है। वे अपने देशवासियों से आज भी प्रेम करते हैं। इसी प्रेम के कारण वे कई बार ज्यादा छानबीन नहीं करते। यदि करते भी हैं तो प्रेम के आगे वह छोटी पड़ जाती है।

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प्रश्न 4.
हमारी जमीन हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।
उत्तर :
‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। यह सत्य है कि मनुष्य आजीवन अपनी
माँ और जन्मभूमि को नहीं भूल पाता। उनसे दूर रहकर भी उनके प्रति तनिक प्रेम कम नहीं होता। वहाँ की प्रत्येक वस्तु अमूल्य दिखाई देती है, इसलिए यह कहा गया है कि हमारी जमीन हमारे पानी का मजा ही कुछ और है।

समझाइए तो ज़रा

प्रश्न 1.
फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।
उत्तर :
सिख बीबी लाहौर की बात सुनकर सफ़िया के पास आकर बैठ जाती है। फिर वह बीते जमाने में खो जाती है। अपने लाहौर को याद करते हुए ही उसकी आँखों से आंसू निकलकर उसके सफ़ेद आँचल में समा जाते हैं।

प्रश्न 2.
किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़?
उत्तर :
लेखिका यहाँ व्यंग्य करती हुई कहती है कि किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस ओर है अर्थात पाकिस्तान है या जो कस्टम के उस ओर अर्थात भारत है? उसका कहना है कि ये सरहदें स्वार्थ के ऊपर बनी हैं अन्यथा भारत-पाकिस्तान में रहने वालों का एक ही वतन है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1.
‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों को भावनाओं, संवेदनाओं से उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए।
अथवा
नमक कहानी की मूल संवेदना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। (Delhi C.B.S.E.2016, Set-II, C.B.S.E. 2012, Set-1)
अथवा
नमक कहानी में क्या संदेश छिपा हुआ है? स्पष्ट कीजिए। (A.L.C.B.S.E. 2012, Set-I, II, III)
अथवा
भारत-पाक के वर्तमान संबंधों को देखते हुए ‘नमक’ कहानी के संदेश की समीक्षा कीजिए। (Outside Delhi 2017, Set-1)
उत्तर :
नमक कहानी में लेखिका ने हिंदुस्तान-पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं और संवेदनाओं को उभारा है। वर्तमान काल में हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों के निवासी शांति और आपसी मेल-जोल चाहते हैं। वे चाहते हैं कि परस्पर दोनों देशों में कोई संघर्ष न हो और सब मिलकर रहें। हिंदुस्तानी बिना रुकावट के पाकिस्तान सीमा पर गर्व से जा सके तथा पाकिस्तानी अपनों को मिलने हेतु बेखौफ़ आ सके। इस प्रकार दोनों देशों के लोगों की एक-दूसरे के प्रति गहन संवेदनाएँ हैं। वे परस्पर प्रेमभावना के द्वारा शांति चाहते हैं जिससे उनमें भाईचारा बना रहे।

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प्रश्न 2.
सफ़िया की मन:स्थिति को कहानी में विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया है। अगर आप सफ़िया की जगह होते तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती है ?
उत्तर :
स्पष्ट कीजिए। जी हाँ, अगर हम सफ़िया की जगह होते तो हमारी मनःस्थिति भी वैसी ही होती। हम भी सफ़िया की भाँति अपनी माँ का सम्मान करने हेतु कोई भी गैर-कानूनी वस्तु को लाने की भरपूर कोशिश करते भले ही चाहे हम कस्टम अधिकारी द्वारा पकड़ लिए जाते। ऐसी वस्तु को लाने हेतु तरह-तरह की बातें सोचते जिससे उसे कस्टम अधिकारियों की नजरों से बचाया जा सके। हमें भी सफ़िया की तरह मन में अनेक बातें ध्यान में आतीं कि अगर पकड़े गए तो सामान कैसे ले जाएँगे, माँ को क्या जवाब देंगे आदि।

प्रश्न 3.
भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकती हैं ?
उत्तर :
भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों देशों की सरकारें बहुत समय से प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैं इसमें निम्नलिखित योगदान दे सकता हूँ

(i) मैं अखबार के माध्यम से दोनों देशों की सरकार से यह अपील करूँगा कि आपसी संबंध सुधारने से जनसामान्य को बहुत लाभ होगा, अतः वे उन्हें सुधारने का प्रयास करें।

(ii) विदेश मंत्रियों को एक बुद्धिजीवी प्राणी के नाते सचेत करने का प्रयास करूंगा कि ऐसा करना जनहित के लिए लाभदायक होगा।

(iii) दोनों देशों के सर्वोच्च पदाधिकारी राष्ट्रपति महोदय जी को पत्र के माध्यम से अपील करूंगा।

(iv) मैं पाकिस्तान की यात्रा करके वहाँ की लोगों की भावनाओं को जानने का प्रयास करूंगा और आपकी भावनाओं और अपेक्षाओं से उन्हें अवगत कराने का प्रयास करूंगा।

प्रश्न 4.
लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए सफ़िया के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप में संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?
उत्तर :
हाँ, हम इस बात से सहमत हैं कि विवाह की रीति के कारण स्त्री सबसे अधिक विस्थापित है। प्रस्तुत कहानी नमक के माध्यम से लेखिका ने इसी का परोक्ष रूप में चित्रण किया है। विस्थापन के कारण साफ़िया का मायका पाकिस्तान में रह गया जबकि ससुराल हिंदुस्तान में। सिख बीबी भी इसी रीति के कारण पाकिस्तान से विस्थापित होकर हिंदुस्तान आई थीं। वे आजीवन इसी समस्या का शिकार बनती रहीं।

प्रश्न 5.
विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं-रक्त संबंध, विज्ञान, साहि ।। कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों ?
उत्तर:
विभाजन के अनेक स्वरूपों में बंटी जनता को मिलाने के लिए साहित्य सबसे ताकतवर है, क्योंकि साहित्य ही एक ऐसा माध्यम ! है जो जनता की सोई हुई संवेदनाओं को जागृत कर सकता है। यह मानव-मानव के मध्य विराजमान सभी संकीर्णताओं को मिटा । सकता है। इसके द्वारा मनुष्य अपनी सारी सीमा-रेखाओं को भुलाकर मनुष्य को मनुष्य समझने लगता है।

आपकी राय

प्रश्न 1.
मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगे और क्यों?
उत्तर :
मैं भारत से आम, गर्म मसाले, पापड़ और दालें ले जाना पसंद करूंगा। क्योंकि मुझे लगता है कि भारत में इनकी उपज अधिक होती है और पाकिस्तान में कम।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए
(क) हमारा वतन तो जो लाहौर ही है।
(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं? सामान्यतः ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्या परिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर
(क) यहाँ ही के प्रयोग से अर्थ में यह परिवर्तन आया है कि हमारा वतन केवल लाहौर है, अन्य कोई नहीं।
(ख) यहाँ क्या सब कानून हुकूमत के चलते हैं किसी और के नहीं?

वाक्य –

  • हमारा देश तो भारत ही है।
  • हमारा शहर तो जबलपुर ही है।
  • सर्वोत्तम शहर तो बेंगलुरु ही है।
  • हमारा राज्य तो हरियाणा ही है।
  • हमारी राजधानी तो दिल्ली ही है।

वाक्य –

  • क्या सब नियम सरकार के ही होते हैं?
  • क्या सारी छूट पूँजीपतियों के लिए ही है?
  • क्या सारी सुविधाएँ नेताओं के लिए ही हैं?
  • क्या जीने का हक अमीरों का ही है?
  • क्या मौलिक अधिकार बड़ों के लिए ही है?

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प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए
मरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफ़ीस
उत्तर :
मुरैवत – संकोच, छूट
आदमियत – इंसानियत, मानवता
अदीब – साहित्यकार, साहित्य
साडा – अपना, हमारा
मायने – अर्थ
सरहद – सीमा
अक्स – चित्र, परछाई
लबोलहजा – उच्चारण, भाषा और बोली
नफ़ीस – सुंदर, निर्मल, कोमल

प्रश्न 3.
पंद्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नहीं चला-वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही के पाँच वाक्य बनाइए)
(i) जीवन यों गुजरा कि पता ही नहीं चला।
(ii) स्कूल में, दो साल यों गुजर गए कि महसूस ही नहीं हुआ।
(iii) इस यात्रा के सात दिन यों बीत गए कि पता ही नहीं चला।
(iv) इस वर्ष की सर्दियों यों गुजर गई कि पता नहीं लगा।
(v) आज का दिन बातों-बातों में यों व्यतीत हो गया कि शाम ही हो गई।

सृजन के क्षण

प्रश्न 1.
‘नमक’ कहानी को लेखक ने अपने नजरिए से अन्य पुरुष शैली में लिखा है। आप सफ़िया की नज़र से/उत्तम पुरुष शैली में इस कहानी को अपने शब्दों में कहें।
उत्तर
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

इन्हें भी जानें

1. मुहर्रम – इस्लाम धर्म के अनुसार साल का पहला महीना, जिसकी दसवीं तारीख को इमाम हुसैन शहीद हुए।
2. सैयद – मुसलमानों के चौथे खलीफ़ा अली के वंशजों को सैयद कहा जाता है।
3. इकबाल – ‘सारे जहाँ से अच्छा’ के गीतकार।
4. नजरुल इस्लाम – बाँग्ला के क्रांतिकारी कवि।
5. शमसुल इस्लाम – बांग्लादेश के प्रसिद्ध कवि।
6. इस कहानी को पढ़ते हुए कई फ़िल्में, कई रचनाएँ, कई गाने आपके जेहन में आए होंगे। उनकी सूची बनाइए। किन्हीं दो (फ़िल्म और रचना) की विशेषता को लिखिए। आपकी सुविधा के लिए कुछ नाम दिए जा रहे हैं।

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फ़िल्में – रचनाएँ
1947 अर्थ : तमस (उपन्यास-भीष्म साहनी)
मम्मो : खोल दो (कहानी – मंटो)
ट्रेन टु पाकिस्तान : जिंदगीनामा (उपन्यास – कृष्णा सोबती)
गदर : पिंजर (उपन्यास – अमृता प्रीतम)
खामोशपानी : झूठा सच (उपन्यास – यशपाल)
हिना : मलबे का मालिक (कहानी – मोहन राकेश)
वीर जारा : पेशावर एक्सप्रेस (कविता – कुमार विकल)

7. सरहद और मजहब के संदर्भ में इसे देखें
तू हिंदू बनेगा न मुसलमान बनेगा,
इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा।
मालिक ने हर इंसान को इंसान बनाया,
हमने उसे हिंदू या मुसलमान बनाया।
कुदरत ने तो बख्शी थी हमें एक ही धरती,
हमने कहीं भारत कहीं, ईरान बनाया।।
जो तोड़ दे हर बंद वो तूफ़ान बनेगा।
इंसान की औलाद है इंसान बनेगा। —- फ़िल्म : धूल का फूल; गीतकार : साहिर लुधियानठी

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