Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions कारक-प्रकरणम्

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Sanskrit Vyakaran Class 7 Solutions कारक-प्रकरणम्

क्रिया में जो सहायक हो, उसे कारक कहते हैं। संस्कृत में छह कारक हैं, संबंध एवं संबोधन को कारक नहीं माना जाता है,
क्योंकि इन दोनों का क्रिया के साथ संबंध नहीं बैठता। प्रत्येक के लिए एक विभक्ति होती है। सम्बन्ध के लिए षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है। इस प्रकार संस्कृत में छः कारक और सात विभक्तियाँ होती हैं। संबोधन प्रथमा विभक्ति के समान होता है। यथा

Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions कारक-प्रकरणम् 1

कर्ता कारक

1. रामः पत्रं लिखति — राम पत्र लिखता है।
2. मयूराः नृत्यन्ति — मोर नाचते हैं।
3. मेघाः गर्जन्ति — बादल गरजते हैं।
4. अहं गीतं गायामि — मैं गीत गाता हूँ।
5. त्वं पाठं स्मरसि — तू पाठ याद करता है।
6. त्वं स्नानं करोषि — तू स्नान करता है।
7. छात्रः पठति — छात्र पढ़ता है।

कर्म कारक

1. अहं चलचित्रं पश्यामि — मैं सिनेमा देखता हूँ।
2. भिक्षुकः अन्नं याचति — भिखारी अन्न माँगता है।
3. देवः पुष्पं जिघ्रति — देव फल सूंघता है।
4. वृद्धः ग्रामं गच्छति — बूढा व्यक्ति गाँव जाता है।
5. त्वं फलानि खादसि — तू फल खाता है।
6. गजः जलं पिबति — हाथी पानी पीता है।
7. शिशुः दुग्धं पिबति — बच्चा दूध पीता है।

करण कारक

1. सः शकटेन ग्रामं गच्छति — वह छकड़े से गाँव जाता है।
2. श्रीरामः रथेन वनम् अगच्छत् — श्रीराम रथ से वन को गए।
3. छात्रः कलमेन लिखति — छात्र कलम से लिखता है।
4. जीवः मुखेन खदान्ति — प्राणी मुख से खाते हैं।
5. रमा पुष्पैः स्वागतं करोति — रमा फूलों के द्वारा स्वागत करती है।
6. अन्धः पादाभ्यां गच्छति — अन्धा व्यक्ति पैदल चलता है।
7. अहं कन्दुकेन क्रीडामि — मैं गेंद से खेलता हूँ।

सम्प्रदान कारक

1. छात्रः अध्ययनाय पाठशाला गच्छति — छात्र अध्ययन के लिए स्कूल जाता है।
2. सः धनाय विदेशं गच्छति — वह धन के लिए विदेश जाता है।
3. राजा निर्धनाय धनं यच्छति — राजा निर्धन को धन देता है।
4. महिला जलाय कूपं गच्छति — महिला पानी के लिए कएँ पर जाती है।
5. राजा मृगयायै वनं गच्छति — राजा शिकार के लिए वन में जाता है।
6. वीरः देशाय प्राणान् त्यजति — वीर देश के लिए प्राण त्याग करता है।
7. वयं पुष्पेभ्यः उपवनं यामः — हम फूलों के लिए बगीचे को जाते हैं।

अपादान कारक

1. वृक्षात् फलानि पतन्ति — वृक्ष से पत्ते गिरते हैं।
2. लतायाः पुष्पाणि पतन्ति — बेल से फूल गिरते हैं।
3. अश्वात् देवः पतति — घोड़े से देव गिरता है।
4. मेघात् जलं पतति — बादल से पानी गिरता है।
5. बालः सर्पात् बिभेति — बालक साँप से डरता है।
6. शिशुः वानरात् बिभेति — बच्चा बन्दर से डरता है।
7. त्वं चौरात् न बिभेषि — तुम चोर से नहीं डरते हो

सम्बन्ध कारक
1. इयं मम लेखनी अस्ति — यह मेरा पैन है।
2. दशरथस्य चत्वारः पुत्राः आसन् –दशरथ के चार पुत्र थे।
3. श्रीरामस्य पत्नी सीता आसीत् — श्रीराम की पत्नी सीता थी।
4. देवस्य भ्राता विदेशात् आगच्छत् — देव का भाई विदेश से आ गया है।
5. इदं तव भवनम् अस्ति — यह तुम्हारा मकान है।
6. पुष्पाणाम् उपरि भ्रमराः गुञ्जन्ति — फूलों के ऊपर भौंरे गुनगुना रहे हैं।
7. अस्माकं ग्रामः विशालः अस्ति — हमारा गाँव विशाल है।

अधिकरण कारक
1. गृहे शिशवः क्रीडन्ति –घर में बच्चे खेलते हैं।
2. वने सिंहः गर्जति — वन में सिंह चिंघाड़ता है।
3. आकाशे खगाः उड्डयन्ति — आकाश में पक्षी उड़ते हैं।
4. वृक्षे वानराः तिष्ठन्ति — वृक्ष पर बन्दर बैठे हैं।
5. नगरे मम भ्राता वसति — शहर में मेरा भाई रहता है।
6. खट्वायां शिशुः शेते — चारपाई पर बच्चा सोता है।
7. लतायां पुष्पाणि विकसन्ति — बेल पर फूल खिलते हैं।

उपपदविभक्ति
परितः, उभयतः, अभितः, निकषा तथा समया-इन शब्दों के योग में द्वितीया विभक्ति होती है। यथा .
1. गृहं परितः जलम् अस्ति — घर के चारों ओर जल है।
2. नगरं समया मन्दिरम् अस्ति — शहर के निकट मन्दिर है।
3. मार्गममार्गम् उभयतः वृक्षाः सन्ति — सड़क के दोनों ओर वृक्ष हैं।
4. पाठशालाम् अभितः कूपः अस्ति — स्कूल के सामने कुआँ है।
5. ग्रामं निकषा जलाशयः अस्ति — गाँव के पास तालाब है।

सह तथा अलम् ( = बस करो)-इन शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है। यथा
1. अहं मित्रेण सह आपणं गच्छामि — मैं मित्र के साथ बाजार जाता हूँ।
2. रमा मात्रा सह नगरं गच्छति — रमा माता के साथ शहर जाती है।
3. अलं हसितेन — हँसो मत।
अङ्गविकार में तृतीया होती है। यथा
4. श्यामः नेत्रेण काणः अस्ति — श्याम एक आँख से काणा है।
विना के योग में तृतीया विभक्ति होती है। यथा
5. परिश्रमेण विना विद्या कुतः — परिश्रम के बिना विद्या कहाँ?
अलम् (= पर्याप्त), नमः, स्वाहा-इन शब्दों के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। यथा
1. अलं मल्लो मल्लाय
2. गुरवे नमः –गुरु को नमस्कार।
3. अग्नये स्वाहा –अग्नि को अर्पित है।

क्रुध्, रुच् तथा स्पृह-इन धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। यथा
4. राजा चौराय क्रुध्यति — राजा चोर पर क्रोध करता है।
5. मह्यं दधि रोचते — मुझे दही अच्छा लगता है।
6. रमा पुष्पेभ्यः स्पृह्यति — रमा फूलों की चाह करती है।

भी, रक्ष्, प्र मद् तथा प्रभू-इन धातुओं के योग में पञ्चमी विभक्ति होती है। यथा
1. शिशुः वानरात् बिभेति । — बच्चा बन्दर से डरता है।
2. वीरः देशं शत्रुभ्यः रक्षति — वीर देश को शत्रुओं से बचाता है।
3. सः अध्ययनात् प्रमाद्यति — वह पढ़ाई से जी चुराता है।
4. गङ्गा हिमालयात् प्रभवति — गङ्गा हिमालय से निकलती है।

उपरि, अधः, अन्तः और निर्धारण में षष्ठी विभक्ति होती है।
1. वृक्षस्य उपरि वानराः कूर्दन्ति। — वृक्ष के ऊपर बन्दर कूदते हैं।
2. आश्रमस्य अन्तः, मुनयः सन्ति। — आश्रम के अन्दर मुनि हैं।
3. वृक्षस्य अधः पथिकः तिष्ठति। — वृक्ष के नीचे राहगीर खड़ा है।
4. खगानाम् मयूरः श्रेष्ठः अस्ति। — पक्षियों में मोर श्रेष्ठ है।

अनेक वस्तुओं में एक का चयन करने पर सप्तमी विभक्ति होती है। यथा
1. सीता नारीषु अन्यतमा अस्ति सीता सभी स्त्रियों में सुन्दर है।
2. कविषु कालिदासः श्रेष्ठः अस्ति कवियों में कालिदास श्रेष्ठ है।

अभ्यासः

प्रश्न 1.
दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर चुनें
(क) देवः …………. आयाति।
(i) ग्रामम्
(ii) ग्रामाय
(iii) ग्रामात्
(iv) ग्रामे।
उत्तर:
(i) ग्रामम्

(ख) …………. नमः।
(i) शिवं
(ii) शिवाय
(iii) शिवेन,
(iv) शिवे।
उत्तर:
(ii) शिवाय

(ग) बालः . … बिभेति।
(i) सिंहात्
(ii) सिंहम्
(iii) सिंहेन,
(iv) सिंहाय।
उत्तर:
(ii) सिंहम्

(घ) बाल: …………….. अपतत्।
(i)हम्येंण
(ii)हम्यात्
(iii)हम्ये
(iv) हम्पस्य
उत्तर:
(ii)हम्यात्

प्रश्न 2.
कोष्ठक में प्रदत्त शब्दों में उचित विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(क) भ्रमराः ………….. स्पृहयन्ति। (पुष्प)
(ख) पुत्रः … … सह याति। (जनक)
(ग) ……….. विना सुखं नास्ति। (धन)
(घ) …………….. स्वाहा। (इन्द्र)
उत्तर:
(क) पुष्पेभ्यः
(ख) जनकेन
(ग) धनं
(घ) इन्द्राय

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को शुद्ध करें।
(क) अहं ग्रामम् आगच्छामि।
(ख) महिला कूपेन जलम् आनयति।
(ग) गङ्गा हिमालयेन प्रभवति।
(घ) मालाकारः पुष्पाणि स्पृह्यति।
उत्तर:
(क) ग्रामात्
(ख) कूपात्
(ग) हिमालयात्
(घ) पुष्पेभ्यः

प्रश्न 4.
कोष्ठक से उचित शब्द लेकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
(क) सः ……. काणः अस्ति। (नेत्रेण, नेत्रात्) ।
(ख) …… परितः वृक्षाः सन्ति। (ग्रामस्य, ग्रामम्)
(ग) ………. विना नरः पशुतुल्यः। (विद्या, विद्यया)
(घ) सीता ……………. सह बनम् अगच्छत् (रामेण, रामस्य)
उत्तर:
(क) नेत्रेण
(ख) ग्रामम्
(ग) विद्यया
(घ) रामेण

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